
Russia,
19 Bold Club,
एक लड़का एक बार कमरे जो कि सिपरेट था वहाँ पर बैठा हुआ था और उसके सामने कुछ डीलर्स ड्रग डील कर रहे थे, और उस लड़के की आँखें जो कि चारकोल ग्रे थीं। वो अपनी सर्द नज़रों से सामने खड़े शख़्स को देख रहा था, और वह शख़्स है — उसे सामने बैठे लड़के जिसकी आँखें चारकोल ग्रे — खुद पर प्रकार थर थर कांप रहा था।
वह अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोला, “माफ़ कर दीजिए मिस्टर अग्निहोत्री।” “वह डायमंड का जहाज़ हम काबू नहीं पा पाए क्योंकि उन्हें मिस्टर शेखावत डील कर चुके थे और…” अभी उसने इतना ही कहा था कि सामने बैठा शख़्स जो कि Russia का जाना माना माफ़िया था, उसने अगले ही पल सामने पड़ी बोतल टेबल पर फोड़ दी और अगले ही पल उस बोतल का नुकीला कोना सामने खड़े शख़्स के गले में घुसेड़ दिया।
अब जो दूसरे ड्रग्स डील करने आए थे वो भी ये चीज़ देखकर अंदर तक कांप गए थे। आई हुई आवाज़ में बोले, “मिस्टर आदित्य अग्निहोत्री हैं, डील इस डन — हमें सब कुछ मंजूर है, आप जो देंगे हम उसी में आपके साथ डील करने में इंटरेस्टेड हैं.” जैसे ही उन ड्रग डीलर्स ने इतनी बात कही जो कि ड्रग्स अपने साथ लेकर आए थे, उनकी बात सुनकर आदित्य के होठों के कोने मुड़ गए और अगले ही पल वह दोबारा से अपनी सोफ़ा पर बैठते हुए अपनी एक टांग को दूसरी टांग पर क्रॉस करते हुए।
सर्द लहजे में,
“Deal is done, now get lost!”
आदित्य ने जैसे ही यह बात कही, सामने बैठे सभी लोग वहां से चले गए। आदित्य की पर्सनालिटी एक अलग ही मुकाम पर थी — वो रूस का जाना माना माफ़िया था। उसका गोरा रंग और चेहरे पर लाली हद से ज़्यादा थी और उसकी वह charcoal eyes किसी भी लड़की को पागल कर दें। हाइट 6 foot 5 inch, बाल ज़ल्द से सेट किए हुए और उसकी वह बॉडी जो कि शर्ट के तीन बटन खुले होने की वजह से ऊपर की अप्पर चेस्ट साफ़ झलक रही थी — वह किसी की भी जान निकाल सकती थी और उसके गले के साइड पर जो बड़ा सा कब्र का टैटू बना था वह हद से ज़्यादा सेक्सी लग रहा था।
देखने में आदित्य की पर्सनालिटी ऐसी थी कि लड़कियां हर वक्त उसके पीछे पागल रहती थीं। वहीं दूसरी तरफ इस क्लब में एक लड़की जो कि बार काउंटर पर बैठी ड्रिंक कर रही थी अपने फ्रेंड्स के साथ आई हुई थी, और उसके सामने बैठा एक लड़का जो कि कब से उसे देख रहा था — उसकी नज़रें उस पर बेहद गहरी थीं। और वह लड़की अपनी गहरी नीली आँखों से इधर-उधर देख रही थी। उसकी फ्रेंड्स जो कि स्टेज पर खड़ी होकर डांस कर रही थी, वो उसे आवाज़ लगा रही थी पर वह लड़की अपनी जगह से हिल भी नहीं रही थी। तभी उसकी एक फ्रेंड नैना जो कि सामने से उसके पास आकर बोली, “क्या, सूफियाना, तू क्या यहाँ पर सिर्फ ड्रिंक करने आई है? तू हमारे साथ डांस नहीं करेगी?” जी हां यह लड़की कोई और नहीं — सूफियाना शेखावत — दिखने में बिल्कुल काजल जैसी पर आँखें AS जैसी, और शक्ल तो डिट्टो ही काजल से मिलती थी।
गोरा रंग, वही पतले सुर्ख हॉट लंबे बाल — बस पहनावा था जो काजल की तरह नहीं मैच कर रहा था। इस वक्त वह शॉट और क्रॉप टॉप पर बैठी हुई थी लेकिन फिर भी कयामत ढा रही थी।
सुपर सूफियाना अपनी नीली आँखों से नैना की तरफ देखते हुए बोली, “Oh shut up, Naina.”
“मैं यहाँ पर एंजॉयमेंट करने आई हूँ — इसका मतलब यह नहीं कि एंजॉयमेंट सिर्फ़ डांस होता है। मुझे अपने तरीके से एंजॉय करना पसंद है, सो प्लीज़ मेरे कामों में टांग मत अड़ाओ।” सूफियाना की बात पर नैना ने मुंह बनाया और बोली, “मैं तो तुम्हें एंजॉय करने के लिए साथ ले जाने वाली थी पर तुम तो मुझे ही अकड़ दिखा रही हो — जाओ, मुझे क्या है मैं जाकर अपना एंजॉय कर रही हूँ।” इतना कहकर नैना नज़रे रोल करके वहां से चली गई और फिर से दोबारा स्टेज पर जाकर डांस करने लगी।
वहीं पास खड़ा लड़का जो कि कब से सूफियाना और नैना की बहन सुन रहा था, उसे अब मौका मिल गया था। वो अब अपनी जगह से खड़ा हुआ और सूफियाना के पास आकर, “हेलो मिस सूफियाना शेखावत।” जैसे ही एक लड़के ने सूफियाना को अڈرैस किया, सूफियाना ने अपनी नीली आँखें उसकी तरफ घूमाकर मुंह बनाते हुए बोली, “अब तुम कौन हो?”
उसकी बात पर वह लड़का मुस्कराया और बोला, “I am Rithik Barar.” ऋतिक बरार का नाम सुनकर सूफियाना ने एक आइब्रो ऊपर उठाई और बोली, “Ooohhh — तुम वही ऋतिक बरार हो जो कल अपने पापा का फार्महाउस में हार गए?” उस बात पर ऋतिक चौंक गया और वो सूफियाना की तरफ देखकर बोला, “यह कैसी तारीफ़ हुई, Miss सूफियाना?”
वही सूफियाना सार्कास्टिक वें में देखते हुए बोली, “मैंने तारीफ़ की भी नहीं है — मैं तो बेइज़्ज़ती कर रही थी तुम्हारी।”
वहीं ऋतिक गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला, “तुम्हें नहीं पता — तुम्हें मैं कुछ ज्यादा ही घमंड है, Miss सूफियाना शेखावत.” वही सूफियाना बड़े — “वह तो हो गई — In fact I am daughter of AS, you know na AS.”
सूफियाना की बात पर अब ऋतिक हँसा और सूफियाना की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोला, “चलो मान गया तुम्हें AS की बेटी हो — चलो ना आज डांस हो जाए।” इतना कहकर ऋतिक अपनी जगह से उठा और सूफियाना के करीब जाने लगा लेकिन तभी सूफियाना ने उसके टांगों के बीच में अपना घुटना मारते हुए अपनी जगह से खड़ी हो गई। वहीं ऋतिक का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया और उसका हाथ अपनी लोअर बॉडी पर आ गया।
वह गुस्से और दर्द से तड़पते हुए बोला, “ऐसी कौन सी बेसिक तरीका है किसी को…” अभी उसने इतना ही कहा था कि सूफियाना ने उसके गाल पर जोर से थप्पड़ जड़ते हुए बोली, “और यह कौन सा तरीका है मेरी ड्रिंक स्पीक करने का, मिस्टर ऋतिक बरार?” इतना कहकर सूफियाना जो कि हाथ में वही ड्रिंक ले रही थी — जो कि पीछे पड़ी थी — क्योंकि अभी-अभी जब पृथ्वी अपनी जगह से खड़ा हुआ था तो उसने जल्दी से सूफियाना की ड्रिंक में ड्रग्स डाल दिए थे — जिसे सूफियाना इस वक्त सतर्क हो गई थी।
वहीं दूर से खड़ा कोई यह नज़ारा देख रहा था और वह शख़्स की नशीली आँखें सूफियाना पर टिकी हुई थीं। वो भी एक साइड पर आकर सोफ़ा पर बैठ गया था और ड्रिंक कर रहा था, और वह शख़्स बहुत देर से सूफियाना को ही देख रहा था। अब जो सूफियाना ने हरकत की थी, उसे देखकर वह शख़्स अपने सीने पर हाथ रखते हुए बोला, “लड़की तो फायर है — आग लग गई दिल में.” इतना कहते हुए वो अपने दिल वाली जगह को थपथपा रहा था। तभी वहां पर एक बार्टेंडर आई और उसकी तरफ देखते हुए बोली, “Sir, you need anything?” इतनी कहते हुए वह लड़की बेहद सेलेक्टिव नजरों से उस लड़के को देख रही थी। वही वह लड़का उसे लड़की की तरफ देखकर बोला, “तुम्हारी इतनी औकात नहीं है कि आदित्य अग्निहोत्री की नीड्स पूरी कर सको।” इतना कहते हुए आदित्य ने अपनी सर्द नज़रों से उस लड़की को देखा। पर अगले ही पल आदित्य के दिमाग़ में कुछ आया तो उसने लड़की को रोकते हुए बोला, “यह लड़की कौन है?”
वही बार गर्ल ने उसकी तरफ देखते हुए बोला, “सर, आप इस लड़की को नहीं जानते — इस लड़की को कौन नहीं जानता — यह लड़की मिस्टर अरुण सिंह शेखावत की इकलौती बेटी सूफियाना सिंह शेखावत है।” उसकी बात पर आदित्य के चेहरे पर मिस्टिरियस एक्सप्रेशन आ गए और वो खुद में ही बड़बड़ाया, “Ahhhhhh — अनिरुद्ध शेखावत की बहन सूफियाना शेखावत — interesting….” कहते हुए आदित्य के चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन थे। वहीं सामने सूफियाना अब उसे लड़की को ठिकाने लगा चुकी थी, और अब वह अपनी जगह से उठकर बाहर की तरफ जाने लगी कि तभी उसे चक्कर आने लगे। जैसे ही उसे चक्कर आए उसने अपने सिर पर हाथ रख लिया। तभी सूफियाना को अपनी आँखों के सामने धुंधलापन छा गया महसूस होने लगा, और देखते ही देखते सूफियाना बेहोश होने लगी — लेकिन इससे पहले वह नीचे गिरती कि तभी वह किसी की बाहों में झूल गई।
और जिनकी बाहों में वह झूल रही थी वो शख़्स और कोई नहीं — आदित्य अग्निहोत्री था।
आदित्य की गहरी नज़रें इस वक्त सूफियाना के चेहरे पर टिकी हुई थीं।
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वहीं दूसरी तरफ,
India,
Mumbai...
Zeenat को अभी-अभी उसकी सौतेली माँ ने थप्पड़ मारा था जिसके बाद उसकी आँखों में आँसू आ गए थे, लेकिन इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती उसके ऊपर दूसरा थप्पड़ और जड़ दिया गया। Zeenat रोते हुए बोली, “मम प्लीज़ मुझे मत मारिए — मुझे दर्द हो रहा है।” लेकिन शेफ़ाली पर इस चीज़ का कोई असर नहीं हुआ। वह अब Zeenat के पास आई और अगले ही पल उसके बालों को पकड़ते हुए बोली, “तू समझती क्या है खुद को कालमुही? तूने मेरे बेटे का हाथ कैसे झटका?” “तेरी वजह से अगर मेरे बेटे को लग जाती तो हरामखोर कहीं की — अभी तेरे को बताती हूँ।” इतना कहते हुए शेफ़ाली ने Zeenat के पीछे हाथ रखकर उसका सिर जोर से दीवार से टकरा दिया और अगले ही पल Zeenat का सिर तेजी से घूम गया। Zeenat का सिर इतनी जोर से दीवार से लगा था कि खून तो नहीं निकला था पर कहीं ना कहीं नीला निशान पड़ चुका था। इस वक्त Zeenat को बहुत ज्यादा चक्कर आ रहे थे क्योंकि उसने कल रात से कुछ नहीं खाया था और ऊपर से आज सुबह से भी Zeenat को बुखार था।
ऊपर से बाहर बारिश की वजह से मौसम भी खराब हो रहा था। अब शेफ़ाली ने उसके बालों को पकड़कर बाहर घसीटते हुए बोला, “करम जली आज — तेरी अक्ल ठिकाने न लाई ना तो मेरा नाम भी शेफ़ाली नहीं।” इतना कहते हुए खींचते हुए बाहर की तरफ ले जाने लगी। तभी Zeenat रोते हुए बोली, “माँ प्लीज़ ऐसा मत कीजिए — मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करूँगी — मुझसे गलती हो गई, प्लीज़ मान जा — मैं खाना बना लूंगी।” पर शेफ़ाली को उस पर जरा भी तरस नहीं आया। उसने जल्दी से Zeenat को घर के बाहर निकाल दिया और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया और गुस्से से बोली, “खड़ी रह बाहर — जब सारी रात बारिश में भीगी तब जाकर तेरी अक्ल ठिकाने आएगी।” इतना कहकर वो अंदर की तरफ चली गई।
वही शेफ़ाली का बेटा, नाजिद, अब बाहर की तरफ देख रहा था — ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा हो — और नाजिद के चेहरे पर इस वक्त डेविल एक्सप्रेशन थे। शेफ़ाली अब नाजिद के पास आकर बोली, “चल बेटा मैं खाना बनाते हैं — तो खाना खा ले — तूने ऐसा कुछ किया है? बाहर जाकर कुछ सामान लेकर आना है तो ले आना — वैसे बारिश बहुत तेज है — अगर बारिश न रुकी तो रहने दे।” इतना कहकर शेफ़ाली अंदर चली गई। वहीं नाजिद अभी भी अपनी जगह पर खड़ा बाहर की तरफ गहरी नज़र से देख रहा था जहाँ पर Zeenat हल्की-हल्की नजर आ रही थी और इस वक्त Zeenat पूरी तरह से भीग चुकी थी।
तकरीबन 2 घंटे Zeenat यूँ ही बारिश में खड़ी रही — बारिश तो जैसे अपना पूरा जोर भर रही थी और रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। लेकिन तभी गली में कुछ लड़के जो कि सामने से Zeenat को देखते हुए जा रहे थे — उनकी नज़रें Zeenat पर इस वक्त बेहद गहरी थीं।
अब वे लड़के Zeenat के पास आकर खड़े हुए और उसे अपनी गहरी नज़रों से देखते हुए बोले, “चलती है क्या? तेरे को ठिकाना दे देंगे — यहाँ क्या सारी रात बीती रहेगी हमारे साथ? हमारे साथ हमारे बारिश में भीग ले।” अभी उन्होंने इतना ही कहा था कि Zeenat अंदर तक डर गई और वो अंदर की तरफ जाने लगी कि तभी सामने नाजिद आकर खड़ा हुआ और उन लड़कों की तरफ देखकर बोला, “जल्दी ले जाओ — ऐसे मत करो — मैं संभाल लूँगा — वो अंदर भी खाना बना रही है — जल्दी कर और पैसों का भूलना मत।” नाजिद ने उन लड़कों को देखा और गहरी नज़र डाली। वे लड़के जो किसी बात का इंतजार कर रहे थे कि कब नाजिद बाहर आएगा, उन्होंने अब जल्दी से Zeenat को पकड़ लिया। Zeenat का तो जैसे होश उड़ गए — वह अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी कांपने लगी।
इससे पहले Zeenat कुछ समझ पाती, एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया और वहाँ से उसे खींचकर ले जाने लगे। दूसरी तरफ़, एक ने उसका मुँह हाथ से दबाकर उसका शोर बंद कर दिया, और एक ने Zeenat के टांगों से पकड़ लिया — इस तरह वे लड़के Zeenat को मोहल्ले से बाहर लेकर जाने लगे। वहीं नाजिद जल्दी से अंदर की तरफ आया।
कुछ ही देर में वे लड़के Zeenat को एक सुनसान इलाके में लेकर आए — इस वक्त बारिश पूरी तरह से अपने ज़ोर पर थी।
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वहीं दूसरी तरफ —
हाइवे पर एक Mercedes-Benz बड़ी तेजी से चल रही थी और उसमें अनिरुद्ध बैठा हुआ था जो कि अपने फोन में अपनी सर्द नज़रें गड़े हुए बैठा था और वह इस वक्त मुंबई पहुंच चुका था। बारिश तेज होने की वजह से ड्राइवर ने गाड़ी थोड़ा धीमी कर दी पर अनिरुद्ध ने रोकते हुए बोला, “गाड़ी जल्दी चलाओ — धीमी नहीं होनी चा
हिए।” इतना कहते हुए अनिरुद्ध के जबड़े कस गए थे।
Mumbai,
Highway पर,
अनिरुद्ध की गाड़ी तेजी से सड़कों पर दौड़ रही थी। और इस वक्त वो अपनी गाड़ी की बैकसीट पर बैठा हुआ था। उसके हाथ में इस वक्त फोन था, और फोन को वो बेहद गहरी नजरों से देख रहा था। इस वक्त अनिरुद्ध के जबड़े पूरी तरह से कस गए थे और उसकी आंखें आग उगल रही थीं।
वो अपने जबड़े कसते हुए बोला –
“ये आपने ठीक नहीं किया, डैड…”
इतना कहते हुए अनिरुद्ध के चेहरे पर फ्रस्ट्रेशन साफ दिखाई दे रही थी।
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वहीं दूसरी तरफ,
Construction Site,
यहां पर हर तरफ सुनसान रास्ता था और कुछ भी वहां पर दिखाई नहीं दे रहा था। सब तरफ अंधेरा और सिर्फ हल्के पीले बल्ब की रोशनी, जो कि ऊपर की तरफ एक बिल्डिंग के कमरे को जा रही थी। वहां पर इंसान के नाम पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।
वहीं वो लड़के ज़ीनत को घसीटते हुए उस कंस्ट्रक्शन साइट की बिल्डिंग में ले जा रहे थे।
ज़ीनत खुद को रोते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर इस चीज़ का कोई फायदा नहीं हो रहा था क्योंकि ज़ीनत उन लड़कों के सामने बहुत ज्यादा कमजोर थी। बारिश में भीगने की वजह से ऊपर से वह बुरी तरह कांप रही थी।
रो-रो कर उसकी हालत इतनी ज्यादा खराब हो चुकी थी कि उसकी आंखें और नाक पूरी तरह से लाल पड़ चुकी थीं, और बारिश के पानी की वजह से उसका पूरा चेहरा सफेद पड़ गया था।
उसके होंठ बुरी तरह फड़फड़ा रहे थे और उसकी बॉडी ठंड से कांप रही थी। वो किसी तरह से उन लड़कों के अगेंस्ट खुद को पुश करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि अब उन लड़कों ने उसके पैरों को छोड़ दिया था, जिससे वो खुद को छुड़ाने के लिए जी-जान लगा रही थी।
वहीं वो लड़के ज़ीनत का मजाक उड़ा रहे थे और जोर-जोर से हंस रहे थे। तभी एक लड़का दूसरे से बोला –
“अबे ओए अतुल, छोड़ तो! अब कहां भाग कर जाएगी? अब तो अपुन लोग बहुत दूर आ गए हैं। इसे तो रास्ता भी नहीं पता। चल छोड़, जितना फड़फड़ाएगी उतना मजा आएगा।”
उसकी बात पर अतुल बोला –
“हां यार साहिल, चल छोड़ देते हैं…”
पर तभी तीसरा दोस्त बोला –
“नहीं बे, अगर भाग गई तो…”
तभी साहिल उसके सिर पर थपकी मारते हुए बोला –
“चुप बे, यहां से ये मुर्गी कहीं नहीं भाग सकती। आज हम ही इसे हलाल करेंगे…”
इतना कहते हुए वह जोर से हंसने लगा और अपनी गंदी नजरों से ज़ीनत को ऊपर से नीचे तक देखने लगा। वहीं ज़ीनत अंदर तक कांप गई थी। वो जैसे कुछ बोल ही नहीं पा रही थी, उसकी आवाज उसके गले में दब गई थी।
तभी साहिल ने ज़ीनत को छोड़ा तो एक पल के लिए ज़ीनत खुद को संभाल नहीं पाई और पीछे की तरफ गिरने को हुई, पर अगले ही पल उसने खुद को संभाला और सीधी खड़ी होकर वहां से भागने लगी।
तभी अतुल ने उसके पैर में अपना पैर अड़ा दिया और अगले ही पल ज़ीनत नीचे जमीन पर जा गिरी।
उसकी एक कोहनी और हाथ की तली छिल गई, और हल्का-हल्का खून बहने लगा। ये देखकर अतुल, साहिल और निर्मल जोर-जोर से हंसने लगे। वहीं ज़ीनत बुरी तरह से रो रही थी, और बारिश अभी भी अपने पूरे चरम पर थी।
तभी साहिल उसके पास बैठा और बड़े सेडक्टिव वे में ज़ीनत के पांव को टच करते हुए बोला –
“क्या हुआ जान, भागा नहीं जा रहा?”
उसकी बात पर ज़ीनत अपनी जगह पर जम सी गई, उसका दिल जैसे धक-सा रह गया। वहीं साहिल अब एक बार फिर से उस पर झुकने लगा। साहिल को अपने ऊपर झुकता देख, ज़ीनत और भी ज्यादा कांपने लगी।
उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं, पर तभी वो अपना हाथ नीचे जमीन पर फेरने लगी। जमीन पर फेरते हुए उसके हाथ में एक पत्थर लगा।
पत्थर को पकड़ते ही उसने अपनी आंखें एकदम से खोलीं, और उसकी नजर अपने ऊपर झुके साहिल पर पड़ी।
अगले ही पल उसने वो पत्थर उठाकर साहिल के सिर में दे मारा!
पत्थर लगते ही साहिल के सर से लबालब खून बहने लगा। वहीं पास में खड़े अतुल और निर्मल यह चीज देखकर हैरान रह गए, उनके तो होश उड़ गए थे।
वहीं ज़ीनत अब अपनी जगह से उठी और दूसरी तरफ भागने को हुई, तभी निर्मल ने उसका हाथ पकड़ने को हुआ कि ज़ीनत ने वही पत्थर निर्मल के हाथ पर दे मारा।
अब निर्मल का हाथ भी बुरी तरह फट चुका था क्योंकि वह पत्थर काफी नुकीला था, जिससे तुरंत ही खून बहने लगा।
वहीं ज़ीनत ने अब वह पत्थर अपने चुन्नी में बांध लिया और गोल-गोल घूमते हुए वहां से भागने लगी।
वहीं साहिल, निर्मल और अतुल यह चीज देखकर बेहद हैरान थे। उन्हें इस चीज़ का कोई अंदाजा नहीं था कि ज़ीनत इतना ज्यादा दिमाग भी चला सकती है।
ज़ीनत अब पागलों की तरह बाहर की तरफ दौड़ने लगी और देखते ही देखते वह सुनसान सड़क पर पहुंच गई।
वहीं साहिल, निर्मल और अतुल अब उसके पीछे-पीछे आ रहे थे, जबकि साहिल और निर्मल के हाथ से खून बह रहा था।
पर फिर भी उन्होंने ज़ीनत का पीछा नहीं छोड़ा।
साहिल अब दांत पीसते हुए बोला –
“साली हम पर अपना दम दिखाएगी? एक बार हाथ में आ जाए… ना तेरी च* फाड़ दी तो मेरा नाम भी साहिल नहीं!”**
इतना कहते हुए वह इधर-उधर देखने लगा, लेकिन अंधेरा होने की वजह से कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था। वहीं ज़ीनत अब बहुत आगे निकल चुकी थी, पर फिर भी बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी।
भागते-भागते वह हाईवे की सड़क के बीचों-बीच आकर खड़ी हो गई। वो इतनी ज्यादा डर गई थी कि उसे ये भी होश नहीं था कि वो कहां पर है।
वो हाईवे की मेन सड़क के केंद्र में आकर खड़ी हो गई और अगले ही पल वहां पर…
दूसरी तरफ से एक गाड़ी तेजी से ज़ीनत की ओर आती हुई दिखाई दी। अगले ही पल ज़ीनत की आंखें बड़ी हो गईं क्योंकि गाड़ी की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि ज़ीनत को संभलने तक का मौका नहीं मिला।
देखते ही देखते ज़ीनत की टक्कर गाड़ी से हो गई और अगले ही पल ज़ीनत उड़ती हुई सड़क के दूसरी तरफ जा गिरी।
वहीं जैसे ही ज़ीनत की टक्कर हुई, अंदर बैठा ड्राइवर सुन हो गया।
अगले ही पल उसने गाड़ी की ब्रेक लगाई। ऐसे एकदम से ब्रेक लगाने से पीछे बैठा शख्स अपनी सर्द नजरों से ड्राइवर को देखते हुए दांत पीसकर बोला –
“ये क्या बदतमीजी है? तुम्हें गाड़ी चलाना भूल गया है क्या?”
और यह शख्स और कोई नहीं बल्कि अनिरुद्ध था।
वहीं ड्राइवर कांपते हुए बोला –
“सर, हमारी गाड़ी से किसी का एक्सीडेंट हो गया है…”
ड्राइवर की बात सुनकर अनिरुद्ध की नजरें और भी ज्यादा गहरी हो गईं।
वह दांत पीसकर बोला –
“अंधे हो गए थे क्या, जो तुम्हें सामने कोई नजर नहीं आया? अब देख कर आओ कौन है — जिंदा है कि मर गया!”
इतना कहते हुए अनिरुद्ध के जबड़े कस गए। उसे इस वक्त बेहद गुस्सा आ रहा था।
वहीं ड्राइवर जल्दी से बाहर निकला।
बाहर इस वक्त भी बारिश हो रही थी, जिस वजह से मिरर से भी कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था — इसलिए ज़ीनत का एक्सीडेंट हो गया था।
ड्राइवर अब उसके पास गया और देखा कि ज़ीनत का पूरा चेहरा लहूलुहान पड़ा था। उसे देखकर ड्राइवर का दिल एक पल के लिए धक-सा रह गया।
बारिश में भी अब ड्राइवर के पसीने छूटने लगे थे।
वह घबराते हुए दोबारा कार की तरफ आया और अनिरुद्ध की खिड़की पर खटखटाते हुए बोला।
अनिरुद्ध ने अपनी विंडो डाउन की और सर्द नजरों से ड्राइवर को देखा।
ड्राइवर अब अनिरुद्ध की तरफ देखते हुए बोला –
“साहब… वो लड़की है। और उसकी हालत बहुत गंभीर है। लगता नहीं कि वो बच पाएगी…”
इतना कहते हुए ड्राइवर बुरी तरह से कांप रहा था।
ड्राइवर की बात सुनकर अनिरुद्ध ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा –
“अरे यार, क्या मुसीबत है…!”
इतना कहते हुए उसने ड्राइवर को गहरी नजरों से देखा –
“तुम लोगों की वजह से ना, हर जगह जहां भी मेरा काम बन रहा होता है, तुम लोग…”
इतना कहकर अनिरुद्ध चुप हो गया।
अब उसने एक गहरी सांस ली और अपनी गाड़ी से बाहर निकल आया।
सामने जहां ज़ीनत क्रिटिकल कंडीशन में पड़ी हुई थी, वहां पहुंचा।
अनिरुद्ध अब ज़ीनत के पास आया — ज़ीनत का चेहरा पूरी तरह से नीचे की तरफ झुका हुआ था और उसके बाल चेहरे पर आए हुए थे, जिस वजह से उसका चेहरा साफ दिखाई नहीं दे रहा था।
उसके सर से काफी खून बह रहा था।
अनिरुद्ध ने अब एक घुटना नीचे की तरफ रखा और उसके पास जाकर उसके चेहरे पर से हल्के से बाल हटाए।
फिर भी इतनी रोशनी न होने की वजह से उसे ज़ीनत का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, इसलिए उसने अब ज़ीनत को गोद में उठाया और गाड़ी में लेकर बैठ गया।
गाड़ी में बैठते ही उसने ड्राइवर की तरफ देखा और कोल्ड वॉइस में बोला –
“लाइट ऑन करो।”
उसकी बात पर ड्राइवर एक पल के लिए हैरानी से उसे देखने लगा, पर फिर भी उसने आगे से कुछ नहीं कहा और लाइट्स ऑन कर दीं।
जैसे ही लाइट ऑन हुई —
अनिरुद्ध की नजर ज़ीनत के चेहरे पर ठहर गई, और एक पल के लिए जैसे समय वहीं थम गया।
अनिरुद्ध ज़ीनत को देखे जा रहा था, पर उसके होंठों से एक लफ्ज़ नहीं निकला।
वहीं ड्राइवर ने अब गाड़ी स्टार्ट कर दी थी।
तक़रीबन 15 मिनट में,
अनिरुद्ध की गाड़ी एक अस्पताल के आगे आकर रुकी।
अगले ही पल अनिरुद्ध गाड़ी से बाहर निकला और ज़ीनत को गोद में उठाकर अंदर की तरफ बढ़ गया।
To be continued...
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Guys please comment jarur karna aur dear review bhi jarur do waise to pata chala hai ki poket ab koi contract nahi kar raha fir bhi last
try karungi then age jo bhagwaan ki marji,,
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