09

Blast

Russia,

Red Flame Bar…

सूफियाना इस वक्त काउंटर पर बैठी ड्रिंक कर रही थी और उसकी आंखों के सामने किसी का चेहरा घूम रहा था। बेहद हैंडसम लड़का—जिसकी आंखें डार्क ब्राउन, जेल से सेट किए हुए बाल, और हल्की-हल्की बियर्ड… उसे उस लड़के की याद में सूफियाना की आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल थीं। लड़के के होठों से खून बह रहा था और उसकी आंखें पूरी तरह से बंद थीं। उसे उस लड़के को याद करते हुए सूफियाना की आंखें खून की तरह लाल हो चुकी थीं, ऊपर से उसने ड्रिंक भी हद से ज्यादा कर ली थी।

अब वह किसी तरह बार काउंटर पर हाथ रखकर अपने जगह से खड़े होने को हुई, लेकिन अगले ही पल उसका हाथ बार काउंटर से फिसल गया और वह फिर से अपनी जगह पर बैठ गई।

जैसे ही वह लड़खड़ाकर बैठी, उसके चेहरे पर व्यंग्य भरी मुस्कराहट फैल गई। खुद से ही बड़बड़ाते हुए काउंटर की तरफ देखकर बोली—

"क्या यार, तूने भी मेरा साथ छोड़ दिया? अरे तू तो बेजान चीज़ है… यहाँ इंसानों ने मेरा साथ छोड़ दिया, बेजान चीज़ की क्या ही औक़ात…"

इतना कहते हुए वह अपना ही मज़ाक उड़ा रही थी।

लेकिन अगले ही पल वह दोबारा उठने को हुई। उसके पैर इतने लड़खड़ा रहे थे कि वह चल भी नहीं पा रही थी। फिर भी जैसे-तैसे कदम बढ़ाकर वह बाहर की तरफ जाने लगी। वहीँ साइड में खड़े लड़के, जो एक-दूसरे को कोहनी मारकर सूफियाना को देख रहे थे, इस वक्त उनके चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन थे। उनकी गहरी नज़रें सूफियाना पर टिकी थीं।

उनमें से एक जतिन आगे आया और दूसरे लड़के से बोला—

"चल ना यार, आज लगता है मज़े का दिन है। लड़की ने पी भी बहुत रखी है… पूरी रात मज़े करेंगे।"

जतिन के चेहरे पर बेशर्मी साफ दिख रही थी।

वहीं दूसरा लड़का तुरंत पीछे हट गया और बोला—

"तुझे पता भी है वह कौन है?"

जतिन ने दांत पीसकर कहा—

"I don't care about who the fuck she is."

दूसरे लड़के भी जतिन का साथ देते हुए बोले—

"क्या बे, तू हर जगह डरता ही रहता है। हमें तो आज रात मज़े लेने हैं, तो मतलब लेने हैं। हम जा रहे हैं, तू नहीं आना तो मत आ!"

इतना कहकर वे भी बाहर की तरफ बढ़ गए।

सूफियाना बाहर आ चुकी थी। सामने उसकी गाड़ी थी, लेकिन चलने की हालत ही नहीं थी तो रोड क्रॉस कैसे करती? वह लड़खड़ाते हुए प्रयास कर रही थी, लेकिन हर कदम डगमगा रहा था। जैसे ही वह फिर से आगे बढ़ने लगी, उसका पैर पूरी तरह लड़खड़ा गया और वह गिरने वाली थी कि तभी किसी ने उसकी कमर पकड़कर उसे संभाल लिया।

जैसे ही उसने नज़र घुमाई—जतिन ने उसकी कमर पकड़ी हुई थी।

वह हल्के-हल्के उसकी कमर सहलाते हुए बोला—

"क्या हुआ बेबी? आधी रात को ऐसे क्यों चल रही हो? ड्रिंक ज़्यादा कर ली क्या? आओ, मैं घर छोड़ देता हूँ…"

हालांकि सूफियाना ने बहुत पी रखी थी, फिर भी जतिन का स्पर्श उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। उसने जतिन का हाथ हटाते हुए कहा—

"नहीं… रहने दो। मैं खुद चली जाऊंगी…"

और उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।

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उधर दूसरी तरफ—

आदित्य अपनी गाड़ी में था, तेज रफ़्तार से कहीं जाता हुआ। उसका चेहरा एक्सप्रेशनलेस था। तभी फोन पर नोटिफिकेशन आया। उसने वीडियो खोली… अगले ही पल उसका चेहरा काला पड़ गया। उसके जबड़े जकड़ गए।

उसने तुरंत गाड़ी मोड़ी और उसी रास्ते वापस लौटा। इस वक्त गुस्सा उसके चेहरे से जल रहा था। अब उसकी गाड़ी हवा से बातें कर रही थी—मानो सड़क को रेसिंग ट्रैक बना दिया हो।

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क्लब के बाहर—

सूफियाना निरंतर जतिन की पकड़ से छूटने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब दो-तीन लड़के और आ चुके थे। उसकी शॉर्ट ड्रेस को देख उनकी डेविल नज़रें उसकी जांघों पर थीं।

एक लड़का पीछे से उसकी थाई पर हाथ फेरते हुए बोला—कुछ नहीं बोला, बस छुआ।

सूफियाना का दिल जैसे एक पल को थरथरा उठा। होश में होती तो वह अकेले उनसे निपट सकती थी, पर आज उसका शरीर जवाब दे रहा था।

जतिन ने अब उसका मुंह दबाया और खींचकर सुनसान इलाके की तरफ ले जाने लगा। बार एक ऐसी जगह थी जहाँ आसपास कुछ नहीं था।

एक लड़के ने पॉकेट से रुमाल निकाला, उस पर स्प्रे किया, और सूफियाना के मुंह पर रखने को हुआ—

कि तभी उसके हाथ पर किसी ने जोरदार पकड़ बनाई।

अगले ही पल समीर (वह लड़का) की चीख गूंज गई—

"आआआआह्ह्ह…!"

जतिन और बाकी लड़कों ने मुड़कर देखा—

आदित्य उनके सामने खड़ा था।

हर कोई आदित्य अग्निहोत्री को जानता था। उससे पंगा लेने का मतलब… मौत।

जतिन हड़बड़ाकर सूफियाना को छोड़ते हुए बोला—

"भ… भाई… इसने क्या गलती कर दी जो आपने…"

वहीं समीर जमीन पर हाथ पकड़कर तड़प रहा था।

आदित्य की नज़रें खून उगल रही थीं।

उसने अपनी बैक से gun निकाली और जतिन पर तान दी।

गन देखते ही जतिन की सांसें रुक गईं, शरीर कांपने लगा।

बाकी लड़के भी पीछे हट चुके थे—अब सूफियाना को हाथ लगाने की हिम्मत किसी में नहीं थी।

सूफियाना की आंखें आधी बंद होने लगीं। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे।

आदित्य ने तुरंत उसकी तरफ कदम बढ़ाए।

और जैसे ही वह गिरने वाली थी—उसका चेहरा आदित्य के सीने पर आ लगा।

आदित्य के हाथ उसकी कमर पकड़ चुके थे।

वह बस उसे देखता रह गया—दिल में अजीब सी हलचल पैदा हो चुकी थी।

लड़कों ने अपनी गाड़ी में बैठकर भागना चाहा—पर गाड़ी अभी थोड़ी आगे गई ही थी कि आदित्य ने उनके पेट्रोल टैंक पर गोली चला दी।

टैंक लीक हुआ।

आदित्य के चेहरे पर डेविल स्माइल आई।

फिर उसने पॉकेट से कुछ निकाला, गन में फिट किया, और लीक हुए पेट्रोल पर फायर कर दिया।

कुछ ही सेकंड में ब्लास्ट हुआ।

धड़ाम!!

आवाज़ से सूफियाना की आंखें खुल गईं।

वह घबराकर बोली—

"यह… क्या हुआ?"

वह बोल ही पाती कि आदित्य ने उसे गोद में उठाते हुए कहा—

"सो जाओ… कुछ नहीं हुआ। अभी तो तुम्हें घर लेकर नहीं गया… जब घर लेकर जाऊंगा, तब होगा।"

सूफियाना नशे में थी—उसे समझ नहीं आया कि आदित्य क्या कहना चाहता है।

आदित्य उसे गोद में उठाकर अपनी गाड़ी तक ले गया।

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Mumbai,

Anirudh’s Personal Villa…

सुबह के 10 बजे।

जीनत और अनिरुद्ध बेड पर सोए हुए थे, दोनों बिल्कुल बेतरतीब हालत में। एक ब्लैक ब्लैंकेट उन पर थी।

जीनत की आंखें फड़फड़ाईं, वह जागने लगी।

जैसे ही वह उठी—सिर में तेज़ दर्द उठा। उसने सिर पकड़ा—अगले ही पल लोअर बॉडी में भी तेज़

दर्द हुआ।

उसकी हल्की सी आह निकल गई।

लेकिन जब उसकी नज़र बगल में पड़े अनिरुद्ध पर गई—

अनिरुद्ध गहरी नींद सो रहा था।

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To be continued…

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