03

Choti si mori

मुंबई,,

Baraar golden villa,,

मरियम इस वक्त दरवाजे के आगे खड़ी थी। तभी उसके कानों में किसी की आवाज़ पड़ी और वह अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी जंसी गई। उसका दिल एक पल के लिए जैसे रुक सा गया। और वो आवाज़ बेहद सर्द थी, जिसे सुनकर मरियम पूरी तरह से कांप गई थी। तभी उसने उस तरफ देखा, जिस तरफ से आवाज़ आई थी।

और यह आवाज़ किसी और की नहीं, आरव के डैड शांतनु जी की थी। वो सर्द नजरों से मरियम को देखते हुए बोले, "ये क्या बदतमीजी है? लगता है तुम अपनी तमीज़ भूल गई हो।"

जो कि पहले ही शांतनु जी से बेहद डरती थी, वो अब कांपती हुई आवाज़ में बोली, "लेकिन साहब, अपने ही तो…"

उसने अभी इतना ही कहा था कि शांतनु जी सर्द नजरों से उसे देखते हुए बोले, "बकवास बंद करो और निकलो यहां से…"

शांतनु जी ने इतना ही कहा था कि मरियम जल्दी से वहां से निकल गई। शांतनु जी अब आरव के कमरे के सामने आकर खड़े हुए और दरवाजा लॉक करने लगे। जैसे ही उन्होंने आरव का दरवाजा लॉक करने को हुए, तभी अंदर से दरवाजा खुला। दरवाजा खुलते ही शांतनु जी अपनी जगह पर सीधे खड़े हो गए, उनका हाथ अभी तक हैंडल पर ही था और वहीं रह गया।

वहीं अब आरव, जो कि अंदर से बाहर निकल रहा था, उसकी नजर अब शांतनु जी पर पड़ी और शांतनु जी पर देखते ही आरव की नज़रें सर्द हो गईं। उसके जबड़े पूरी तरह से कस गए। वह दांत पीसकर शांतनु जी की तरफ देखकर बोला, "How dare you to come into my personal space?"

जैसे ही आरव ने ये बात कही, शांतनु जी के हाथों की मुठियाँ कस गईं, पर वह अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोले, "कैसी बातें कर रहे हो आरव, मैं तुम्हारा पिता हूँ।"

जैसे ही शांतनु जी ने ये बात कही, आरव व्यंग्य से हंसते हुए बोला, "Ohh seriously, father is my foot."

जैसे ही आरव ने ये कहा, तभी पीछे से एक और गरजती हुई आवाज़ आरव के कानों में पड़ी, जिसे सुनकर आरव की आंखें बड़ी हो गईं।

क्योंकि यह आवाज़ किसी और की नहीं, आरव की दादी, मिताली जी की थी। मिताली जी की आवाज़ सुनकर आरव के चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे। आरव अपने फादर से बेहद नफरत करता था, पर उतना ही प्यार वह अपनी दादी से भी करता था। दादी से प्यार होने के बावजूद भी पिछले 5 सालों से गोल्डन बरार हवेली नहीं गया था, जिस वजह से उसकी दादी आज आरव से बहुत ज्यादा नाराज थी। ऊपर से आरव की बेरुखी अपने डैड के साथ देखकर, तो जैसे उन्हें और भी ज्यादा गुस्सा आ रहा था।

तभी मिताली जी बोली, "यह क्या तरीका है अपने पापा से बात करने का? भूलो मत, वह आपका है।"

जैसे ही मिताली जी ने ये कहा, आरव की हाथों की मुठियाँ काश गईं और उसने एक बार फिर से सर्द नजरों से शांतनु जी की तरफ देखा। इस वक्त आरव के जबड़े पूरी तरह से कस गए थे। पर फिर जब उसने पीछे दादी को देखा, तो आरव के भाव अब अपनी दादी को देखकर बदल गए। पर अगले ही पल उसके चेहरे पर अजीब सा एक्सप्रेशन आ गया। उसने एक बार पलट कर पीछे की तरफ देखा और अपना दरवाजा लॉक कर दिया।

वही दादी सख्त आवाज़ में बोली, "क्या बात है, दरवाजा क्यों बंद किया जा रहा है?"

आरव ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ़ बोले, "अम्मा, अभी आ रहा हूँ।"

इतना ही कहा था कि मिताली जी बोली, "रूम दिखाओ अपना…"

जैसे ही मिताली जी ने ये कहा, आरव का चेहरा एकदम से एक्सप्रेशन लेस हो गया और वह अपनी सख्त आवाज़ में बोला, "सॉरी अम्मा, मेरी कुछ पर्सनल रीज़न्स भी हैं और मैं आपकी हर एक बात नहीं मान सकता। एक बात आप ही याद रखिए…"

जैसे ही आरव ने ये कहा, मिताली जी का चेहरा और भी सख्त हो गया। वह गुस्से में ऊंची आवाज़ में बोली, "ये क्या तमीज़ है आरव? संस्कार भूल गए हो क्या आपने?"

इतना कहते हुए मिताली जी के जबड़े पूरी तरह से कसे हुए थे। अगले ही पल उन्होंने गहरी सांस भरी और आरव की तरफ देखकर बोली, "हमें अपना कैमरा दिखाइए अभी।"

तभी आरव मिताली जी की आंखों में देखते हुए बोले, "सॉरी, it's not possible now."

जैसे ही इस बार आरव ने मना किया, तो दादी जी ने गहरी सांस ली और आरव की तरफ देखते हुए कहा, "तो ठीक है, अगर तुम अपने कमरे में हमें नहीं जाने की इजाजत नहीं दोगे, तो कल ही तुम्हें शादी करनी होगी उसी लड़की से जिसे तुम घर पर लेकर आए हो।"

जैसे ही दादी ने यह बात कही, आरव की आंखें बड़ी हो गईं और वो अपनी सर्द आवाज़ में बोला, "आप होश में तो हैं दादी…"

जैसे ही मिताली जी को आरव ने इतना कहा, वह व्यंग्य से मुस्कुराई। "पिछले 5 साल से कहां थे तुम, जो आज मुझसे पूछ रहे हो कि मैं ठीक हूं या नहीं? अब ठीक तो तुम्हें होना होगा। ये तुम अपने अंदर जो गुस्सा और अहंकार घर वालों के प्रति भर कर बैठे हो ना, उसे अब मैं खुद तोड़ूंगी… और तुम्हें उसे लड़की से शादी करनी ही होगी।"

वहीं आरव दादी की तरफ गहरी नजरों से देख रहा था। आरव ने अब एक नजर पासी में खड़े शांतनु जी की तरफ देखा, जो चुपचाप उन दोनों की बातें सुन रहे थे। उन्होंने बीच में इंटरफेयर करने की जरूरत नहीं समझी, क्योंकि वे जानते थे कि आरव सिर्फ दादी की बात सुनता था।

वहीं दादी ने गहरी सांस ली और आरव की आंखों में देखकर कहा, "आपको किसने बताया…?"

दादी उसकी आंखों में देखकर बेधड़क बोली, "जिसने मर्जी बताया हो, तुम्हें उससे क्या? हमें हमारी बहू चाहिए, किसी हालत में भी। और आज मैं ये ऐलान करती हूं कि सुबह तक गार्डन में मंडप लगाया जाएगा और तुम दोनों की शादी कल सुबह की जाएगी।"

आरव ने दादी की बात सुनी, पर उसके चेहरे पर कोई खास एक्सप्रेशन नहीं था। उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही हों। तभी आरव की पॉकेट में उसका फोन बजने लगा। यह देख, दादी जी ने अपने कदम पीछे की तरफ लिए और सीढ़ियों से नीचे चली गईं। शांतनु जी भी उनके पीछे-पीछे वहां चले गए।

वहीं अब आरव अपनी जगह पर खड़ा उन्हें गहरी नजरों से देख रहा था। तभी उसने अपनी पॉकेट में हाथ डाला और दूसरी तरफ से बोले, "तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला…?"

"तुमने कहा था कोई लड़की नहीं मिली…"

तभी आरव बोले, "अब वह मेरी है…"

अभी वह शख्स बोल ही रहा था कि आरव ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, "She is my now."

तभी वह शख्स बोला, "तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो…"

तभी आरव तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोले, "आरव बरार को गलतियां करना बहुत पसंद है।"

इतना कह कर आरव ने फोन काट दिया। वह आदमी चिल्लाता रहा पर आरव ने कोई बात नहीं सुनी। अगले ही पल उसकी नजर मरियम पर पड़ी, जो सीढ़ियों पर खड़ी तिरछी नजरों से देख रही थी। जैसे ही आरव की नजर उस पर गई, मरियम हड़बड़ाकर नीचे की तरफ भाग गई।

वहीं आरव अब बस हाल में बैठे मिताली जी और शांतनु जी की तरफ देख रहे थे, जो शायद अपने फोन पर किसी से बात कर रहे थे। आरव बाबा अपने रूम में गया और सामने का नजारा देखकर उसकी आंखें बड़ी हो गईं।

क्योंकि सामने बानी पूरी तरह से अपनी टांगें फैला कर अपनी पूसी को सहला रही थी। उसके हाथों से खून निकल रहा था, पर फिर भी वह अपनी पूसी को दो उंगलियों से रगड़ रही थी। अगले ही पल उसके चेहरे पर सेडक्टिव स्माइल आ गई, क्योंकि रूम से निकलने से पहले ही आरव ने बानी को ड्रग्स वाली ड्रिंक पिला दी थी।

और अब जो वह करने वाला था, उसे सोचकर उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कुराहट तैर रही थी।

वहीं उसकी फ्लावर जैसी पूसी को देखकर तो जैसे उसके डिक में गुदगुदी सी महसूस हो रही थी। उसने अपने टीका को हल्का सा सहलाते हुए बोला, "क्या यार, दादी, तुम्हें भी अभी आना था?"

इतना कहते हुए आरव मदहोशी भरी आंखों से उसे देख रहा था। "वैसे शादी करनी जरूरी है क्या? जो करना है वह मैं आपको करने तो वाला हूं, शादी के बाद भी यही होगा।"

इतना कहते हुए उसकी नजर एक बारफिर से बानी की पूसी परगई,, जो लगातार बानी के रगड़ने से,, पूरी तरह से लाल हो चुकीथी,, और उसे देखकरआरव अपनी जीभ होठों पर घूमते हुए,, पर उससे पहले मुझे लगता है यह जो इसकी छोटी सी मोरी है ना पागल कर देगी,, मेरे लोड़े को भी इसके लिए खुजली हो रही है,,, बहन का land बाहर की तरफ पंत को फाड़ कर निकालने को हो रहा है।

इतना कहते हुए अब वह बानी के बिल्कुल पास आया और अपनी गहरी नजरों से उसके बदन को देखने लगा। उसके वह परफेक्ट 34 साइज बूब्स आरव को पागल कर रहे थे, ऊपर से उसकी पिक-पिक छोटी सी सेंटर की दाने जितनी, nipples, जो उसे और भी ज्यादा मदहोश करने पर मजबूर कर रही थीं।

बानी अब उसकी तरफ अपनी उंगली पॉइंट करते हुए अपनी तरफ आने का इशारा कर रही थी।

वहीं आरव उसकी इशारे को देखकर तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोला, "क्या बात है, मैं तो चिंगारी भड़काने आया था, यहां तो पूरी आग लगी हुई है…"

इतना कहते हुए अब वह बानी के ऊपर झुकने ही वाला था।

के एक बार फिर से आरव का फोन बजा। जैसे ही आरव का फोन बजा, उसकी आंखें कसकर बंद हो गईं और वह गुस्से में भड़कते हुए अपना फोन उठाया। दूसरी तरफ से जो कहा गया उसे सुनकर आरव की आंखें सर्द हो गईं। वह दांत पीसकर बोला, "I AM COMING… To Australia, टिकट बुक करवाओ अभी!"

इतना कहते हुए उसकी नज़रें अभी भी बानी पर बनी हुई थीं, जो उसके सामने बुरी तरह से झटपट आ रही थी। इसके चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन थे। अगले ही पल उसने बानी को गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर शावर के नीचे खड़ा कर दिया।

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तकरीबन आधे घंटे बाद…

आरव बानी को गोद में उठाए हुए रूम से निकला और बाहर की तरफ जाने लगा। तभी उसके कानों में मिताली जी की आवाज़ पड़ी, "कुंजी, कहां जा रहे हो…?"

आरव ने मिताली जी की आवाज़ सुनी पर पूरी तरह से इग्नोर कर बाहर की तरफ चला गया। वहीं मिताली जी की आंखें हैरत से फैल गईं। आज तक आरव ने मिताली जी की बात बिल्कुल भी नहीं टाली थी। अब वह हैरानी से शांतनु जी की तरफ देख रही थीं। वहीं शांतनु जी भी हैरानी से उस तरफ देख रहे थे, जहां से आरव अभी-अभी बानी को लेकर गया था।

आरव ने जल्दी से बानी को गाड़ी की बैक सीट पर लेटाया और अगले ही पल उनकी गाड़ी वहां से निकल गई। तकरीबन आधे घंटे बाद उनकी गाड़ी एक सुनसान मैदान में रुकी, जहां सामने एक प्राइवेट जेट खड़ा था। देखते ही देखते आरव ने गाड़ी का बैक सीट का दरवाजा खोला और बानी को गोद में उठाकर देखा। अगले ही पल उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई।

वो अपने मुंह में बुदबुदाया

, "Welcome to Barar hell, baby…" इतना कहते हुए उसकी स्माइल और भी लंबी हो गई।

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To be continued…

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