
Antonio,
Dhaani इस वक्त कमरे में खड़ी बाहर की तरफ देख रही थी और इस वक्त उसका दिल काँप रहा था। उसके हाथ में पड़ा हुआ काँच का गिलास, जिसे वह अपने होठों से लगाने वाली थी, अब काँप रहा था। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था और साँसें गहरी हो गई थीं।
वो अपना सर हिलाते हुए बुदबुदाई —
"नहीं... वो यहाँ नहीं पहुँच सकते..."
इतना कहते हुए वह अपने डरते हुए कदम पीछे की तरफ लेने लगी।
वहीं बाहर, खराबा जो कि ऊपर खड़ी Dhaani को देख रहा था, उसके चेहरे पर अब devil expressions आ चुके थे।
अब वह अपनी जगह पर खड़ा हुआ, अपनी devil नज़रों से उसी बालकनी को देख रहा था और खुद में बड़बड़ाया —
"ये तुमने अच्छा नहीं किया, shygirl..."
"आख़िर ऐसी क्या बात हो गई कि तुमने अपने इश्क़ को इतना धुंधला कर दिया कि तुम्हें मुझसे छुपकर रहना पड़ा..."
इतना कहते हुए Mrityunjay का चेहरा अब पूरी तरह dark पड़ चुका था। अगले ही पल वह गाड़ी में बैठा और वहाँ से निकल गया।
वहीं Dhaani अपने कमरे में पीछे की तरफ अलमारी से जाकर लगी। उसका दिल इस वक्त धड़कने से इनकार कर रहा था।
वह खुद में गुनगुनाई —
"नहीं, Mr. Rathore मुझे ढूँढ नहीं सकते..."
इतना कहते हुए उसकी साँसें बेहद गहरी चलने लगीं और उसके माथे पर पसीने की बूँदें उभर आईं।
अगले ही पल वह अपनी जगह से खड़ी हुई और जल्दी से अपना सूटकेस निकाल कर अपने कपड़े उसमें पैक करने लगी।
वह पैक करते हुए एक ही बात अपने मुँह में दोहरा रही थी —
"वो यहाँ पहुँच चुके हैं... अब वो मुझे पकड़ लेंगे..."
इतना कहते हुए वह लगातार कपड़े पैक कर रही थी, तभी दरवाज़ा खुला और Saurabh ji अंदर आए।
धानी की यह हालत देखकर वह हैरानी से उसके पास आए और बोले —
"क्या हुआ बेटा? ऐसे कपड़े अपने बैग में क्यों पैक कर रही हो?"
धानी लगातार कपड़े पैक करते हुए बड़बड़ाई —
"वो मुझे... वो मुझे ढूँढ लेगा... वो मुझे पकड़ लेगा..."
तभी Saurabh ji ने उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछा —
"कौन पकड़ लेगा बेटा? मुझे बताओ तो सही..."
धानी ने उनका हाथ झटकते हुए कहा —
"पापा... वो यहाँ पर आ गए हैं... Mr. Rathore यहाँ पर आ चुके हैं!"
जैसे ही Saurabh ji ने यह बात सुनी, उनकी आँखें बड़ी हो गईं। वह हैरानी से बोले —
"वो यहाँ पर कैसे आ सकता है? वो तो तुम पर नज़र भी नहीं रख रहा... मैंने खुद इस बात की जाँच की थी!"
धानी की आवाज़ काँपी —
"मुझे नहीं पता पापा, पर मैंने उन्हें खिड़की के पास देखा था। नीचे... अभी भी वहीं पर खड़े होंगे, देखिए ना जाकर वहाँ पर..."
जैसे ही धानी ने यह कहा, Saurabh ji ने हड़बड़ाकर जल्दी से बालकनी की तरफ देखा —
पर वहाँ कोई नहीं था।
उन्होंने धानी की तरफ देखा और बोले —
"बेटा, वहाँ कोई नहीं है। तुम्हें कोई भ्रम हुआ होगा। वो तो इस वक्त Mexico में है..."
"नहीं पापा! ऐसा नहीं हो सकता! मैं खुद उन्हें अपनी आँखों से नीचे देख चुकी हूँ!"
इतना कहते हुए Dhaani दोबारा बालकनी की तरफ गई,
पर अब उसकी आँखें और भी ज़्यादा हैरत से फैल गईं —
क्योंकि अब सच में वहाँ कोई नहीं था।
Saurabh ji उसके पास आए, उसके कंधों पर हाथ रखते हुए बोले —
"अरे बेटा, तुम्हें वहम हुआ होगा... Mrityunjay यहाँ नहीं है... वो तो इस वक्त Mexico में है..."
"पर बेटा," उन्होंने गहरी साँस लेते हुए कहा,
"मैं तुम्हें एक सलाह दूँगा... एक बार Mrityunjay के बारे में सोचकर देखो। वो तुमसे बहुत प्यार करता है। अभी भी वह तुम्हारी यादों से उभर नहीं पाया है..."
जैसे ही Saurabh ji ने यह कहा, Dhaani ने उनका हाथ झटकते हुए कहा —
"पापा... मैंने भी उनसे बहुत इश्क़ किया था, पर उस दिन जो हुआ..."
इतना कहते हुए वह चुप हो गई।
उसकी आँखों में नमी आ गई और उसके गाल भर आए,
जिससे Saurabh ji समझ गए कि वह अभी अपनी बात बताने के लिए तैयार नहीं थी।
उन्होंने गहरी साँस ली और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले —
"बेटा, मैं नहीं जानता उस दिन ऐसा क्या हुआ कि तुम Mrityunjay से इतनी दूर हो गईं...
तुमने उससे हर नाता तोड़ लिया और अब उसकी आँखों में देखना भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही हो...
आख़िर देखा क्या था तुमने...?"
Dhaani ने अपना हाथ उठाकर उन्हें रोकते हुए कहा —
"पापा, I need a rest... मेरा मन इस वक्त बहुत बेचैन है।
मुझे अकेले में थोड़ा टाइम spend करना है... Please, मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दीजिए..."
इतना कहकर Dhaani बालकनी की तरफ चली गई।
वहीं Saurabh ji अपनी जगह पर खड़े Dhaani को देखते ही रह गए।
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वहीं दूसरी तरफ —
Dark Shadow Hotel,
Top Floor...
Mrityunjay इस वक्त एक separate room में था, जहाँ एक punching bag लगा हुआ था।
वह लगातार उस punching bag को हिट कर रहा था, और उसकी आँखों के सामने इस वक्त Dhaani का चेहरा घूम रहा था।
उसकी आँखें अब हद से ज़्यादा लाल थीं,
उसकी हालत देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह अंदर तक जल रहा हो।
उसके बाल बिखरे हुए थे और पसीने से वह पूरी तरह भीग चुका था।
वह लगातार punching bag पर हिट किए जा रहा था और उसके दिमाग में वही पल गूंज रहा था,
जब Dhaani का आखिरी वक्त उसके साथ बीता था।
वह लगातार पंच करता जा रहा था —
उसके जबड़े कसे हुए थे, दाँत भींचे हुए,
वह अपने गुस्से को दबाने की कोशिश कर रहा था,
पर गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।
वह punching bag पर इतनी ज़ोर से पंच कर रहा था कि कुछ ही देर में उसकी हालत खराब हो गई —
bag फटने लगा।
लगभग पाँच मिनट और पंच करने के बाद वह bag पूरी तरह से फटकर नीचे गिर गया।
अब वह पंचिंग बैग किसी काम का नहीं रहा था।
Mrityunjay ने अपने gloves उतारकर इधर-उधर फेंक दिए,
अपने घुटनों पर गिरकर ज़ोर से चिल्लाया —
"क्यों... क्यों किया तुमने ऐसा!"
"अरे मैं भी तुमसे इश्क़ कर बैठा था... दो साल... मैं जानता हूँ कैसे तड़पा हूँ मैं!"
इतना कहते हुए उसकी आँखों में आग सी जलने लगी।
"I need to know that... क्यों तुमने ऐसा किया... क्यों तुम दो साल से अपनी सच्चाई मुझसे छुपा रही थी!
पिछली बार तुम्हारे इश्क़ की इम्तिहान थी... और अब इस बार मेरे इश्क़ का इम्तिहान है..."
उसकी आँखों में Dhaani के लिए दीवानगी साफ़ दिखाई दे रही थी।
वह अपनी जगह से खड़ा हुआ, फोन पर कुछ किया,
फिर सामने की दीवार की तरफ देखा —
जहाँ पर उसने कल रात Dhaani की एक बड़ी-सी फोटो लगाई थी।
वो फोटो इतनी बड़ी थी कि पूरी दीवार पर फैली हुई थी —
उसमें Dhaani ने cornetto पकड़ा हुआ था और उस पर अपनी जीभ चला रही थी।
Mrityunjay उस फोटो की तरफ देखकर बोला —
"भाग लो... कहाँ तक भाग सकती हो, shygirl...
पर तुम्हें पाकर तो अब मैं
रहूँगा..."
इतना कहते हुए उसके चेहरे पर, Dhaani के नाम की दीवानगी साफ़ दिखाई दे रही थी।
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To be continued...
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