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Sakoon

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City Hospital,,,

रुद्र एकटक सामने बेजान पड़ी अहाना को देख रहा था। और रुद्र के चेहरे से देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसके भी जिस्म से जान निकल गई हो,,, वह अपनी खाली आंखों से सामने पड़ी अहाना को अपनी बेजान आंखों से देखे जा रहा था। तकरीबन 15 मिनट बीत चुके थे, रुद्र ने अपनी आंख तक झपकाई नहीं थी, ना ही उसने अपने लबों से कुछ कहा था।

लेकिन तभी उसने अपना हाथ उठाकर अहाना के गाल पर रखकर बड़े प्यार से बोला, “आंखें खोलो क्यूट गर्ल, नाराज़ होना मुझसे मुझे पता है, होना भी चाहिए...

मैंने तुम्हें जाने को कहा था ना, इसलिए मैं सॉरी मांगता हूं। तुम कहोगी ना, मैं आगे से कभी नहीं बोलूंगा। मैंने बहुत गलत बोला ना कि तुम होती कौन हो बीच में आने वाली — अरे, तुम ही तो सब कुछ हो।”

वहीं पीछे खड़े मिस्टर मलिक यह सारी बातें सुन रहे थे। उनका दिल भी यह चीज देखकर बेचैन हो रहा था क्योंकि रुद्र की हालत खराब हो रही थी।

वह अब रुद्र के पीछे आए और उन्होंने रुद्र के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “बेटा, वह अब नहीं रही...”

मिस्टर मलिक ने अभी इतना ही कहा था कि रुद्र उनकी तरफ घूमा और उनके कॉलर को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोला—

चिल्लाकर: “वह मुझे छोड़कर नहीं जा सकती! जानता हूं गुस्सा है वह मुझसे, बस मुझे पता है, इसीलिए आंखें बंद करके लेटी मुझे डराना चाहती है! अहाना, आंखें खोलो... खोलो मेरा बच्चा, आंखें...”

रुद्र की आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल थीं और उसकी आंखों में पानी सिमट रहा था, पर वह उसे बाहर आने की इजाजत नहीं दे रहा था।

अब एक बार फिर से उसने मिस्टर मलिक का कॉलर छोड़ा और अहाना की तरफ घूमा। वहीं रॉबिन भी यह चीज साइड पर खड़ा देख रहा था और उसने अपने मुंह पर हाथ रखा हुआ था। उसकी आंखों से पानी उसके गालों पर आ चुका था। वह रोते हुए रुद्र को पीछे से हग करते हुए बोला, “भाई, वह नहीं रही...”

रॉबिन ने भी इतना ही कहा था कि रुद्र ने पलटकर उसे ज़ोर से धक्का देते हुए बोला, “बकवास बंद रख! मैं कुछ कहता नहीं हूं, इसका मतलब यह नहीं कि मैं तुझे कुछ कहूंगा नहीं — तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगा मैं अगर दोबारा ऐसी बात की तो...”

वहीं पीछे खड़ी अब मिसेज मलिक, जो बेहोश हो चुकी थीं, वह होश में आ चुकी थीं क्योंकि यह तमाशा काफी देर से चल रहा था। वहीं डॉक्टरों की भीड़ भी आसपास खड़ी हो चुकी थी। रुद्र किसी को भी अहाना के पास नहीं आने दे रहा था।

श्रीमती मलिक तो हैरानी से रुद्र की तरफ ही देखे जा रही थीं। वहीं रुद्र अब एक बार फिर से अहाना के चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए बोला, “मैंने कहा था ना कि हमारे आगे क्या है, पर तुम नहीं मानी... पर अब मुझे इस चीज़ से कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई कुछ कहे, चाहे तुम्हारे मां-बाप तुम ही मुझे छीनने की कोशिश क्यों ना करें, पर मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं होने दूंगा। अपनी आंखें खोलो मेरा बच्चा, जल्दी खोलो... नहीं तो मैं तुमसे नाराज़ हो जाऊंगा, मैं बहुत देर से देख रहा हूं तुम आंखें नहीं खोल रही हो...”

वहीं रुद्र की बात सुनकर तो जैसे श्रीमती मलिक के पैरों तले जमीन ही खिसक गई। उनका चेहरा अब गुस्से से लाल होने लगा। वह मिस्टर मलिक की तरफ देखकर बोलीं, “यह क्या वाहियात बातें कर रहा है मिस्टर राणावत! वह छोटी है, बच्ची है, वह भी और—”

श्रीमती मलिक अभी यह बोल ही रही थीं कि तभी मिस्टर मलिक ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए नम्रता से कहा, “प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती, सुहासिनी...”

वहीं सुहासिनी जी दांत पीसकर कुछ बोलने ही वाली थीं, पर तभी मिस्टर मलिक ने उनका हाथ पकड़कर बाहर की तरफ ले जाते हुए कहा, “यहां पर तो चुप हो जाओ। बेटी अब नहीं रही तो...”

अभी मलिक जी बोल ही रहे थे कि तभी सुहासिनी जी ने उनका हाथ झटकते हुए कहा, “कुछ नहीं हुआ है मेरी बेटी को! अभी देखना, आंखें खुलेगी!” इतना कहते हुए सुहासिनी जी आगे की तरफ बढ़ गईं, पर मलिक जी ने उनका हाथ पकड़कर रोक लिया।

क्योंकि रुद्र इस वक्त अहाना को छोड़ने को तैयार ही नहीं था। वहीं दूसरी तरफ रुद्र अब अहाना के चेहरे पर झुका हुआ था और उसके बिल्कुल पास आकर बोला, “तुम्हें पता है, मुझे नहीं पता कि लोग मुझे तुमसे दुगनी उम्र का कहेंगे या फिर कुछ भी, पर फिर भी मैं तुमसे प्यार कर बैठा हूं। और तुम्हें पता है कब से? जब से मैंने तुम्हें पहली बार देखा...”

“और अब मैं किसी और से प्यार नहीं कर पाऊंगा। प्लीज उठ जाओ मेरी क्यूट गर्ल... I love you Ahana... I love you...”

इतना कहते हुए रुद्र की आंखों से एक बूंद आंसू की अहाना के गाल पर गिर गई। जैसे ही रुद्र का आंसू उसके गाल पर गिरा, अहाना की उंगलियां हल्की-हल्की हिलीं और एकदम से उसने गहरी सांस भरी। जैसे ही अहाना ने गहरी सांस भरी, रुद्र का दिल जैसे जी उठा। अगले ही पल उसने डॉक्टर की तरफ इशारा किया और उसके गालों को थामे वैसे ही बैठा रहा।

डॉक्टर भी यह चीज देखकर हैरान हो गए थे। रुद्र का दिल इस वक्त जोर-जोर से धड़क रहा था। वहीं अहाना अभी होश में नहीं आई थी, पर फिर भी उसकी सांसें धीमी-धीमी चल रही थीं।

डॉक्टर ने नाम लेकर कहा, “सारी मशीन दोबारा से अहाना को लगाओ।” फिर रुद्र की तरफ देखकर बोलीं, “मिस्टर राणावत, मिस मल्लिका ठीक हैं, बस फर्क इतना है कि इनको जितना हो सके स्पेस की ज़रूरत है और इन्हें सांस लेने के लिए ज़्यादा भीड़ इनके पास इकट्ठी ना हो। वैसे मानना पड़ेगा, यह बहुत रियल केस था — कि जहां पेशेंट मौत के मुंह से बचकर वापस आया हो। You’re a lucky guy...”

डॉक्टर की बात सुनकर रुद्र ने अब राहत की सांस ली और उसकी नज़रें अब भी अहाना पर ही टिक गई थीं।

अभी वह सुख की सांस रुद्र ने ली ही थी कि तभी सुहासिनी जी बोलीं, “डॉक्टर, आपको यह न्यूज़ मुझे देनी चाहिए। मैं उसकी मां हूं! और यह कौन लगते हैं मेरी बेटी के, जो आप यह न्यूज़ देने दे रहे हैं? वह मेरी बेटी है, मेरी बच्ची है! और रही बात मेरी बेटी ठीक हो गई है, इतना काफी है मेरे लिए। और आज के बाद यह शख्स मुझे यहां पर दिखाई नहीं देना चाहिए!”

अभी सुहासिनी जी ने इतना ही कहा था कि तभी रुद्र की ठंडी आवाज़ उनके कानों में पड़ी—

“मैं मर जाऊंगा पर अहाना को छोड़कर अब कभी नहीं जाऊंगा...”

To be continued...

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