
Mumbai,,
सुबह के 6 बज रहे थे।
सुबह का सन्नाटा अभी पूरी तरह टूटा नहीं था...
एक मध्यम आकार के अपार्टमेंट में एक लड़की गहरी नींद में सोई हुई थी। कमरे की खिड़की से हल्की धूप छन कर उसके चेहरे पर पड़ रही थी, पर वो बेसुध सो रही थी।
टिक... टिक... टिक... TRRRRIIIIINGGG!!
घड़ी का अलार्म तेज़ी से बज रहा था।
एक लड़की मुंह पर कंबल लपेटे सो रही थी।उस आवाज़ से परेशान हो रही थी, मगर उठने का उसका बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था।
उसने नींद में ही करवट बदली, तकिया कानों पर रख लिया, लेकिन अलार्म का शोर नही रुका,,,
आख़िरकार झल्ला कर उसने घड़ी उठाई और सीधे कमरे के कोने में फेंक दी।
और गुस्से से नींद में बड़बड़ाई "बकवास मशीन..." और फिर रजाई में मुंह छुपा लिया।
डेढ़ घंटे बाद...
कमरे में अब थोड़ी और रौशनी भर चुकी थी। अचानक उसकी आंख खुली।
नींद से भारी पलकों के साथ उसने दीवार की घड़ी की ओर देखा...
"ओ माय गॉड!!"
वो चीख पड़ी—
"मर गई! अब तो तू गई, ध्वनि! आज फिर इंटरव्यू में रिजेक्ट हो गई!" ये लड़की है। धानी राजपुत अपने घर से यहां पढ़ने के लिए आई थी। और अब साथ में जॉब भी करना चहती है।
अगले ही पल वो बिस्तर से कूद कर उतरी,
"क्या कर रही है तू, धानी देर हो गई यार!"
तेज़ी से अलमारी खोली, कपड़े निकाले, ब्रश मुँह में दबाया, और सब कुछ एक साथ करने लगी।
आज उसका एक और जॉब इंटरव्यू था—शायद ज़िंदगी बदलने वाला!
मुंबई की सड़कों पर,
सुबह 9:40 AM
ध्वनि किसी तरह तैयार होकर अपने अपार्टमेंट से बाहर निकली। बाल आधे सूखे, हाथ में पर्स, और एक हाथ में ब्रेड का टुकड़ा जिसे वो भागते हुए खा रही थी।
"Cab बुक करूं या लोकल पकड़ लूं?" उसने अपने आप से पूछा।
फोन निकाला—नेटवर्क स्लो।
"अबे! आज ही मरना था क्या?"
आखिरकार उसने ऑटो रुकवाया।
"बांद्रा वेस्ट, ग्लोबल कॉर्प टॉवर चलोगे?"
ऑटोवाले ने सर हिलाया और ध्वनि कूदकर बैठ गई।
ऑटो में बैठे-बैठे…
ध्वनि ने एक गहरी सांस ली और खुद को मन ही मन समझाने लगी:
"इस बार नहीं गड़बड़ करनी... तुझे खुद पर भरोसा रखना होगा।"ध्वनि"" तू आज हार नहीं मान सकती,,
तभी अचानक—एक मैसेज आया।
“Hi Ms. Dhvani, please reach sharp by 10 AM. Panel will not wait.”
उसने घड़ी देखी:
9:48 AM
और मुंबई की ट्रैफिक का कोई भरोसा नहीं।
ध्वनि घबरा गई,
"भाईया जल्दी चलो प्लीज़! वरना मेरी ज़िंदगी का आख़िरी मौका भी निकल जाएगा!"
10:02 AM – ग्लोबल कॉर्प टॉवर
ध्वनि बिल्डिंग में हांफती हुई घुसी। रिसेप्शन पर पहुंची, चेहरे पर घबराहट साफ़ थी।
"Ms. Dhvani?"
रिसेप्शनिस्ट ने पूछा।
"Yes... I’m... I’m here for the interview."
"Sorry, panel just left."
ध्वनि की आंखों में नमी सी आ गई। उसने धीरे से कहा—
"एक बार... बस एक बार बुला लीजिए... प्लीज़..."
तभी पीछे से एक आवाज़ आई—
"Excuse me, you’re Dhvani, right?"
वो मुड़ी। एक हैंडसम, प्रोफेशनल दिखने वाला लड़का खड़ा था।
"Hi, I’m Ayaan. HR Head. Come with me."
ध्वनि चौंक गई, "पर… आप लोग तो निकल चुके थे न?"
Ayaan मुस्कराया:
"कभी-कभी लेट आने वाले लोग सबसे दिलचस्प होते हैं।"
अयान पीछे मुड़ा... और अब उसके चेहरे पर डेविल expression थे।
ध्वनि उसकी पीठ की ओर देख रही थी। वो अब भी थोड़ी घबराई हुई थी, उसका दिल जोरो से धक धक कर रहा था।मगर उसे ये राहत थी कि उसे इंटरव्यू का मौका मिल रहा है।
लेकिन उसे नहीं पता था कि...
जिस दरवाज़े की तरफ वो जा रही थी, वो उसकी ज़िंदगी का सिर्फ एक नया मोड़ नहीं, बल्कि एक अनजानी गहराई का दरवाज़ा था।
अयान की आंखों में अब गर्मजोशी चमक थी।
उसके होंठों पर एक हल्की मगर बेहद शैतानी मुस्कान फैल गई।
अयान अपने मन में "शिकार अपने आप चलकर आ गया..."
ध्वनि अब तक कुछ समझ नहीं पाई थी।
वो बस उसके पीछे-पीछे एक कॉरिडोर में चल रही थी, जहां दफ्तर के बाकी हिस्से की तुलना में रोशनी थोड़ी कम थी।
ध्वनि ने पूछा:
"Excuse me... इंटरव्यू रूम इसी तरफ है न?"
अयान, बिना मुड़े बोला:
"हाँ, हाँ... बस दो कदम और... फिर एक बिल्कुल पर्सनल राउंड।"
ध्वनि को कुछ अजीब सा लगा। उसकी चाल थोड़ी धीमी हो गई।
उसने पीछे देखा—पूरा ऑफिस खाली पड़ा था। सन्नाटा था।
तभी अयान एक दरवाजे के पास रुका। दरवाजा खोलते हुए बोला:
"Welcome to your final test, Dhvani."
ध्वनि की सांस अटक गई।
कमरे में सिर्फ एक laxirous किसी हनीमून sweet की तरह सजाया हुआ था।
जिसे देख धानी का दिल धक सा रह गया था। वहीं अयान के चेहरे पर एक हवस भरी मुस्कुराहट तैर गई थी। वो ध्वनि की तरफ देख कर बोला,, अगर आज तुम यहां पास हो गई तो,, तुम्हारा इंटरव्यू क्या,, बॉस को सेकोर्टरी बना दूंगा,,
उसने जैसे ही कमरे में कदम रखा, उसकी आंखें चौंधिया गईं।
कमरा किसी कॉरपोरेट इंटरव्यू रूम जैसा नहीं था,
बल्कि किसी लग्ज़ूरियस हनीमून स्वीट जैसा सजा हुआ था —
सिल्क की चादरें, गुलाब की पंखुड़ियां, मंद रौशनी, और एक कोने में रखी वाइन की बोतल।
ध्वनि का दिल धक से रह गया।
"ये... ये तो इंटरव्यू रूम नहीं हो सकता..."
उसने खुद से कहा और पीछे मुड़ने लगी।
तभी दरवाज़ा बंद हो गया।
अयान ने उसकी तरफ देखा और कहा—
"अगर आज तुम यहां पास हो गई,
तो सिर्फ इंटरव्यू ही नहीं... तुम्हें सीधे हमारे बॉस Mr. Adarsh Chauhaan की सेक्रेटरी बना दूंगा।"
उसकी आँखों में हवस तैर रही थी।
"वैसे.. मिस ध्वनि राजपुत . आदर्श सर अभी तक आए नहीं हैं..."
उसने मुस्कराते हुए एक कदम उसकी तरफ बढ़ाया।
ध्वनि एक पल को स्तब्ध रह गई। उसका दिल धक धक करने लगा,,
पर अगले ही पल उसने खुद को संभाला।
उसने एकदम शांत स्वर में कहा: ये क्या बदमीजी है। ये किसी इंप्लॉय से पेश आने का तरीका है।
ध्वनि एक पल को स्तब्ध रह गई।
कमरे की हवाओं में अजीब-सी बेचैनी थी।
उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था… सांसें बेकाबू सी लग रही थीं।
पर अगले ही पल...
उसने अपना चेहरा सख्त किया वो अपनी घबराहट अयान को नही दिखाना चहती थी।।
चेहरे पर एक ठंडी दृढ़ता उभर आई।
वो दो क़दम पीछे हटी।
और एकदम शांत, पर सख्त आवाज में बोली—
"ये क्या बदतमीज़ी है? ये किसी इंप्लॉई से पेश आने का तरीका है?"
अयान हंस पड़ा,
"ओह, शांत हो जाओ miss dhawni... ये तो कॉरपोरेट कल्चर है। Give and take, baby. तुम चाहो तो अभी से promotion की सीढ़ियाँ चढ़ सकती हो..."
अयान की बात पर ध्वनि को और भी घबराहट होने लागी थी।
उसने चारों ओर देखा,, ताकि वो किसी तरह किसी चीज से खुद को प्रोटेक्ट कर सके,,, पर वहा पर ऐसा कुछ भी नही था।
पर फिर वो अपने दिल को शांत करते हुए"तुम्हें लगता है, मैं डर जाऊंगी?"
"तुम जैसे लोग और ये ""इस देश की असली गंदगी है इस सिस्टम की।"
अयान धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा।
"तुम जैसी लड़कियाँ सिर्फ भाषण देती हैं, और फिर सिस्टम के सामने झुक जाती हैं।"और फिर अगले दिन हमरा लौड़ा तुम जैसे लड़कियों की चूत में मिलता है। उसकी इतनी गंदी बात पर ध्वनि ने अपने कानो पर हाथ रख बोली बकवास बंद करो,,,,
वहीं अयांश अब थोड़ा आगे आया और उसने जोर से ध्वनि को बेड पर धकेल दिया,, और खुद उसके ऊपर आ गया,,
वहीं अयान थोड़ा आगे आया...
ध्वनि अब तक अलर्ट हो चुकी थी।
लेकिन अयान ने अचानक ज़ोर से उसे धक्का दिया —
ध्वनि सीधा बिस्तर पर गिरी।
अगले ही पल अयान उसके ऊपर झुक गया,
उसकी आंखों में हवस, और चेहरे पर ज़हर भरी मुस्कान थी।
"बहुत बहादुर बन रही थी न? अब देखता हूं कितनी हिम्मत है..."
ध्वनि की आंखों में एक पल के लिए डर झलका, लेकिन... सिर्फ एक पल के लिए।
उसके हाथ तुरंत पर्स की तरफ गए, जिसे वो कसकर कोई पकड़े हुई थी।
तभी...
उसने पर्स से एक छोटा इलेक्ट्रिक टेज़र निकाला —
और बिना सोचे सीधे अयान के पेट पर झटका दे मारा!
“AAAAHHHHHHH!!”
अयान बुरी तरह चीख पड़ा और ज़मीन पर गिर गया, कांपता हुआ।
ध्वनि फौरन उठी।
उसने एक हाथ में टेज़र और दूसरे में मोबाइल पकड़ा।
"Record mode: ON."
उसने अयान की हालत को कैमरे में कैद किया।
"अब बोल अयान, तेरा कॉरपोरेट कल्चर किधर गया?"
तभी दरवाज़ा खुला—
एक शख्स ब्लैक गोगल पहने ब्लैक टाकसीडो,, और हाथ में गोल्ड की वॉच,, और गले में गोल्ड की चैन,, रंग गोरा,, जेल से सेट किए बाल,, और उसके टाकसीडों के अंदर की शर्ट के तीन बटन खुले थे। तीखी नाक,, शार्प जौ लाइन,,, और दिखाने में वो शख्स कुल मिला कर बवाल था। और ये शाखस और कोई नही Mr Adarsh chauhaan थे।
दरवाज़ा खुलने की आवाज से ध्वनि पलटी—
और गुस्से में कांपते हुए बोली "अगर आप भी इसका हिस्सा हैं, तो अब पुलिस से बात करिए। वरना बाहर मीडिया आपका इंतज़ार कर रही है।"
वहीं आदर्श तो बस dhwani को देखता ही रह गया,, उसके वो लंबे सिल्की बाल,, ऊपर से उसकी वो ग्रे आईज,, अयंश एक पल के लिए सब भूल गया,, की अभी अभी वहां पर हो क्या रहा था।
वहीं ध्वनि अब बोले जा रही थी। पर आदर्श का ध्यान तो उसकी बातो की बजाए उसके चेहरे पर था। पर तभी ध्वनि,, आगे कुछ बोलती,, तभी आदर्श सर्द आवाज में पीछे से पुलिस officer से ले जाओ इसे,, उसकी बात पर पीछे आ रहे पुलिस वाले अब आगे आए और अयान को पकड़ कर ले गए,, वहीं ध्वनि excuseme,,
ध्वनि बोले जा रही थी…
उसकी आवाज़ तेज़ थी, शब्दों में आग थी।
"इस कंपनी को अगर वाकई बदलाव चाहिए, तो सबसे पहले इस गंदे सिस्टम को उखाड़ फेंकिए—जिसमें लड़की की योग्यता नहीं, उसका चेहरा देखा जाता है..."
पर आदर्श का ध्यान अब भी उसकी बातों पर नहीं था।
वो बस उसे देखे जा रहा था।
उसके चेहरे की दृढ़ता, उसकी आँखों की चमक, और होठों से निकलते शब्द...
ध्वनि गुस्से में थी, पर वो उसमें एक और स्तर की ताकत देख रहा था — कुछ ऐसा जो शायद उसने पहले कभी नहीं देखा।
पर तभी...
जब ध्वनि आगे कुछ कहने ही वाली थी,
आदर्श ने एकदम सर्द, सपाट आवाज़ में कहा—
"ले जाओ इसे..."
ध्वनि चौंकी।
पर अगले ही पल पुलिस ऑफिसर आदर्श के इशारे पर आगे बढ़े और अयान को ज़मीन से घसीटते हुए उठाया।
"आपको हक नहीं है मुझे छुने का—"
अयान चिल्ला रहा था, मगर कोई उसकी नहीं सुन रहा था।
ध्वनि अभी भी स्थिति को समझने की कोशिश कर रही थी...
वो थोड़ा आगे बढ़ी और बोली—
"Excuse me... Mr. Chauhaan... अभी आपने क्या कहा?"
आदर्श ने अब पहली बार ठोस स्वर में उसकी आँखों में देखा—
"मैंने वही किया जो करना चाहिए था।"
ध्वनि, जो अब तक खुद को एक अकेली लड़ाई में खड़ा समझ रही थी, थोड़ा ठिठक गई।
"तो आप मेरे साथ थे?"
"नहीं," आदर्श बोला।
"मैं तुम्हारे पीछे नहीं खड़ा था, मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। तुम्हें समझना चाहता था। अब समझ चुका हूँ..."
ध्वनि के चेहरे पर अब expression आ गए,,वो अब आदर्श को समझने की कोशिश कर रही थी। आखिर आदर्श कहना क्या चाहता था।,, पर फिर वो अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोली —
"और ये सब क्या था? कमरे की साज-सज्जा, वो सब क्या…?"
"वो तुम्हारे आत्मबल को तोलने का आखिरी तरीका था।"
"क्योंकि इस कुर्सी के काबिल सिर्फ वही हो सकता है, जो डर के आगे भी खड़ा रहे। और तुम खड़ी रहीं।"
ध्वनि कुछ कह नहीं पाई।
उसका दिमाग अब भी उलझा हुआ था।
"अब अगर तुम चाहो,"
आदर्श ने आगे कहा,
"तो कल से ज्वाइन कर सकती हो,,, वहीं ध्वनि के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट तैर गई। वो अब बोली सच में सर,, उसकी बात पर आदर्श ने कोई जवाब नही दिया,,
पलटा और वहा से जानें लगा,, और अब मन में बोला,,welcome to hell miss dhwani इतना कह उसके चेहरे पर devil smile आ गई। तुम्हारे साथ खेलने में मजा आयेगा,,
To be continue ......
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