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Flurt

Antonio,,

धानी इस वक्त घुटनों में मुंह देकर बुरी तरह से रो रही थी उसे रोते हुए लगभग से आधा घंटा हो चुका था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि मृत्युंजय वहां से चला गया हो,, इसीलिए वह चुपचाप एक जगह पर बैठी थी जब काफी देर रोने के बाद उसका सिर दुखने लगा,, तो वह अपनी जगह से खड़ी हुई अब तो उसके आंसू भी उसकी आंखों से सूख चुके थे,, वह अपनी सुनी आंखों से बालकनी की तरफ गई उसने बाहर की तरफ देखा वहां पर कोई गाड़ी नहीं खड़ी थी इसीलिए उसे लगा शायद मृत्युंजय वहां से सचमुच चला गया और अब यह देखकर उसे और भी ज्यादा तकलीफ होने लगी,, वह व्यंग्य से हंसते हुए बोली जानती थी आप चले जाएंगे,, वैसे भी अब मुझे आपसे इश्क नहीं रहा,, इतना कहते हुए वहीं जानती थी कि उसके दिल में कितनी टीस उठ रही थी। उसका दर्द उसकी आंखें साफ बयां कर रही थी जो कि हद से ज्यादा लाल थी,,

अभी वह बोल ही रही थी कि तभी उसके कानों में सर्द आवाज पड़ी यह इश्क कितना कम हुआ है कितना खत्म हुआ है यह तो मैं जानता ही हूं और तुम्हें मुझे बताने की जरूरत नहीं है,, इतना कह मृत्युंजय अब आगे की तरफ आया मृत्युंजय की आवाज सुनकर धानी अपनी जगह पर खड़ी सुन पड़ गई उसकी आंखें बड़ी हो गई वह अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोली मिस्टर राठौर,,

तभी पीछे से मृत्युंजय हां मैं यहीं पर हूं इतना कहकर उसने धानी के पेट पर हाथ रखा। जैसे ही मृत्युंजय ने अपना हाथ उसके पेट पर रखा एक पल के लिए धानी सिहर उठी,, उसकी वह गोरी कमर जो कि उसकी साड़ी में से झांक रही थी,, वह बेहद दिलकश लग रही थी इस वक्त ,, इस वक्त धानी ने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी हुई थी और उसका ब्लाउज जो उसकी पीठ पूरी तरह से कवर थी और हाई नेक था उसमें से सिर्फ उसकी कमर ही दिखाई दे रही थी,, वह पूरी बाजू का ब्लाउज उस पर हद से ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,, मृत्युंजय जिसने उसके पेट पर आकर हाथ रखा था एक पल के लिए ,, धानी अंदर तक कांप गई उसके रोंगटे खड़े हो रहे थे और दिल जोर-जोर से धक धक कर रहा था,,

उसके दिल की धड़कन मृत्युंजय जो कि अभी-अभी उसके पीछे आकर खड़ा हुआ था उसे भी साफ सुनाई दे रही थी और अब वह व्यंग्य से हंस और उसके कान के पास झुकते हुए अपनी गर्म सांस छोड़कर लेकिन तुम्हारे दिल की धड़कनें तो कुछ और ही बयां कर रही है मिसेज धानी राठौर,, मृत्युंजय के मुंह से अपने लिए धानी राठौर सुनकर धानी का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया,, उसने एक बार फिर से धानी के कान के पास गर्म सांस छोड़ी सर्दी होने की वजह से जब भी वह गर्म सांस छोड़ रहा था तभी भांप बनाकर उसके मुंह से धुआं धानी के कान के पास से गुजर रहा था जिसे धानी साफ महसूस कर सकती थी। मृत्युंजय ने उसके कान के पास आकर बेहद दिलकश अंदाज में बोला,, shy girl,,

यह जो कपड़े तुमने पहने हैं ना जहां पर इस टाइम तुम खड़ी हो तुम्हारी बर्फ जम जाएगी ठंड लग जाएगी तुम जाकर कपड़े बदल कर आओ और मोटे कपड़े पहन के आओ,, उसकी बात सुनकर धानी ने अब उसकी तरफ अपना चेहरा घुमाया और बेफिक्री से,, आपको इस चीज से क्या और आप अब तक गए नहीं,, उसकी बात पर मृत्युंजय अंदर की तरफ आया ,, सामने सोफे पर बैठते हुए बोला जल्दी आओ खाना खाना है भूख लगी है मुझे,, उसकी बात पर एक पल के लिए धानी उसे देखते ही रह गई,,, लेकिन अगले ही पल वह अंदर की तरफ आते हुए बोली और किसने कहा कि मैं आपके साथ खाना खाऊंगी और मुझे भूख लगी है आप कौन होते हैं इस चीज का फैसला करने वाले,,

धानी की बात पर मृत्युंजय ने एक नजर उसकी तरफ देखा और एक बार फिर से अपनी सर्द आवाज़ में,,, खाना खाओ चुपचाप आकर यहां,, मृत्युंजय की इतनी सर्द आवाज सुनकर धानी की आंखों में एक बार फिर से नमी तैर गई,, लेकिन इस बार उसने कुछ नहीं कहा वह चुपचाप अपनी कमर मटकाते हुए अपने कम बेड के दूसरी तरफ दोबारा से कंबल उठाकर उसमें लेट गई ,,, जिस तरह से धानी कमर मटकाते हुए बेड की तरफ गई थी वह बेहद दिलकश लग रही थी,, एक पल के लिए मृत्युंजय का दिल जैसे उसकी कमर पर ही अटक गया था,,, उसकी आंखों में उसकी कमर को देखकर मदहोशी छा रही थी,, मृत्युंजय ने अपना लोअर लिप अंदर की तरफ दबाते हुए,,,

उसके चेहरे पर बेहद दिलकश मुस्कुराहट आ गई उसे ऐसा लग रहा था जैसी धानी की मटकती हुई कमर उसकी जान ही लेने पर तुली हुई हो,, अब वह अपनी जगह पर खड़ा हुआ और अपने कदम धानी की तरफ बढ़ा दिए जैसे ही उसने अपने कदम धानी की तरफ बढ़ाए,, धानी का दिल जोरो जोरो से धड़कने लगा और उसकी सांसों ने गहरा होना शुरू कर दिया क्योंकि कहीं ना कहीं उसे पता चल गया था कि मृत्युंजय उसकी ओर ही आ गया है इसीलिए उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली,,, वही मृत्युंजय अब बिल्कुल उसके पास आकर खड़ा हुआ और अगले ही पल उसने धानी के ऊपर से कंबल हटाया ,, उसे अपनी गोद में उठा लिया है जैसे ही मृत्युंजय ने धानी को अपनी गोद में उठाया,,, धानी तो जैसे अपनी जगह पर फ्रिज हो गई उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और उसकी सांसे गले में ही अटक गई,,,

धानी का रिएक्शन देखकर मृत्युंजय के चेहरे पर एक दिलकश सी मुस्कराहट तैर गई अब वह धानी को लेकर सोफे की तरफ बढ़ गया जैसे ही उसने अपने कदम सोफे की तरफ बढ़ाए के धानी उसकी गोद में झटपटाते हुए छोड़िए मुझे मुझे आपके साथ खाना नहीं खाना और मुझे भूख नहीं है मुझे नीचे उतारिए मैं खुद चल सकती हूं,, लेकिन मृत्युंजय उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं था । मृत्युंजय ने अब उसे सोफे पर लाकर बैठाया, और उसके ऊपर पूरी तरह से झुक गया जैसे ही मृत्युंजय उसके ऊपर झुका धानी का दिल जोरो जोरो से धड़कने लगा वह पूरी तरह से सोफे में घुसने की कोशिश करने लगी,,

धानी को इस तरह से सोफा में धसते देख मृत्युंजय को एक पल के लिए धानी पर हंसी आ रही थी उसका रिएक्शन मृत्युंजय को हंसने पर मजबूर कर रहा था लेकिन फिर भी उसने अपने चेहरे को एक्सप्रेशन लेस रखने की कोशिश कर रहा था, अब वह बिल्कुल धानी के ऊपर झुकते हुए,, खाना खा लो या फिर किस दे दो एक चीज कर लो,, जैसे ही मृत्युंजय ने अपनी बात कही धानी की आंखें बड़ी हो गई, वह अपने दांत पीसकर बोली ,,how dare you आप होते कौन है मुझसे ऐसी बात करने वाले,,,

जैसे ही मृत्युंजय ने उसकी बात सुनी उसके होठों के कोने मुड़ गए,, अब वह बड़े प्यार से धानी के गालों को अपने हाथों में भरते हुए,, if you remember that,, who I am,,then I'll tell you something I'm your hubby wifey,,, उसकी बात सुनकर धानी मृत्युंजय की तरफ देखते ही रह गई,, वही मृत्युजय अब थोड़ा सा और उसके ऊपर झुका,, जैसे ही मृत्युंजय उसके ऊपर और भी ज्यादा झुका धानी पूरी तरह से सोफे पर लेट गई,, धानी को सोफे पर लेटे हुए देख मृत्युंजय उसके पूरी तरह से ऊपर आ गया मृत्युंजय को अपने इस तरह से ऊपर आता देख धानी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे पीछे करने की कोशिश की लेकिन मृत्युजय ने उसकी यह कोशिश नाकामयाब कर दी उसने उसके दोनों हाथों को अपने हाथ में पकड़ा और सोफे के ऊपर धंसा दिया,,

दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे एक की आंखों में बेशुमार प्यार था और दूसरे की आंखों में प्यार तो था कहीं ना कहीं दर्द के नीचे दब चुका था,, मृत्युंजय अब धीरे-धीरे कर धानी के चेहरे पर झुकने लगा,, धानी एक टक मृत्युंजय को ही देख रही थी देखते ही देखते मृत्युंजय उसके होठों के इतने करीब आ गया था कि उसकी र्गम सांसे उसे अपने होठों पर महसूस हो रही थी,,

मृत्युंजय अब उसके होठों पर अपने होंठ रखने को हुआ जैसे ही मृत्युंजय ने अपने होंठ आगे बढ़ाए तो धानी ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमा लिया,, धानी को दूसरी तरफ चेहरा घूमाते देख मृत्युंजय के चेहरे पर दिलकश मुस्कराहट तैर गई,, वह अब अपना चेहरा दूसरी तरफ करके हल्का सा हंसा और फिर अपने चेहरे पर सीरियस एक्सप्रेशन लाते हुए एक बार फिर से धानी को देखने लगा जिसका चेहरा दूसरी तरफ घुमा हुआ था इस वक्त उसकी गर्दन मृत्युंजय के सामने थी,,

धानी की वह सुरईदार र्गदन देखकर मृत्युंजय की नजर उसकी गर्दन पर ठहर गई,, मृत्युंजय एक बार फिर से उसके कान के पास झुका और बेहद सिडक्टिव वॉइस में बोला तुम्हें पता है तुम्हारी मटकटी हुई कमर ना आज मेरी जान लेने पर तुली हुई थी,, मृत्युंजय की बात सुनकर धानी की आंखें बड़ी हो गई क्योंकि आज तक मृत्युंजय ने कभी उसके साथ फ्लर्ट नहीं किया था और उसको ऐसे फ्लर्ट करते देखा धानी का दिल जोरो जोरो से धड़कने लगा,,

उसने एक झटके से अपना चेहरा उसकी तरफ करने को हुई लेकिन इससे पहले वह अपना चेहरा उसकी तरफ करती मृत्य्जय ने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए जिससे धानी का बदन एक पल के लिए कांप गया,, उसके बदन के रोंगटे खड़े होने शुरू हो गए,, दूसरी तरफ मृत्युंजय ने अपना हाथ उसकी कमर पर रखा हुआ था और हल्के-हल्के उसकी कमर को सहलाने लगा,,, जिससे धानी के कमर अंगड़ाइयां लेने लगी थी,, जिस तरह से मृत्युंजय उसकी गर्दन को चूम रहा था धानी की हालत अब खराब होने लगी थी,, उसकी सांस इस वक्त इतनी ज्यादा गहरी चल रही थी कि उसकी सांसों का तूफान उसके सीने में साफ महसूस हो रहा था जो की मृत्युंजय के सीने से टकरा रहा था,, इस वक्त उसका दिल जोरो जोरो से धक धक कर रहा था,,

धानी को अपने पेट में एक अलग सी गुदगुदी से महसूस हो रही थी एक पल के लिए वह जैसे सब कुछ भूल चुकी थी,, दूसरी तरफ मृत्युंजय इस चीज का पूरा-पूरा फायदा उठा रहा था वह लगातार धानी के गर्दन को चूमते हुए अपना हाथ अब उसके कमर से ऊपर की तरफ ले जाने लगा था जिससे धानी की धड़कनें ने और भी ज्यादा रफ्तार पकड़ ली थी,,

मृत्युंजय लगातार उसके गर्दन को चूमे जा रहा था और गर्दन को चूमते हुए ही मृत्युंजय ने अपना एक हाथ जो कि धानी के कंधे पर था वह अब उसकी गर्दन के पीछे ले जाकर उसके ब्लाउज की चेन नीचे की तरफ सरकाने लगा,, जैसे ही मृत्युंजय उसकी चेन नीचे की तरफ सरकाने लगा धानी की सांस और भी ज्यादा गहरी हो गई थी,, उसका बदन जैसे उसका साथ छोड़ रहा था वह चाह कर भी मृत्युंजय को जैसे रोक नहीं पा रही थी मृत्युंजय के हाथ लगातार उसकी कमर पर चल रहे थे,, पर उसका दिल जैसे बेबस हो गया था वह आज भी कहीं ना कहीं मृत्युजय से प्यार करती थी यह बात उसका बदन साफ बयां कर रहा था मृत्युंजय के छुने भर से ही उसका बदन पूरी तरह से पागल हो रहा था और उसे पूरा पूरा रिस्पांस कर रहा था।

धड़कनों ने इतनी ज्यादा रफ्तार पकड़ी हुई थी कि उसकी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,, सांसों का शोर उसके सीने में तूफान मार रहा था,, जिससे उसका सीन मृत्युंजय के सीने से टकरा रहा था अब मृत्युंजय ने अपने होंठ उसके गर्दन से हटाएं और उसे अपनी मदहोशी भरी नजरों से देखते हुए,, अपना हाथ उसकी कमर से हटाया और बड़े प्यार से उसके चेहरे को सहलाने लगा,, मृत्युंजय का हाथ इस वक्त उसके गालों को सहला रहा था गालों को सहलाते हुए ही मृत्युंजय ने अब अपना अंगूठा उसके होठों पर हल्का-हल्का रगड़ना शुरू कर दिया जिससे धानी के रोंगटे खड़े होने लगे उसे अपने बदन में से जान निकलती हुई महसूस हो रही थी पूरे 2 साल बाद मृत्युंजय उसके इतने करीब आया था,, और मृत्युंजय का छुना उसे जैसे पागल कर रहा था वह अपना होश भी खो बैठी थी,, अब मृत्य्जय ने अपनी गहरी नजरों से उसके होठों को देखा और अगले ही पल उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए,,,

To be continue....

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