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Risponse mat dena

Antonio,,

इस वक्त मृत्युंजय धानी के होठों को बेहद सॉफ्ट ली किस कर रहा था। मृत्युंजय कभी उसके ऊपर के होंठ को सक करता तो कभी नीचे के होंठ को सक करता,,, वही धानी भी उसमें पूरी तरह बहकाती जा रही थी,, उसका दिल इस वक्त जोरो जोरो से धड़क रहा था,, मृत्युंजय धानी को किस तो कर रहा था लेकिन धानी उसका कोई भी रिस्पांस नहीं दे रही थी हालांकि उसके बदन ने मृत्युंजय को रिस्पांस देना शुरू कर दिया था लेकिन होंठ अभी भी बाकी थे,, वह इस वक्त इतनी सॉफ्टली धानी के होठों को अपने होठों में भर रहा था कि ऐसा लग रहा था जैसे कि वह अपने होठों में फूलों को लेकर हल्का-हल्का मसल रहा हो,,

वही धानी भी पूरी तरह से इस चीज में कहीं ना कहीं खोती जा रही थी,, मृत्युंजय के हाथ अब उसकी कमर पर चल रहे थे धीरे-धीरे उसकी कमर पर चलते हुए अब उसके हाथ ऊपर धानी के सीने की तरफ जाने शुरू हो गए थे,, जैसे ही मृत्युंजय के हाथ धानी के सीने की ओर बढ़ने लगे धानी की सांसों ने और भी ज्यादा गहरा होना शुरू कर दिया था,,, उसके हाथ अब धीरे-धीरे मृत्युंजय के कंधों पर आ चुके थे उसकी गहरी होते सांस जो कि उसके सीने में साफ दिखाई दे रही थी जिस वजह से उसका सीना मृत्युंजय के सीने से टकरा रहा था,,, मृत्युंजय भी अपने सीने को उसके सीने से हल्का-हल्का रगड़ रहा था,, जिससे धानी के रोंगटे खड़े होते हुए महसूस हो रहे थे वह पूरे 2 साल बाद एक दूसरे के इस तरह से करीब आए थे,,

धानी का प्यार जो कि उसके अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं दबा कर बैठी हुई थी वह अब धीरे-धीरे बाहर आ रहा था उसके हाथ अपने आप ही मृत्युंजय की पीठ पर जाने शुरू हो गए थे वहीं मृत्युंजय उसका रिस्पॉन्स पाकर उसके चेहरे पर अब तिरछी मुस्कराहट तैर गई थी,, उसने अब धानी के होठों को छोड़ा और उसकी मदहोश होती आंखों को देखते हुए बड़े दिलकश अंदाज में बोला,, मैंने तो सुना किसी से अभी इश्क की तलब खत्म हो गई थी,, जैसे ही मृत्युंजय ने यह बात कही धानी की आंखें बड़ी हो गई अगले ही पल उसने मृत्युंजय को जोरों से धक्का दिया जिससे मृत्युंजय पीछे की तरफ हो गया और अब वह उठकर सोफे पर बैठ गया,, और अपनी जगह पर बैठकर जोर-जोर से हंसने लगा जिस तरह से धानी ने उसको धक्का दिया था वह अनएक्सपेक्टेड जरूर था लेकिन मृत्युंजय को कहीं ना कहीं पता भी था शायद धानी कुछ ऐसा करें,,

वही धानी अपनी छोटी आंखें कर उसे देख रही थी,, अब उसने अपना मुंह दूसरी तरफ घूमाते हुए बोली,, मैं सच बोल रही थी मुझे अब आपसे कोई इश्क विश्क नहीं है यह सिर्फ एक मन का वहम होता है जो जल्दी उतर भी जाता है। इतना कहकर उसकी आंखें एक बार फिर से नम होने लगी थी,, मृत्युंजय ने अब उसे टेढ़ी गर्दन करके देखा और बोला सीरियसली यह मन का वहम होता है,, किसी ने मुझे इजहार किया था कि वह मुझे बेइंतहा इश्क करता है और आज वह मेरे सामने आकर कहे कि मुझे इश्क पर विश्वास नहीं थोड़ा ऑकवर्ड नहीं है ये इतना कहते हुए उसने अपनी गहरी नजरों से धानी की तरफ देखा जो अपनी नज़रें चुराते हुए इधर-उधर देख रही थी। मृत्युंजय की गहरी नजरे खुद पर पा कर धानी का दिल इस वक्त जोर-जोर से धड़क रहा था,,,

अपनी जगह से उठकर खड़ी हुई और बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली चले जाइए यहां से मैंने पहले ही कहा है कि मेरे जिंदगी में अब इश्क नाम की चीज की कोई जगह नहीं और तलाक दे दीजिए मुझे इतना कहकर वह बाथरूम की तरफ जाने लगी तभी मृत्युंजय ने उसका हाथ पकड़ कर दूसरे ही पल उसे दोबारा से सोफे पर गिरा दिया और खुद उसे पर हावी होते हुए,,,, उसकी आंखों में देखकर जबड़े करते हुए बोला, मुझे अपने साथ जबरदस्ती करने पर मजबूर मत करो shy girl,,, ऐसा ना हो कि आज रात में तुम्हारे साथ जबरदस्ती... इतना कहकर मृत्युंजय वहीं पर रुक गया लेकिन धानी उसकी बात पूरी तरह से समझ चुकी थी,, वही मृत्युंजय की गहरी नजरे अब उस पर टिक चुकी थी,,

वही इस तरह से मृत्युंजय के ऊपर आने से धानी के दिल ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली थी और उसकी सांसे फिर से गहरी होनी शुरू हो गई थी। मृत्युंजय अब उसे देखकर कोल्ड वॉइस में बोला तलाक तो तुम्हें मिलने से रहा और आज के बाद मैं तुम्हारे मुंह से तलाक का जिक्र भी ना सुन लूं, इतना कहते हुए मृत्युंजय के चेहरे पर इस वक्त हद से ज्यादा गुस्सा झलक रहा था,, उसके एक्सप्रेशन देखकर एक पल के लिए धानी को भी अपना गला सूखता हुआ महसूस हो रहा था,, लेकिन उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमाते हुए बोली इसमें गलत क्या है जब मैं आपसे इश्क ही नहीं करती तो रिश्ता रख के फायदा ही क्या, जैसे ही उसने यह बात कही अब मृत्युंजय का गुस्सा हद पार करने लगा उसका चेहरा गुस्से से कांपने लगा लेकिन किसी तरह से गहरी सांस लेकर वह अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा,,

मृत्युंजय अब उसके कान के पास अपनी गर्म सांस छोड़ते हुए उसके कान को अपने मुंह में भर लिया जिससे धानी के रोंगटे खड़े होने लगे,, वह धीरे-धीरे अपने होठों को उसके कान पर रगड़ रहा था जिससे धानी को कुछ-कुछ होने लगाथा,, उसके कान पर अपने होंठ रगड़ते हुए मृत्युंजय बड़ी दिलकश आवाज में,,, तो तुम मुझसे तलाक लेना चाहती हो,, उसकी बात पर एक पल के लिए धानी की धड़कनें रुकती हुई महसूस होने लगी,, क्यूंकि मृत्युजय का कहने का तरीका बहुत अलग था, वही धानू ने मृत्युंजय की बात सुनकर अब हां मैं सिर हिलाते हुए,, जी....

मृत्युंजय अब उसके कान के पास बेहद दिलकश अंदाज में चलो ठीक है अगर आज जिस तरह से मैं तुम्हें चाहुंगा तुम्हारी बदन ने मेरे छूने पर कोई रिस्पांस ना दिया तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा यह वादा है मृत्युंजय राठौर का,,, जैसे ही मृत्युंजय ने यह बात कही एक पल के लिए धानी उसकी तरफ देखते ही रह गई,, उसका दिल इस वक्त जोर-जोर से धड़क रहा था कहीं ना कहीं वह जानती थी कि अगर मृत्युंजय उसके इतने करीब आएगा तो उसका बदन अपने आप रिस्पांस देने लगेगा क्योंकि कहीं ना कहीं वह आज भी मृत्युंजय सृ खुद से ज्यादा प्यार करती थी।

और मृत्युंजय साफ समझ जाता कि वह धानी अभी भी उससे बेइंतहा इश्क करती थी। इसीलिए वह मृत्युंजय की बात पर एतराज जताते हुए जी नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली मुझे तलाक चाहिए बस चाहिए यह कोई तरीका नहीं है कि आप किसी के साथ भी ऐसी....

उसने इतना ही कहा था की मृत्युंजय बोला किसी के साथ तुम कोई नहीं हो तुम तो मेरी वाइफ हो और अपनी वाइफ से प्यार करना तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है इतना कहते हुए उसके चेहरे पर बेहद दिलकश एक्सप्रेशन थे। एक पल के लिए धानी तो उसकी तरफ देखते ही रह गई। अगर इस वक्त पहले वाली धानी होती तो शायद मृत्युंजय पर अपना दिल पूरी तरह से हार चुकी होती पर आज हालात अलग हो चुके थे। दिल तो अभी भी मृत्युंजय को देखकर उसका तेज ही धड़क रहा था लेकिन उसने अपने जज्बातों को अपने काबू में रखा हुआ था,, उसने अब अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमाते हुए जी नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी,,

तभी मृत्युंजय भी तो फिर ठीक है क्या जरूरत पड़ी है मुझे तलाक देने की और मैं कौन सा किसी और अबला औरत के साथ हूं मैं अपनी पत्नी के साथ हूं जब मर्जी चाहे उसे प्यार कर सकता हूं इतना कह कर वह अब धानी के गले के ऊपर एक बार फिर से झुका और उसे चूमने लगा,, जैसे ही मृत्युंजय ने उसके गले को चूमना शुरू किया धानी की धड़कनों ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली उसके हाथ अपने आप ही मृत्युंजय के कंधों पर आ गए यह चीज देखकर मृत्युंजय के चेहरे पर गहरी मुस्कुराहट आने लगी,, यह बात तो वह भी जानता था कि उसकी shygirl जितना मर्जी कह ले कि वह उसे इश्क नहीं करती लेकिन सच तो यही था कि वह आज भी उसे बेइंतहा इश्क करती थी तभी तो एक बार हाथ लगाने से ही धानी पूरी तरह से पिघल रही थी,,

मृत्युंजय अभी उसके गर्दन को चूम ही रहा था कि तभी धानी का फोन बजने लगा जो की बेड के ऊपर ही पड़ा हुआ था जैसे ही धानी का फोन बजने लगा मृत्युंजय के चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन आ गए वह मुंह बनाते हुए बोला इसे भी अभी बजना था क्या,,, मृत्युंजय के एक्सप्रेशन देखकर एक पल के लिए धानी उसकी तरफ देखते हुए पलक झपकाना ही भूल गई ऐसा दिलकश नजारा उसने पहले कभी नहीं देखा था। मृत्युंजय को ऐसा मुंह बनाते देख उसका दिल जोरो जोरो से धड़क रहा था,, मृत्युंजय को उसने डोमिनेटिंग होते हुए तो बहुत बार देखा था लेकिन कभी उसने मृत्युंजय का बचपना नहीं देखा था और आज जिस तरह से उसने बच्चों की तरह मुंह बनाया था एक पल के लिए धानी को उस पर हंसी तो आई लेकिन उसने अपने हंसी को पूरी तरह से कंट्रोल किया होता। पर फिर भी कहीं ना कहीं धानी के होठों के कोने हल्के से मुड़ गए थे,, जो शायद मृत्युंजय की नजरों में भी आए थे और यह देखकर उसके चेहरे पर भी दिलकश मुस्कराहट तैर गई थी,,

वही मृत्युंजय भी अब उसकी तरफ देखकर पीछे की तरफ हुआ जाओ जाकर फोन देखो अपना पता नहीं किसका फोन आया है इतना कहकर मुंह बनाते हुए उसके ऊपर से हट गया एक पल के लिए धानी का दिल किया कि उस पर जोर-जोर से हंसे पर वह ऐसा कर नहीं सकती थी क्योंकि वह मृत्युंजय को खुद से दूर करना चाहती थी,,, अब धानी अपनी जगह से खड़ी हुई और बेड की तरफ बढ़ने लगी तब तक फोन बंद हो चुका था लेकिन अगले ही पल फोन एक बार फिर से बजने लगा तो धानी ने फोन पर देखा,, तो इस वक्त सौरभ जी का फोन आ रहा था सौरभ जी का फोन देखकर धानी के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कुराहट तैर गई अब उसने जल्दी से फोन उठाया और दूसरी तरफ से,, सौरभ जी बड़े प्यार से कैसी हो बेटा मैं यहां पर पहुंच चुका हूं और तुमने कुछ खाया कि नहीं तभी धानी लड़खड़ाती हुई आवाज में हां पापा अभी खाना खाकर हटी हु । जैसे ही धानी ने यह बात कही मृत्युंजय ने छोटी आंखें कर धानी की तरफ देखा। मृत्युंजय को खुद की तरफ ऐसा देखता पा कर धानी पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपनी बात को चेंज करते हुए,, और बताइए पापा वहां पर सब कैसा है,,

और सफर में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना इतना कहकर वह अपनी बात बदलने की कोशिश कर रही थी जिसे मृत्युंजय साफ समझ रहा था अब वह धानी के पीछे आकर खड़ा हुआ और उसने धानी की कमर पर पीछे से अपने हाथ लपेट दिए और उसके कंधे पर झुक कर उसके कंधे को चूमने लगा जिससे धानी के रोंगटे खड़े होते हुए महसूस हो रहे थे वह ठीक से सौरभ जी से बात भी नहीं कर पा रही थी क्यूंकि मृत्युजय उसका पल-पल दिल धड़कने पर मजबूर कर रहा था,,, इस वक्त उसकी सांसे गहरी होती जा रही थी,, तभी दूसरी तरफ से सौरभ जी धानी बेटा तुम ठीक तो हो ना क्या हुआ तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं लग रही है,, तभी धानी लड़खड़ाती हुई आवाज में नहीं पापा मैं ठीक हूं वह वैसे ही थोड़ी गर्मी लग रही थी ना इसलिए,,

उसकी बात पर सौरभ जी ने अच्छा कह कर अपनी बात आगे जारी कर दी सौरभ जी अब धानी से बेटा कल एक पार्टी है। राणावत परिवार में तो तुम्हें वहां पर जाना होगा ठीक है ना अब मैं तो यहां पर आ गया हूं तो वह पार्टी तुम्हें अटेंड करने पड़ेगी और अटेंड करनी बहुत जरूरी है क्योंकि उनका बेटा ऑस्ट्रेलिया से वापस आ रहा है तो उन्होंने उस खुशी में पार्टी थ्रू की है तो वहां पर जाना बहुत जरूरी है समझी ना तुम,, जैसे ही सौरभ जी ने यह बात कही धानी लड़खड़ाती हुई आवाज में हां पापा हां मैं पहुंच जाऊंगी टाइम पर पहुंच जाऊंगी,, अच्छा पापा मैं फोन रखती हूं मुझे खाना खाना है मुझे भूखलगी है,, इतना कहकर हङबड़ी में जल्दी से उसने फोन रख दिया वही सौरभ जी तो बस फोन की तरफ देखते ही रह गए वह बोले पता नहीं कैसी लड़की है अभी बोल रही है खाना खा लिया कभी बोल रही है। मुझे भूख लगी है,,

पगली कहीं की पता नहीं ठीक है कि नहीं,, चलो थोड़ी देर बाद फोन करके देखता हूं पहले खाना खाने देता हूं उसको इतना कह कर सौरभ जी ने गहरीसांस ली,,

वहीं दूसरी तरफ,,

मृत्युंजय ने इस वक्त धानी को पूरी तरह से बेड पर लेटा दिया था और एक बार फिर से उसके ऊपर झुका हुआ था,, और उसकी आंखों में देखते हुए बोला , बोलो शर्त मंजूर अगर तुमने एक बार भी रिस्पांस नहीं दिया तो मैं वादा करता हूं मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा,,, जैसे ही मृत्युंजय ने यह बात कही धानी की धड़कन एक पल के लिए स्किप हो गई,,

To be continue.....

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