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Diamond Resort,
इस वक्त सौम्या सामने बालकनी की तरफ देख रही थी और खुद की हालत देखकर इस वक्त सौम्या का दिल धक सा रह गया था। उसका दिल मानो जैसे धड़कने से इनकार कर रहा था। वही बालकनी की तरफ उसकी नज़रें उठते ही उसके आंसू और भी ज्यादा तेज हो गए थे।
क्योंकि इस वक्त बालकनी में कोई शख्स खड़ा था जिसकी पीठ इस वक्त सौम्या की तरफ थी और उस शख्स की पीठ पर एक साइड पर दिल वाला टैटू बना हुआ था और उस दिलवाले टैटू में कुछ लिखा हुआ था जो कि साफ सौम्या को दिखाई नहीं दे रहा था। सौम्या की जैसे सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो चुकी थी। उसे अपनी लोअर बॉडी में हद से ज्यादा पेन हो रहा था। इतना तो वह समझ चुकी थी कि रात को यहां पर बहुत कुछ हुआ है, पर इस वक्त उसे एक भी चीज़ याद नहीं थी और ना ही वह अब याद करने की हालत में थी।
सौम्या इस वक्त पूरी तरह से नेक्ड अपनी जगह पर बैठी हुई थी। उसकी आंखों के सामने बार-बार धानिष्क का चेहरा घूम रहा था और इसी के साथ उसकी सांसें गहरी होनी शुरू हो गई थीं। देखते ही देखते सौम्या की बॉडी बुरी तरह से शिवर करने लगी और उसके चेहरे पर पसीना आने लगा। उसकी आंखों के सामने धानिष्क का चेहरा घूमने लगा।
और आंखों के सामने धुंधलापन छाने लगा। एक पल के लिए उसे धानिष्क की तस्वीर अपनी आंखों के सामने दिखाई देती तो दूसरे ही पल उसकी आंखों के सामने धुंधलापन छा जाता, जिससे साफ पता चल रहा था कि सौम्या इस वक्त पैनिक कर रही थी। वही जो बालकनी में शख्स खड़ा था, वह इस वक्त सिगरेट पी रहा था। वह इस चीज़ से इस वक्त पूरी तरह से अनजान था। और अगले ही पल उस शख्स ने पलट कर सौम्या की तरफ देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गईं और उसका दिल जैसे धड़कना ही भूल गया।
क्योंकि यह शख्स कोई और नहीं, धानिष्क था — जो कि बालकनी में खड़ा होकर इस वक्त सिगरेट पी रहा था। और अगले ही पल वह भागकर अंदर की तरफ आया और सौम्या की साइड पर बैठ गया। वही सौम्या का शरीर अब पूरी तरह से शिवर करने लग गया था और पसीने से उसकी बॉडी तरबतर हो गई थी। साफ पता चल रहा था कि सौम्या को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। उसकी सांसें चोक होने लगी थीं।
सौम्या की ऐसी हालत देखकर धानिष्क का दिमाग पूरी तरह से घूम चुका था। उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि सौम्या की ऐसी हालत हुई कैसे। उसने सौम्या को ऐसे सांस लेते हुए देखकर उसकी खुद की सांस गहरी होने लगी। अगले ही पल उसने अपनी जेब से फोन निकाला और कुछ टाइप करके सेंड कर दिया। पर सौम्या को देखकर उसकी हालत भी अब खराब होने लगी थी। उसने जल्दी से सौम्या का चेहरा अपने हाथों में भर लिया और...
वही सौम्या, जो कि गहरी-गहरी सांस भर रही थी, उसे कुछ भी सामने का साफ दिखाई नहीं दे रहा था। उसकी आंखें ऊपर की तरफ रोल हो रही थीं। वह सही तरह से अब धानिष्क को देख भी नहीं पा रही थी। उसे तो इतना भी नहीं पता था कि सामने बैठा शख्स कौन है। जब सौम्या ने 5 मिनट तक सही तरह से सांस नहीं ली तो अगले ही पल धानिष्क को कुछ और नहीं सूझा। उसने अगले ही पल सौम्या के चेहरे को अपने हाथों में भरकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और सौम्या के मुंह में गहरी-गहरी सांस भरने लगा।
सौम्या को सीपीआर देते हुए धानिष्क को कुछ-कुछ हो रहा था। वह एक पल के लिए अंदर तक जैसे हिल चुका था क्योंकि सौम्या सांस लेने से भी अब इनकार करने लगी थी। धानिष्क को तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी भी पल उसकी धड़कन रुक जाएगी। अगर सौम्या को कुछ हो गया तो धानिष्क भी जी नहीं पाएगा।
जब कुछ देर CPR देने पर भी असर नहीं हुआ, तो उसने सौम्या को जोरों से पकड़कर झकझोर दिया, जिससे अगले ही पल सौम्या ने थोड़ा सा होश किया। पर अभी भी उसे धानिष्क का चेहरा साफ दिखाई नहीं दे रहा था, जिससे वह और भी ज्यादा डर गई और अगले ही पल उसने धानिष्क को जोर से खुद से दूर धक्का दिया।
धानिष्क को इस चीज़ का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि सौम्या उसे इस तरह से धक्का दे देगी, इसीलिए वह संभल नहीं पाया और पीछे बेड पर जा गिरा। वही सौम्या अब अपनी जगह पर उठी और धानिष्क की तरफ देखते हुए बोली —
“दूर रहिए! मुझे कौन हैं आप? और ऐसे मेरे करीब कैसे आ सकते हैं?”
इतना कहते हुए वह जोर-जोर से चिल्लाते हुए रोने लगी।
वही उसकी बात सुनकर धानिष्क उसकी तरफ देखता ही रह गया क्योंकि धानिष्क इतना तो समझ चुका था कि सौम्या पर अभी भी ड्रग्स का असर है और दूसरा शायद वह अभी धानिष्क को सही से देख नहीं पा रही। अब धानिष्क के जबड़े पूरी तरह से कसने लगे। उसे अब मिस्टर गुलरिया पर हद से ज्यादा गुस्सा आने लगा।
वह अब अपनी जगह पर खड़ा होकर सौम्या की तरफ कदम आगे बढ़ाने लगा, पर तभी सौम्या पीछे-पीछे होने लगी। सौम्या को इस तरह से पीछे होता देख धानिष्क को अब खुद पर गुस्सा आने लगा कि क्यों उसने पार्टी में सौम्या को अकेला छोड़ा। उसे अब खुद पर ही गुस्सा आने लगा क्योंकि इस वक्त जो भी हुआ था, सब धानिष्क की प्लानिंग और अकॉर्डिंग हुआ था।
वही सौम्या अब पीछे एक डोर से जा लगी और उस डोर के ऊपर ही एक नाइफ पड़ा था, जो अभी तक सौम्या को नहीं पता था। वही किसी अनजान को अपनी तरफ बढ़ता देख, जबकि वह धानिष्क था, अभी भी सौम्या को साफ दिखाई नहीं दे रहा था। सौम्या का दिल अब जोर-जोर से धक-धक करने लगा। उसकी सांसें और भी ज्यादा गहरी होने लगीं, माथे पर पसीना हद से ज्यादा आने लगा।
वह अब गहरी-गहरी सांस लेते हुए बोली —
“दूर रहो मुझसे, दूर रहो! I said stay away from me!”
इतना कहते हुए सौम्या ने अपने हाथ पीछे डोर के ऊपर रखे कि तभी उसके हाथ में नाइफ लग गई, और अगले ही पल उसने उस नाइफ को उठाया और अपने हाथ में पकड़कर कलाई पर रखते हुए बोली —
“तुमने मुझे मेरे मिस्टर कपूर से छीना है और अब वो तुम्हें इस दुनिया से खत्म कर देंगे!”
इतना कहते हुए वह नाइफ अपनी कलाई पर चलाने ही वाली थी —
कि तभी धानिष्क ने जल्दी से उसकी तरफ दौड़ लगाई और अगले ही पल जोरदार तमाचे की आवाज वहां पर गूंज गई, जिससे सौम्या की आंखों में आंसू लबालब बहने लगे और उसके हाथों से नाइफ नीचे जमीन पर जा गिरी।
वही धानिष्क अब उसका हाथ पकड़कर उसे सीने से लगाते हुए बोला —
“पागल हो गई हो? मैं हूं तुम्हारा मिस्टर कपूर...!”
धानिष्क ने इतना ही कहा था कि एक पल के लिए सौम्या को यकीन ही नहीं हुआ। वह अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी सुन्न पड़ गई। पर जब दोबारा से धानिष्क ने उसके सिर पर हाथ फिरते हुए बोला,
“मैं हूं स्वीट मार्शमैलो...”
जैसे ही धानिष्क ने इतना कहा, कि सौम्या ने अपना शरीर पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और फूट-फूट कर रोने लगी।
उसकी आंखों में हद से ज्यादा पानी आने लगा। उसका दिल इस वक्त जोर-जोर से धक-धक कर रहा था। वही धानिष्क अब उसे पूरी तरह से संभालने की कोशिश कर रहा था। वह प्यार से उसके सिर पर हाथ फिरते हुए बोला,
“मेरे होते हुए तुम्हारे करीब कोई आ जाए, इस दुनिया को आग ना लगा दूं मैं...”
इतना कहते हुए उसकी आंखों के सामने कल रात का मंजर घूमने लगा —
जब मिस्टर गुलरिया सौम्या के ऊपर झुके हुए थे...
To be continued...
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Sorry every buddy Dena mujhe dupeher ko tha par bp bohat low tha so likha nahi jaa Raha tha kisi tarah se ab pura kiya hai im sorry pichle dino se me chepter nahi de paa rahi hu because of karwachauth aur do din bp problem par abhi jitne ho sake dungi









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