
सोना बाई का कोठा,,
मीरा जो कि कब से असुर को रिझाने की कोशिश कर रही थी। जो कब से असुर को अपने झांसे में लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन असुर उसके झांसी में आ नहीं रहा था अब उसने असुर को रिझाने के लिए,, अपनी चोली की डोरियों खोल दी थी जिसे अगले ही पल उसकी चोली जमीन पर जा गिरी थी,, और अगले ही पल उसने बेहद सिडक्टिव वॉइस में,, असुर का नाम लेते हुए,, असुर बाबू...
जैसे ही मीरा ने असुर को असुर बाबू कहा असुर के कदम वहीं पर रुक गए जो कि बाहर की तरफ बढ़ने के लिए उठ रहे थे,, उसके कानों में इस वक्त जिस तरह से कनिका उसे असुर बाबू कह कर बुलाती थी वही वक्त गूंजने लगा,, और उसकी आंखों के सामने कनिका का चेहरा घूमने लगा अब एक बार फिर से असुर ने पीछे मुड़कर जब मीरा की तरफ देखा तो एक बार के लिए उसकी आंखें दोबारा से मदहोश होने लगी क्योंकि उसे एक बार फिर से मीरा में कनिका दिखाई देने लगी थी,,, अब उसने एक बार फिर से अपने कदम दरवाजे की तरफ ना बढ़ाकर मीरा की तरफ बढ़ा दिए थे,, वही मीरा जो कि असुर को अपनी मदहोशी भरी नजरों से देख रही थी इस वक्त उसके सीने पर कोई भी कपड़ा नहीं था वह सीने से पूरी तरह से बेलिबास थी,, और इस वक्त उसका खुला सीना असुर के सामने था,,
लेकिन असुर की नजरे एक बार भी उसके सीने पर नहीं गई थी उसकी नज़रें एक टक मीरा के चेहरे पर बनी हुई थी उसे अभी भी मीरा में कहीं ना कहीं कनिका ही नजर आ रही थी,, असुर ने अब अपने कदम मीरा की तरफ बढ़ाए और उसकी तरफ देखकर गहरी आवाज में बोला,, तू फिर से आ गई तुझे बोला था ना जा वहीं पर खड़ी हो जा जहां पर मैंने तुझे अभी थोड़ी देर पहले खड़ा किया था तो फिर से वहां से वापस आ गई । इतना कहते हुए असुर अब मीरा पर गुस्सा करने लगा था जिसे देखकर एक पल के लिए मीरा की नजरे उस पर ठहर सी गई थी,, उसे इतना तो समझ लग गया था की असुर उसे कब से कनिका समझ रहा था इसीलिए वह कनिका समझ कर पता नहीं क्या-क्या मीरा से कहे जा रहा था,,
मीरा अब आगे की तरफ आई और उसने अपना हाथ असुर के सीने पर रख बेहद सेडक्टिव वे में सहलाने लगी, जैसे ही मीरा ने अपना हाथ असुर के सीने पर रखा और उसे सहलाने शुरू किया असुर ने अगले ही पल उसका हाथ उतनी ही तेजी से झटकते हुए तुझे समझ नहीं आता निकल यहां से एक तो तेरी सजा तय करके आया हूं तू फिर भी मेरे पीछे-पीछे यहां चली आई। तुझे शर्म नहीं आती तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी तूने मेरी बहन की जान ले ली बेशर्म लड़की अभी भी मेरे पीछे पड़ी हुई है निकल यहां से इतना कहते हुए असुर ने जैसे ही मीरा को धक्का देने को हुआ मीरा पीछे की तरफ हो गई जिससे असुर अपना भार संभल नहीं पाया एक पल के लिए वह नीचे की तरफ लुढ़कने को हुआ लेकिन मीरा ने उसे कंधे से पकड़ लिया,,
जैसे ही मीरा ने उसे कंधे से पकड़ा असुर ने उसकी बाह झटकते हुए बोला छोड़ मुझे,, मैं तुझ जैसी लड़कियों को अपने करीब नहीं आने देता तू गंदी है गंदी लड़की इतना कहते हुए उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया,, मैं तुझे कभी माफ नहीं करूंगा,, तूने मेरी बहन की जान ले ली तेरी वजह से मेरी बहन के साथ इतना गंदा हुआ,, इतना कहते हुए असुर की आंखें और भी ज्यादा लाल होने लगी थी,, वही मीरा जो कि यह चीज बड़े गौर से देख रही थी उसे अब एक पल के लिए असुर के लिए बुरा लगना शुरू हो गया था। उसने अब एक बार फिर से असुर के कंधे पर हाथ रखने को हुई लेकिन असुर ने उसका हाथ झटकते हुए कहा , कहा ना छूना मत मुझे,, नफरत करता हूं मैं तुझे अरे मैं वह असुर हूं ही नहीं जिसने कभी तुझसे इश्क किया था नफरत है मुझे तुझसे नफरत निकल जा मेरी जिंदगी से इतना कहते हुए असुर ने मीरा को धक्का दिया जिससे मीरा अगले ही पल सामने टेबल पर जा लगी और उसके माथे से हल्का सा खून निकलने लगा,,
लेकिन फिर भी वह खुद को संभालते हुए उठी और पलट कर असुर की तरफ देखने लगी,, मीरा की आंखों में इस वक्त नमी सी आ गई थी उसे पता नहीं क्यों असुर के दर्द में बहुत तकलीफ हो रही थी उसे अपने दिल में कुछ टूटा हुआ महसूस हो रहा था क्या यह खुद नहीं जानती थी,, आज पहली बार उसे किसी के साथ ऐसा महसूस हो रहा था उसके दिल में एक अलग से टीस रही थी। अब वह एक बार फिर से असुर के पास आते हुए उसकी बाह पकड़ कर बोली असुर बाबू मेरी बात तो सुनिए,, लेकिन असुर है उसकी एक भी बात नहीं सुन रहा था अब उसने एक बार फिर से उसकी तरफ देखा । तो अब जाकर उसने सही में दोबारा से मीरा का चेहरा देखने लगा जैसे ही उसने मीरा का चेहरा देखा अगले ही पल उसने उसके बालों को मुट्ठी में भरा और उसकी चेहरे पर झुकते हुए तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे छुने की,, और तू है कौन और मैं यहां पर कर क्या रहा हूं इतना कहकर उसने अब मीरा को बेड पर धकेला,, वापस अपना चेहरा बाहर की तरफ घूमा लिया और देखते ही देखते कमरे से बाहर निकाल गया,,
असुर तो वहां से चला गया था लेकिन वहां से कुछ ऐसा ले गया था जो शायद असुर भी नहीं जानता था और वह था मीरा की बेचैनी,, मीरा अब असुर के लिए रोते हुए बोली आज तक मुझे ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ पर क्यों मुझे तुम्हारे दर्द से दर्द महसूस हुआ यह मैं खुद नहीं जानती लेकिन इतना जानती हूं तुम अपने दिल में इतना दर्द समेट कर बैठे हो,, कि शायद तुम्हारा दर्द कोई कम ना कर पाए इतना कहते हुए मीरा की आंखों से आंसू उसकी गालों पर लुढ़क आए,,
वहीं दूसरी तरफ,,
पठानी हाउस में,,
अब तक पांच बज चुके थे,, गार्डन में खड़ी कनिका का अब बुरा हाल हो चुका था उसे अब तेजी से चक्कर आने लगे देखते ही देखते उसकी हालत इतनी बुरी हो गई कि वह गिरने ही वाली थी कि तभी किसी ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे संभाल लिया,, वही कनिका जो की बेहोश होने वाली थी अब उसने अपनी हल्की सी आंखें खोलकर उस शख्स की तरफ देखा जिसने अभी-अभी उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे गिरने से बचाया था,, उस शख्स का चेहरा भी उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन अगले ही पल वो पूरी तरह से बेहोश हो चुकी थी,,
लेकिन वह शख्स अब उसने कनिका को गोद में उठाया और पठानी हाउस के अंदर की तरफ ले आया,, वहां खड़े सभी सर्वेंट की सिटी पट्टी जैसे गुल हो चुकी थी। क्योंकि सबको सख्त ऑर्डर था कि कनिका पर पूरा ध्यान रखा जाए,, और जैसे वह शख्स कनिका को उठाकर लेकर आया था। सभी सर्वेंट की सांस उसके गले में अटक गई,, क्योंकि सामने खड़ा शख्स और कोई नहीं असुर का छोटा भाई,,, अमानत था। अमानत अब अंदर की तरफ आया और अपनी सर्द आवाज में बोला,, भाई कहां है, और यह लड़की बाहर गार्डन में क्या कर रही है इसकी यह हालत किसने की,,?, उसकी बात पर वहां खड़ा हर एक नौकर बुरी तरह से थर-थर कांप रहा था,, क्योंकि असुर का गुस्सा अगर बवाल था तो अमानत का भी कुछ काम नहीं था अमानत का गुस्सा अगर एक बार आ गया तो उसका गुस्सा ठंडा करना किसी के बस के बात नहीं थी सिवाय असुर के,, वही असुर एक ऐसा इंसान था अगर उसे गुस्सा आ जाए तो उसका गुस्सा अमानत भी ठंडा नहीं कर पता था,,
अमानत अब अपनी सर्द आवाज में बोला मैं कुछ पूछ रहा हूं यह लड़की बाहर गार्डन में इतनी धूप में क्या कर रही थी मुझे लग रहा है कि यह लड़की कम से कम चार-पांच घंटे से धूप में खड़ी है जिस वजह से इसकी यह हालत हुई है इसके चेहरे से देखकर पता चल रहा है कि इसने सुबह से ना कुछ खाया है ना कुछ पिया है,, लेकिन वहां खड़े सर्वेंट में से किसी में हिम्मत नहीं थी कि वह अमानत की बात का जवाब दे सके क्योंकि वह लोग असुर के खिलाफ नहीं जा सकते थे वह चुपचाप अपना सिर झुकाए खड़े रहे,,
वही अमानत अब गुस्से से गरजते हुए सुनाई नहीं दिया तुम लोगों को मैंने पूछा यह लड़की कहां से आई और कौन है यह लड़की? जैसे ही अमानत ने गरज कर यह बात कही वहां खड़े नौकर और भी ज्यादा डर गए,, लेकिन तभी अगले ही पल पीछे से किसी की र्ककश आवाज वहां पर गूंजी तेरी हिम्मत कैसे हुई इस लड़की को अपनी गोद में उठाने की और तू होता कौन है इस लड़की को अंदर लाने वाला जैसे ही यह आवाज अमानत के कानों में पड़ी अमानत की आंखें बड़ी हो गई,, क्योंकि यह आवाज किसी और कि नहीं असुर की थी,,, अमानत ने अब पलट कर पीछे की तरफ देखा जहां पर असुर खड़ा था असुर इस वक्त दरवाजे के बीचों बीच खड़ा था और इस वक्त उसकी र्सद नज़रें अमानत पर बनी हुई थी असुर के जबड़े पूरी तरह से कसे हुए थे और हाथों की मुठिया बंधी हुई थी,,,
अब असुर गुस्से से गरजते हुए तेरी हिम्मत कैसे हुई इसे हाथ लगाने की उसकी बात पर अमानत हैरानी से असुर को देख रहा था क्योंकि आज तक असुर ने उसके साथ ऐसे बात नहीं की थी। क्योंकि अमानत असुर से 4 साल छोटा था। जिस वजह से असुर उसे बेटा कह कर बुलाता था लेकिन आज जिस तरह से असुर ने अमानत से बात की थी अमानत हैरानी से असुर की तरफ देख रहा था,, वह अब असुर को कुछ कहने को हुआ। लेकिन असुर उसकी बात को बीच में काटते हुए तेरी हिम्मत कैसे हुई इस लड़की को बाहर से अंदर लाने की,, इतना कहकर असुर अब अंदर की तरफ आया और उसने कनिका की तरफ देखा जो पूरी तरह से बेहोश अमानत की बाहों में झूल रही थी इस वक्त उसे बिल्कुल भी होश नहीं था,,
कनिका की शरीर में मानो जैसे जान ही नहीं बची थी,, एक पल के लिए कनिका को इस तरह देखकर असुर के चेहरे पर परेशानी छलक उठी और अगले ही पल उसने अमानत की गोद से कनिका को लिया और उसे सर्दे नजर से देखते हुए ,, छोटा है तो छोटा होकर रह ज्यादा आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है इतना कहकर वह कनिका को ऊपर की तरफ ले गया वहीं अमानत तो बस अपनी जगह पर जैसे खड़ा जम सा गया था क्योंकि आज तक उसने असुर की बहुत रेस्पेक्ट की थी। वही असुर ने भी उसे बच्चों की तरह समझा था वह कभी भी अमानत से रूड बिहेव नहीं करता था लेकिन आज असुर जिस लहजे में अमानत से बोला था वह उसके लिए थोड़ा अटपटा था,, वह हैरानी से बस अपनी जगह पर खड़ा असुर को देखे जा रहा था जब तक असुर अपने कमरे में पहुंच नहीं गया तब तक अमानत अपनी जगह पर खड़ा एक टक वहीं पर देखे जा रहा था जहां से असुर अभी-अभी गया,, जैसे ही उसने असुर के कमरे के बंद होने की आवाज उसके कानों में पड़ी तब जाकर अमानत होश में आया और अब उसने वहां खड़े नौकर की तरफ देखकर पूछा यह लड़की कौन है,,,,
लेकिन वहां खड़े सर्वेंट ने अपना सर झुका कर माफ कर दीजिए छोटे मालिक हम नहीं बता सकते,, नहीं तो असुर बाबू हमे छोड़ेंगे नहीं,, उसकी बात पर अमानत दांत पीसकर बोला अगर तुमने नहीं बताया तो मैं तुझे नहीं छोडूंगा अगर अपनी जिंदगी प्यारी है ना तो जल्दी बता यह लड़की कौन है। उसकी बात पर अब सर्वेंट और भी ज्यादा कांपने लगा वह अब हैरानी से अमानत की तरफ देखकर अपनी कांपती हुई आवाज में बोला,, वह मालिक यह लड़की कनिका... उसने इतना ही कहा था कि तभी पीछे से असुर की आवाज आई,, लगता है तुझे अपनी जान प्यारी नहीं,, असुर की आवाज सुनकर वह सर्वेंट थर-थर कांपने लगा और अगले ही पल सिर झुकाकर माफ कीजिएगा छोटे मालिक मैं आपको पहले कहा कि मैं आपको कुछ नहीं बता सकता इतना कहकर वह जल्दी से वहां से निकाल गया,,
और पीछे खड़ा असुर अब अपनी सर्द नजरों से एक बार फिर से अमानत को देखते हुए तुझे कोई काम नहीं है जब देखो मेरी पहरेदारी करता रहता है उसकी बात पर अब अमानत ने छोटी आंखें करके असुर को देखा और बोला भाई यह लड़की है कौन और अआपने इसे धूप में क्यों खड़ा किया हुआ था बेचारी की क्या हालत हो गई है देखिए तो,, जैसे ही अमानत ने एक बार फिर से कनिका का नाम लिया अब असुर की आंखें एक बार फिर से र्सद हो गई और वह जबड़े कसते हुए बोला वह लड़की इसी लायक है और तू भी दूर रह इस लड़की से,, इतना कहकर अब असुर ने नौकर की तरफ देखते,, बर्फ का इंतजाम किया जाए अभी,, इतना कहकर असुर अंदर की तरफ चला गया वहीं अमानत बस अब एक बार फिर से असुर को देखने लगा,,
वही असुर अंदर की तरफ आया और अंदर आते ही उसने कनिका की तरफ देखा जिसे उसने बेड पर लेटाया हुआ था इस वक्त कनिका का चेहरा पूरी तरह से लाल पड़ चुका था,, उसकी स्किन हद से ज्यादा लाल हो चुकी थी और पसीना भी अभी तक उसका सूखा नहीं था। वही असुर अब उसके सामने आकर सोफा पर बैठ गया,, उसने जितना भी नशा किया हुआ था कनिका को देखकर सब उतर चुका था,, वह अब एक टक कनिका के चेहरे की तरफ देख रहा था जो इस वक्त पूरी तरह से बेजान हो चुका था उसका चेहरा हद से ज्यादा लाल पड़ा हुआ था , वह गोरा रंग जो हल्का-हल्का अब धूप में खड़े होने की वजह से काला नजर आ रहा था,,
और उसकी मध्यम चल रही सांसे,, अभी वह अपनी गहरी नजरों से देख रहा था,, इस वक्त उसकी आंखों के सामने वह पल घूम रहा था जब अमानत ने उसे गोद में उठाया हुआ था और उसका एक हाथ कनिका की कमर पर था और इस वक्त असुर की आंखें भी वहीं पर खड़ी हुई थी वह एक टक कनिका की कमर को देखे जा रहा था उसका दिल कर रहा था कि वह इस वक्त कनिका की कमर को मसल कर रख दे,, अब वह अपनी जगह पर खड़ा हुआ इस वक्त उसके हाथ में वाइन का एक गिलास पड़ा हुआ था जिसे वो सिप सिप करके पी रहा था,, और अपने धीमे कदमों से अब उसने कनिका के पास आकर खड़ा हुआ,, और एक बार फिर से उसकी कमर को घूरने लगा,, जिस तरह से वह कनिका की कमर को घूर रहा था साफ पता चल रहा था कि इस वक्त उसे क्या महसूस हो रहा था,,
उसने अब अपना एक हाथ कनिका की कमर पर रखने के लिए आगे की तरफ बढ़ाया कि तभी दरवाजा नोक हुआ जैसे ही दरवाजा नाॅक हुआ असुर के हाथ वहीं पर रुक गए और अब उसने अपने कदम दरवाजे की तरफ बढ़ा दिए,, जैसे ही असुर दरवाजे पर आकर खड़ा हुआ बाहर एक सर्वेंट खड़ा था जो कि एक बोरी लेकर खड़ा था और अब उस बोरी में क्या था यह तो असुर ही जाने,, असुर ने अब अपनी गहरी नजरों से उस सर्वेंट को देखते हुए कुछ इशारा किया तो सर्वेंट ने सिर झुकाकर हां में सिर हिला दिया,,
देखते ही देखते सर्वेंट अंदर की तरफ आया और बाथरूम में चला गया,, बाथरूम में जाकर उस सर्वेंट ने बाथटब में वह हाथ में पड़ा हुआ थैला खाली कर दिया जैसे ही उस सर्वेंट ने उस बाथटब में वह थैला डाल जिसमे कितनी सारी बर्फ थी। अब वह सर्वेंट वह बर्फ को डालकर वहां से जा चुका था वही असुर अब बाथरूम में आया और अगले ही पल उसने वहां पर लगी हुई ठब का टेंपरेचर बिल्कुल लो कर दिया और पानी उस टब में छोड़ दिया,, तकरीबन 15 20 मिनट बाद वह बाथटब पूरी तरह से भर चुका था।
अब उसने अपना एक हाथ टब में डुबोकर देखा और अगले ही पल उसके चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई,, अब वह अपनी जगह पर खड़ा हुआ और बाहर की तरफ आया एक नजर उसने फिर से कनिका की तरफ देखा,, इस वक्त उसकी नज़रें कनिका पर इतनी ज्यादा गहरी थी कि अगर कनिका होश में होती तो शायद उसकी नज़रें खुद पर बर्दाश्त नहीं कर पाती,, वह अब कनिका के पास आया और अगले ही पल उसने कनिका को गोद में उठा लिया,,, और गोद में उठाकर अब उसने कनिका के चेहरे की तरफ देखा,, और जबड़े कसते हुए बोला बहुत शौक है ना बेहोश होने का अब मैं तुझे अच्छी तरह से होश में लाता हूं,, इतना कहते हुए असुर के चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन साफ दिखाई दे रहे थे। अब उसने कनिका को उठकर बाथरूम की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए और देखते ही देखते वह बाथटब के पास आकर खड़ा हो गया,, जैसे ही वह बाथटब के पास आकर खड़ा हुआ एक बार फिर से उसने कनिका का चेहरा देखा,,
और अगले ही पलक कनिका को बाथटब में फेंक दिया जैसे ही कनिका को बाथटब में फेंका कनिका की सांस उसके गले में अटक गई। लेकिन उसकी आंखें अभी भी खुली नहीं थी उसका बदन अब कांपने लगा था पर आंखें बिल्कुल भी नहीं खुल रही थी,, वही असुर उसे डेविल नजरों से देखते हुए,, लेकिन वह कनिका की मदद बिल्कुल भी नहीं कर रहा था।। वही कनिका जिसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी उसकी आंखें अब हल्की-हल्की फड़फड़ाने लगी थी,,, उसकी आंखों को फड़फड़ाता देख असुर के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई,, और वह अपने दांत भिंचते हुए बोला तेरे यह ड्रामा मेरे भाई पर काम आ सकते हैं लेकिन मेरे पर नहीं,,
इतना कहते हुए उसका चेहरा इस वक्त डेविल वाइब दे रहा था। तकरीबन आधा घंटा बीत गया अब कनिका ने बिल्कुल भी रिस्पांस देना बंद कर दिया था पहले तो उसकी आंखें हल्की-हल्की फड़फड़ा रही थी अब उसके होंठ नीले पढ़ने शुरू हो गए थे। पानी हद से ज्यादा ठंडा होने की वजह से अब उसके शरीर का तापमान गिरना शुरू हो गया था। पर असुर को इस चीज से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था अब वह अपनी जगह पर खड़ा हुआ और उसे डेविल नजरों से देखते हुए बोला पड़ी रही यहीं पर जब तक तेरी आंखें नहीं खुल जाती मैं भी तुझे इसमें से नहीं उठाऊंगा इतना कहकर वह बाहर की तरफ चला गया,,, वही कनिका उस बाथटब में ऐसे ही पड़ी रही,,
To be continue....









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