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Dhadkane

Antonio,

इस वक्त मृत्युंजय धानी के ऊपर पूरी तरह से झुका हुआ था और दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं। इस वक्त धानी का दिल ज़ोर-ज़ोर से धक-धक कर रहा था, क्योंकि जो अभी-अभी मृत्युंजय ने कहा था, उसे सुनकर उसकी सांसें एक पल के लिए उसके गले में अटक चुकी थीं। उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह आखिर मृत्युंजय की बात का क्या जवाब दे। इस वक्त उसका दिल जैसे धड़कने से ही इनकार कर रहा था…

क्योंकि अभी-अभी मृत्युंजय ने यह बात कही थी—

“अगर मेरे छूने से तुमने रिस्पांस नहीं किया… तो बिना किसी ना-नुकुर के मैं तुम्हें डाइवोर्स दे दूँगा।”

इस बात पर उसके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी, क्योंकि कहीं ना कहीं वह जानती भी थी…

वह आज भी मृत्युंजय से उतना ही इश्क करती थी, जितना वह पहले करती थी।

अगर मृत्युंजय उसके इतना करीब आएगा, तो जाहिर सी बात है उसकी बॉडी खुद-ब-खुद रिस्पांस देने लगेगी… और यह तो वह बिल्कुल होने नहीं देना चाहती थी। वह किसी तरह यह बात मृत्युंजय से छुपाने की कोशिश कर रही थी कि वह आज भी उससे उतना ही इश्क करती है, जितना पहले करती थी।

वहीं मृत्युंजय उसके ऊपर झुका हुआ उसे अब गहरी नज़रों से देख रहा था। इस वक्त उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। मृत्युंजय की गहरी नज़रें खुद पर पड़ते ही धानी के दिल की धड़कन ने इस वक्त रफ्तार पकड़ ली थी… उसकी सांसें गहरी होने लगी थीं,

जिस वजह से धानी का सीना पूरी तरह ऊपर उठ रहा था।

और यह चीज देखकर मृत्युंजय के होठों के कोने मुड़ गए।

दोनों की नज़रें आपस में मिली हुई थीं। जिस तरह से मृत्युंजय उसे देख रहा था, कहीं ना कहीं धानी उसकी नज़रें खुद पर बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। लेकिन फिर भी वह मृत्युंजय से हार नहीं मानना चाहती थी, क्योंकि अगर वह अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाती, तो मृत्युंजय सारी बात समझ जाता… इसलिए वह भी उसे उतनी ही गहराई से देखती रही।

दोनों में से किसी ने भी अपनी नज़रें नहीं झुकाईं।

धानी को नज़रें ना झुकाते देख मृत्युंजय के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई… और अगले ही पल उसने आगे बढ़कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए।

जैसे ही मृत्युंजय ने उसके होठों पर अपने होंठ रखे, अगले ही पल धानी की आंखें पूरी तरह बंद हो गईं… लेकिन मृत्युंजय अभी भी उसे अपनी गहरी नज़रों से देख रहा था।

धानी के दिल की धड़कन एक पल के लिए जैसे रुक गई थी।

मृत्युंजय उसके होठों को पूरी तरह पीने की कोशिश कर रहा था… लेकिन धानी उसे कोई भी रिस्पांस नहीं दे रही थी।

यह देखकर मृत्युंजय मन ही मन बोला—

“देखते हैं… कितनी देर खुद को रोक पाओगी, shygirl… तुम्हारी दिल की धड़कन सब बयां कर रही है।”

अब उसने उसे और भी इंटेंस तरीके से किस करना शुरू कर दिया, लेकिन धानी फिर भी कोई रिस्पांस नहीं दे रही थी। वह अपने दिल से लड़ रही थी… कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह रिस्पांस नहीं देगी।

लेकिन मृत्युंजय भी अपनी जिद पर अड़ा था।

वह लगातार धानी के होठों को किस करता जा रहा था—

कभी ऊपर वाले होंठ को चूसता, तो कभी नीचे वाले को।

लेकिन उसने एक पल के लिए भी धानी के होठ छोड़े नहीं।

वहीं धानी तो जैसे पत्थर बन गई थी।

वह अपनी सांस रोककर बस मृत्युंजय को महसूस कर रही थी… पर रिस्पांस देना उसने जैसे ठान लिया था कि बिल्कुल नहीं।

उसका रिस्पांस न पाकर मृत्युंजय के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गई।

वह मन में बोला—

“तो मेरी shygirl… ज़िद करना भी सीख गई मुझसे।”

अब मृत्युंजय ने अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर उसकी कमर पर ले जाना शुरू किया… और धीरे-धीरे उसकी कमर को सहलाने लगा।

जैसे ही मृत्युंजय ने उसकी कमर सहलाना शुरू किया, धानी का दिल और ज़ोरों से धड़कने लगा। उसकी सांसें गहरी होने लगीं…

जिसे देखकर मृत्युंजय के एक्सप्रेशन और इंटेंस हो गए।

उसकी गहरी सांसों का शोर कमरे में गूंजने लगा था।

उसके हाथ बेडशीट पर कस चुके थे… उसने एक बार भी अपने हाथ उठाकर मृत्युंजय के कंधों पर नहीं रखे।

लेकिन बेडशीट पर उसके नाखून पूरी तरह धंस रहे थे… और उसके पैर भी बेड में धँसने लगे थे।

धीरे-धीरे उसकी बॉडी ने हल्का-हल्का रिस्पांस देना शुरू कर दिया…

जिसे पाकर मृत्युंजय के चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन आ चुके थे।

अब उसे धानी के वीक पॉइंट पर जाना था।

वहीं धानी ने अभी तक अपने होंठ नहीं खोले थे…

और यह देखकर मृत्युंजय ने अब उसकी कमर पर चिमटी काटी।

जिससे धानी के मुंह से एक आह निकल गई… उसकी आंखें बड़ी हो गईं… और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

मृत्युंजय उसे किस करते हुए यह सब देख रहा था।

दोनों की आंखें आपस में मिली हुई थीं।

जैसे ही उसने चुटकी काटी, धानी का रिएक्शन देखकर उसने धानी को एक आंख मार दी।

जिसे देखकर धानी की आंखें और भी ज्यादा हैरत से फैल गईं… क्योंकि मृत्युंजय कभी ऐसा नहीं था, जैसा आज वह रिएक्ट कर रहा था।

मृत्युंजय लगातार उसके होठों को अंदर तक स्मूच कर रहा था…

अपनी tongue को उसके मुंह में डालकर उसे एक्सप्लोर करता जा रहा था…

और साथ ही उसके बदन को सहला रहा था।

धानी का दिल अब ज़ोर-ज़ोर से धक-धक कर रहा था…

उसे लग रहा था जैसे उसका दिल उसकी सीने से बाहर निकल आएगा।

वहीं मृत्युंजय भी कुछ कम नहीं था—

वह लगातार उसके बदन को सहलाते हुए उसके हाथ ऊपर की तरफ ले जा रहा था।

जैसे ही मृत्युंजय के हाथ ऊपर की तरफ जाने लगे—

लेकिन अगले ही पल जो हुआ, उससे धानी का दिल जैसे धड़कना

ही भूल गया…

वहीं मृत्युंजय के चेहरे पर अब डेविल स्माइल आ गई।

To be continued…

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