03

Bluetooth, memory loss

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City Hospital,

अनिरुद्ध की गाड़ी सिटी हॉस्पिटल के आगे जाकर रुकी, उसकी नज़र एकटक जीनत के चेहरे पर थी। उसका वो मासूम सा चेहरा देखकर अनिरुद्ध अपनी नज़रें नहीं हटा पा रहा था। ऊपर से उसका चेहरा पूरी तरह से सफेद पड़ चुका था, और बारिश में भीगने की वजह से जीनत के चेहरे पर उसके बाल चिपक चुके थे, जिसके लिए अनिरुद्ध ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर जब उसकी गाल पर रखा तो अगले ही पल उसकी आंखें बड़ी हो गईं,

क्योंकि जीनत का पूरा शरीर ठंडा पड़ चुका था। वहीं उसने अब ड्राइवर की तरफ देखा और बाहर की तरफ देखा जहां पर गाड़ी सिटी हॉस्पिटल के आगे रुक चुकी थी। वो जीनत के चेहरे में इतना ज्यादा खो गया था कि उसे पता ही नहीं चला कि आखिर गाड़ी रुकी कब। अब जब उसने जीनत के चेहरे को हाथ लगाया था तो उसके होश पूरी तरह से उड़ चुके थे, क्योंकि इस वक्त जीनत बिल्कुल ठंडी पड़ी हुई थी। उसका पूरा बदन हल्का-हल्का कांप पड़ा था। अब जाकर अनिरुद्ध को एहसास हुआ कि,

जब से वो जीनत को यहां पर लेकर आया था, तब से जीनत ने आंखें नहीं खोली थीं। मतलब साफ था कि जीनत को बहुत ज्यादा ठंड लग चुकी थी। अब उसने बिना पल गवाए जल्दी से जीनत को गोद में उठाया और अंदर की तरफ ले गया। वहीं डॉक्टर पहले ही मौजूद थे क्योंकि अनिरुद्ध ने पहले ही रोनित से कहकर डॉक्टर की अरेंजमेंट करवा ली थी। आते ही डॉक्टर ने जीनत को स्ट्रेचर पर लिटाया और अंदर की तरफ ले गए। वहीं अनिरुद्ध तो बस जीनत के चेहरे की तरफ ही देखे जा रहा था,

उसकी आंखें इस वक्त बिल्कुल खाली थीं, पर कहीं न कहीं आज पहली बार उसने किसी लड़की को अपने इतने करीब महसूस किया था। और जीनत को अपने इतने करीब महसूस कर उसके सीने में एक अलग ही एहसास हुआ था, शायद वो ये चीज खुद भी पहचान नहीं पाया था।

वहीं दूसरी तरफ,

Russia में,

Farmhouse,

सूफियाना इस वक्त अपने कमरे में सोई हुई थी, और ये वही फार्महाउस था जिसमें अनिरुद्ध भी रहता था। दोनों भाई-बहन इसी घर में रहते थे, पर दोनों का आमना-सामना बहुत कम होता था। जहां अनिरुद्ध दिन में गायब रहता था, वहीं सूफियाना रात को गायब रहती थी। सूफियाना हर रात क्लब में जाकर ड्रंक होकर वापस आती थी, इसी लिए वो दिन में ज़्यादातर सोया करती थी। और इस वक्त उसके बदन पर कपड़ों के नाम पर सिर्फ रेड कलर का इनरवियर था, और उसके चेहरे से देखकर ही पता चल रहा था कि वो अभी-अभी कुछ देर पहले सोई होगी। कमरे में चारों तरफ इस वक्त पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था।

लेकिन तभी उस कमरे का सन्नाटा तोड़ते हुए सूफियाना का फोन रिंग करने लगा। काफी देर फोन बजता रहा पर सूफियाना की आंख नहीं खुली। फोन बज-बज कर बंद भी हो गया पर सूफियाना ने आंखें नहीं खोलीं। और अगले ही पल एक बार फिर से फोन बजा, तो अब जाकर सूफियाना ने हल्की-हल्की आंखें खोलते हुए कहा—

"Oooohhhh God, ये किसकी मां मर गई यार..."

इतना कहते हुए उसने फोन की तरफ देखा और अगले ही पल उसकी आंखें बड़ी हो गईं, क्योंकि फोन पर काजल की अब वीडियो कॉल आ रही थी। काजल की वीडियो कॉल देखकर सूफियाना के चेहरे पर परेशानी झलकने लगी और अगले ही पल उसने हड़बड़ाते हुए जल्दी से फोन उठाया। दूसरी तरफ से काजल बोली — "सूफियाना, तुम अभी तक फिर से सो रही हो ना?"

तभी आगे से लड़खड़ाती हुई आवाज़ में वो बोली — "मॉम, मैं अभी-अभी क्लब से आई हूं," इतना कहते हुए उसने काजल की आंखों में देखा और अपनी जीभ दांतों तले दबा ली।

"सॉरी, मैं मॉर्निंग वॉक से आ रही थी अभी-अभी, इसलिए दोबारा नींद आ गई..."

वहीं काजल ने अब उसे घूर कर देखा और डांटते हुए बोली, "बस कर, कितने बहाने लगाएगी? अब तो बड़ी हो गई है, अपना ये क्लब-व्लब का सीन छोड़ दे।"

काजल की बात पर अब सूफियाना आई-रोल करते हुए बोली, "Come on Mom, कितने लोग होते हैं जो क्लब जाते हैं, फन करते हैं... मैं भी फन करने जाती हूं, चिल करने जाती हूं।"

उसकी बात पर काजल के चेहरे पर अब परेशानी झलकने लगी और उसकी आंखों में नमी छा गई।

वो बोली, "मुझे भी पता है तू कौन सा चिल करने जाती है, तू उस हादसे को भूल क्यों नहीं जाती?"

जैसे ही काजल ने ये बात कही, सूफियाना के चेहरे के एक्सप्रेशन बदलने लगे। उसका चेहरा अब सख्त हो गया। वो अपनी मॉम की तरफ गहरी नज़रों से देखती हुई बोली, "मॉम, बस कीजिए... आपको मेरे मामलों में इंटरफेयर करने का कोई हक नहीं है!"

तभी पीछे से कोल्ड वॉइस सूफियाना के कानों में पड़ी—

"Don’t cross your limit, Sufiyana. She is your mom."

AS की आवाज़ सुनकर सूफियाना ने अगले ही पल कॉल काट दिया। वहीं जैसे ही सूफियाना ने कॉल काटा, काजल फूट-फूट कर रोने लगी। वो अब AS की तरफ देखकर बोली, "कब तक चलेगा ये सब? वो तो बच्चे हैं, आप ही उन्हें सच बता दीजिए।"

वहीं AS उसकी बात सुनकर बोला, "नहीं बता सकता, ये तुम भी जानती हो क्यों।"

इतना कहते हुए AS का चेहरा सख्त था। अब वो अपनी बात कहकर वहां से चला गया। वहीं काजल अब तकिए में सिर रखकर रोते हुए बोली, "पता नहीं कब गलतफहमियां ठीक होंगी और कब हमारी फैमिली दोबारा से पहले जैसी हो जाएगी..."

इतना कहते हुए उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थीं, और आंखों के सामने एक डेड बॉडी और AS के हाथों में गन पड़ी हुई तस्वीर घूम गई। और एक बार फिर से वो तकिए में मुंह छुपाकर रोने लगी।

वहीं दूसरी तरफ,

Russia में,

सूफियाना इस वक्त शावर के नीचे खड़ी थी, और इस वक्त उसके बदन पर कोई भी कपड़ा नहीं था। उसने अपनी आंखें बंद करके शावर की तरफ मुंह करके खड़ी थी और उसकी आंखें पूरी तरह से बंद थीं। कुछ देर शावर में भीगने के बाद,

उसने अपनी आंखें खोलीं तो इस वक्त उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थीं, ऐसा लग रहा था उसकी आंखों में उसका सारा दर्द उतर आया हो, और शायद उसकी आंखों में आंसू भी बह रहे थे जो शावर के पानी के नीचे बह रहे थे। और अगले ही पल वो ज़ोरों से चिल्लाई—

"नहींईईईईईईई.....!"

इतना कहते हुए वो फूट-फूट कर रोते हुए घुटनों के बल बैठ गई, और ऐसे ही रोती रही। तकरीबन दो घंटे बाद सूफियाना शावर से निकलकर बाहर आई और कपड़े पहनकर बाहर की तरफ निकल गई। इस वक्त भी उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थीं। उसने कोई मेकअप नहीं किया और घर के बार काउंटर पर आई, अपनी जेब में से उसने एक डिब्बी निकाली और उसमें से दो टैबलेट्स निकालीं। उन टैबलेट्स को देखकर साफ पता चल रहा था कि वो नॉर्मल तो बिल्कुल नहीं लग रही थी। अब उसने उनमें से दो टैबलेट्स निकालीं और अपने मुंह में डालकर अगले ही पल काउंटर से बीयर की बोतल उठाई, और बीयर की बोतल लेकर अपने होंठों से लगा ली और पीते हुए बाहर की तरफ निकल गई।

देखते ही देखते वो बाहर पार्किंग एरिया में आई, और देखते ही देखते वो फार्महाउस से बाहर निकल गई। सूफियाना की जीप इस वक्त तेजी से आगे की तरफ बढ़ रही थी। इस वक्त सुबह के 10:00 बज चुके थे और सड़कों पर अब काफी गाड़ियां आ-जा रही थीं, पर सूफियाना बिना उनकी परवाह किए आगे की तरफ बढ़ रही थी। उसकी आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल थीं,

और उसके चेहरे से देखकर ऐसा लग रहा था जैसे किसी भी वक्त उसकी सांसें रुक जाएंगी जिस तरह से वो गहरी-गहरी सांस भर रही थी।

अभी वो गाड़ी चला ही रही थी कि तभी उसकी गाड़ी के आगे आकर एक गाड़ी ने स्पिन किया और अगले ही पल सूफियाना की जीप उस गाड़ी से टकरा गई। जैसे ही सूफियाना की जीप उस गाड़ी से टकराई, सूफियाना की जीप का एक तरफ का कोना पूरी तरह से मुड़ गया और सूफियाना को इतनी जोर से झटका लगा कि उसकी जीप का एयरबैग खुल गया और उसके चेहरे पर आ लगा।

वहीं किसी की ऐसी हरकत देखकर सूफियाना अब गुस्से से आग-बबूला हो गई। उसने जल्दी से एयरबैग को पीछे किया और गाड़ी से बाहर निकली और गुस्से से धड़कते हुए उस गाड़ी की तरफ बढ़ गई। वहीं उस गाड़ी ने अभी तक अपनी विंडो तक डाउन नहीं की थी।

अब वो गाड़ी के पास गई और दांत पीसकर बोली, "अपनी गाड़ी की विंडो नीचे करो, नहीं तो मैं तोड़ दूंगी!"

अभी सूफियाना ने इतना ही कहा था कि तभी गाड़ी का दरवाजा खुला और अंदर से एक हैंडसम पर्सनालिटी वाला बंदा बाहर निकला। उसकी चारकोल ग्रे आंखें सूफियाना को बड़ी गहरी नज़रों से देख रही थीं।

वो शख्स सूफियाना की तरफ देखकर बोला, "क्या बात है मिस शेखावत, आज सड़कों पर इस तरह से गाड़ी चला रही हैं? लगता है कोई एक्सीडेंट करने का इरादा है।"

उस शख्स की बात पर सूफियाना दांत पीसते हुए बोली, "मेरा चाहे गाड़ी एक्सीडेंट करने का इरादा हो या फिर उड़ने का, तुम्हें इससे क्या! और अपनी गाड़ी जल्दी से मेरी गाड़ी से पीछे करो, नहीं तो मैं आग लगा दूंगी तुम्हारी गाड़ी को..."

अभी उसने इतना ही कहा था कि सामने खड़े आदित्य अग्निहोत्री ने अपनी गाड़ी के पीछे जाकर वहां से एक बोतल बाहर निकाली। वहीं सूफियाना अब सवालिया नज़रों से उसे देखने लगी। आदित्य की पर्सनैलिटी इतनी डेंजरस थी, पर उतनी ही ज्यादा अट्रैक्टिव भी। उसने अब उस बोतल को पूरी गाड़ी पर छिड़का और अगले ही पल अपनी जेब से लाइटर निकालकर उसने गाड़ी को आग लगा दी। और ये देखकर सूफियाना के पूरी तरह से होश उड़ गए...

वो अभी गाड़ी को आग लगाने की बात कर ही रही थी,

पर आदित्य ने सच में उसकी गाड़ी को आग लगा दी थी...

Russia,

आदित्य की कार सूफियाना की कार के आगे आकर रुकी थी। वही सूफियाना की कार इतनी ज्यादा तेज थी कि वह आदित्य की कार के बीच में आकर टकरा गई, जिससे सूफियाना की कार का एक्साइड पूरी तरह से डैमेज हो चुका था। वही सूफियाना ने अब आदित्य को कार को जलाने की धमकी दी थी कि तभी आदित्य ने अपनी गाड़ी की बैक से एक बोतल निकाली और उस पर छिड़क कर गाड़ी को पूरी तरह से जला दिया। यह देखकर सूफियाना के होश पूरी तरह से उड़ चुके थे।

आदित्य को अपनी कार जलाते देखकर सूफियाना उसकी तरफ देखकर बोली — "तुम्हारा दिमाग तो ठीक है? तुमने अपनी कार खुद ही जला ली!" वही उसकी बात सुनकर आदित्य के होठों के कोने मुड़ गए और वह बड़े एटीट्यूड से दो कदम चलकर सूफियाना के बिल्कुल करीब आकर खड़ा हो गया। उसे अपने इतना करीब आते देख सूफियाना ने कदम पीछे लेते हुए कहा — "तुम्हारा दिमाग खराब है क्या? दूर होकर बात नहीं की जा सकती क्या?"

सूफियाना ने अभी इतना ही कहा था कि तभी आदित्य ने उसकी कमर पर अपना हाथ रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और खुद से सटा लिया। वही आदित्य का ऐसा रिएक्शन देखकर सूफियाना की आंखें बड़ी हो गईं और वह दांत पीसकर बोली — "यह कौन सी बदतमीजी है?"

वही आदित्य उसके चेहरे की ओर बड़ी गहरी निगाहों से देख रहा था। उसके बालों की लट जो उसके चेहरे पर आ रही थी, यह देखकर आदित्य की नज़रें और भी ज्यादा उस पर गहरी होने लगीं।

वह बस सूफियाना के चेहरे को देखे जा रहा था, पर उसने अभी तक एक भी शब्द नहीं कहा था। आदित्य को कुछ ना बोलते देख सूफियाना ने एक बार फिर दांत पीसकर आदित्य को धक्का देकर खुद से दूर करने की कोशिश करते हुए बोली — "दूर रहो, बदतमीज इंसान!"

वही आदित्य को तो जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। वह चुपचाप बस सूफियाना का चेहरा देखे जा रहा था। उसके बनते-बिगड़ते एक्सप्रेशन देखकर आदित्य के होठों के कोने अब भी मुड़े हुए थे। उसने अब अपना हाथ बढ़ाकर सूफियाना के बालों को उसके कान के पीछे करने को हुआ कि तभी सूफियाना ने उसका हाथ पकड़कर झटके से बोला — "यह क्या बदतमीजी है? ना जान, ना पहचान, मैं तेरा मेहमान..."

सूफियाना की बात पर अब आदित्य ने दोबारा से अपना हाथ ऊपर की तरफ उठाकर उसके चेहरे पर रखने को हुआ कि तभी सूफियाना ने दोबारा उसका हाथ पकड़ना चाहा, पर उसने अब जल्दी से दूसरे हाथ का इस्तेमाल कर सूफियाना का हाथ पीछे की तरफ मोड़ दिया। और एक बार फिर से उसके बालों को उसके कान के पीछे करते हुए बेहद गहरी आवाज़ में बोला —

"मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद है जब कोई मुझे रोकता है।"

वही सूफियाना तो बस हैरानी से आदित्य की तरफ देखे जा रही थी कि आदित्य कितना बेधड़क होकर उसके इतना करीब आ रहा था। वह दांत पीसकर बोली — "लगता है तुम मुझे जानते नहीं हो, तभी इस तरह की हरकत कर रहे हो।"

वही आदित्य अब हल्का सा हंसा और उसकी आंखों में देखते हुए बोला — "बहुत अच्छे से जानता हूं, मिस सूफियाना सिंह शेखावत।"

वही सूफियाना अब उसकी आंखों में देखते हुए बोली —

"तो क्यों अपनी मौत को दावत दे रहे हो? दफा हो जाओ यहां से, नहीं तो मैं तुम्हें यही चौराहे पर गोली मार दूंगी।"

सूफियाना की बात पर आदित्य ने उसका हाथ छोड़ दिया। जैसे ही सूफियाना का हाथ छूटा कि तभी सूफियाना आदित्य पर हाथ उठाने को हुई। इससे पहले कि सूफियाना का हाथ आदित्य के चेहरे पर लगता, आदित्य ने उसका हाथ पकड़कर दोबारा मोड़ दिया और अगले ही पल उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए — और पैशनेटली उसे चूमने लगा।

जैसे ही आदित्य ने सूफियाना को चूमना शुरू किया, उसकी आंखें हैरत से फैल गईं। सूफियाना का दिल इस वक्त जोरों से धड़क रहा था। वे दोनों इस वक्त सड़क के बीचोबीच खड़े थे और आदित्य उसे किस कर रहा था। वही सूफियाना अब उसे एक हाथ से दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी, पर आदित्य काफी स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी का इंसान था। उसकी बॉडी के सामने सूफियाना एक चुहिया जैसी लग रही थी।

आदित्य ने 2 सेकंड के लिए किस ब्रेक करते हुए बोला — "इरिटेट मत करो मुझे। मैंने कहा ना, जब कोई मुझे रोकता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता।"

वही सूफियाना तो बस उसे देखती ही रह गई और आदित्य ने दोबारा से उसके होठों को गिरफ्त में ले लिया और दूसरा हाथ बढ़ाकर उसके पीछे कमर की तरफ लगा दिया। अब आदित्य पूरी तरह से उस पर हावी हो चुका था और पैशनेटली सूफियाना को किस कर रहा था। वही सूफियाना तो जैसे अपनी जगह पर खड़ी जम सी गई थी। उसके दिल की धड़कन इस वक्त बुलेट की स्पीड से दौड़ रही थी। उसकी आंखें इस वक्त पूरी तरह से ब्लैक हो चुकी थीं।

वही आदित्य लगातार पैशनेटली उसे किस किए जा रहा था। करते हुए ही उसने अपनी जीभ सूफियाना के मुंह में इंटर की और मुंह को एक्सप्लोर करने लगा। साथ ही साथ कभी उसके अपर लिप को स*ck करता तो कभी लोअर लिप को।

तकरीबन 20–25 मिनट किस करने के बाद आदित्य ने सूफियाना को छोड़ा और बेहद गहरी नजरों से देखते हुए बोला — "आगे से मैं तुम्हारे करीब आऊं तो रोकना मत, समझीं?"

इतना कहकर आदित्य पीछे हो गया। वही सूफियाना उसकी तरफ देखकर बोली —

"तुम्हारी किस माय फुट! अब तुम देखते जाओ कि मैं तुम्हारा हश्र क्या करती हूं। क्या नाम है तुम्हारा? आदित्य अग्निहोत्री ना? यू जस्ट वेट एंड वॉच!"

इतना कहकर सूफियाना अपनी जीप में जाकर बैठी और गियर डालकर तेजी से साइड से निकल गई।

वही आदित्य अभी भी अपनी जगह पर खड़ा था और अपनी गहरी नजरों से सूफियाना की जाती हुई जीप को देख रहा था, और इस वक्त उसके चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन थे।

ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा हो।

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India,

मुंबई में,

City Hospital,

अनिरुद्ध इस वक्त ज़ीनत के वार्ड में बैठा हुआ था। इस वक्त उसकी नज़रें ज़ीनत पर ठहरी हुई थीं जो कि बेजान सी बिस्तर पर लेटी हुई थी। अभी-अभी ज़ीनत के सिर का ऑपरेशन हुआ था, जिस वजह से वह पूरी तरह से बेहोश थी। उसकी जान अब पूरी तरह से खतरे से बाहर थी, पर अभी भी डॉक्टर ने कहा था कि उसे बहुत ज्यादा रेस्ट और केयर की जरूरत है, क्योंकि वह बहुत बड़े खतरे से बाहर आई थी।

तकरीबन 3 घंटे बाद,

अनिरुद्ध को वहां बैठे-बैठे अब नींद आने लगी थी क्योंकि सुबह के 5:00 बज चुके थे। सारी रात अनिरुद्ध उसके पास ही बैठा रहा था। उसकी नज़रें एक पल के लिए भी ज़ीनत से डगमगाई नहीं थीं, पर अब उसे हल्की-हल्की नींद आने लगी थी।

इससे पहले कि वह सोता, तभी ज़ीनत की आंखें हल्की-हल्की फड़फड़ाईं और धीरे-धीरे उसने अपनी आंखें खोलीं। जैसे ही उसने अपनी आंखें खोलीं तो सामने अनिरुद्ध को देखकर एक पल के लिए वह अनिरुद्ध को देखती ही रह गई क्योंकि अनिरुद्ध हद से ज्यादा हैंडसम था। अनिरुद्ध को देखकर एक पल के लिए ज़ीनत की नज़रें उस पर ठहर सी गई थीं।

वही अनिरुद्ध ने जब ज़ीनत को होश में आते देखा, तो डॉक्टर को बुलाने को हुआ कि तभी ज़ीनत अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में धीरे से बोली — "आप कौन हैं?"

ज़ीनत की मीठी सी आवाज़ जैसे ही अनिरुद्ध के कानों में पड़ी, एक पल के लिए अनिरुद्ध के कदम वहीं रुक गए और उसने पलटकर ज़ीनत की तरफ देखा जो कि उसे ही देख रही थी। ज़ीनत की वो चारकोल ग्रे आइज देखकर एक पल के लिए अनिरुद्ध अपनी पलके झपकाना भूल गया।

वह उसके पास आकर उसकी आंखों में देखते हुए बोला — "तुम कौन हो? और तुम्हें अपने घर का नंबर वगैरह कुछ पता है क्या?"

जैसे ही अनिरुद्ध ने यह बात कही, ज़ीनत कुछ बोलने को हुई पर उसे कुछ बोला ही नहीं गया। फिर कुछ देर बाद रुककर बोली — "मैं कौन हूं? और मुझे मेरा घर क्यों याद नहीं आ रहा?"

इतना कहते हुए ज़ीनत के चेहरे पर परेशानी झलकने लगी और उसका सिर दर्द होने लगा। यह देखकर अनिरुद्ध की आंखें हैरत से फैल गईं।

तभी वहां पर डॉक्टर का आना हुआ। अनिरुद्ध ने डॉक्टर की तरफ देखा और डॉक्टर को ज़ीनत का चेकअप करने के लिए बोलकर खुद बाहर की तरफ चला गया। इस वक्त अनिरुद्ध के चेहरे पर परेशानी झलक रही थी। वही कुछ देर डॉक्टर ज़ीनत का चेकअप करते रहे और तकरीबन 15–20 मिनट बाद वह वार्ड से बाहर निकले तो अभी भी अनिरुद्ध वहीं खड़ा था। डॉक्टर भी हैरान थे कि अनिरुद्ध अभी तक वहीं खड़ा था।

वहां पर खड़े डॉक्टर सभी अनिरुद्ध को जानते थे क्योंकि यहां पर AS और काजल डोनेट करते रहते थे। AS तो यहां का ट्रस्टी था।

इसीलिए अनिरुद्ध को वहां सभी जानते थे और अनिरुद्ध का स्वभाव भी सब जानते थे।

वही डॉक्टर को बाहर आता देख अनिरुद्ध ने उसकी तरफ देखा और डॉक्टर समझ गए कि अनिरुद्ध क्या पूछना चाहता है, तो डॉक्टर उसके पास जाते हुए बोले —

"Mr. Shekhawat,

मुझे मैडम अंदर मिली हैं। उनकी याददाश्त पूरी तरह से जा चुकी है। उन्हें खुद का नाम तक याद नहीं। और शायद उनका नाम ज़ीनत है क्योंकि जब हम उनका ऑपरेशन कर रहे थे, तो उनके गले में से हमने यह पेंडेंट निकाला था, जो कि ‘ज़ीनत’ नाम का था।"

इतना कहते हुए डॉक्टर ने वह पेंडेंट अनिरुद्ध के हाथों में दे दिया। वही अनिरुद्ध अब और भी ज्यादा परेशा

न हो गया कि अब वह ज़ीनत को उसके घर कैसे पहुंचाएगा।

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Mumbai,

City hospital,

अनिरुद्ध इस वक्त ज़ीनत के सामने खड़ा था और इस वक्त वो पूरी तरह से अपनी जगह पर सुन हो गया था क्योंकि, डॉक्टर ने अभी-अभी बताया था कि ज़ीनत अपनी याददाश्त खो चुकी है। ये बात सुनकर अनिरुद्ध को ज़ीनत के लिए काफ़ी बुरा लग रहा था। वहीं ज़ीनत की हालत ये बात सुनकर, उसकी आंखों में नमी आने लगी,

वो अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोली — अगर मेरी मामा मुझे ढूंढ रही होगी... इतना कहते हुए ज़ीनत ने अनिरुद्ध की तरफ देखा। उसकी बात सुनकर अनिरुद्ध को और भी ज़्यादा उसके लिए बुरा लगने लगा क्योंकि कहीं ना कहीं अनिरुद्ध खुद को ही ज़ीनत का दोषी समझ रहा था, क्योंकि एक्सीडेंट तो अनिरुद्ध की कार से ही हुआ था।

अनिरुद्ध के कदम अब अपनी जगह पर जैसे जम से गए थे, उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि वो ज़ीनत के पास जाकर कुछ कह सके...

उसकी आंखों में ही साफ पता चल रहा था कि उसे इस चीज़ का कितना मलाल है। वहीं ज़ीनत तो बस सवालिया नज़रों से अनिरुद्ध की तरफ देखे जा रही थी। ज़ीनत की आंखों में आज इतने सवाल थे जिन्हें अनिरुद्ध चाह कर भी दे नहीं सकता था। अभी तक ज़ीनत को ये भी पता नहीं चला था कि उसका एक्सीडेंट अनिरुद्ध की कार से टक्कर खाकर हुआ था।

वहीं अनिरुद्ध, अपनी जगह पर खड़े हुए अपनी नज़रें चुरा रहा था। तभी ज़ीनत ने अनिरुद्ध की तरफ देखते हुए पूछा — क्या आप जानते हैं कि मेरी ये हालत कैसे हुई?

ये सवाल अनिरुद्ध से किया तो अनिरुद्ध का दिल धड़कना ही भूल गया।

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वहीं दूसरी तरफ,

शेखावत पैलेस,

काजल इस वक्त हॉल में खड़ी इधर-उधर ठहर रही थी और उसकी नज़रें बाहर दरवाज़े पर टिकी हुई थीं, क्योंकि कुछ देर पहले ही उसे पता चला था कि अनिरुद्ध इंडिया वापस आ चुका है और कुछ ही देर में वो घर होगा। ये बात उसे किसी और ने नहीं, खुद AS ने बताई थी। वहीं AS जो कि अभी-अभी ऊपर से आ रहा था — उसकी नज़रें जैसे ही काजल पर पड़ी, उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई।

वो अपनी गहरी आवाज़ में बोला — बेटा, आते ही पति को भूल गई...

AS की बात पर काजल अब मुंह बनाकर बोली — कैसी बातें कर रहे हैं आप, वो इतनी देर बाद आ रहा है, क्या मैं उसे मिलूंगी ना? अब मेरा दिल बेचैन हो रहा है जी, वो आया नहीं अभी तक...

उसकी बात पर AS ने अब कोई जवाब नहीं दिया और सामने सोफ़े पर जाकर बैठ गया। AS ने अब अपने सामने पेपर खोला और वहीं बैठकर पढ़ने लगा। वहीं काजल दोबारा से वहां पर चक्कर काटने लगी कि तभी AS की आवाज़ उसके कानों में गूंजी —

“नहीं आएगा वो अभी... तुम्हारे यमदूत ने जो कर्मकांड किया है ना, अभी भुगतने दो, आ जाएगा।”

AS की बात पर काजल के चेहरे पर अब सवालिया एक्सप्रेशन आ गए — मतलब कि AS जानता था कि अनिरुद्ध कहां था!

उसका दिल पहले ही बहुत घबरा रहा था और अब AS की ऐसी बात सुनकर वो और ज़्यादा बेचैन हो उठी। जल्दी से अपने कदम AS की तरफ बढ़ाते हुए, उसके पास आकर बैठते हुए बोली — “आपको पता है ना वो कहां पर है? और ये क्या कर्मकांड की बात कर रहे हैं आप? क्या किया है उसने?”

काजल की बात पर AS ने उसकी आंखों में देखा।

वहीं काजल की आंखें बड़ी हो गईं। वो लड़खड़ाई हुई आवाज़ में बोली — “साफ-साफ बताइए, क्या हुआ है?”

इतना कहते हुए उसकी आंखों में आंसू अब उसके गालों पर आ गए थे। ये देखकर AS के हाथों की मुठ्ठियां कस गईं, वो दांत पीसकर बोला — “तुम्हारी यही आदत बस मुझे नहीं पसंद... छोटी-छोटी बात पर आंखों में तैसे हुए बहाने लग जाती हो।”

और अगले ही पल वहां से खड़ा हुआ और बोला — “कुछ नहीं हुआ है, बस इतना समझ लो जहां भी है, ठीक है।”

इतना कहकर AS ने अपने कदम ऊपर की तरफ बढ़ा लिए और कमरे में चला गया। काजल की आंखों से आंसू अब तेज़ी से बहने लगे।

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वहीं दूसरी तरफ,

Russia में,

सूफियाना बाहर से कांपते हुए फ़ार्महाउस आई थी और इस वक्त उसके चेहरे से ही पता चल रहा था कि वो कितनी ज़्यादा गुस्से में थी। उसकी आंखों के सामने इस वक्त आदित्य का चेहरा घूम रहा था। इस बात को याद करते हुए सूफियाना ने अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं। उसे अभी भी आदित्य के होंठों की छुअन...

सूफियाना अब जल्दी से अपने कमरे में आई और मिरर के सामने खड़े होकर अपने होठों को जोर-जोर से रगड़ते हुए बोली — “How dare you Aditya Agnihotri! I’ll just kill you, destroy you Mr. Agnihotri! I hate you, I hate you a lot! एक बार में तुम्हारे होश ठिकाने लगा दूंगी इस सवेरे में... तुम्हें जीने लायक नहीं छोड़ूंगी जो तुमने आज हरकत की है!”

इतना कहते हुए सूफियाना का चेहरा पूरी तरह से लाल था और वो इस वक्त गुस्से में पूरी तरह से बेकाबू हो रही थी। अगले ही पल उसने अपने कमरे का सामान इधर-उधर फेंकना शुरू कर दिया, लेकिन उसका गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था।

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वहीं दूसरी तरफ,

शेखावत फ़ार्महाउस के बाहर,

आदित्य अपनी गाड़ी से टेक लगाकर खड़ा था और इस वक्त उसके चेहरे पर डेविल स्माइल थी और कानों में ब्लूटूथ लगा हुआ था। इस वक्त उसे सूफियाना की सारी बातें सुनाई दे रही थीं और सूफियाना की बातें सुनते ही आदित्य बड़े दिलकश अंदाज़ में बोला —

“I want you... make me destroy, baby.”

इतना कहते हुए आदित्य का अंदाज़ ही अलग था, और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसकी आंखों के सामने वो वक्त घूम रहा था जब उसने सूफियाना को किस करते वक्त ट्रैकर उसके गले की चेन में फिट कर दिया था। और वो ये चीज़ याद करते ही उसकी मुस्कुराहट और भी गहरी हो गई।

तभी आदित्य ने अपनी दिलकश आवाज़ में कहा —

“तेरे इश्क़ में तेरे वक़्त पर बस हक़ है एक मेरा,

तेरी रूह पे तेरे जिस्म पर बस हक़ है एक मेरा...”

“बहुत जल्द मैं तुम्हें पा लूंगा मिस सूफियाना शेखावत... और ये तुम्हारा जो गुरूर है, उसे तोड़ दूंगा।”

इतना

कहते हुए आदित्य के चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन आ गए।

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To be continued...

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