01

Pehli mulaqaat

Rajasthan,

Karauli Gaav,

एक बाजार जिसमें सरेआम जिस्मों की बोली लग रही थी, इस बाजार में सरेआम जिस्म का धंधा किया जाता था, यहां कोई किसी से कुछ नहीं कह सकता था और स्त्री, स्त्री तो यहां पर सिर्फ मात्र एक चीज थी, जब- जब यहां पर किसी पिता की पुत्री होती तो इसी दिन के लिए उसे बडा किया जाता था, इसी बाजार में एक आज सत्रह साल की लडकी.

जो कि पिंजरे में बंद सामने बैठी हुई थी, उस लडकी ने इस वक्त व्हाइट Color का फ्रॉक सूट पहना हुआ था और गले में चुनरी पूरी तरह से लपेटी हुई थी, उसके बदन का कहीं से भी छोटा सा हिस्सा भी नजर नहीं आ रहा था, उसकी वह भूरी आंखें, छोटी सी नाक, पतले होंठ, गोरा रंग, अंग्रेजी चमडी भी उसके सामने फीकी पड जाए, और ऊपर से गालों पर सुर्ख लाली, कोई देख कर कह नहीं सकता था कि यह सिर्फ एक महज सत्रह साल की लडकी है, वह लडकी महज सत्रह साल की थी, पर उसका बदन एक बीस साल की लडकी की तरह लगता था, और ऊपर से उसकी खूबसूरती हद से ज्यादा जो कि उसे गांव के हर पुरुष को अपनी तरफ मोहित कर रही थी, उसके लंबे काले बाल जो की कमर से भी नीचे झूल रहे थे, ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग लोक से अप्सरा जमीन पर उतर आई हो, आसपास जितने भी पुरुषों से खरीदने आए थे उन सब की नजरें उस लडकी पर बेहद गहरी थी, यहां तक कि यहां के मुखिया( सरपंच) दीनानाथ की नजरें भी उस पर बेहद गहरी थी, वह बार- बार अपने होठों को सहलाते हुए बोला —

बहुत देर से इस लडकी के इतना होने का इंतजार किया है, अब बहुत जल्द यह मेरे नीचे, मेरे बिस्तर पर होगी.

इतना कहते हुए दीनानाथ ने अपने होठों को बुरी तरह से काटना शुरू कर दिया, तभी उस लडकी के पिता मनमोहन दास ने बोली लगनी शुरू की —

दस हजार!

जैसे ही वहां पर दस हजार की बोली लगी वहां पर बैठे सारे पुरुषों के मुंह उतर गए, क्योंकि दस हजार की आमदनी उनमें से किसी के पास नहीं थी, वह कब से बोली लगने का ही इंतजार कर रहे थे, जबकि वहां के बाजार की बोली महज तीन हजार या पाँच हजार से शुरू होती थी, यही सोचकर वह पुरुष वहां पर उस लडकी को लेने आए थे, कुछ तो अधेड उम्र के थे, कुछ अधेड उम्र से भी ज्यादा उम्र के थे और कुछ तो अभी- अभी जवान हुए थे.

और उनमें से सबसे अगर कोई चमक रहा था तो वह था गांव का मुखिया, जैसे ही उसने भी दस हजार की बोली सुनी तो उसकी आंखें बडी हो गईं, वह दीनानाथ की तरफ देखकर बोला —

दीनू, तुझे नहीं लगता तूने अपनी छोरी की कीमत कुछ ज्यादा लगा दी?

वहीं मनमोहन दांत निकालते हुए बोला —

अरे क्या करें मैं आप, अपना भी तो पेट पालने से ना, तो छोरी की तो कीमत लगेगो. और दान देना हो तो दो, एकदम साफ सुथरी छोरी से.

उसकी बात सुनकर सरपंच दीनानाथ ने मुंह बनाते हुए कहा —

जानू सूं जानू सूं, पर दस हजार फिर भी ज्यादा होवे हैं.

तभी मनमोहन बोला —

अरे मैं आप, आपके लिए क्या ज्यादा क्या कम, माल भी तो देखिए, आपके बिस्तर पर गर्म कर देगा.

इतना कहते हुए उसने तिरछी नजर से अपनी बेटी को देखा, जो कि पिंजरे में चुपचाप मुंह नीचे कर बैठी हुई थी, उस लडकी की आंखों में इस वक्त बेहिसाब नमी थी, उसका चेहरा पूरी तरह से पीला पडा हुआ था, साफ पता चल रहा था कि वह लडकी बहुत ज्यादा डरी हुई थी, अपने आप की यह बात सुनकर उस लडकी का दिल धक् सा रह गया.

वह लडकी अपने मन में —

बापू सा, आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? माना मैं बोल नहीं सकती, पर मुझे भी तकलीफ होती है, मैं जिस तरह मर्जी कम कर आपको पैसे लाकर देती, पर यह आप अच्छा नहीं कर रहे हैं.

इतना सोचते हुए उसकी आंखों से आंसू उसके गालों पर लुढक आए.

वहीं दीनानाथ अब मनमोहन की तरफ देखते हुए बोला —

चल ठीक है.

तभी दीनानाथ के पीछे से एक आवाज आई —

पाँच करोड!

जैसे ही“ पाँच करोड” की आवाज आई, सबकी आंखें वहां पर बडी हो गईं, मनमोहन का तो जैसे कलेजा ही बाहर आ गया, उसने पलट कर पीछे की तरफ देखा तो एक सत्ताईस से अट्ठाईस साल का लडका, ब्लैक Color का कोट- पैंट पहने हुए, सबसे ज्यादा आकर्षक, गोरा रंग, नीली आंखें जो कि इस वक्त गॉगल्स के नीचे छुपी हुई थी, बाल जेल से सेट किए हुए, कानों में एक डायमंड स्टड, हाथों में रॉयल्स घडी, पैरों में काले रंग के लेदर के शूज, और ऊपर से शर्ट के तीन बटन खुले हुए, जिसमें से उसका मस्कुलर सीन साफ दिखाई दे रहा था.

चेहरे पर हल्की बियर्ड, तीखी नाक, और तीखी जॉ लाइन, वह लडका हद से ज्यादा हैंडसम था, ऐसा लग रहा था कि वह लडका फॉरेन से आया हो. वहां पर खडे हर इंसान की निगाहें अब उस शख्स पर थी. वह लडका अब धीरे- धीरे अपने कदम आगे बढाते हुए मनमोहन के पास आया और उसकी आंखों में देखकर बोला —

पाँच करोड, अभी कैश दूंगा.

उसकी बात सुनकर वहां पर खडे सरपंच दीनानाथ की मुट्ठियां कस गईं, वह उस शख्स की तरफ देखकर बोला —

पर मैंने इसकी बोली लगा दी है और अब यह लडकी मेरी है.

दीनानाथ ने अपनी बात तो दी, पर उस शख्स ने एक बार भी दीनानाथ की तरफ नहीं देखा, उसने एक बार फिर से मनमोहन की तरफ देखते हुए कहा —

दस करोड.

जैसे ही उस शख्स ने“ दस करोड” कहा, मनमोहन के होश उड गए. दीनानाथ कुछ बोलने को हुआ कि तभी मनमोहन बोला —

ले जाइए साहब, ले जाइए.

जैसे ही मनमोहन ने यह बात कही, दीनानाथ ने उसे तिरछी नजरों से देखते हुए दांत पीसकर कहा —

अभी तो तूने अपनी छोरी का सौदा मेरे साथ किया था, और अब तू इतनी जल्दी पलट गया, तारे को शर्म ना आई.

तभी मनमोहन बोला —

अरे मैं आप, इसमें शर्म की क्या बात? हमारी सारी उम्र बैठे- बिठाए cut जाएगी, तो हमें क्या चाहिए.

मनमोहन की बात सुनकर दीनानाथ दांत पीसकर रह गया. वही लडका बोला —

जल्दी करो, मुझे यहां से निकलना भी है.

इतना कहकर उस शख्स ने पीछे की तरफ इशारा किया, तो अब एक लडका अपने पीछे से बैग निकाल कर लेकर आया और उस बैग को खोलकर मनमोहन के सामने कर दिया. वहीं मनमोहन के तो पूरी तरह से होश उड गए क्योंकि उस बैग में पूरी तरह से नोटों के बंडल भरे हुए थे.

अब अगले ही पल मनमोहन ने पीछे की तरफ जाकर पिंजरा खोला और अपनी लडकी को बालों से पकडकर बाहर की तरफ निकाला और लाकर उस लडके के कदमों में धक्का दे दिया.

जैसे ही मनमोहन ने उस लडकी को सामने खडे लडके के पैरों में धक्का दिया, उस लडके की आंखें एक पल के लिए मनमोहन पर सर्द हो गईं और अगले ही पल उसने अपनी बैग से गन निकाली और मनमोहन पर तान दी.

जैसे ही मनमोहन पर गन तनी, वह लडकी अपने आप के आगे आकर खडी होकर हाथ जोडते हुए ना में सिर हिलाने लगी, उस लडकी की दिल की धडकन इस वक्त बहुत ज्यादा तेज थी, वह रोते हुए बस ना में सिर हिला रही थी, वहीं वह लडका बस उस लडकी के चेहरे की तरफ एकटक देखे जा रहा था, उसकी वह खूबसूरत सी भूरी आंखें जिनमें से आंसू लबालब बह रहे थे, उन्हें देखकर एक पल के लिए लडके की नजरें उस लडकी की आंखों में जैसे ठहर सी गईं.

वहीं मनमोहन जो कि पीछे खडा था, रोज लडकी को पीछे करते हुए हाथ जोडते हुए बोला —

माफ कर दीजिए मालिक, जो मने से कोई गलती हो गई हो तो.

वहीं उस लडके की नजरें अभी भी सामने खडी लडकी पर थीं, जो कि आंखों में नमी लिए अभी भी अपने आप को देख रही थी, और उस लडके के हाथ जोड रही थी. नहीं, वह लडका तो जैसे मनमोहन की कोई बात सुन ही नहीं रहा था, वह तो बस एकटक सामने खडी लडकी को देखे जा रहा था.

तभी मनमोहन बोला —

आप ले जाइए इस लडकी ने, मारी छोरी ने.

वह लडका अब उस लडकी के पास आकर उसकी आंखों में देखते हुए बोला —

नाम क्या है तुम्हारा?

जैसे ही उस लडके ने लडकी का नाम पूछा, वह लडकी अंदर तक डर गई, उसके हाथ पैर कांपने लगे, वहीं मनमोहन जल्दी से अपनी जगह से खडा होकर उस लडके के सामने आकर बोला —

माई बाप, छोरी का नाम से बानी. बानी नाम से मारी छोरी का.

जैसे ही मनमोहन ने बानी का नाम लिया, तो एक बार फिर से उस लडके ने सर्द नजरों से मनमोहन की तरफ देखा और अगले ही पल दांत पीसकर बोला —

आरव सिंह बरार को यह चीज हरगिज पसंद नहीं कि कोई उसकी बात को बीच में काट कर बोले.

इतना कहते हुए वह सर्द नजरों से सामने खडे मनमोहन को देख रहा था, वहीं मनमोहन ने अपना सलाइवा गटका और sir झुका कर पीछे की तरफ हो गया, वहीं सामने खडा शख्स जो कि इंडिया का टॉप बिलेनियर, बिजनेस टायकून आरव सिंह बरार, वह एकटक सामने खडी लडकी बानी को देखे जा रहा था. उसने अब आगे बढकर बानी का हाथ पकडा और खींचते हुए अपने साथ कार की तरफ ले जाने लगा, वहीं वहां खडे सभी लोग उनको देख रहे थे.

कुछ ही देर में आरव उसे खींचते हुए कार की तरफ लेकर आया और कार का बैक Door खोलकर उसने उस लडकी को अंदर की तरफ बैठने का इशारा किया. इस वक्त आरव की नजरें उस लडकी पर बेहद गहरी थीं, वह बस एकटक उस लडकी को देख ही जा रहा था. पीछे खडा आरव का असिस्टेंट ताज अब आगे की तरफ आते हुए, आरव के कान में कुछ कहने को हुआ कि तभी आरव का फोन बजा, जिससे ताज के चेहरे पर परेशानी झलकने लगी.

वहीं आरव ने बेजिझक फोन उठाया और कान से लगाते हुए बोला —

Mmmmm.

दूसरी तरफ से आवाज आई —

लडकी मिली?

उस शख्स की बात पर आरव कुछ देर चुप रहा, और कुछ देर की चुप्पी के बाद उसने एक नजर गाडी में बैठी बानी की तरफ देखा. तकरीबन पाँच मिनट वह शख्स आरव के बोलने का इंतजार करता रहा, लेकिन आरव का कोई जवाब नहीं आया. फिर उस शख्स ने एक बार फिर से बोला —

मतलब मिल गई?

उस शख्स ने इतना ही कहा था कि आरव ने एक बार फिर से बानी को देखा और सर्द आवाज में बोला —

नहीं मिली.

इतना कहकर आरव चुप हो गया. तभी दूसरी तरफ से एक सर्द आवाज आरव के कानों में पडी —

नहीं मिली तो ढूंढो, मुझे एक जल्दी से जल्दी वर्जिन गर्ल चाहिए.

उस शख्स की बात पर आरव ने बस“ Mmmm. कहा और फोन काट दिया.

वहीं पास खडा ताज यह चीज देखकर हैरत में पड गया, वह आरव की तरफ देखकर बोला —

Boss, what happened? आपने उन्हें ना क्यों बोला?

ताज की इस बात पर आरव ने उसे सर्द नजरों से देखा, तो ताज वहीं पर चुप होकर खडा हो गया. वहीं आरव अब अपनी कार में बैठा और देखते ही देखते उनकी गाडी हवा में बातें करने लगी. आरव इस वक्त बानी के बिल्कुल पास बैठा हुआ था.

वह सामने मिरर में से एकटक बानी को देखे जा रहा था, वहीं बानी तो बस अपनी नजर नीचे झुकाए, आंखों में नमी लिए रोए जा रही थी. उसका दिल इस वक्त जोरों से धडक रहा था, बानी के हाथ अब भी कांप रहे थे, उसे अपना कलेजा सूखता हुआ महसूस हो रहा था, डर के मारे उसकी जान निकल रही थी, इसीलिए वह बिल्कुल कार की दूसरी खिडकी से सटकर बैठी थी.

वहीं आरव तो बस उसे देखे जा रहा था, अभी तक उसने एक बार भी बानी की तरफ अपना हाथ नहीं बढाया था, ना ही उसे छूने की कोशिश की थी.

आरव अब मिरर से देखते हुए बानी से बोला —

रोना बंद करो.

आरव की बात सुनकर बानी अभी भी रोए जा रही थी, इन फैक्ट अब उसका रोना और भी ज्यादा बढ गया था. बानी को इस तरह रोता देख आरव ने एक बार फिर सर्द आवाज में कहा —

I said stop crying.

इस बार आरव की आवाज इतनी ज्यादा सर्द थी कि बानी एक बार फिर से कांप गई और अगले ही पल उसका सुबकना बंद हो गया. बानी को चुप देखकर, आरव के होठों के कोने मुड गए, पर वह इतने ज्यादा कम थे कि पता ही नहीं चल रहा था कि उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कुराहट भी आई हो.

अब आरव ने उस पर अपनी नजरें हटाईं और बाहर मिरर से देखने लगा. तकरीबन चार घंटे बाद उनकी गाडी मुंबई में एंटर कर चुकी थी और कुछ ही देर में, उनकी गाडी एक बडे से ब्लॉक के अंदर आकर रुकी.

वहीं अंदर बैठी बानी का चेहरा अभी भी नीचे की तरफ झुका हुआ था, उसने एक बार भी नजर उठाकर आरव को ठीक से देखा तक नहीं था. वहीं जैसे ही गाडी विला के अंदर एंटर हुई, वहां पर आसपास खडे बॉडीगार्ड अपनी गन नीचे कर, sir नीचे करके खडे हो गए. किसी की हिम्मत अपना सिर उठाकर गाडी की तरफ देखने की नहीं थी.

वहीं अब आरव गाडी से बाहर निकला और दूसरी तरफ से घूमकर उसने दरवाजा खोला.

जैसे ही आरव ने दरवाजा खोला, तो बानी को अपनी धडकनें रुकती हुई महसूस हो रही थीं, डर के मारे वह पीछे होने को हुई कि तभी आरव उसके ऊपर झुका और उसका हाथ पकडते हुए बोला —

अब तुम मुझसे दूर कभी नहीं जा सकती.

उसकी बात में एक अलग ही डोमिनेशन थी, जो कि बानी को साफ महसूस हो रही थी और उसकी बात सुनकर बानी का दिल जैसे धडकन ही भूल गया. बानी ने अब ना में सिर हिलाते हुए दोबारा से पीछे होना चाहा, वह आरव के साथ अंदर चलने को तैयार नहीं थी. इसीलिए वह पीछे होते- होते दूसरे दरवाजे तक पहुंचने ही वाली थी कि तभी आरव ने उसका हाथ पकड कर अपनी तरफ खींचा.

जैसे ही आरव ने बानी को अपनी तरफ खींचा, बानी की तो जैसे सांस ही सूख गई, उसने अपनी सांस ही रोक ली. वहीं आरव ने अगले ही पल बानी को अपनी गोद में उठाया और अंदर की तरफ ले आया. वहीं बानी तो बस अब अपना सिर नीचे झुकाए, सांस रोके आरव की गोद में थी.

आरव अब पूरी तरीके से उसे अंदर की तरफ ले जाते हुए ऊपर की तरफ लाया और अपने Room में ले जाकर, एक जोर से आवाज हॉल में दी —

मरियम!

जैसे ही आरव ने“ मरियम” कहा, तो किचन में से एक पचपन से साठ साल की औरत बाहर की तरफ आई और जल्दी से ऊपर की तरफ भागी. देखने से पता चल रहा था कि वह औरत काफी समय से यहां पर काम कर रही थी.

औरत जल्दी से आरव के कमरे के सामने आकर खडी हुई और अगले ही पल उसने आरव के Room का दरवाजा खटखटाया.

दूसरी तरफ से सर्द आवाज में —

Come in.

मरियम अब अपना sir झुका कर अंदर की तरफ आई और बिना sir उठाए बोली —

जी साहब.

तभी आरव की सर्द आवाज मरियम के कानों में पडी —

मेमसाहब को अच्छे से नहलाओ.

इतना कहते हुए उसने सामने खडी बानी की तरफ इशारा किया. वहीं बानी को देखकर मरियम भी एक पल के लिए उसकी तरफ देखती रह गई, क्योंकि बानी थी ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी उसे देखे तो देखता ही रह जाए.

मरियम को बानी को इस तरह से देखता पाकर, आरव के जबडे पूरी तरह से कस गए. वह दांत पीसकर बोला —

मैंने तुम्हें उसे नहलाने के लिए बोला है, घूमने के लिए नहीं.

जैसे ही आरव ने यह बात कही, मरियम अंदर तक डर गई और जल्दी से वह बानी की तरफ आकर बोली —

चलिए मैडम, मैं आपको नहला देता हूं. वहीं मरियम की बात पर बानी ने नैना में शेर हिलाते हुए पीछे की तरफ होने लगी. जैसे ही वह पीछे की तरफ हुई, तभी आरव सर्द आवाज में बोला,

अगर तुम्हें मरियम के हाथों नहीं नहाना, तो मैं नहला दूं.

आरव की बात सुनकर एक पल के लिए बानी अपनी जगह पर सुन हो गई, उसका दिल रुक सा गया और अगले ही पल वह जल्दी से मरियम के साथ बाथरूम की तरफ बढ गई. बानी को इस तरह देखकर एक बार फिर से आरव के होंठों के कोने मुड गए.

तकरीबन पंद्रह–बीस मिनट बाद मरियम बाहर की तरफ आकर सिर नीचे झुकाकर बोली,

सर, मैडम नहा तो ली हैं पर.

आरव ने एकटक बिना एक्सप्रेशन के मरियम की तरफ देखकर कहा,

पर क्या?

मैडम के पास कोई कपडे नहीं हैं, और उनके जो पहले कपडे पहने हुए थे, वह गलती से पानी के टब में गिर गए.

मरियम की बात पर आरव ने दो उंगलियों से उसे वहां से जाने का इशारा किया. वहीं मरियम ने सिर नीचे झुकाकर बाहर की तरफ चली गई.

आरव अपनी जगह से खडा हुआ और बाथरूम की तरफ अपने कदम बढा दिए. बाथरूम में बानी इस वक्त बेपर्दा, एक टॉवल में लिपटी हुई खडी थी. उसके चेहरे पर पानी की बूंदें जमी हुई थीं और बाल उसके चेहरे पर चिपके हुए थे. उसके वो गीले बाल उसे और भी ज्यादा Attractive बना रहे थे. वहीं आरव ने जब कमरा( या बाथरूम) में कदम रखा, तो एक पल के लिए उसकी नजर बानी पर जड सी गई.

आरव अपनी जगह पर खडा फ्रीज हो गया. उसकी सांसे गहरी होने लगीं,

और हाथ पैर अकडने लगे, आरव के चेहरे पर पसीने की बूंदे आने लगी, वहीं जैसे ही बानी ने आरव को दिखा तो उसका दिल धक सा रह गया और उसने अपना हाथ सीने पर ले जाकर अपने टॉवल पर कस दिया, बानी का दिल इस वक्त धडकने से इनकार कर रहा था और उसकी आंखों में आंसू एक बार फिर से लबालब बहने लगे,

अपना sir नाम हिलाते हुए पीछे की तरफ जाने लगी, पर आरव को तो जैसे कुछ नजर ही नहीं आ रहा था उसके कदम भी अब बानी की तरफ चलने लगे, पीछे चलते-

चलते बानी, की पीठ शावर के बटन पर जा लगी और अगले ही पाल वहां पर शावर शुरू हो गया, और एक बार फिर से बानी पूरी तरह से शावर में भीगने लगी,

और यह देखकर आरव की आंखों में और भी मदहोशी छा गई,

To be continued....

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