
पठानी हाउस,,
असुर इस वक्त कनिका के सामने खड़ा था और इस वक्त उसने अपनी शर्ट उतारकर जमीन पर फेंक दी थी। कनिका के कपड़े तो वह पहले ही उतार चुका था। वह इस वक्त बेहद गहरी और तीखी नजरों से कनिका को देख रहा था। कनिका को देखकर उसके चेहरे के भाव बदलने शुरू हो गए थे—जिस चेहरे पर हर वक्त कनिका के लिए सिर्फ गुस्सा नजर आता था, आज थोड़ा-सा पिघलना शुरू हो चुका था।
कनिका की बॉडी को देखकर असुर को अपने बदन में बदलाव महसूस हो रहा था। असुर का दिल जैसे जो सालों से धड़कना भूल गया था, आज शायद फिर से धड़कने लगा था… जिसकी आवाज उसे पूरे कमरे में गूंजती महसूस हो रही थी। उसकी नज़रें कनिका के बदन के हर हिस्से पर घूम रही थीं।
लेकिन अगले ही पल…
उसे अपने दिमाग में वही बात याद आई—जब कनिका ने कहा था कि “वह मर जाएगी लेकिन कभी असुर उसे छुएगा नहीं।”
यह याद आते ही उसने एक पल के लिए अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और उसकी मुट्ठियाँ भींच गईं।
उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था—
“अगर मैं इसे पानी में नहीं छोड़ता तो इसकी ये हालत नहीं होती… ऊपर से मैंने सर्वेंट को जो आदेश दिए… आखिर क्यों बार-बार बर्फ डालने को कहा…?”
अपने बालों में हाथ फेरते हुए उसने दाँत पीसकर कहा—
“आखिर क्यों मैं इसके झांसे में आ रहा हूँ? मरती है तो मर जाए… इसकी वजह से ही मेरी बहन की जान गई है।”
उसका दिमाग पूरी तरह से घूम चुका था।
एक तरफ अपनी बहन का ख्याल…
दूसरी तरफ कनिका का मासूम चेहरा…
जिसे देखकर उसका दिल अपने बस में नहीं रह पा रहा था।
कनिका बेड पर किसी लाश की तरह पड़ी थी। उसकी सांसे गहरी होने लगीं और बदन झटपटाने लगा। यह देखकर असुर की आँखें फैल गईं। अगले ही पल उसने फिर से उसके हाथ-पैर रगड़ने शुरू कर दिए… लेकिन कोई फायदा नहीं।
फौरन वह उसके साथ लेट गया और पास पड़ी रज़ाई ओढ़कर दोनों को ढक लिया। इस वक्त असुर पूरी तरह से कनिका के ऊपर था। उसने लेटे-लेटे ही अपनी पैंट उतार दी थी ताकि उसके शरीर की गर्मी कनिका को मिल सके।
लेकिन उसने एक बार भी उसे गलत नीयत से नहीं छुआ।
वह सिर्फ उसका बदन गर्म रखने की कोशिश कर रहा था।
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दो घंटे बाद…
कनिका के बदन की ठंडक कम होने लगी। जो शरीर बर्फ जैसा ठंडा पड़ चुका था, अब गर्म होने लगा था। लगभग डेढ़ घंटे बाद उसकी त्वचा पर पसीना आने लगा।
असुर तो पूरी तरह से पसीने से भीग चुका था—उसे बहुत गर्मी लग रही थी, लेकिन फिर भी उसने कनिका को कसकर पकड़ रखा था। उसकी डार्क आँखें कनिका के चेहरे पर टिकी थीं। वह चेहरा जो थोड़ी देर पहले सफेद और बेजान था, अब लाल होने लगा था।
पसीना बता रहा था—उसका शरीर अब नॉर्मल हो रहा है।
आधे घंटे बाद कनिका की पलकें फड़कने लगीं।
धीरे-धीरे उसकी आँखें खुलीं… और जैसे ही उसने अपने चेहरे के पास असुर का चेहरा देखा—वह एक पल के लिए वहीं जम गई।
उसका दिल जोर से धड़क उठा।
और जब उसने अपनी हालत देखी…
उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
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वहीं दूसरी तरफ,
अमानत अभी-अभी बाहर से घर आया था। आते ही वह अपने कमरे में गया और कमरे में पहुंचते ही उसने अपने बदन से सारे कपड़े उतार दिए। देखते ही देखते वह पूरी तरह नेकेड खड़ा था।
उसकी शाम आँखों के सामने बस उसी लड़की का चेहरा घूम रहा था—
वही लड़की जो अभी कुछ देर पहले उसकी गाड़ी के सामने आई थी।
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उधर पठानी हाउस के बाहर,
वही लड़की—जिसने विधवा के कपड़े पहन रखे थे—अपना सिर झुकाकर हाउस की तरफ बढ़ रही थी। तभी एक सर्वेंट बाहर आई और उसे बाजू से पकड़कर अंदर की तरफ खींचने लगी। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था।
वह गुस्से में बोली—
“तुझे कितने दिन पहले कहा था कि तेरा काम करना यहां बहुत जरूरी है! पर तू मानती ही नहीं… आज भी आवारा घूमने निकल गई थी! अगर असुर साहब को पता चल गया ना, तेरी जान ले लेंगे! अभी तो अपने पति को खोकर बैठी है… करमजाली, जल्दी जान से भी हाथ धो बैठेगी!”
वह उसे घसीटते हुए अंदर ले जाने लगी।
लड़की ने रुकते हुए कहा—
“रीमा… मेरी बात तो सुनो…”
रीमा गुस्से में चिल्लाई—
“नहीं सुनाई मुझे तेरी बात, अफसाना! और यहां अपनी औकात में रहकर बाहर निकला करो! यहां के सर्वेंट को बाहर जाने की इजाजत नहीं है!”
वह अफसाना को घसीटते हुए अंदर ले जा रही थी—
लेकिन तभी
सामने खड़े शख्स को देखकर दोनों के हाथ-पैर ढीले पड़ गए…
To be continued…
Sorry bohat biji thi is liye chepter chota diya









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