
America,,,
एक बड़ी सी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर एक लग्ज़रीअस रूम में एक लड़की बेड पर लेटी हुई थी और उसके आसपास काफी सारी मशीनें लगी हुई थीं, और इस वक्त उसे लड़की के चेहरे से देखकर लग रहा था कि वो इस वक्त बेहोशी की हालत में है — उसका पूरा चेहरा बेजान पड़ा हुआ था और पीला भी...
वोई एक लग्ज़रीअस रूम में उसी बेड के सामने सफा था जिस पर एक शख्स बैठा था और अपनी लाल आँखों से सामने पड़ी लकड़ी को गहरी निगाहों से देख रहा था। उसकी आँखों में हद से ज्यादा इस वक्त लाली छाई हुई थी; उसे शख्स की आँखों से देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो शख्स सारी रात सोया न हो... वहीँ, ढाणी के आसपास काफी सारे डॉक्टर अभी भी उसे एग्ज़ामिन कर रहे थे। तभी ढाणी में खाँसी हुई और खाँसी करते ही उसके मुँह से ब्लड फोटो के साइड से बह गया और ये देखकर सामने बैठे शख्स का दिल जैसे मुंह को आ गया।
वो चिल्ला कर बोला, "अगर मेरी shy girl को कुछ भी हुआ तो तुम लोगों की मौत पक्की है। मैं पूरी बिल्डिंग को शमशान बना दूँगा — इतना बात याद रखना।"
आवाज़ सुनकर सारे डॉक्टर अंदर तक कांप गए। वहीं पास में जो कि सीनियर डॉक्टर थी, वो मृत्युंजय की तरफ़ देखकर बोली, "धीरज रखिए Mr Rathore, ये कोई छोटी-मोटी बीमारी नहीं है — ये ब्लड कैंसर है और जिसका इलाज बिल्कुल नामुमकिन है और वो भी लास्ट स्टेज।"
जैसे ही डॉक्टर ने इतनी बात कही, मृत्युंजय अपनी जगह पर खड़ा होकर उसके पास आया और अगले ही पल उसने डॉक्टर को गालियाँ पढ़ते हुए पीछे की दीवार की तरफ़ धकेल दिया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "जो करना है करो। जितना पैसा लेना है, लो..."
"मैं पैसा पानी की तरह बहा दूँगा पर मेरी shy girl को कुछ नहीं होगा। मैं उसे भगवान के आगे नहीं झुकना दूँगा — वो मुझे मेरी shy girl को नहीं छीन सकता।"
अभी वो बोल ही रहा था कि बेड पर पड़ी ढाणी एक बार फिर से खाँस पड़ी और खाँसते-हँसते उसके मुँह से बहुत ज्यादा खून बहने लगा। जैसे ही मृत्युंजय ने ये देखा, मृत्यु का दिल धक्का सा रह गया — उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसका दिल उसके सीने से पकड़कर बाहर निकाल रहा हो। वहीं ढाणी की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी।
जब डॉक्टर ने ये देखा तो उसकी आँखें हैरानी से फैल गईं; उसने अपने मुंह पर हाथ रखकर बोला, "Oh my God — ये negative symptoms हैं, Mr Rathore."
डॉक्टर ने इतना ही कहा था कि मृत्युंजय ने एक बार फिर से उसका गला पकड़ते हुए कहा, "I don't care about that, मुझे रिज़ल्ट पॉज़िटिव चाहिए। चाहे उसके लिए तुम लोगों को कुछ भी करना पड़े, करो — जो मेडिसिन मंगवानी पड़ती है मंगवाओ।" उसकी बात पर डॉक्टर के चेहरे पर अब परेशानी छलकने लगी। वो ढाणी के पास आई और उसका दोबारा से चेकअप करने लगी पर ढाणी के चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे अब उसमें जीने की चाह ही न हो।
डॉक्टर साहब ने दोबारा से ढाणी का इलाज शुरू किया। सीनियर डॉक्टर ने ढाणी के मुँह में पाइप डाल दी जिससे पता लगाया जा सके कि अंदर कितना नुकसान हुआ था। उस पाइप में असल में कैमरे लगे हुए थे। कुछ ही देर में ढाणी के अंदर पूरी तरह एक्सप्लोर किया गया और पता चला कि ढाणी के अंदर हर तरफ़ जख्मों से भर चुका है।
डॉक्टर के चेहरे पर और भी परेशानी झलकने लगी क्योंकि कहीं न कहीं वो समझ गए थे — अब कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि ढाणी के अंदर तक जख्म फैल चुके थे। वो मृत्युंजय की तरफ़ आई और अपना सिर झुका कर बोली, "माफ़ कीजिए, मिस्टर राठोर..."
इतना ही कहा था कि मृत्युंजय अपनी जगह पर खड़ा हुआ और अपनी बैक से गन निकाल कर डॉक्टर के माथे पर रखते हुए बोला, "अब बोलो..."
मृत्युंजय की इस हरकत पर डॉक्टर और भी ज्यादा डर गई। वो अपनी डरी हुई लड़खड़ाती आवाज़ में बोली, "Rathore, this is wrong... हमने जितना कर सकते थे किया, पर अब उनका इलाज नहीं किया जा सकता। वो आख़िरी स्टेज पर हैं; अब उनके पास बहुत कम वक्त है — शायद एक हफ्ता भी न निकल पाए।"
जैसे ही डॉक्टर ने इतनी बात कही, मृत्युंजय का हाथ ढीला पड़ गया और वो हथियार उसके हाथों से फिसल कर ज़मीन पर जा गिरी। मृत्युंजय की नज़रें सामने — बेटी ढाणी — पर टिक गईं। मृत्युंजय का दिल इस वक्त धड़कने से इनकार कर रहा था; उसकी साँसें अब गहरी होने लगीं। खुद में धीरे से बड़बड़ाया, "मैं हार नहीं मान सकता, मैं तुम्हें कुछ होने नहीं देने दूँगा... मुझे कुछ करना होगा। अपनी पूरी पावर लगा दूँगा, अपना पूरा पैसा निछावर कर दूँगा, पर मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा — नहीं, इस बार भी नहीं, नहीं इस टाइम..."
कहते हुए वो उसके पास आया, उसका हाथ पकड़ कर ढाणी के ऊपर झुकते हुए बोला, "तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती — सुना तुमने..." डॉक्टर पागल हो गए हैं; वो कह रही है कि तुम्हारा आख़िरी टाइम है। मैं मानता हूँ, मैं गलतियाँ की हैं, मैं वादा करता हूँ मैं तुम्हारे सिवा किसी और की तरफ़ नहीं देखूँगा। अपनी आँखें खोलो, shy girl..."
"नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूँगा — मुझे पता है तुम मुझसे बहुत ज़्यादा प्यार करती हो। अपनी आँखें खोलो, आगे खोलो..." ऐसा कहते हुए मृत्युंजय पूरी तरह काँप रहा था; आज मृत्युंजय की बॉडी भी पूरी तरह से शुवर कर रही थी।
मृत्युंजय को साँस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। वो अवसाद की तरह हाथ पकड़ कर बोल रहा था, "नो नो, shy girl... नो..."
"तुम्हें पता है मैंने अपनी टाइम पर बहुत कुछ खोया है, अब मुझ में हिम्मत नहीं है — उठ जाओ प्लीज़।" इतना कहकर मृत्युंजय ने उसके गाल पर हाथ रखा। मृत्युंजय की आँखें हद से ज़्यादा लाल थीं पर फिर भी आँसू नहीं आए — वो बस पागलों की तरह ढाणी के सामने गिड़गिड़ा रहा था। वहीं ढाणी को किसी चीज़ का होश ही नहीं था।
"मैं तुझे एक बार फिर से उसके चेहरे को अपने हाथों में भर कर दिखाऊँगा — प्लीज़ उठ जाओ। मेरी खातिर उठ जाओ। तुमने कहा था न कि मैं तुम्हारा रब हूँ, तो अब मेरा ऑर्डर है कि तुम उठो — प्लीज़ उठ जाओ, न उठ जाओ न..."
"उठती क्यों नहीं..." इतना कहते हुए मृत्युंजय ज़ोर से चिल्लाया।
इतना कहते हुए मृत्युंजय ने अपने कदम पीछे की तरफ़ बालकनी की ओर बढ़ा दिए। वहीं डॉक्टर भी ये चीज़ देखकर हैरान थे — उनकी आँखें फैल चुकी थीं।
वहीँ ढाणी, जो बिल्कुल वैसे की वैसे पलटी पड़ी थी, उसके चेहरे पर अभी तक कोई भी एक्सप्रेशन नहीं आया था। मृत्युंजय एक बार और जोर से चिल्लाया, "तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती — नो नो नो नो, shy girl..."
अभी वो बोल ही रहा था कि सामने वेंटिलेटर पर भी bip bip की आवाज़ और भी तेज़ हो गई।
ढाणी की साँस और भी धीमी होने लगी और अगले ही पल अचानक से bip bip की आवाज़ वहीं बंद हो गई।
और जैसे ही ये हुआ मृत्युंजय अपने घुटनों के बल वहीं पर गिर पड़ा और ज़ोरों से चिल्लाया,
"नहींईईईईई..."
To be continued.....
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