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Galiya mat nikaliye

राणावत फार्महाउस,,

अभी-अभी रोनित जानवी को गोद में उठाकर अंदर की तरफ लेकर आया था और अंदर लाकर उसने उसे बेड पर लेटा दिया था। बेड पर लिटाते ही जानवी ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमाया, और अगले ही पल उसकी कमर पर अपनी बाहें लपेट दीं। जैसे ही जानवी ने उसकी कमर पर अपनी बाहें लपेटीं, रोनित का दिल जोर–जोर से धड़कने लगा। उसके चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन आ रहे थे। उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसे हो क्या रहा है। अपने अंदर उठ रहे जज़्बातों को वह खुद पहचान नहीं पा रहा था। उसे नहीं पता था कि जानवी के पास आने से उसके अंदर यह अजीब सी बेचैनी क्यों उठ रही थी।

वहीं जानवी, जो उसके गले से लगी हुई थी, रोते हुए बोली—

“प्लीज़… मुझे छोड़कर मत जाइए… मुझे डर लग रहा है… मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी जान निकल जाएगी अगर आप यहाँ से चले गए…”

वहीं रोनित, जो कि अब पूरी तरह नशे में था, फिर भी उसे थोड़ा बहुत होश था। अब वह जानवी को पीछे करते हुए उसके गाल पर हाथ रखकर बोला—

“क्यों? क्या बात है? क्यों तुझे डर लग रहा है?”

उसकी बात पर जानवी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया, जो उसने अभी तक उसके पेट में छुपाया हुआ था। वह रोनित की तरफ देख कर अपनी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली—

“उन लड़कों ने… मेरा हाथ पकड़ लिया था… और मेरे साथ गंदी–गंदी बातें कर रहे थे…”

वहीं रोनित, जिसने उसके गाल पर बड़े प्यार से हाथ रखा था, अब उसके बराबर बैठ चुका था और बड़े प्यार से उसके गाल को सहलाते हुए बोला—

“तूने तब क्यों नहीं बताया? अगर बताती तो उन सालों की मैं गांड वही फाड़ देता…”

रोनित की बात सुनकर एक पल को जानवी उसकी तरफ देखते ही रह गई। लेकिन अगले ही पल वह जल्दी से उसके होंठों पर हाथ रखते हुए बोली—

“ऐसी बात मत कीजिए… बहुत गंदी लगती हैं…”

जानवी ने जिस तरह उसके होंठों पर हाथ रखा था, रोनित ने उसके हाथ की तरफ देखा, फिर उसकी लाल पड़ी आँखों को—जो रो–रोकर सूज चुकी थीं।

उसने जानवी का हाथ अपने होंठों से हटाते हुए कहा—

“बताना… क्या बोला था उन लोगों ने तुझे?”

इस पर जानवी ने अपना चेहरा नीचे झुका लिया। वह ‘नहीं’ में सिर हिलाते हुए बोली—

“कुछ नहीं…”

इतना कहकर एक बार फिर उसकी आँखों में आँसू भर आए।

तभी रोनित ने उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए कहा—

“तो बता रही है कि मैं उन लड़कों से जाकर पूछूँ? क्या चाहती है कि मैं उनकी गांड मार लूँ?”

जैसे ही रोनित ने यह कहा, जानवी ने फिर उसके होंठों पर हाथ रखते हुए बोला—

“ऐसी बातें मत कीजिए ना… मुझे बहुत गंदा फील होता है…”

तभी रोनित ने उसका हाथ हटाते हुए कहा—

“तो बताना… हुआ क्या था वहाँ पर? तू ऐसे ही थोड़ी उठती हुई पतंग बनकर मेरे गले जाकर पड़ी थी? वैसे गले तो मेरे तू एक महीने पहले ही आकर पड़ चुकी है…”

रोनित की बात पर एक बार फिर से जानवी की आँखों में आँसू आ गए। सुबकते हुए बोली—

“आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं…?”

उसे खुद नहीं पता था कि रोनित की बातों का उसे इतना बुरा क्यों लगता है। पिछले एक महीने से रोनित जब भी उससे बात करता, रूडली ही करता, और रोनित का इस तरह बात करना उसे अच्छा नहीं लगता था। उसके दिल में एक अलग सी टीस उठती थी… जो शायद रोनित को भी नहीं पता थी।

वहीं रोनित तो अपने दिमाग में यह सोचकर बैठा था कि वह अभी भी अहाना से प्यार करता है। लेकिन उसके दिल में कहीं न कहीं जानवी के लिए जगह बनने लगी थी, पर वह अपनी फीलिंग्स से खुद ही अनजान था।

अब उसने एक बार फिर जानवी का चेहरा अपने हाथों में लेकर कहा—

“तू मुझसे क्यों गालियाँ सुन रही है? तू बताती क्यों नहीं कि हुआ क्या था वहाँ पर?”

तभी जानवी उसकी तरफ देखकर रोते हुए बोली—

“मैंने आपको कभी गाली देते हुए नहीं सुना… आप इतने अच्छे इंसान हैं… गुस्से में भी आप गालियाँ नहीं निकालते… तो आज क्यों निकाल रहे हो…?”

तभी रोनित खुद में बड़बड़ाया—

“बहनचोद… मुझे खुद भी समझ नहीं आ रहा कि मुझे आज गालियाँ आ कहाँ से रही हैं…”

यह कहते हुए उसने अपने बालों को मुट्ठी में भींच लिया। उसके चेहरे पर फ्रस्ट्रेशन साफ़ दिख रहा था।

उधर जानवी कुछ भी बोल नहीं पा रही थी… क्योंकि उन लड़कों ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा था… उसकी बैक पर हाथ मारा था… कभी उसके सीने पर… और उसे ये बातें बताने में बेहद uncomfortable लग रहा था।

जब वह कुछ नहीं बोली, तो रोनित उसे बेड पर लेटाते हुए खुद उसके ऊपर झुका और उसकी आँखों में देखकर बोला—

“अगर तूने मुझे नहीं बताया ना… तो इस रात का किस्सा आज मैं फिर से दोहरा दूँगा… जिस दिन तू मुझे पहली बार मिली थी…”

उसकी बात पर जानवी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसका गला सूख गया। वह अपनी पहली मुलाकात याद कर बैठी… जब उनके बीच intimacy हुई थी। वह चाहकर भी उसे भूल नहीं पाई थी… और तब से ही उसके दिल में रोनित के लिए feelings आने लगी थीं।

वह इन्हीं बातों में खोई थी कि तभी उसे अपने चेहरे पर रोनित की गर्म साँस महसूस हुई… और अगले ही पल जो हुआ, उससे वह अंदर तक काँप गई…

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वहीं दूसरी तरफ…

सिंगापुर में,,

अभी-अभी रुद्र से अहाना के ऊपर स्ट्रॉबेरी शेक गिर गया था, जिससे अहाना की आँखें बड़ी हो गईं। उसके जबड़े कस गए थे। वह गुस्से से काँपते हुए रुद्र की तरफ चिल्लाई—

“ये क्या हरकत है?!”

उसका चेहरा गुस्से से लाल था।

रुद्र, जिसके हाथ से शेक गिरा था, अब तिरछी नज़रों से उसे देखते हुए उसके पास झुका और उसके होंठों पर हल्की सी किस रखते हुए बोला—

“हो गई गलती… मैंने कौन सा जानबूझकर गिराया है…”

अहाना उसकी तरफ देखते ही रह गई।

रुद्र ने इतनी आसानी से बात कही जैसे उसने कुछ किया ही न हो।

वह दाँत भींचकर बोली—

“ये क्या तरीका है? आपने मेरी पूरी ड्रेस खराब कर दी… अब मैं बदलूँगी कैसे? मेरे पैर भी अब तक ठीक नहीं हैं…”

यह कहते हुए उसने अपने पैरों की तरफ देखा… और अगले ही पल उसकी आँखें नम हो गईं। उसे वो दर्द याद आ गया जो चंदाबाई की कोठी में उसके साथ हुआ था।

उसकी आँखों में नमी देखकर रुद्र के दिल को भी दर्द सा हुआ। उसने अहाना का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए उसकी आँखों से आँसू पोंछे और बोला—

“अच्छा बाबा… गलती से हो गया। मैंने जानबूझकर नहीं गिराया। मेरा पैर मैट में फँस गया था…”

लेकिन अहाना रोते हुए बोली—

“सब आपकी गलती है… सब आपकी गलती! आप ही ने मुझे अपने फार्महाउस से निकाला था! मैं वहाँ से निकलती ही नहीं… तो मेरे साथ ये सब होता ही नहीं…”

अब उसका रोना बढ़ चुका था। रुद्र के चेहरे पर परेशानी साफ़ दिखाई दे रही थी। उसे अपने दिल में अजीब सी टीस महसूस हो रही थी।

To be continued…

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