
Haiway पर ,,
असुर की गाड़ी इस वक्त तेजी से सड़कों पर दौड़ रही थी और उसकी आंखों के सामने इस वक्त कनिका का चेहरा घूम रहा था। इस वक्त असुर के जबड़े पूरी तरह से कस चुके थे और गुस्से में उसकी आंखें खून की तरह लाल हुई पड़ी थीं।
वह अपनी फोटो को भींचते हुए गुस्से से बोला—
“जो तुमने किया है उसकी सजा तुम्हें मैं रोज़ दूंगा… तुम्हें रोज़ तड़पाऊंगा… तुम्हें रोना होगा खून के आँसू। समझी तुम? तुमने साबित कर दिया कि एक लड़की कभी भी वफादार नहीं हो सकती…”
इतना कहते हुए उसने अपनी गाड़ी की स्पीड और भी ज़्यादा बढ़ा दी।
तकरीबन आधे घंटे बाद उसकी गाड़ी सोना बाई के कोठे के आगे आकर रुकी… और अब वह अपनी गाड़ी से बाहर निकल कर कोठे के अंदर की तरफ चला गया।
कोठे के अंदर जाते ही सामने चंदाबाई झूले पर बैठी थी और इस वक्त उसकी नज़रें सामने नाच रही लड़की पर थीं, लेकिन तभी उसकी नज़र सामने असुर पर पड़ी जो कि दरवाजे से आ रहा था।
असुर को देखकर एक पल के लिए उसका चेहरा पीला पड़ गया और वह अपनी जगह से हड़बड़ा कर खड़ी होती हुई बोली—
“क्या बात है असुर बाबू… आपके कदम हमारे कोठे में पड़े… हमारा कोठा तो धन्य हो गया…”
उसकी बात पर असुर ने कोई जवाब नहीं दिया और बिना उसकी तरफ देखे सामने, जहां पर सोना बाई झूले पर बैठी थी, वहीं जाकर बैठ गया।
उसके बैठते ही सोना बाई ने अपने आदमियों को इशारा किया।
जैसे ही खड़े आदमियों ने उसका इशारा पाया, उन्होंने सिर हिलाते हुए अंदर की तरफ कदम बढ़ाए।
कुछ ही देर में वहाँ पर एक टेबल लगाया गया और टेबल पर बहुत सारी शराब की बोतलें रख दी गईं, जो कि असुर के बिल्कुल सामने थीं… और सामने ही कई लड़कियाँ नाच रही थीं।
सोना बाई अब असुर के सामने हाथ जोड़ते हुए बोली—
“बोलिए माई-बाप… और कोई सेवा हो तो इस नाचीज़ के लिए फरमाइए…”
असुर ने कोई जवाब नहीं दिया।
उसने वहाँ पड़ी बोतल का ढक्कन खोला और अपने होंठों से लगाते हुए सामने नाचती लड़कियों को घूरने लगा।
उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थीं।
उसके चेहरे से कुछ भी पता नहीं लगाया जा रहा था कि इस वक्त उसके मन में क्या चल रहा था।
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⭐ दूसरी तरफ…
पठानी हाउस — गार्डन एरिया
गार्डन की घास भी ऐसी नहीं थी कि खड़े होने लायक हो… असुर ने कनिका को तपते हुए पत्थरों पर खड़ा किया हुआ था, जो बेहद गर्म थे।
ऊपर से धूप — और टाइलें इतनी गर्म थीं कि कनिका के पैर पूरी तरह से जल चुके थे।
वह बार-बार अपने पैरों को सिकोड़ रही थी, लेकिन उसके मुंह से “ऊँ” तक नहीं निकल रही थी।
धूप में उसकी हालत बेहाल थी, लेकिन फिर भी वह बिना हिले खड़ी थी।
असुर को गए आधा घंटा हो चुका था।
आधे घंटे में ही कनिका की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वह पसीने से तार-तार हो गई थी।
दिल धड़कनों से बाहर आने को था, पर वह हिल भी नहीं रही थी।
धूप उसके सिर के बीच पड़ रही थी, जिससे उसे चक्कर आने लगे थे।
उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था।
अंदर खड़े सर्वेंट बार-बार बाहर आकर कनिका को देख रहे थे… उन्हें भी कनिका के लिए दर्द महसूस हो रहा था, लेकिन कर कुछ नहीं सकते थे।
वहीं गार्डन एरिया के दूसरे छोर पर एक कैमरा लगा था, जिससे कोई सब देख रहा था…
और उस शख्स के चेहरे पर डेविल स्माइल थी।
वह शख्स कोई और नहीं — सुहानी, असुर की बहन थी।
उसे यह सब देखकर मजा आ रहा था।
उसे तो असुर की जिंदगी के मजे लेने थे।
तभी पीछे से उसका बॉयफ्रेंड क्रिस्टल बोला—
“अरे जान… इतनी भी बेदर्द मत बनो। देखो कैसे बिचारी धूप में खड़ी बेहाल हो रही है। पैरों में पूरे छाले पड़ चुके होंगे। तुम तो इसकी हालत ही खराब करने में लगी हो…”
सुहानी आंखें तरेरकर बोली—
“इसने मुझे बहुत कुछ छीना है। अब इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इसने वो गधा भाई… जो मेरे पीछे घूमता था… उसे मुझसे छीन लिया।
वो इसे इश्क कर बैठा! करना नहीं चाहिए था।
मुझे रत्ती भर नहीं पसंद ये लड़की।”
वह क्रिस्टल को स्क्रीन की तरफ देखने को कहती है।
क्रिस्टल की नजर जैसे ही कनिका पर जाती है… वह ठहर जाती है।
पहले उसने कनिका को गौर से कभी देखा ही नहीं था, पर आज उसकी नजर वहीं अटक गई।
उसके दिल में हलचल हुई।
उसने हाथ दिल पर रखकर लंबी सांस ली—
“ये… मुझे क्या हो रहा है…”
सुहानी उसे घूरते हुए बोली—
“तो तुम्हें भी खूबसूरत लगने लगी है, है ना? मतलब तुम इसे पसंद करने लगे हो?”
क्रिस्टल चौंककर बोला—
“पागल हो क्या तुम? एक ही नजर में कोई किसी को पसंद नहीं करता…
हाँ, वो खूबसूरत है। इसका मतलब ये नहीं कि मैं उसे पसंद करने लग गया हूँ।
पागल हो गई हो क्या?”
सुहानी फिर दांत भींचकर बोली—
“मतलब… वो तुम्हें खूबसूरत लगी… मुझसे ज्यादा?”
क्रिस्टल माथे पर हाथ मारकर बोला—
“अरे यार! तुम कहाँ की बात कहाँ जोड़ रही हो!
हो सकती है वो खूबसूरत… पर तुम क्या किसी से कम हो?”
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⭐ डेढ़ घंटा बीत गया
अब 4:30 बज चुके थे।
धूप अभी भी तेज थी।
कनिका अभी भी खड़ी थी…
उसके पैर छिल चुके थे… खून बह रहा था…
सर दर्द से फट रहा था।
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⭐ दूसरी तरफ — सोना बाई का कोठा
असुर अभी भी ड्रिंक कर रहा था।
सामने एक लड़की नाच रही थी।
वह चली गई और दूसरी लड़की आई — सफ़ेद लहंगे में… चेहरा घूंघट में।
जैसे ही उसने नाच शुरू किया…
असुर की लाल आँखें उसकी पीठ पर टिक गईं।
पर उसे फर्क नहीं पड़ रहा था।
तभी लड़की ने करवट ली…
घूंघट उठाया…
दुपट्टा जमीन पर फेंक दिया।
असुर की आँखें बड़ी हो गईं—
उसे उस लड़की में कनिका दिखाई दी।
नशे की वजह से उसकी आँखों में फिर से धुंध छाने लगी।
उधर लड़की—मीरा—नाचते हुए उसके करीब आने लगी।
कभी उसकी छाती पर हाथ लगाती…
कभी पेट पर उंगलियाँ फेरती…
कभी उसकी पीठ अपने सीने पर टिकाती।
सोना बाई मुस्कुराई—
“कर ले मीरा… कर ले। अगर तूने इसे फंसा लिया तो पूरी ज़िंदगी चांदी ही चांदी है।”
असुर पूरी तरह नशे में…
मीरा को कनिका समझते हुए…
धीरे-धीरे उसके वश में जाने लगा।
मीरा ने उसका हाथ पकड़ा और खींचकर कमरे में ले गई।
दरवाजा बंद।
असुर पलटा…
उसे अभी भी मीरा में कनिका दिख रही थी।
मीरा ने उसके गाल छूने को हाथ बढ़ाया—
असुर ने झटक दिया—
**“हाथ मत लगा! कितना इश्क किया था मैंने तुझसे!
तूने सब खराब कर दिया!
तेरी वजह से मेरी बहन मर गई!
तेरी वजह से उसके साथ… रेप हुआ!
तू औरत कहलाने के लायक नहीं है!
मैंने तुझे धूप में खड़ा किया था ना?
यहाँ कैसे आ गई? जा! फिर से जाकर वहीं खड़ी हो जा!
नहीं तो और भी कड़क सज़ा दूँगा!”**
मीरा समझ गई—असुर उसे कोई और समझ रहा है।
वह फिर करीब आई—
उसके गाल पर हाथ रखने को—
असुर ने फिर हाथ पकड़ा—
“समझ में नहीं आता? निकल यहाँ से!”
उसने मीरा का हाथ झटका दिया।
मीरा गुस्से में थी…
लेकिन मौका नहीं गंवाना चाहती थी।
उसके लिए असुर एक अमीर सपना था।
उसने चोली की डोरियाँ खोलीं…
चोली गिर गई…
सीना खुला था—
लेकिन असुर की पीठ थी।
मीरा ने नशीली आवाज में कहा—
“असुर बाबू…”
असुर को फिर कनिका की आवाज सुनाई दी।
वह घूम गया।
इस बार उसकी आँखों में मदहोशी भर गई थी।
उसे फिर मीरा में कनिका दिखने लगी।
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⭐ To Be Continued…
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