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Ishq ya sazza

पठानी हाउस,,

असुर इस वक्त बाहर हाल एरिया मैं डिनर कर रहा था अब तक रात हो चुकी थी। पिछले दो-तीन घंटे से जब से असुर ने कनिका को बाथटब में लेटाया था तब से ही वह अपने रूम में नहीं गया था,, वही अमानत जो उसके पास बैठा था वह बार-बार कनिका के बारे में पूछ रहा था लेकिन असुर उसके बारे में कुछ बात नहीं रहा था जब भी अमानत कनिका के बारे में पूछता तो असुर उसे आंखें दिखाने लग जाता,, पर उसने एक बार भी पलट कर कमरे की तरफ जाकर यह नहीं देखा कि इस वक्त कनिका की हालत कैसी है,,

वहीं दूसरी तरफ,,

Washroom me,,

कनिका इस वक्त बाथटब में पूरी तरह से नीली पड़ चुकी थी उसके होंठ पूरी तरह से नील हो चुके थे ठंड से उसका रंग जैसे हद से ज्यादा सफेद लग रहा था और होंठ पूरी तरह से अकड़े हुए थे,, तभी एक सर्वेंट आया और उसकी नजर जैसे ही कनिका पर कर गई उसे उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन उसे जो आर्डर दिए गए थे वह उस आर्डर पर चल रहा था,, उसने अब बड़ी मुश्किल से अपने हाथ में लिया हुआ थैला जिसमें बर्फ थी उसने उसमें से बर्फ को दोबारा से बाथटब में उड़ेल दिया,, यह आर्डर असुर के ही दिए गए थे कि आधे आधे घंटे बाद बाथटब में,, बर्फ उड़ेलि जाए अगर थोड़ी भी बर्फ उड़ेलने में देरी हुई तो उस सर्वेंट को काम से तो निकाला ही जाएगा साथ में सैलरी भी नहीं दी जाएगी,,

और इसी डर से सर्वेंट को उनका हर एक हुकुम मानना पड़ता था,, वह सर्वेंट अब पानी में बर्फ उड़ेल कर बाहर की तरफ चला गया,, वही असुर जो कि हाल में बैठा खाना खा रहा था अब वह अपनी जगह से खड़ा हुआ इस वक्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसे तो जैसे इस चीज से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था,, वह अब अपनी जगह से खड़ा हुआ और उसने अपने कदम बार काउंटर एरिया की तरफ बढ़ा दिए, जैसे ही उसने अपने कदम बार एरिया में बढ़ाएं,, अमानत अपनी जगह पर खड़ा हुआ और उसकी तरफ देखते हुए बोला लेकिन भैया मेरी बात तो सुनिए वह लड़की ठीक तो है ना अभी तक आपने ना डॉक्टर बुलाया ना कुछ तो वह लड़की ठीक कैसे होगी उसकी हालत ज्यादा खराब ना हो जाए,,

उसकी बात पर अब एक बार फिर से असुर ने लाल आंखों से अमानत की तरफ देखा इस वक्त असुर के जबड़े पूरी तरह से कसे हुए थे और दांत पीसकर वह अमानत के पास आकर बोला,, देख छोटे मुझे मजबूर मत कर कि मैं तुझे कुछ कहूं,, उस लड़की से जितना दूर रह सकता है उतना दूर रह या तो मुझे चुन ले या बार-बार उस लड़की को चुन फिर देख ले अगर तू उस लड़की की चिंता है तो जा उस कमरे में चले जा अगर मुझे चुनना है तो चुपचाप अपने कमरे में चला जा,, उसकी बात पर अमानत हैरानी से असुर की तरफ देखते ही रह गया वहीं असुर अब अपनी बात कह कर सामने बार एरिया की तरफ चला गया,,

अमानत तो अपनी जगह पर खड़ा-खड़ा फ्रीज हो चुका था,, आज तक असुर ने उसके साथ ऐसे कभी बात नहीं की थी और आज उस लड़की के कारण असुर उससे रिश्ता तोड़ने को कह रहा था जिसे सुनकर एक पल के लिए अमानत की सांस वहीं पर थम सी गई थी,, दूसरी तरफ असुर अब काउंटर एरिया में आकर बैठा और वहां पर बैठकर ड्रिंक करने लगा, इस वक्त असुर की आंखें हद से ज्यादा लाल हो चुकी थी, वह दांत पीसते हुए बोला तेरी वजह से मेरी जिंदगी में मनहूसियत छा गई अब मनहूस कहीं की किस घड़ी में मैं तुझसे इश्क कर बैठा,, यह इश्क कमबख्त होता ही मनहूस है। ना मैं तुझसे इश्क करता ना मेरी बहन मुझसे छिनती,, इतना कहते हुए उसकी आवाज में दर्द और तड़प साफ दिखाई दे रहा था,, अब उसने दोबारा से ड्रिंक करना शुरू किया,, तकरीबन डेढ़ 2 घंटे ऐसे ही वह ड्रिंक करता रहा अब उसे दोबारा से नशा होने लगा था,,

असुर ने इस वक्त हद से ज्यादा ड्रिंक कर ली थी जिस वजह से उसके कदम भी लड़खड़ाने लगे थे। उसने अब दोबारा से एक गिलास और ड्रिंक का भरा और अपने होठों से लगाने ही लगा था कि तभी उसे उस गिलास में कनिका का चेहरा दिखाई दिया,, तभी असुर गुस्से से जबड़े कसते हुए बोला अब तो ड्रिंक करना भी इसने मेरा हराम कर दिया अब गिलास में भी मुझे दिखाई दे रही है इतना कहकर उसने तेजी से वह गिलास जमीन पर फेंक दिया इस वक्त उसकी जुबान इतनी ज्यादा लड़खड़ा रही थी। कि उसकी आवाज भी कुछ-कुछ समझ में नहीं आ रही थी,, अब वह किसी तरह से अपनी जगह से खड़ा हुआ और अपने कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ा दिए,,

वह अपने लड़खड़ाते हुए कदमों से कमरे की तरफ जा ही रहा था कि तभी उसका पैर उस गिलास के टूटे हुए कांच पर जा लगा एक पल के लिए उसके चेहरे पर दर्द उभर आया पर अगले ही पल वह बिना प्रवाह के आगे की तरफ बढ़ गया वह कांच उसके पैर में धसता जा रहा था जब जब उसके पैर में कांच धंसता , एक पल के लिए उसका चेहरा लाल पड़ जाता लेकिन दूसरे ही पल वह खुद को नॉर्मल कर लेता इस वक्त उसने इतनी ज्यादा शराब पी रखी थी कि उसे अपना दर्द भी महसूस होना बंद हो चुका था,,

वह लगातार अपने कमरे की तरफ बढ़ रहा था किसी तरह वह अपने कमरे तक पहुंचा और अपना हाथ दरवाजे पर मारा और जैसे ही उसने अपना हाथ दरवाजे पर मारा दरवाजा अपने आप खुल गया और वह जमीन पर जा गिरा,, जमीन पर लेटे-लेटे ही वह बड़बड़ाया कनिका तूने मेरे साथ अच्छा नहीं किया तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी मेरी बहन के साथ गलत किया क्या कमी थी मेरे इश्क में जो तूने मेरा दिल तोड़ दिया,, अरे चिथड़े चिथड़े कर दिए तूने मेरे इश्क के ,, अरे इस दिल को तोड़ कर तू ऐसा गई कि अब यह समझ भी नहीं जा रहा इतना दर्द होता है इसमें इतना दर्द होता है तुझे क्या बताऊं,,

बड़ा इश्क किया था कमबख्त,, भुलाए नहीं भूलता मेरी बहन भोली भाली जिसका तूने इतना बुरा हाल किया,, इस दिल की तड़प कैसे शांत करेगी तू कनिका कैसे शांत करेगी,, गलती मेरी थी जो तूझ जैसी कुलटा से मैंने मोहब्बत की,,, अरे मुझे पीछे हट जाना चाहिए था ऐसा भी क्या हो गया था कि तेरे इश्क में पड़ गया तेरे पीछे-पीछे घूम तुझे हर तरह से दिल में बसा कर रखा,, इतना कहते हुए वह जमीन पर लेटे हुए ही बिलख रहा था उसकी आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल थी आंखों से देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह रोना चाहता हो लेकिन रो ना पा रहा हो,, लेकिन अब वह किसी तरह से अपनी जगह से खड़ा हुआ फिर लड़खड़ाते हुए बोला,, तुझे इश्क किया था पर अब नहीं करता हूं नफरत है मुझे तुझसे नफरत नफरत समझती है ना तू इतना कहते हुए वह अंदर की तरफ बढ़े जा रहा था उसे खुद को ही पूरी तरह से होश नहीं था लेकिन वह फिर भी खुद से बङबङाए जा रहा था,,

कनिका कनिका कहां गई कहां मर गई तू कनिका उड़ जा इतना कहते हुए अब अपने लड़खड़ाते हुए कदमों से किसी तरह से बाथरूम के पास पड़े हुए टेबल की तरफ पहुंच गया , पर टेबल के तरफ पहुंचते ही उसका हाथ वास से जाकर लगा वास से हाथ लगते ही वास नीचे जमीन पर जा गिरा,, और वह वास वहीं पर टूट गया,, जैसे ही वह टेबल के साथ लगा एक बार फिर से असुर वहीं पर गिर पड़ा और अब उस वास का टुकड़ा उसके कमर में घुस गया,, दर्द से एक पल के लिए उसका चेहरा फिर से लाल पड़ गया,,

लेकिन वह उस दर्द से अंजान फिर से हंसा और इतनी जोरों से हंसा , कि वहां पर उसकी हंसी पूरे कमरे में गूंज रही थी,, हंसते हुए बोला कैसी किस्मत है मेरी तेरे तक पहुंचाने के लिए पता नहीं क्या-क्या करना पड़ेगा मुझे तूने तो मेरा दिल तोड़ के रख दिया इश्क में बर्बाद करके रख दिया और मैं बर्बाद भी हो गया तूझ जैसी बेवफा को समझ नहीं पाया,, अरे क्या बिगाड़ा था मैंने तुझे पूछता हूं मैं क्या बिगाड़ा था मैंने इतना कहते हुए वह बाथरूम की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए ही बोला फिर अब धीरे-धीरे दोबारा से अपनी जगह से उठने लगा इस वक्त उसकी कमर से खून बह रहा था लेकिन उसे कुछ पता ही नहीं चल रहा था इस वक्त वह बहुत ज्यादा नशे में पहुंच चुका था,,

अब वह अंदर की तरफ आया और धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे पर आकर खड़ा होकर फिर से अंदर की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए बोला अबे ओह करमजली निकल बाहर शर्म नहीं आ रही क्या अभी भी अंदर ड्रामे कर रही है,, अरे अब तो निकल आ इतनी बेसती होने के बाद तो कोई जिंदा ना बच्चे और तू अंदर अभी भी ड्रामा करे जा रही है,, इतना कहते हुए लड़खड़ाते कदमों से वह बाथरूम के अंदर की तरफ जा रहा था,, वह कभी बाथरूम के दाएं ओर लुढ़क जाता तो कभी बाएं ओर लुढ़क जाता,,,

इस वक्त इतनी बुरी हालत थी कि उससे चला तक नहीं जा रहा था,, अब वह धीरे-धीरे आगे तो बढ़ रहा था। लेकिन उसके पैर का कांच जिस तरह से उसके पैर में धंस रहा था वह हद से ज्यादा परेशान कर रहा था अब उसकी तरफ देखकर बोला अबे रुक जा बे तू,, अंदर की तरफ धंसे जा रहा है धंसे जा रहा है अरे इतना दर्द इश्क में सह चुका हूं ना तेरा दर्द मायने नहीं रख रहा है मुझे तू जितना मर्जी धंस ले,, तू जितना अंदर धंसेगा ना मेरे को ना यहां पर सुकून मिलेगा इतना कहते हुए उसने अपने दिल की तरफ उंगली पॉइंट की,, वह कांच की तरफ देखकर बोला तुझे पता है मुझे यहां पर बहुत दर्द हो रहा है पर मैं किसी को बता नहीं सकता,, पर तुझे पता है जिससे मैं इश्क करता हूं ना मैं उसे भी नहीं बता सकता क्योंकि अब मैं उससे नफरत करता हूं नफरत नफरत जानता है तू क्या होती है,,

इतना कहते हुए वह लगातार अपने पैर की तरफ घूर रहा था जहां पर उसे कांच लगा हुआ था,, चल यार तू तो मेरे दर्द का साथी है जैसे तू मेरे पैर में घुसा है ना वैसे मेरे दिल में भी घुस जा कि शायद मेरे दिल को आराम आ जाए,, जो दर्द दिल में हो रहा है अगर तू उसमें घुस जाएगा ना तो तुझे भी दर्द होगा देखना,, अब 1 मिनट रुक तो मैं उसे करमजली को बुलाता हूं जिसकी वजह से मेरे दिल के कितने टुकड़े हो गए,, इतना कहते हुए अब एक बार फिर से अपने लड़खड़ाते कदमों से असुर बाथरूम की ओर जाने लगा,, वही अंदर बाथटब में लेटी कनिका,, जिसको अब बिल्कुल भी होश नहीं था उसका रंग पूरी तरह से नीला पड़ चुका था ठंड की वजह से अब जैसे उसे कुछ महसूस होना ही बंद हो गया था पानी इतना ज्यादा ठंडा था कि अभी भी पानी में बर्फ तैर रही थी,, जिस वजह से उसकी बॉडी पूरी तरह से सुन पड़ चुकी थी और उसका चेहरा सिर्फ पानी से बाहर था जो कि पूरी तरह से सफेद और होंठ नीले पड़ चुके थे,,

असुर अब अंदर की तरफ आया और अब जैसे ही उसकी नजर कनिका पर पड़ी अब वह उसकी तरफ घूर कर देखते हुए बोला कितने ड्रामे करेगी यह करमजली उठ ना,, मुझे इश्क में तोड़कर अब तो ड्रम करने लगी हुई है चल उठ उठ मैं तेरे ड्रामा में नहीं आने वाला,, अरे उठ ना इतना कहते हुए असुर आगे की तरफ आया और उसके चेहरे पर अपना हाथ जैसे ही रखा तो अगले ही पल असुर के होश उड़ गए क्योंकि इस वक्त कनिका का शरीर पूरी तरह से ठंडा पड़ चुका था,, उसके वह भीगे कपड़े उसके बदन के साथ चिपके हुए थे और आंखें पूरी तरह से बंद थी । असुर की आंखें अब बड़ी हो गई थी,, वह अब उसके गालों को थपथपाते हुए ए ए तू ऐसे नहीं मर सकती,,उठ चल उठ मुझे अभी तेरे से बदला लेना है उठ,, इतना कहते हुए लगातार असुर उसके गालों को थपथपा रहा था लेकिन कनिका की रूह तो जैसे उसके बदन का साथ ही छोड़ गई हो,, असुर के थपथपाने से उसका चेहरा कभी उधर लुढ़क जाता तो कभी उधर,, लेकिन एक पल के लिए भी कनिका की आंखें खुल नहीं रही थी,

और यह चीज देखकर असुर का रंग उड़ चुका था। इस वक्त उसका नशा जैसे हवा हो चुका था उसके होश पूरे पूरे उठे हुए थे। अब उसने अपने कांपते हुए हाथों को आगे की तरफ ले जाकर कनिका की सांस चेक करने को हुआ,,, तो अब तो जैसे उसका चेहरा पूरी तरह से पीला पड़ गया क्योंकि कनिका की सांस बिल्कुल मध्य चल रही थी। जिस तरह से कनिका की सांसे चल रही थी असुर की सांस अब उसके गले में अटक चुकी थी।

अब अगले ही पल उसने कनिका को गोद में उठाया और बाहर की तरफ लेकर आया,, जैसे ही वह बाहर की तरफ लेकर आया उसने खिड़की के बाहर देखा इस वक्त बहुत तेजी से बारिश हो रही थी और बारिश से मौसम भी बदल चुका था। अभी भी असुर के पैर में वह कांच धंसा हुआ था लेकिन अब उस कांच से ज्यादा नजर उसकी कनिका के चेहरे पर थी जो कि पूरी तरह से बेजान हो चुका था,,, वह किसी तरह से कनिका के हाथ पैर रगड़ने लगा,, लेकिन हाथ पैर रगड़ने से भी कोई असर नहीं हो रहा था अब उसने जल्दी से अपने पॉकेट से फोन निकाला और अगले ही पल डॉक्टर को फोन घुमा दिया,,

दूसरी तरफ से डॉक्टर ने कितनी देर फोन नहीं उठाया और अब दोबारा से असुर ने किसी और डॉक्टर को फोन किया लेकिन इस बार भी किसी डॉक्टर ने फोन नहीं उठाया,, अब असुर के चेहरे पर परेशानी झलकने लगी लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में अपने दोस्त रिहाना का ख्याल आया रिहाना असुर की बेस्ट फ्रेंड थी जो कि डॉक्टर थी अब उसने जल्दी से रिहाना को कॉल किया। दो-तीन बेल के बाद रिहाना ने कॉल उठाया जैसे ही रिहाना ने कॉल उठाया असुर ने एक राहत की सांस ली और जल्दी से रःहाना को पठानी हाउस आने का कहा लेकिन रिहाना ने जो कहा उसे सुनकर असुर अपनी जगह पर सुन पड़ गया,, रिहाना असुर की बात का जवाब देते हुए,, असुर मैं इस वक्त इंडिया में नहीं हूं मैं अमेरिका में आ चुकी हूं और मैं पिछले 1 साल से अमेरिका में ही हूं,,

और मैं अभी फिलहाल इतनी जल्दी नहीं आ सकती अगर मैं आना भी चाहूं तो मुझे दो दिन लग जाएंगे,, उसकी बात पर असुर अब अपनी जगह पर खड़ा-खड़ा जम चुका था उसकी सांसों ने जैसे गहरा होना शुरू कर दिया था अगले ही पल उसने फोन काटा और जमीन पर दे मारा,, इस वक्त असुर के चेहरे पर इतनी ज्यादा परेशानी झलक रही थी कि उसका दिल जोरो जोरो से धड़क रहा था,, और उसका दिमाग पूरी तरह से ब्लॉक हो चुका था कि आखिर वह करें तो करे क्या,, अब उसने एक लेडीज सर्वेंट को अंदर की तरफ बुलाया और अगले ही पल लेडिस सर्वेंट को रजाइयों का आर्डर दिया,, उससे पहले उसने सर्वेंट से कनिका के कपड़े चेंज करने को कहा,,

तो सर्वेंट ने सर झुका कर हां में सिर हिला दिया,, अब सर्वेंट उसकी तरफ बढ़ने लगी तो असुर अपनी उंगलियों को अपने हाथ में मरोड़ते हुए खुद में ही बेचैन होते हुए कनिका को देख रहा था,, अब उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि आखिर क्यों उसने इतनी सख्त सजा कनिका को दी,, उसके चेहरे पर इतनी ज्यादा परेशानी झलक रही थी वही सर्वेंट जो कि उसके कपड़े चेंज कर रही थी वह कपड़े चेंज कर ही रही थी कि तभी उसके भी चेहरे पर परेशानी झलकने लगी,, उसने अब असुर की तरफ घूमते हुए,, बुरा ना मानो तो बड़े मालिक आपसे कुछ कहना चाहूंगी,,

उसकी बात पर असुर के चेहरे पर सवालियां एक्सप्रेशन आ गए बहुत कम था कि कोई सर्वेंट उससे कोई बात कहे और आज किसी सर्वेंट ने कोई बात कही थी तो शायद कोई जरूरी ही होगी यह सोचकर उसने अब सामने खड़ी सर्वेंट की तरफ देखते हुए जल्दी से , बोलो,,

मेम साहिब का शरीर पूरी तरह से ठंड पड़ चुका है। तभी असुर दांत पीसते हुए बोला मुझे भी पता है यह चीज और इसीलिए मैं पिछले 1 घंटे से डॉक्टर को बुलाने की कोशिश कर रहा हूं,, तभी सरवेंट ने सर झुका कर जो कहा उसे सुनकर असुर के होश पूरी तरह से उड़ चुके थे,, और उसके चेहरे पर अब परेशानी छलकने लगी थी,, वही सर्वेंट जो कि अपना सिर झुकाए खड़ी थी माफ कीजिए शायद इसका आखिरी इलाज यही है अगर आप ऐसा करेंगे तो मेम साहिब रात को ठीक हो जाएगी वैसे भी ऐसा लग रहा है कि,, अभी वह बोल ही रही थी कि तभी असुर दांत पीसकर बोला अपनी जान से हाथ धोना चाहती हो क्या,,

उसकी बात सुनकर सर्वेंट अंदर तक सहम गई और जल्दी से अपना सर झुका कर असुर के आगे से चली गई उसने अब पूरी तरह से कनिका के कपड़े बदल दिए थे और इस वक्त कनिका को रजाइयों में ढका गया था,, लेकिन असुर की परेशानी अभी भी कम नहीं हो रही थी क्योंकि कनिका बेजान सी अभी भी उसके सामने पड़ी थी,,जो अभी अभी उससे सर्वेंट कह कर गई थी उसके चेहरे की परेशानी उससे और भी ज्यादा बढ़ गई थी,,,, वह जो करना नहीं चाहता था वही सर्वेंट उसे कह कर गई थी,,, उसने अब अपना हाथ अपने माथे पर रखते हुए बोला ,, तुम्हें तो सजा देना चाहता था लेकिन इतना कहते हुए उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली,,

और अगले ही पल अपना हाथ का पंच बनाकर दीवार पर दे मारा जिससे वहां पर धम की आवाज हुई। और इस वक्त असुर गुस्से से कांप रहा था उसका गुस्सा इतना ज्यादा बड़ा हुआ था,, कि वह बता नहीं सकता था हद से ज्यादा गुस्सा उसे खुद पर आ रहा था क्योंकि इस सारी फसाद की जड़ वह खुद ही था।

अब उसने पलट कर कनिका की तरफ देखा जिसकी आंखें पूरी तरह से बंद थी और सांसे मध्यम चल रही थी। इस वक्त असुर की नजरे उस पर इतनी ज्यादा गहरी थी। इस वक्त उसके चेहरे पर जो भाव थे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह इस वक्त किसी गहरी सोच में हो,,

To be continue....

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