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Anirudh singh shekhawat

Russia,

एक बड़े से फार्महाउस में, एक luxurious रूम था जिसकी थीम डार्क ब्राउन कलर की थी।

कमरा जितना luxurious था, उतना ही dangerous look भी दे रहा था।

कोई आम आदमी उसे देखे तो उसकी हालत खराब हो जाए।

वही उस कमरे का king-size bed, जिसके आस-पास चार पिलर बने थे।

और सेंटर में गोल बड़ा सा बेड था, जिस पर... तकरीबन 27, 28 साल का एक शख्स औंधे मुंह लेटा हुआ था।

वह शख्स इस वक्त पूरी तरह से belibaas लेटा हुआ था —

बॉडी पर एक भी कपड़ा नहीं था, पर lower body पर ब्लैक कलर का ब्लैंकेट था।

उसकी back body पर unlimited tattoos बने हुए थे,

जो उसकी बॉडी को हद से ज्यादा attractive बना रहे थे।

वह बेहद सुकून से बेड पर लेटा हुआ था,

उसकी आंखें पूरी तरह से बंद थीं।

लेकिन तभी उसकी नींद फोन की रिंग से खुली।

उसने अपनी नीली आंखों से पास पड़े फोन की तरफ देखा, फिर आंखें दोबारा बंद कर लीं।

कुछ देर बाद फोन बजते-बजते बंद हो गया, पर उसने उठाया नहीं।

लेकिन जब फोन दूसरी बार बजा, तो उसने आंखें खोलीं और स्क्रीन की तरफ देखा —

इस बार उसने फोन उठा लिया।

दूसरी तरफ से आवाज आई —

"Boss... The ship is ready for demands, now..."

अभी वो शख्स बोल ही रहा था कि तभी आगे से फोन कट गया।

और जो ड्रग्स के लिए उस शख्स को कॉल कर रहा था, वो बस अपने फोन की तरफ देखता रह गया।

वहीं दूसरी तरफ, farmhouse में,

वो शख्स जिसने फोन डिसकनेक्ट किया था, अब अपनी जगह से उठकर bed rest पर सिर टिकाकर बैठ गया।

उसने पास पड़ी सिगरेट उठाई, लाइटर जलाया और सिगरेट का धुआं ऊपर की तरफ छोड़ने लगा।

उसकी गहरी नीली आंखों में कई राज़ छिपे हुए थे।

वह आधा घंटा लगातार सिगरेट पीता रहा — एक के बाद एक।

उसकी आंखें अब लाल हो चुकी थीं।

तभी फोन एक बार फिर से बजा —

इस बार जब उसने स्क्रीन की तरफ देखा, तो उसके होंठों के कोने मुस्कुरा उठे।

अगले ही पल उसने फोन उठाया —

सामने से एक औरत की आवाज आई,

"अनिरुद्ध बेटा, अब तो वापस आ जाओ... कब तक मुझे तड़पाने का इरादा है बेटा?"

औरत की आवाज सुनकर अनिरुद्ध बोला,

"Mom, आप जानती हैं ना कि मैं यहाँ पर क्यों हूँ...

और वो मुझे फोन क्यों कर रहे हैं बार-बार?

जब मैंने एक बार मना कर दिया कि मैं इंडिया नहीं आ सकता तो...

उनका काम मैं यहाँ रहकर कर रहा हूँ ना, तो अब क्या दिक्कत हो गई?

उन्हें कह दीजिए कि मैं इंडिया वापस नहीं आने वाला!"

तभी दूसरी तरफ से काजल बोली —

"अनिरुद्ध... पापा हैं वो तुम्हारे, और तुम ऐसे कैसे उनकी बात कर सकते हो!"

अभी काजल बोल ही रही थी कि अनिरुद्ध ने कहा —

"Mom, प्लीज! मुझे इमोशनल ड्रामा मत दिखाइए।

मैं आपकी तरह इमोशनल फूल नहीं हूँ।

आप Dad के प्यार में पागल हैं — पर मैं नहीं!"

काजल बोली —

"बेटा, कैसी बातें कर रहे हो!

एक छोटी सी गलतफहमी पर तुमने अपने डैड को जज कर लिया..."

अभी काजल ने इतना कहा ही था कि अनिरुद्ध ने फोन काट दिया।

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India,

काजल इस वक्त बेड पर बैठी हुई थी और पास ही AS भी बैठा हुआ था।

उसके चेहरे पर इस वक्त कोई एक्सप्रेशन नहीं था —

ऐसा लग रहा था कि AS के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा हो।

जहां AS इस वक्त बिल्कुल शांत बैठा था,

वहीं काजल के चेहरे पर अब परेशानी झलक रही थी।

काजल अब AS की तरफ देखकर बोली —

"अब हम क्या करेंगे?"

तभी AS ने काजल को गहरी नजरों से देखते हुए कहा —

"उसके आने की तैयारी करो... दो दिन में अनिरुद्ध यहीं पर होगा।"

इतना कहकर वह अपनी जगह से उठा

और अगले ही पल किसी को कॉल लगाकर फोन पर बात करते हुए बाहर की तरफ चला गया।

वहीं काजल जो कि बेड पर बैठी थी,

उसके चेहरे पर अभी भी परेशानी झलक रही थी,

पर अब वह अपनी जगह से उठी और बेड को सही करने लगी।

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Russia में,

अनिरुद्ध जो कि अपनी जगह पर बैठा था,

उसने गहरी सांस ली और अपनी जगह से खड़ा हुआ।

ब्लैंकेट उसकी थाईज़ पर से सरककर नीचे गिर गई।

इस वक्त वह पूरी तरह से belibaas था।

उसकी बॉडी जो कि पूरी तरह से tattoos से भरी हुई थी —

कंधे के साइड पर शेर का टैटू, और सीने पर चीते का टैटू बना हुआ था।

वह हद से ज्यादा attractive लग रहा था,

और उसकी V-size कमर उसे और भी ज्यादा परफेक्ट बना रही थी।

उसका गोरा रंग, हल्की दाढ़ी, नीली डार्क आंखें,

और इस वक्त उसके बाल पूरी तरह messy थे।

अब वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और सीधा bathroom में चला गया।

कुछ ही देर में शावर लेकर जब वह बाहर आया,

तो सामने रखा उसका फोन वाइब्रेट हुआ।

अगले ही पल उसने फोन उठाकर देखा —

उसकी आंखें हैरत से फैल गईं।

फिर उसने अपने असिस्टेंट को फोन लगाया —

"Ronit, इंडिया के लिए jet ready करो... मैं अभी निकल रहा हूँ!"

इतना कहकर उसके चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन थे —

जैसे कि वह बहुत ज्यादा frustrated हो।

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India, Mumbai में,

एक छोटे से घर के बाहर एक टूटी छत के नीचे,

एक लड़की जिसकी उम्र लगभग 18 साल होगी,

वह बर्तन मांज रही थी।

वह लड़की दिखने में हद से ज्यादा खूबसूरत थी —

गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श, पतले गुलाबी होंठ,

और लाली तो उसके चेहरे पर जैसे कुदरत की दी हुई थी।

उसकी वो चोर सी आंखें और भी ज्यादा खूबसूरत थीं।

लंबे बाल जो कमर से नीचे तक आते थे।

वह लड़की किसी अप्सरा से कम नहीं थी।

बेचारी इस वक्त शाम के 7 बजे, बाहर गली में बैठकर बर्तन साफ कर रही थी।

और पीछे से किसी औरत के चिल्लाने की आवाज आई —

"करमजाली! तुझे क्या लगा तू बैठे-बैठे खाएगी?

सुबह से बुखार है तो क्या तुझे सर पर बिठा लूं?

दिमाग खराब करके रखा है तूने! एक घंटा लेट गई मेरा सारा काम रुक गया।

और खाना कब बनाएगी? टाइम देखा है 7 बजने वाले!

अभी तक तूने सब्जी नहीं बनाई और ऊपर से अब जाकर बर्तन मांज रही है!"

इतना कहते हुए वो औरत उस लड़की के पास आई

और उसके बालों को पकड़ते हुए सीधा खड़ा किया।

फिर किचन की तरफ ले जाकर जोर से धक्का देते हुए बोली —

"करमजाली! 16 साल की उम्र में शादी की, अपने पति को खो दिया — हरामजादी कहीं की!

विधवा की यही जिंदगी होती है — बर्तन मांज, खाना पका!"

इतना कहते हुए उसने उसे जोर से धक्का दिया,

जिससे वह लड़की shelf से टकराई और उसकी कमर में चोट लगी।

दर्द से उसकी आह निकल गई, पर औरत को कोई फर्क नहीं पड़ा।

तभी दूसरी तरफ से एक लड़के की आवाज आई —

"माँ! कैसी बातें कर रही हो? Zeenat धीरे-धीरे काम कर लेगी... है ना Zeenat?"

इतना कहते हुए उस लड़के ने Zeenat की तरफ गहरी नजरों से देखा।

वही उसकी नज़रों को महसूस कर Zeenat को uncomfortable महसूस हुआ।

उसे अपने अंदर एक गंदी सी vibe महसूस हुई जब वह लड़का उसे देखता था।

यह था Zeenat का step-brother।

जब Zeenat 8 साल की थी, तब उसकी माँ का देहांत हो गया था।

फिर उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी।

और तब से Zeenat का इस घर में रहना हराम था।

दूसरी माँ का बेटा अब 16 साल का था,

पर फिर भी वो Zeenat पर अपनी गंदी नजर रखता था।

और यह बात Zeenat बहुत अच्छे से जानती थी।

ऊपर से, बेचारी विधवा — 16 साल की उम्र में शादी की,

और शादी वाले दिन जब लड़का Zeenat को अपने घर लेकर जा रहा था,

तो रास्ते में हुए भयानक एक्सीडेंट में वह लड़का मर गया।

पर कुदरत से Zeenat जिंदा बच गई।

तब से बेचारी के लिए दुर्भाग्य को न्योता दे दिया गया।

हर कोई उसे अपशकुनी कहने लगा।

यहां तक कि उसके पिताजी भी उसे यही बातें सुनाते थे,

जिससे Zeenat पूरी तरह टूट चुकी थी।

उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह किसी को जवाब दे सके।

वह लड़का — नाजिद,

Zeenat को गहरी नजरों से देखते हुए बोला —

"तुम कम करो, कोई बात नहीं।

मैं मम्मी को बाहर लेकर जाता हूँ,

तब तक तुम काम खत्म कर लो... ठीक है ना?"

इतना कहते हुए उसने Zeenat के कंधे पर हाथ रखा

और हल्के से दबाया।

नाजिद के ऐसे छूने से Zeenat अंदर तक कांप गई।

अगले ही पल उसने अपने कंधे से उसका हाथ हटाते हुए कहा —

"मैं कर लूंगी... मैं कर लूंगी, प्लीज अपना हाथ पीछे रखिए!"

अभी उसने इतना ही कहा था

कि Zeenat के चेहरे पर

एक जोरदार थप्पड़ आकर लगा —

जो किसी और ने नहीं, बल्कि उसकी सौतेली माँ ने जड़ा था।

अगले ही पल Zeenat की आंखें कसकर बंद हो गईं

और आंखों से आंसू लबालब बहने लगे।

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To be continued...

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