
New Zealand,,
Heartbeat hospital,,
धानी को अभी-अभी हल्का सा होश आया था और उसने अपनी आंखें खोली थी। उसकी आंखों के सामने धुंधलापन दिखाई दे रहा था।
वहीं सामने खड़ा मृत्युंजय जो कि डॉक्टर को मार रहा था, जैसे ही धानी की आवाज उसके कानों में पड़ी तो उसका हाथ वहीं पर जम गया। डॉक्टर को मारते हुए ही धानी की आवाज जब मृत्युंजय के कानों में पड़ी, अगले ही पल मृत्युंजय का हाथ वहीं पर रुक गया। मृत्युंजय का दिल इस वक्त जोर-जोर से धक-धक कर रहा था।
जैसे ही उसने धानी की तरफ देखा, उसने डॉक्टर को दूर धकेला और अगले ही पल अपने तेज कदमों से धानी की तरफ बढ़ गया।
धानी के पास जाते ही उसने धानी का हाथ पकड़ना चाहा कि तभी धानी ने अपना हाथ खींचते हुए कहा –
“आप कौन हैं? और मुझे सही तरह दिखाई क्यों नहीं दे रहा? Oh my god… मेरा सर इतना क्यों दुख रहा है?”
इतना कहकर वह आसपास देखने लगी पर उसे सही से दिखाई ही नहीं दे रहा था।
वहीं मृत्युंजय का दिल तो जैसे धक सा रह गया। वह अपनी जगह पर खड़ा-खड़ा जैसे जड़ सा गया। उसका दिल इस वक्त बुरी तरह से कांप रहा था।
धानी को जब ज्यादा देर तक धुंधलापन दिखाई दिया तो अगले ही पल उसे दोबारा से चक्कर आए और वह फिर से बेहोश हो गई। देखते ही देखते वह स्ट्रेचर पर गिरने को हुई कि तभी मृत्युंजय ने उसे अपनी बाहों में संभाल लिया।
मृत्युंजय को अपने दिल में एक दर्द महसूस हो रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके दिल को मुट्ठी में भरकर जकड़ लिया हो, जैसे उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी हो।
अगले ही पल उसने धानी को बेड पर लिटा दिया और डॉक्टर की तरफ इशारा किया।
जैसे ही उसने डॉक्टर की तरफ इशारा किया, डॉक्टर अंदर तक कांप गए और जल्दी से अपना काम दोबारा करने लगे।
वहीं मृत्युंजय अब अपने कदम पीछे की तरफ लेने लगा। उसकी आंखें अब हद से ज्यादा लाल हो गई थीं। उसका दिल जैसे उसके बस में नहीं था।
अगले ही पल वह भागते हुए आईसीयू वार्ड से बाहर निकला और लिफ्ट की तरफ बढ़ गया। उसने इतनी तेजी से लिफ्ट का बटन दबाया और सीधा टॉप फ्लोर की तरफ चला गया।
जैसे ही वह अस्पताल की बिल्डिंग की छत पर पहुंचा, वह बाहर निकलकर जोर-जोर से गहरी सांसें लेने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे मानो उसे सांस ही ना आ रही हो।
मृत्युंजय खुद से बड़बड़ाया –
“नहीं… मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। मैं मानता हूं मैंने तुम्हें तंग किया, पर तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। नहीं… नहीं… नहीं…!”
इतना कहते हुए मृत्युंजय अपने मुंह से होते बालों पर हाथ फेरने लगा। उसे लग रहा था जैसे उसका दिमाग काम करना बंद कर गया हो।
जहां से सबका दिमाग जवाब दे जाता था, वहीं से मृत्युंजय का दिमाग काम करना शुरू होता था। पर आज वह इतना बेबस था कि उसके पास दुनिया की सारी दौलत होने के बावजूद भी वह कुछ नहीं कर पा रहा था। ना चाहते हुए भी वह helpless महसूस कर रहा था।
कुछ देर बाद उसने खुद को संभाला और बुदबुदाया –
“नहीं… मैं बिखर नहीं सकता। मुझे… मुझे मेरी shy girl को ठीक करना है।”
इतना कहकर हिम्मत बटोर कर वह एक बार फिर से नीचे की तरफ चला गया।
अगले ही पल आईसीयू का दरवाजा दोबारा खुला। डॉक्टर की सांसें दोबारा से गले में अटक गईं। वहीं मृत्युंजय अब धानी के पास जाकर खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़कर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए, अपनी लाल आंखों से धानी के चेहरे को देखते हुए बोला –
“तुम मुझे भूल नहीं सकती। मैंने तुम्हें इसकी इजाजत नहीं दी और ना ही तुम मुझे छोड़कर जा सकती हो, समझी?
तुम खुद तो क्या, अगर भगवान भी तुम्हें मुझसे छीनने की कोशिश करेगा ना, तो मैं उसकी भी नहीं सुनूंगा। रही बात इस बीमारी की… तुम्हें इससे लड़ना होगा। तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती, समझी? अपनी आंखें खोलो।”
जैसे ही मृत्युंजय ने कहा, धानी की उंगलियां हिलने लगीं और अगले ही पल उसने हल्की-हल्की आंखें दोबारा खोलनी शुरू कर दीं।
जैसे ही उसने अपने सामने मृत्युंजय को देखा, उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान तैर गई। उसने कुछ बोला नहीं।
धानी को दोबारा होश में आता देखकर मृत्युंजय का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसे डर लग रहा था कि कहीं धानी फिर से पहचानने से इंकार न कर दे।
वहीं धानी अब प्यार से अपना हाथ उठाकर मृत्युंजय के गाल पर रखते हुए बोली –
“क्या हुआ मिस्टर राठौर? आप मुझे यहां क्यों लेकर आए हैं?”
जैसे ही मृत्युंजय ने धानी के मुंह से मिस्टर राठौर सुना, उसे ऐसा लगा जैसे उसके दिल को सुकून मिल गया हो। उसकी तड़प जैसे शांत हो गई।
उसने बड़े प्यार से धानी के सिर पर हाथ फेरा और उसकी आंखों में देखते हुए कहा –
“कुछ नहीं हुआ। तुम्हें बस थोड़ी देर और इलाज करना है। हम शाम तक यहां से निकल रहे हैं। उसके बाद मैं तुम्हें घूमाने लेकर चलूंगा।”
मृत्युंजय की बात सुनकर डॉक्टर की आंखें हैरत से फैल गईं। जिस तरह मृत्युंजय डॉक्टर के साथ पेश आ रहा था, उतना ही सॉफ्ट वह धानी के साथ था।
डॉक्टर कुछ कहने ही वाले थे कि मृत्युंजय ने सर्द नजरों से उनकी तरफ देखा। डॉक्टर की आवाज गले में ही अटक गई और वह कुछ भी नहीं बोल पाए।
मृत्युंजय अब उसके साइड टेबल पर बैठ गया। डॉक्टर ने अपना सर्जिकल सामान समेटा और वहां से निकल गए।
एक डॉक्टर ने दूसरी नर्स से धानी का वार्ड शिफ्ट करने को कहा, तो नर्स ने हामी भर दी। तभी डॉक्टर ने मृत्युंजय से कहा –
“Mr. Rathore, मुझे आपसे जरूरी बात करनी है।”
जैसे ही डॉक्टर ने कहा, मृत्युंजय का हाथ जो धानी के सिर पर था, वहीं पर रुक गया। उसने गहरी सांस ली और हल्का सा सिर हिलाया।
डॉक्टर अपनी बात कहकर वहां से चले गए।
मृत्युंजय दोबारा धानी के सिर पर हाथ फेरने लगा। वहीं धानी फिकी सी मुस्कान के साथ मृत्युंजय की तरफ देखते हुए बोली –
“Mr. Rathore… मेरे पास बहुत कम समय है। पता नहीं मैं कितनी देर जी पाऊंगी।”
जैसे ही धानी ने यह कहा, मृत्युंजय का चेहरा काला पड़ गया। उसने दांत भींचकर ठंडी आवाज में कहा –
“अपनी बकवास बंद रखो। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा, समझी तुम?”
मृत्युंजय की बात सुनकर धानी एक पल को चुप हो गई। उसकी आंखों में नमी छा गई। पर उसने फिर भी हिम्मत करके कहा –
“पर अब हमारा साथ यहीं तक का था। आपको मुझे छोड़ना होगा।”
जैसे ही धानी ने यह कहा, मृत्युंजय का दिल तड़प उठा। उसकी आंखें और ज्यादा लाल हो गईं। अगले ही पल वह अपनी जगह से उठा और गरजते हुए बोला –
“मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा, समझी तुम? और रही बात मौत की… तो मौत को हारना होगा। भगवान भी नीचे आ जाएगा ना, तब भी मैं तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा।”
इतना कहकर मृत्युंजय आईसीयू से बाहर निकल गया। वहीं नर्स, जो धानी को ले जाने आई थी, उनकी हालत देखकर उसकी आंखों में भी नमी आ गई।
धानी का दिल पूरी तरह से चकनाचूर हो चुका था। वह अपनी टूटी आवाज में रोते हुए बोली –
“नियति को कौन रोक सकता है मिस्टर राठौर? आज नहीं तो कल मुझे जाना ही है। इसका कोई इलाज नहीं है। मैंने बहुत जगह इलाज करवाया, पर अब ये लास्ट स्टेज है।”
इतना कहते ही धानी फिर रोने लगी। तभी अचानक उसके सिर में तेज दर्द हुआ। उसकी सांसें तेज हो गईं।
वहीं पास खड़ी नर्स ने जैसे ही धानी की हालत देखी, उसके हाथ से सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट गिर गए और वह जल्दी से डॉक्टर को बुलाने भागी।
धानी की सांसें इतनी गहरी चलने लगीं कि उसे अपने दिल में दर्द सा महसूस होने लगा।
देखते ही देखते धानी फिर से बेहोश हो गई।
वहीं मृत्युंजय, जो अभी-अभी वार्ड से बाहर आया था, नर्स को भागते हुए देख उसका दिल धक से रह गया।
अगले ही पल उसने आईसीयू का दरवाजा खोला और उसकी आंखें हैरत से फैल गईं…
New Zealand,,,
Heartbeat hospital,,
अभी थोड़ी देर पहले धानी बेहोश हो चुकी थी। क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ज़्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से उसकी सांस फूल चुकी थी और उसकी बॉडी पूरी तरह से shiver करने लगी थी। शायद उसका बीपी बढ़ चुका था और बीपी बढ़ने से उसका सर दर्द और हाथ में दर्द होना शुरू हो गया था। जिसे देखते-देखते वह बेहोश हो गई थी।
वही नर्स धानी की ऐसी हालत देखकर जल्दी से वार्ड के बाहर डॉक्टर को बुलाने के लिए भागी।
वही मृत्युंजय जो कि बाहर चेयर पर बैठा था, अपने सर को पीछे कुर्सी पर टिकाए जैसे ही उसने नर्स को भागते हुए देखा उसका दिल एक पल के लिए धक सा रह गया। वह अपने कांपते हुए शरीर के साथ उठा और अगले ही पल वार्ड की तरफ भागा। सामने का नज़ारा देखकर मृत्युंजय का दिल अंदर तक कांप गया।
क्योंकि अंदर धानी अभी बेहोश नहीं हुई थी बल्कि वह खून की उल्टियां दोबारा से कर रही थी। धानी की हालत देखकर मृत्युंजय के हाथ-पैर कांपने लगे थे। उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल हो चुकी थी।
अगले ही पल उसने धानी की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए। जैसे ही वह धानी को हाथ लगाने को हुआ धानी ने उसे अपना हाथ दिखाकर रोक दिया। कुछ देर धानी गहरी सांस लेती रही और फिर मृत्युंजय की तरफ देखकर जैसे ही कुछ बोलने को हुई, एक बार फिर से उसकी आंखों में धुंधलापन छाने लगा। पर अगले ही पल उसने अपना सिर झटका और दोबारा से मृत्युंजय की तरफ देखा।
और अगले ही पल जैसे उसकी आंखों के आगे कालापन छा गया। वह गहरी सांस लेते हुए बोली –
"दूर रहो मुझसे… मैं तुम्हें कल ही तलाक दे दूंगी…."
धानी का बस इतना ही कहना था कि मृत्युंजय का दिल तड़प उठा। अंदर ही अंदर उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके दिल पर हज़ारों चाकू भोंक दिए हों। यह बस वही जानता था कि कैसे वह खुद को समेट कर खड़ा था।
पर अगले ही पल उसने अपने जबड़े कस लिए और गुस्से से कांपने लगा। अपने कदम तेजी से धानी के तरफ बढ़ाते हुए उसने धानी के कंधों को पकड़कर झकझोरते हुए बोला –
"समझती क्या हो तुम खुद को? मैं तुम्हारे कहने पर चलूंगा? मृत्युंजय राठौर को कोई नहीं रोक सकता समझी! और रही बात तुम्हें कुछ होने की—मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा, समझी? चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े… अगर तुम्हें कुछ हुआ तो मैं…."
इतना कहकर मृत्युंजय वहीं पर चुप हो गया।
वही धानी उसकी आंखों में देखते हुए अपनी हद से ज्यादा गहरी सांसों को लेते हुए बोली –
"आपको हमें छोड़ना होगा… आपको हमें छोड़ना होगा… हमारे पास ज्यादा वक़्त नहीं है… हम ज्यादा देर जिंदा नहीं रह सकते… हमें छोड़ दीजिए…"
इतना कहते हुए उसकी आंखों में आंसू निकल पड़े और देखते ही देखते धानी अब बेहोश हो गई।
धानी की हालत जैसे मृत्युंजय को अंदर ही अंदर तोड़ ही रही थी। लेकिन वह सख्त आवाज़ में बोला –
"सॉरी Shygirl… यह अब मुश्किल है, क्योंकि तुम अब मेरी ज़िद हो। अब इस मृत्युंजय राठौर की ज़िद है कि तुम्हें उसका होना ही होगा। मृत्युंजय एक आग है और इस आग में तुम्हें जलना होगा… और जब तक मैं तुम्हें छोड़ नहीं देता तब तक तुम्हें चलना होगा… हालांकि यह कभी नहीं होगा। क्योंकि इस आग का सुकून तुम हो। तुम्हें मुझे इश्क़ हुआ था ना, मेरी सारी सच्चाई देखकर तुमने मुझे चाहा था। पर अब इस मृत्युंजय का पागलपन और जुनून तुम हो… और भगवान भी तुम्हें मुझसे छीन नहीं सकता।"
इतना कहते हुए मृत्युंजय की आंखों में धानी को पाने का जुनून अब साफ दिखाई दे रहा था।
वही डॉक्टर अब भागते हुए अंदर आए और उन्होंने जब नीचे फ्लोर पर इतना सारा खून देखा तो डॉक्टर की आंखें भी हैरत से फैल गईं। डॉक्टर अब जल्दी से धानी के पास आए और उसका जल्दी से इलाज किया और दोबारा से blue changing machine लगा दी। देखते ही देखते दोबारा से धानी के शरीर में ब्लड सर्कुलेट होने लगा।
वही डॉक्टर अब मृत्युंजय की तरफ देखकर बोले –
"Mr. Rathore, हमें Mrs. Rathore का abortion करना होगा… नहीं तो उनकी हालत और भी खराब होती जाएगी।"
वही मृत्युंजय ने डॉक्टर की तरफ देखकर बोला –
"तो मेरा चेहरा क्या देख रहे हो? जल्दी procedure start करो… अभी abortion करो।"
वही डॉक्टर थोड़ा हिचकिचाकर बोले –
"पर सर… आपको बाहर…"
उन्होंने इतना ही कहा था कि मृत्युंजय अपनी सर्द नजरों से देखते हुए बोला –
"मैं यहां से एक कदम बाहर नहीं निकलूंगा… और अगर अब किसी ने यह बात दोहराई तो उसका इस वार्ड में आज आखिरी दिन होगा, समझे?"
मृत्युंजय की बात पर डॉक्टर अंदर तक कांप गए और अपना सर झुका लिया। फिर उन्होंने दोबारा से सभी डॉक्टर को इकट्ठा किया और कुछ ही देर में abortion स्टार्ट कर दिया।
इन सब में सभी डॉक्टर फीमेल थी क्योंकि वहां पर वार्ड में किसी भी मेल डॉक्टर को आने की इजाज़त नहीं थी। यह खास मृत्युंजय का ऑर्डर था कि कोई भी मेल डॉक्टर धानी को छुएगा भी नहीं।
डॉक्टर ने धानी की pussy में इंस्ट्रूमेंट डालकर अंदर से सारा baby cloth बाहर निकाल दिया। कुछ ही घंटों में धानी का abortion पूरा हो गया।
Abortion करने के बाद डॉक्टर ने एक नज़र मृत्युंजय की ओर देखा और बोली –
"सर, कुछ ही देर में Mrs. Rathore को होश आ जाएगा।"
इतना कहकर वह कुछ देर मृत्युंजय की तरफ देखती रही। जब मृत्युंजय का कोई जवाब नहीं आया तो वहां से चली गई।
वही मृत्युंजय अभी भी अपनी जगह पर खड़ा लाल आंखों से धानी को देख रहा था। उसकी आंखों में हद से ज्यादा बेचैनी थी जो आज तक शायद उसकी आंखों में कभी नहीं थी। वही धानी जो कि बेजान चेहरे से बिल्कुल लेटी हुई थी, उसकी जैसे हल्की-हल्की सिर्फ सांसें ही चल रही थी।
तकरीबन आधे घंटे बाद धानी की आंखें फड़फड़ाई और धीरे-धीरे उसने अपनी पलकों को खोलना शुरू किया। देखते ही देखते धानी होश में आना शुरू हो गई।
पर जैसे ही उसने अपनी आंखों के सामने मृत्युंजय को देखा तो अगले ही पल उसकी तरफ देखकर बोली –
"आप कौन हैं? और आप यहां पर क्या कर रहे हैं? और आपने मेरा हाथ क्यों पकड़ रखा है?"
इतना कहकर धानी ने अपना हाथ छुड़ा लिया।
वही एक बार फिर से धानी को ऐसा करते देखकर मृत्युंजय का दिल धड़कन ही भूल गया। वह अपनी जगह पर खड़ा-खड़ा जम गया और अपने हाथ की तरफ देखने लगा जिसे अभी-अभी धानी ने झटका था।
वही धानी अब पीछे हटना शुरू हुई और बोली –
"दूर रहिए… मुझे पता नहीं कौन हैं आप? और… और मैं कहां पर हूं…"
इतना कहते हुए धानी panic करने लगी।
धानी को panic करता देख मृत्युंजय आगे की तरफ बढ़कर धानी को संभालने को हुआ कि तभी धानी बोली –
"दूर रहो मुझसे! दूर रहो मुझसे! मैंने कहा… दूर रहो मुझसे!"
धानी की बात सुनकर मृत्युंजय अपनी जगह पर जैसे freeze हो गया। उसकी जैसे मानो सांसें ही रुक गई थीं…
To be continue…..
---
To be continue.....
---
Write a comment ...