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Contract

Chauhan industries,,,

Private room,,

आदर्श ने अभी-अभी ध्वनि के सामने अपना फोन किया था और उसे फोन में जो वीडियो चल रही थी, उसे देखकर ध्वनि की आंखें बड़ी हो गई थीं। उसका दिल जैसे धड़कने को इनकार कर रहा था… क्योंकि उसके सामने उसकी छोटी बहन माया की वीडियो क्लिप चल रही थी, जो कि बेहोश इस वक्त एक बेड पर लेटी हुई थी और उसके आस-पास बहुत से बॉडीगार्ड्स खड़े थे। जिनके हाथों में लड़कियां थीं और एक बॉडीगार्ड के हाथ में पॉइज़न की शीशी थी।

माया को इस हाल में देखकर ध्वनि को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सांसें इसी वक्त रुक जाएंगी। उसकी आंखों में नमी तैरने लगी थी और बॉडी बुरी तरह से शिवर करने लगी थी। वह गहरी-गहरी सांस लेते हुए ना में सिर हिलाते हुए आदर्श के आगे हाथ जोड़ते हुए बोली –

“प्लीज़… कुछ ऐसा मत कीजिएगा मिस्टर चौहान… मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं। वो भी बच्ची है।”

ध्वनि की हालत देखकर आदर्श के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई। अगले ही पल उसने अपना फोन बंद किया और अपनी पॉकेट में डालते हुए एकदम से ध्वनि के पास आकर खड़ा हो गया। उसकी कमर पर हाथ रखकर खुद से सटाते हुए उसके चेहरे पर गोल होंठ करके हल्की-सी फूंक मारी, जिससे ध्वनि के चेहरे पर आए हुए बाल पीछे की तरफ हवा में उड़ गए।

आदर्श अब ध्वनि को अपनी गहरी नजरों से देखते हुए बोला –

“ठीक है, मैं उसे कुछ नहीं करूंगा… पर मेरी एक शर्त है।”

आदर्श की शर्त का ज़िक्र सुनकर ध्वनि का दिल जोर-जोर से धक-धक करने लगा। उसे न जाने क्यों लग रहा था कि आदर्श कुछ ना कुछ तो गलत सोच रहा है… और अगले ही पल उसका यह भ्रम भी सच हो गया।

क्योंकि जो आदर्श ने कहा, उसे सुनकर उसका दिल जैसे धक सा रह गया।

आदर्श ने ध्वनि की आंखों में देखते हुए बेहद कोल्ड वॉइस में कहा –

“तुम हर रात मुझे मेरे बिस्तर पर चाहिए हो… और हमारे बीच नाम की शादी होगी। वह सिर्फ रात तक सीमित रहेगी, जब तक मैं तुम्हारे साथ हम-बिस्तर रहूंगा। और इस शादी के बारे में बाहर की दुनिया को कोई भी खबर नहीं होगी। अगर तुम्हें यह कॉन्ट्रैक्ट मंजूर है तभी मैं तुम्हारी बहन को छोड़ूंगा… नहीं तो तुम जानती हो कि मैं उसके साथ क्या करने वाला हूं।”

इतना कहकर आदर्श ने अपनी पॉकेट से सिगरेट का पैकेट निकाला और उसमें से सिगरेट निकालकर अपने होठों में दबाई। फिर लाइटर से जलाकर सिगरेट के लंबे कश भरने लगा।

वहीं ध्वनि तो जैसे अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी जाम सी गई थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके प्राण उसके शरीर में से निकाल लिए हों और उसका दिल अपने हाथों में लेकर मसल दिया हो।

उसकी आंखों से आंसू लबालब बहने लगे। क्योंकि एक तरफ उसकी बहन थी जो अब खतरे में थी और दूसरी तरफ आदर्श ने उसे ऐसी शर्त रख दी थी… कि अगर वह मना करती तो उसकी बहन की जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद हो जाती। और शायद आदर्श उसे मौत के घाट भी उतार देता।

आदर्श की बातें बार-बार ध्वनि के दिमाग में घूमने लगीं और देखते-देखते उसकी बॉडी बुरी तरह से शिवर करने लगी। उसे अपनी सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी।

वहीं आदर्श अब सिगरेट पीता हुआ बालकनी की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था कि तभी पीछे से धड़ाम की आवाज आई। आवाज सुनते ही आदर्श के कदम वहीं रुक गए।

जैसे ही उसने पीछे पलटकर देखा तो उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं और एक गहरी सांस लेकर बोला –

“इन लड़कियों के ड्रामे… कोई शर्त रखो नहीं कि शुरू हो जाते हैं यार। अब मैं क्या करूं… यार अब मैं क्या करूं, मुझे समझ नहीं आ रहा है… कितना दिमाग खराब करती है यह लड़की।”

इतना कहते हुए आदर्श ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसके चेहरे की तरफ देखने लगा। ध्वनि का चेहरा इस वक्त पूरी तरह से पील पड़ा हुआ था और उसके गालों पर आंसुओं के निशान बने हुए थे।

आदर्श ने ध्वनि को ले जाकर बेड पर लिटा दिया और अपने फोन पर कुछ टाइप किया। इतना करने के बाद वह सीधा बालकनी में जाकर खड़ा हो गया और सिगरेट के लंबे कश भरने लगा।

लंबे कश भरते हुए आदर्श बाहर की तरफ देख रहा था। उसकी नज़रें ऊपर खुले आसमान की तरफ थीं और ऐसा लग रहा था कि उसकी आंखों में न जाने कितने ही राज छुपे हों। आदर्श के चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिमाग में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा हो। तभी उसने पीछे पलटकर ध्वनि की तरफ एक बार देखा और अपनी कोल्ड वॉइस में बोला –

“शादी तो तुम्हें करनी ही पड़ेगी… चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े।”

इतना कहते हुए आदर्श की बेहद गहरी नज़रें ध्वनि पर थीं।

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तकरीबन 15–20 मिनट बाद…

ध्वनि के आसपास डॉक्टर की एक टीम थी। पर उन डॉक्टरों में से कोई भी मेल डॉक्टर नहीं था, सभी डॉक्टर फीमेल थीं। और जैसे ही वह ध्वनि को चेकअप करने लगीं तभी आदर्श ने कोल्ड वॉइस में कहा –

“कोई भी मेरी बिना इजाज़त उसे नहीं छुएगा।”

आदर्श की बात सुनकर डॉक्टरों के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन आ गए। क्योंकि अगर वह ध्वनि को छुएंगी नहीं तो उसका इलाज कैसे करेंगी।

आदर्श अब कोल्ड वॉइस में बोला –

“तुम्हें सिर्फ 15 मिनट दिए जाते हैं… और 15 मिनट में तुम कैसे ध्वनि का इलाज करती हो, यह तुम जानो। नहीं तो… अनलेस…

मैं नहीं जानता कि तुम इस दुनिया के किस कोने में एक्ज़िस्ट भी करोगी या फिर नहीं।”

आदर्श की बात सुनकर डॉक्टरों के होश पूरी तरह से उड़

गए। उनका रंग पूरी तरह से पीला पड़ गया।

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Chauhan Industries,,

Private separate room,,,

ध्वनि इस वक्त बेड पर बेजान सी लेटी हुई थी। उसकी आंखें पूरी तरह बंद थीं और डॉक्टर उसे एग्ज़ामिन करके जा चुकी थी। डॉक्टर ने बिना हाथ लगाए ही ध्वनि को किसी तरह से इंजेक्शन दिया था और थर्मामीटर से ही बिना हाथ लगाए उसका टेंपरेचर चेक किया था और स्टेथोस्कोप को धड़कन पर लगाकर ध्वनि की धड़कन चेक की थी। यानी कुल मिलाकर डॉक्टर पर आदर्श ने अपना इतना दबदबा बना रखा था कि डॉक्टर की हिम्मत नहीं पड़ी कि वह ध्वनि को छू भी सके।

उसने ध्वनि को एक इंजेक्शन दिया था जिससे कुछ पल में ध्वनि होश में आने वाली थी। वही सामने सोफ़ा पर आदर्श बैठा था जो उस पर नज़रें गड़ाए हुए था। उसके सामने कुछ पेपर्स पड़े हुए थे जिन्हें वह घूर-घूर कर देख रहा था। आदर्श ने एक हाथ में ड्रिंक पकड़ रखी थी और दूसरे हाथ में सिगरेट थामकर उसके लंबे कश भर रहा था। इस वक्त उसने अपने बदन पर कुछ नहीं पहना था सिवाय एक टॉवल के।

उसकी अप्पर बॉडी पूरी तरह से नक़द थी और नीचे सिर्फ़ एक टॉवल कमर पर लपेटा हुआ था। तक़रीबन 15–20 मिनट बाद ध्वनि की आंखें हल्की-हल्की फड़फड़ाई। उसने अपना हाथ सिर पर रख लिया, उसके सिर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसने सिर झटका और धीरे-धीरे आंखें खोलने लगी। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र सामने बैठे आदर्श पर पड़ी, अगले ही पल उसके होश उड़ गए क्योंकि उसे वही बातें दोबारा याद आ गईं। बहन का ख्याल आते ही उसका दिल धक से रह गया।

अगले ही पल वह तेजी से बेड से उठने लगी लेकिन तभी उसे चक्कर आने लगे और वह दोबारा से बेड पर बैठ गई। वही आदर्श की नज़रें अब उस पर और भी गहरी हो गई थीं।

आदर्श (डोमिनेटिंग वॉइस में): "सामने पेपर्स पड़े हैं… जल्दी से यहां आकर साइन करो।"

उसकी बात सुनकर ध्वनि, जो सिर पकड़कर बैठी थी, चक्कर खाते-खाते भी हैरत से उसे देखने लगी। आदर्श को इस वक्त यह परवाह नहीं थी कि ध्वनि को कितनी तकलीफ़ हो रही है। उसे सिर्फ़ यह था कि ध्वनि सामने पड़े कागज़ात पर सिग्नेचर कर दे।

ध्वनि ने अपना सिर दोबारा झटका और आदर्श की तरफ देखते हुए लड़खड़ाती आवाज़ में बोली –

ध्वनि: "ये… ये… किस चीज़ के पेपर हैं?"

आदर्श (कोल्ड वॉइस में): "मैरेज कॉन्ट्रैक्ट पेपर… दो साल के।"

आदर्श के मुंह से मैरेज कॉन्ट्रैक्ट सुनते ही ध्वनि के होश पूरी तरह उड़ गए। अगले ही पल वह दांत पीसकर कुछ कहने को हुई, लेकिन तभी उसकी बहन माया की तस्वीर उसकी आंखों के सामने घूमने लगी। उसे डर लगने लगा कि अगर उसने आदर्श को कुछ कहा तो शायद आदर्श माया पर अटैक करवा देगा। उसने गहरी सांस ली और आदर्श की तरफ देखते हुए बोली –

ध्वनि: "तुम्हें ऐसा करके क्या मिल जाएगा? क्या दुनिया में इतनी लड़कियां नहीं हैं? तुम्हें मैं ही मिली थी?"

उसकी बात पर आदर्श के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई। अगले ही पल वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और ध्वनि की तरफ बढ़ा।

ध्वनि ने उसे आते देखा तो उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह अपनी जगह से खड़ी हुई और पीछे की तरफ जाने लगी।

आदर्श के चेहरे पर तिरछी मुस्कान और गहरी हो गई।

आदर्श (इंटेंस वॉइस में): "I like it… I like your fear."

उसकी बात पर ध्वनि की आंखें हैरत से फैल गईं और वह गुस्से से दांत पीसते हुए बोली –

ध्वनि: "मत सोचो कि मैं तुमसे डरती हूं!"

उसकी बात पर आदर्श के चेहरे पर और गहरी मुस्कान तैर गई।

आदर्श: "तो फिर पीछे क्यों जा रही हो?"

ध्वनि अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी फ्रीज़ हो गई। वह अब लड़खड़ाती आवाज़ में बोली –

ध्वनि: "वो… वो… मैं तो रूम घूम के देख रही थी। तुम्हारा रूम अच्छा है, इसीलिए… बस देखने जा रही थी।"

ध्वनि की बात पर एक पल के लिए आदर्श के चेहरे पर तिरछी मुस्कान तैर गई और वह बेहद इंटेंस आवाज़ में बोला –

आदर्श: "ऐसे क्या घूम रही हो? आओ न… तुम्हें अपने कंधों पर बिठाकर घुमाता हूं।"

उसकी इतनी गंदी लैंग्वेज सुनकर ध्वनि के होश पूरी तरह उड़ गए। वह हैरत से उसे देख रही थी। आदर्श गहरी मुस्कुराहट के साथ उसे नीचे देखने का इशारा कर रहा था।

जैसे ही ध्वनि ने नीचे देखा, उसका दिल धक से रह गया…

क्योंकि आदर्श का टॉवल पूरी तरह से नीचे गिर चुका था और उसका dick पूरी तरह खड़ा था।

इसे देखकर ध्वनि की आंखें और भी बड़ी हो गईं। वह नम हैरानी और गुस्से में चीख पड़ी –

ध्वनि: "दफा हो जाओ…!"

To be continued…

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