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Gold diger

सिंगापुर,

AS इस वक्त बेड पर बैठा बुरी तरह से हांफ रहा था इस वक्त उसका चेहरा पूरी तरह से पसीने से लथपथ हुआ पडा था और सांस इस वक्त हद से ज्यादा गहरी चल रही थी, उसकी आंखों में आई लाली साफ बयां कर रही थी उसने बहुत भयानक सपना देखा था. जिस वजह से शायद वह अंदर तक बेचैन हो चुका था उसका दिल यह सब कुछ देख जोर- जोरों से धक धक कर रहा था. उसने जो अभी कुछ देर पहले सपना देखा था उसमें काजल उससे बहुत दूर जा रही थी और वह काजल को खुद से दूर जाने से रोक रहा था लेकिन काजल रुक नहीं रही थी और अगले ही पल किसी ने काजल का हाथ पकडा और खींचते हुए अपने साथ ले गया, यह सपना देख कर AS को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका दिल उसके सीने से बाहर निकाल लिया हो, वह अपने दिल को सहलाते हुए मानो खुद को यकीन दिलाने की कोशिश कर रहा था. वह अपने दिल पर हाथ रख कर खुद से ही नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ है मैं सिर्फ एक सपना देख रहा था. मेरी रैबिट बिल्कुल ठीक है उसे कुछ भी नहीं हुआ और ना ही कुछ होने दूंगा मैं, इतना कहते हुए उसकी आंखों में बेचैनी साफ नजर आ रही थी. वह किसी तरह से खुद को नॉर्मल रखने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी तेज चलती सांस सब बता रही थी कि वह नॉर्मल तो बिल्कुल नहीं था अब उसने अपने दिल को सहलाते हुए खुद को समझाते हुए. खुद में ही बडबडाया, कि अभी- अभी उसने सिर्फ सपना ही देखा था और कुछ नहीं कुछ देर बेड पर बैठे रहने के बाद जब उसने खुद को पूरी तरह से समझा लिया कि वह एक सिर्फ सपना था अब वह अपनी जगह से खडा हुआ, और अपने कदम बालकनी की तरफ बढा दिए,

उसकी आंखों की बेचैनी हद से ज्यादा बढ चुकी थी. इसीलिए वह बालकनी में खडा- खडा ही उसने अपने जब से सिगरेट का पैकेट निकाला और वहीं खडे हुए सिगरेट के कश भरने लगा सिगरेट के कश भरते हुए ही वह बाहर की तरफ देख रहा था सिंगापुर में आधी रात को भी सडक इस तरह से चल रही थी मानो दिवाली की रात हो, क्योंकि सिंगापुर एक रोशनी का शहर था जहां पर हर जगह रोशनी ही रोशनी रहती थी, लेकिन इतनी रोशनी में रहने का भी क्या फायदा जब दिल इतना उदास हो और उसमें अंधेरा भर चुका हो, AS लगातार सिगरेट पर सिगरेट पिए जा रहा था लेकिन उसके दिल को जैसे चैन ही नहीं आ रहा था उसका सुकून तो तीन साल पहले ही खो चुका था लेकिन आज वह हद से ज्यादा फिर से बेचैन हो गया था, हालांकि सोता वह पहले भी नहीं था सारी सारी रात जागता रहता था लेकिन आज जिस तरह से उसे सपना आया था वह सपना याद कर उसे बार- बार बेचैनी हो रही थी,

अब वह सिगरेट का कश भरते हुए गहरी सांस लेकर बोला, तुम ठीक तो हो ना रैबिट प्लीज वापस आ जाओ जिंदा तो हूं पर लाश बनकर रह गया हूं तुम्हारे बिना, इतना कहते हुए उसकी आँखें हद से ज्यादा लाल थीं, काश मैं वक्त रहते तुम्हारी बात मान ली होती तो आज शायद हम दोनों साथ होते, अगर उस दिन में तुम्हारी बात मान गया होता मेरी बच्ची और तुम आज भी मेरे पास होते, इतना कहते हुए AS की बातों में उसकी तडप साफ महसूस हो रही थी. तीन सालों में कोई भी ऐसा दिन नहीं गया था जिस दिन AS को अपनी गलती का पछतावा ना हुआ हो, अब वह अंदर की तरफ आया और सामने टेबल पर बैठकर सिगरेट पर सिगरेट पीने लगा और साथ ही में उसने वाइन की बोतल पकडी और अपने होठों से लगा ली एक Sip अगर वह वाइन की बोतल का भरता तो दूसरा कश सिगरेट का सारी रात ऐसे ही बीत गई, AS ने एक पल के लिए भी अपनी आंख नहीं लगाकर देखी थी,

सुबह के सात: शून्य अभी भी AS की नजरे ऊपर सीलिंग की तरफ लगी हुई थी जहां पर काजल की तस्वीर जगमगा रही थी और साथ ही में उसने सूफियाना को भी पकडा हुआ था. अब AS की आंखें हल्की- हल्की भारी होने लगी थी अभी वह आंखें बंद होने वाले थे कि तभी उसके फोन की घंटी बजी, फोन की घंटी से AS की जो आंख बंद हो रही थी वह एक बार फिर से खुल गई अब उसने फोन की तरफ देखा, जिस पर किसी का अननोन नंबर शो हो रहा था और अननोन नंबर को देखकर एक पल के लिए उसके चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन आ गए क्योंकि बहुत कम था कि उसके फोन पर किसी अननोन नंबर का Call आए, बहुत कम लोग थे जिसके पास AS का नंबर होता था. AS का नंबर सिर्फ उसके करीबी लोगों के पास ही था. अब उसने फोन उठाया और कान से लगाया, जैसे ही उसने फोन कान से लगाया दूसरी तरफ से कुछ कहा गया,

जिसे सुनकर AS की आंखें बडी हो गई और अगले ही पल अपनी जगह से खडा होकर उसने जल्दी से अपने कपडे बदले और तैयार होकर बाहर की तरफ निकल गया,

वहीं दूसरी तरफ,

मुंबई में,

त्रियांशु इस वक्त राणा इंडस्ट्रीज में टॉप फ्लोर पर अपनी केबिन में बैठा हुआ था इस वक्त उसने अपनी चेयर को विंडो वाल की तरफ घुमा रखा था, और उसकी आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल थी हाथों में सिगरेट फसाई हुई और सिगरेट के लंबे- लंबे कश भर रहा था, त्रियांशु के आंखों के आगे इस वक्त आईना का चेहरा घूम रहा था, आईना ठाकुर मुंबई की जानी- मानी एक्ट्रेस, एक वक्त था जब त्रियांशु को आईना से प्यार हुआ था और तब आईना ने भी उससे बहुत प्यार किया था इन फैक्ट उसने उसे घुटनों के बल बैठकर सबके सामने प्रपोज भी किया था. जिससे त्रियांशु ने हां भी कहा था. लेकिन जैसे नियति को कुछ और ही मंजूर था. फिर त्रियांशु की जिंदगी ने करवट ली और नेहा की एंट्री हुई. नेहा ने कभी सोचा भी नहीं था कि त्रियांशु की जिंदगी में उसकी एंट्री होगी क्योंकि उसे तो इतना ही पता था कि उसकी बहन त्रियांशु को प्यार करती थी इसीलिए वह उनके बीच आना भी कभी नहीं चाहती थी लेकिन, आईना ने फिल्म इंडस्ट्री में फेमस होने की कारण उसने त्रियांशु से ब्रेकअप कर लिया,

आईना का त्रियांशु से ब्रेकअप होने के बाद, नेहा को उस आईना ने फोर्स किया कि वह त्रियांशु की जिंदगी में आए ताकि वह उसका पीछा छोड दे, नेहा ने उसे बहुत मना किया कि त्रियांशु उससे बहुत प्यार करता है लेकिन आईना नहीं मानी आईना ने उसे जबरदस्ती त्रियांशु की जिंदगी में भेज दिया, दूसरी तरफ त्रियांशु के घर में उसकी दादी को भी आइना कुछ खास पसंद नहीं थी लेकिन नेहा उन्हें बहुत ज्यादा पसंद थी नेहा का स्वभाव चंचल और मासूम था नेहा बोलती भी बहुत कम थी और वह एक घरेलू लडकी थी, त्रियांशु इस वक्त सिगरेट के लंबे- लंबे कश भर रहा था कि तभी उसका केबिन का Door नाॅक हुआ जैसे ही किसी ने उसके केबिन का door नोक किया,

त्रियांशु अपनी भारी आवाज में, come in

जैसे ही त्रियांशु ने अपनी भारी आवाज में come in कहां बाहर खडी नेहा अंदर तक कांप गई नेहा त्रियांशु से बहुत ज्यादा डरती थी उसे तो त्रियांशु के सामने खडे रहने से भी डर लगता था त्रियांशु की आंखें दिखने में बहुत ज्यादा खूबसूरत थी कोई भी लडकी उन पर फिदा हो जाए लेकिन नेहा को उसकी आंखों से बहुत ज्यादा डर लगता था हालांकि इन नजरों का सामना उसे रोज करना पडता था क्योंकि वह इस ऑफिस में काम करती थी और त्रियांशु की पर्सनल असिस्टेंट थी। वही नेहा अब अपने हाथ में पडी हुई फाइल को लेकर अंदर की तरफ आई, और टेबल कर पर रखते हुए sir वह इस फाइल पर आपके Sign चाहिए थे, जैसे ही त्रियांशु ने नेहा की आवाज सुनी अगले ही पल उसकी आंखें सर्द हो गई उसने अब पलट कर नेहा की तरफ देखा,

और अपनी जगह से खडा होकर अपने कदम नेहा की तरफ बढा दिए नेहा जो कि अपना सिर नीचे झुका कर खडी थी जैसे ही उसने महसूस किया कि त्रियांशु के कदम उसकी तरफ बढ रहे हैं उसका दिल जोरो जोरो से धडकने लगा उसने अपने कदम पीछे लेने शुरू कर दिए लेकिन उसने अपना चेहरा एक पल के लिए भी ऊपर नहीं उठाया था क्योंकि उसमें हिम्मत ही नहीं थी कि वह त्रियांशु की आंखों में देख ले क्योंकि वह जानती थी कि त्रियांशु की नजरे हमेशा उस पर सर्द रहती थी क्योंकि दादी ने उसे Senorita की देखभाल के लिए रखा था और वह चाहती थी कि नेहा अब त्रियांशु से शादी कर ले ताकि सेनोरिटा को उसकी मॉम मिल जाए, सिंगल पैरंट होना बहुत ज्यादा मुश्किल था कहीं ना कहीं सेनोरिटा भी नेहा को बहुत ज्यादा पसंद करती थी, लेकिन त्रियांशु इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं था. दूसरी तरफ नेहा उसकी तो सांस इस वक्त गले में अटक चुकी थी जिस तरह से त्रियांशु उसके पास आ रहा था.

वह अपने मन में ही हे भगवान बचा लीजिए मुझे इनसे ये क्यों मुझसे इतनी नफरत करते हैं मैंने क्या इनका बिगडा है. मैंने कितनी बार दी से कहा कि मुझे प्लीज उनके पास मत भेजिए ऊपर से दादी ने भी जिद की कि मैं उनके घर में आकर रहूं अब जबरदस्ती मुझे अपने पास रखा है और ऊपर उनका बेटा मुझे कसाई की तरह देखता है तो मैं क्या करूं आज तो मेरी खैर नहीं यहां पर मुझे कोई नहीं बचा सकता ना दादी ना सेनोरिटा, हे भगवान किसी तरह तुम ही प्रकट हो जाओ मुझे बचाने के लिए, इस वक्त उसका दिल इतना तेजी से धडक रहा था कि उसे लग रहा था जैसे उसके सीने से ही बाहर आ जाएगा,

इतना बडबञशडाते हुए उसने एक बार भी अपना चेहरा ऊपर की तरफ नहीं उठाया था अपने दिल में सोचते हुए ही वह अपने कदम पीछे लिए जा रही थी. देखते ही देखते नेहा पूरी तरह से दीवार के साथ सट चुकी थी. जैसे ही नेहा की पीठ दीवार के साथ लगी उसका चेहरा पूरी तरह से पीला पड गया डर के मारे अब उसकी बॉडी शिवर करने लगी, अब वह मन में नहीं मुंह में बडबडा रही हे महादेव अब तो जगह भी खत्म हो गई मेरे लिए अगर मेरा बस चले मैं इस दीवार को ही खुद कर अंदर घुस जाऊं इतना कहते हुए उसकी आंखों में अब नमी आने लगी थी, वही त्रियांशू जो कि अब पूरी तरह से उसके पास पहुंच चुका था. वह उसकी तरफ देखकर बोला स्टैंड properly तुम्हें इतना भी नहीं पता कि अपने बॉस के सामने कैसे खडे हुआ जाता है, जैसे ही त्रियांशु ने यह बात कही, नेहा पूरी तरह से सीधी होकर खडी हो गई हालांकि खडी वह पहले भी सीधे थी,

त्रियांशु उसके ऊपर अपना ईगो सेटिस्फाइड कर रहा था. वह बेचारी चुपचाप त्रियांशु की बातें मानती रहती थी. आज तक उसने कभी भी त्रियांशु को पलट कर जवाब नहीं दिया था वह बिना कुछ कहे ही वैसे ही दोबारा सीधी खडी रही, त्रियांशु ने अब अपना एक हाथ Wall पर रखा और उसके ऊपर झुकते हुए, lift your head up and look it in my eyes, त्रियांशु की बात सुनकर एक पल के लिए नेहा का दिल जैसे धडकना ही भूल गया, उसे अपनी सांसे गहरी होती हुई महसूस हो रही थी क्योंकि आज तक वह ठीक से त्रियांशु की आंखों में देख नहीं पाई थी. जहां हर लडकी त्रियांशु पर मरती थी वही नेहा थी जो त्रियांशु से दूर भागती थी. इस एक साल में जब से नेहा उसकी जिंदगी में आई थी. नेहा त्रियांशु से दूर भगाने की कोशिश ही करती थी कल भी जब वह सेनोरिटा को लेने जा रहा था तब भी नेहा ने कोई ना कोई बहाना बनाकर साथ में जाने से इनकार कर दिया था क्योंकि उसे त्रियांशु से हद से ज्यादा डर लगता था, और वह नहीं चाहती थी की त्रियांशु उससे कुछ भी कहे क्योंकि जब भी त्रियांशु उससे कुछ कहता था.

उसकी आंखों में पानी आ जाता था क्योंकि त्रियांशु हमेशा ही उसे डांटता ही रहता था. नेहा ने अब किसी तरह से हिम्मत करके अपना sir ऊपर की तरफ उठाया जैसे ही उसने अपना सिर ऊपर की तरफ उठाया उसकी आंखें त्रियांशु की आंखों से जा मिली जैसे ही दोनों की आंखें आपस में मिली नेहा की धडकनों ने रफ्तार पकड ली थी, नेहा जितना हो सके त्रियांशु से दूर ही रहती थी. दोनों पिछले एक साल से एक दूसरे को जानते थे लेकिन फिर भी उन दोनों के बीच अभी तक कोई खास रिश्ता नहीं बन पाया था क्योंकि नेहा त्रियांशु से हमेशा दूर रहना पसंद करती थी या कह सकते थे दूरियां बनाकर रखती थी. कहने को वह पर्सनल सेक्रेटरी थी पर फिर भी उनकी meetup बहुत ज्यादा काम होती थी.

दोनों की आंखें अब आपस में मिली तो त्रियांशु अब उसकी तरफ देखते हुए, क्या सोच कर मेरी केबिन में आई और Sign लेने कि मुझ पर डोरे डालोगी, मुझे अपना बना लोगी मुझे Kiss तरह से अपनी जाल में फंसाने की कोशिश करोगी उसकी बात पर अब नेहा की आंखों में नमी आ गई यह त्रियांशु का रोज का था जब देखो वह नेहा को नीचा दिखाने की कोशिश करता था जिससे नेहा को हमेशा हर्ट होता था इसीलिए वह त्रियांशु के सामने आना पसंद नहीं करती थी लेकिन काम में कभी- कभी उसे त्रियांशु के सामने आना पडता था, और अभी भी वह वही कर रहा था नेहा को नीचा दिखाकर अपनी ईगो को सेटिस्फाइड, इस वक्त नेहा की आंखों में नमी छा गई थी वह अपनी नम आंखों से त्रियांशु को देख रही थी.

वही त्रियांशु अपने डेविल नजरों से नेहा को देख रहा था. उसकी नमी को देखकर त्रियांशु के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई. वह अब और भी ज्यादा नेहा के ऊपर झुका और उसके कान के पास गर्म सांस छोडकर बोला तुम जैसी गोल्ड डिगर जितने मर्जी आंसू बहा लो लेकिन मेरी नजरों में तुम्हारा यह मासूम चेहरा जो कि तुम मेरी दादी के सामने बनाती हो ना वह मुझ पर काम नहीं करने वाला ना मैं पिघलने वाला हूं समझी तुम और हां तुम समझती क्या हो खुद को कल तुम मेरे साथ मेरी बेटी को लेने क्यों नहीं गई, तुम्हें क्या लगा तुम बहाना बनाओगी मुझे पता नहीं चलेगा, लिसन वेरी केयरफुल मेरी बेटी तुम्हें पसंद करती है. अगर तुम्हारी वजह से मेरी बेटी को जरा भी खरोच आई या फिर वह रोई, तो consequences इस नॉट Good फॉर You Miss नेहा ठाकुर, इतना कहते हुए उसका चेहरा एक अलग ही डेविल वाइब दे रहा था,

और रही बात शादी की तो यह जो तुम्हारे ख्वाब है ना शादी को लेकर कि तुम मुझसे शादी करोगी यह तुम्हारे ख्वाब ही रह जाएंगे क्योंकि मैं एक गोल्ड डिगर लडकी से कभी शादी नहीं करूंगा, सो बेटर then अपने ख्वाबों को अपने पास रखो, understand that, जैसे ही त्रियांशु ने अपनी बात कही नेहा ने अपनी आंखें नीचे कर ली और अपना sir हां में हिला दिया इस वक्त उसकी आंखें नम हो चुकी थी और आंसू बाहर की तरफ आने को आतुर हो रहे थे लेकिन उसने अपने आंसुओं को बाहर आने की इजाजत नहीं दी, जैसे ही नेहा ने हा में सिर हिलाया त्रियांशु अब पीछे की तरफ हुआ और सामने अपनी चेयर पर जाकर बैठ गया, वही नेहा बस सामने आकर खडी हुई, जैसे ही नेहा सामने आकर खडी हुई त्रियांशु के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन आ गए,

नेहा ने अब फिर से अपना sir झुकाया हुआ था और वह बिना त्रियांशु की तरफ देखें फाइल आगे करते हुए बोली, sir मैं आपसे अर्जेंट फाइल पर Sign लेने आई थी यह बहुत ज्यादा अर्जेंट है सिंघानिया की फाइल है, उनके साथ हमारी डील होने वाली है और आज शाम उनके साथ होटल प्लाजा में हमारी Meeting है, इतना कहकर नेहा चुप हो गई, त्रियांशु ने अब वह फाइल उठाई और Sign करके नेहा को पकडा दी जैसे ही फाइल नेहा ने पकडी अब वह जल्दी से केबिन से बाहर आई और अपने केबिन में चली गई, अपने केबिन में आकर उसने अपने केबिन का Door लॉक किया और अपने टेबल पर बैठकर फूट- फूट कर रोने लगी,

रोते हुए वह खुद से क्यों मेरे साथ ऐसा होता है हमेशा आखिर क्यों मेरे साथ sir ऐसा बिहेव करते हैं मुझे भी हर्ट होता है उनका हमेशा का है मैंने कौन सा उनसे पैसे मांगे या फिर उधार मांगा हुआ जो मुझे हमेशा गोल्ड डिगर बुलाते रहते हैं मैं तो मेहनत करके अपने पैसे कमा रही हूं चाचा चाची भी मुझे ऐसे ही बोलते रहते हैं मैं तो कभी किसी के साथ बुरा भी नहीं किया भगवान मेरे साथ ही क्यों बुरा करते हैं इतना कहते हुए वह फूट- फूट कर रोने लगी,

दूसरी तरफ,

राणा मेंशन,

सेनोरिटा इस वक्त हाल में बैठी हुई थी और इस वक्त वह सोफे के पास डाइनिंग टेबल पर बैठकर अपनी ड्राइंग बना रही थी साथ ही में दादी भी बैठी हुई थी जो की सिलाई से अपना स्वेटर बुन रही थी, वही सेनोरिटा जो की ड्राइंग बना रही थी उसने अपनी ड्राइंग में तीन जनों की फोटो बनाई. और ड्राइंग उठाकर दादी के सामने लाते हुए दादी मां दादी मोम देखो सेनोरिटा ने ड्राइंग बनाई है आपको कैसी लगी देखकर बताइए, तभी दादी ने अपना चश्मा ठीक करते हुए सेनोरिटा की ड्राइंग अच्छी और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बडे प्यार से बोली अरे मेरी बच्ची ने ड्राइंग तो बहुत अच्छी बनाई है अब यह भी बच्ची बता दे कि यह ड्राइंग है किसकी,

उसकी बात पर सेनोरिटा अपने मुंह पर हाथ रखकर हंसते हुए बोली दादी मॉम यह पापा है और यह नेहा मम्मा है और यह मैं हूं इतना कहते हुए सेनोरिटा ने अपनी उंगली ड्राइंग पर रखकर इशारा किया, उसकी बात पर एक पल के लिए दादी चुप हो गई और उनकी आंखों में नमी छा गई, वह अपने मन में बोली हे भगवान तू क्या चाहता है कब बनेगी इनकी जोडी वह तो एक दूसरे को देख भी नहीं सकते नेहा है वह उससे डरती बहुत है, वही त्रियांशु उससे नफरत ही बहुत करता है मैं करूं तो क्या करूं, और यह प्यारी सी बच्ची उस लडकी को अपनी मां मान कर बैठी है. कुछ तो चमत्कार कर दे भगवान जिससे इन दोनों की शादी हो जाए इतना कहते हुए दादी ने अपने हाथ जोड मंदिर की तरफ देखने लगी इस वक्त उनकी आंखें पूरी तरह से भर चुकी थी. और दिल में एक अलग ही दर्द उठ रहा था,

दादी की आंखों में पानी देखकर सेनोरिटा सोफे पर चढते हुए उनके आंसू पहुंच बोली रोते नहीं है दादी मोम आप रो क्यों रही हैं, टीचर कहती है जो लोग रोते हैं वह गंदे बच्चे होते हैं आप तो मेरी अच्छी वाली दादी हो तो रोते नहीं है ठीक है आज के बाद आप रोएंगे नहीं, इतना कहते हुए सेनोरिटा ने दादी को गले से लगा लिया, वही दादी ने भी उसे अपने गले से लगाते हुए, नहीं बेटा मैं रो नहीं रही हूं बस.

इतना कहकर वह चुप हो गई और अपने मन में बोली बेटा तुम्हारृ बाप का फ्यूचर सोच रही हूं कि क्या होगा इतना सोचकर उन्होंने अपनी बाहें सेनोरिटा पर कस दी,

वहीं दूसरी तरफ

सिडनी में,

पारुल इस वक्त कसक के पास बैठा हुआ था और उसके हाथों की मालिश कर रहा था, आज पारुल की डॉक्टर स्ट्रीट की छुट्टी थी, इसीलिए उसने आज कसक के साथ सारा दिन बिताने का फैसला किया था वह इस वक्त कसक के हाथों की मालिश कर रहा था कि तभी काशवी अंदर की तरफ आई आज काशवी की भी छुट्टी थी, काशवी ने भी आज पारुल के लिए छुट्टी ली थी वह ज्यादा से ज्यादा पारुल के साथ टाइम स्पेंड करना चाहती थी जिस वजह से उसने आज छुट्टी ली थी लेकिन अब उसका दिल बुरी तरह से जल रहा था उसे इस तरह से कसक के साथ देखकर उसकी आंखों में कसक के लिए नफरत और भी ज्यादा बढती जा रही थी,

वही पारुल जो कि उसके हाथ की मालिश कर रहा था वह कसक से बात करते हुए तुम्हें पता है कसक आज मेरी ना छुट्टी है और आज का सारा दिन तुमसे बातें करूंगा, मुझे पता है तुम मुझे सुन सकती हो, और जब- जब मैं तुम्हें कोई बात कहूंगा ना तुम मुझे आंख झपका कर रिस्पांस देना अगर अब तुम्हें सारी बात समझ लग जाए ठीक है. इतना कहकर पारुल ने कसक की तरफ देखा लेकिन कसक ने एक बार भी पलक नहीं झपकाई, उसका पलक न झपकना एक पल के लिए पारुल को मायूस कर गया लेकिन अगले ही पल उसने गहरी सांस ली और दोबारा से उसके हाथों की मालिश करने लगा, वही काशवी जो कि दरवाजे पर खडी यह सब कुछ देख रही थी उसके हाथों की इस वक्त मुठिया कसी हुई थी. और जबडे पूरी तरह से कस चुके थे. अब वह अंदर की तरफ आई और पारुल के सामने खडी हुई जैसे ही वह पारुल के सामने खडी हुई. फीका सा मुस्कुरा कर बोली, आज पारुल तुम्हारी भी छुट्टी है ना तो तुम यहां पर क्या कर रहे हो आज तो मैं तुम्हारे साथ प्लानिंग की थी कि मैं आज तुम्हारे साथ घूमने चलूंगी चलो ना हम घूमने चलते हैं,

क्यों ना आज मैं तुम्हें डेट पर लेकर जाऊं, जैसे ही काशवी ने डेट का नाम लिया पारुल ने अब एक नजर उसकी तरफ उठाकर बोला अबे बंदरिया डेट पर अपने Boyfriend को लेकर जाते हैं बेस्ट Friend को नहीं, इतना कहकर पारुल दोबारा से कसक के हाथों की मालिश करनेलगा, उसके मुंह से एक बार फिर से बेस्ट Friend सुनकर काशवी को बहुत ज्यादा हर्ट हो रहा था उसकी आंखों में हल्की- हल्की नमी आनी शुरू हो गई थी, लेकिन वह अपने नमी को अपनी आंखों में रोकते हुए, अबे तो गधे दोस्त भी डेट पर जा सकते हैं समझे जरूरी नहीं एक कपल डेट कर रहा हो, खाना ही तो खाना होता है चल ना यार चल ना इतना कहकर काशवी ने कसक का हाथ उसके हाथ से हटाया और अपने हाथ में पारुल का हाथ पकड उसे खींचने लगी,

जिस तरह से काशवी ने कसक का हाथ दूर किया था पता नहीं क्यों पारुल को बहुत ज्यादा अजीब लगा अगले ही पल दोबारा से कसक का हाथ पकडते हुए बोला कहा ना नहीं जाना मुझे तू किसी और के साथ चली जा, और मेरा मूड नहीं है आज मेरा सारा दिन कसक के साथ जाएगा मैं उसकी मालिश कर रहा हूं तुझे दिख नहीं रहा है क्या? अब पारुल ने दोबारा से उसके हाथ की मालिश करनी शुरू की, जिस तरह से पारुल ने उसे मना किया अब काशवी को और भी ज्यादा हर्ट हो रहा था इसीलिए वह अब बिना पारुल को कुछ कहे बाहर की तरफ चली गई, काशवी को इस तरह से जाता देखकर पारुल ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली कहीं ना कहीं वह समझ गया था कि अब काशवी को उसकी बात का बहुत ज्यादा बुरा लगा है, इसीलिए उसने अब कसक का हाथ वहां पर रखा और उठकर बाहर की तरफ आया जब तक वह बाहर की तरफ आया काशवी वहां से जा चुकी थी, अब उसने गहरी सांस ली और बोला कभी- कभी यह लडकी ना हद कर देती है, अब मैं नहीं जा रहा यार मनाने इसे इतना कहकर उसके चेहरे पर फ्रस्ट्रेशन साफ दिखाई दे रही थी,

वहीं दूसरी तरफ काशवी बाहर की तरफ आ चुकी थी और उसने ऑटो लिया और देखते ही देखते वहां से निकल गई,

Singapore में,

Highway पर,

AS की गाडी इस वक्त तेजी से सडकों पर दौड रही थी, इस वक्त उसकी गाडी की स्पीड इतनी ज्यादा थी की कोई आम इंसान उसके साथ बैठा हो तो उसका कलेजा उसके मुंह को आ जाए, इस वक्त उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थी और चेहरे पर हद से ज्यादा बेचैनी, तकरीबन आधे घंटे का सफर उसने पंद्रह मिनट में तय करते हुए उसकी गाडी एक अस्पताल के सामने आकर रुकी,

और यह Hospital कोई और नहीं skin क्राफ्ट Hospital था. जैसे ही उसकी गाडी स्किन क्राफ्ट अस्पताल के सामने आकर खडी हुई उसने अपनी गाडी के बाहर कदम रखते ही अस्पताल के अंदर की तरफ भागा उसने एक बार भी पीछे मुडकर अपनी गाडी की तरफ नहीं देखा जैसे गाडी खुली थी वहीं खुली की खुली छोड दी, और गाडी में इस वक्त चाबी भी वैसे ही लगी पडी थी, बाहर खडा गार्ड भी हैरानी से AS

को देख रहा था. जो अभी- अभी तूफान की स्पीड से Hospital आया था.

To be continue.

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