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Janoon/chaknachur dil

Rathore farmhouse,

सुबह के 8:00 बजे

आज का मौसम सुबह से ही खराब था। हल्के-हल्के बादल छाए हुए थे, जिनकी छांव हर जगह फैली हुई थी। वही मृत्युंजय और धानी कांच के रूम में अभी-अभी थोड़ी देर पहले ही सोए थे। दोनों ही एक व्हाइट कलर की ब्लैंकेट में लिपटे हुए थे और इस वक्त बेहद गहरी नींद में जा चुके थे। दोनों को इस वक्त कोई चिंता नहीं थी, पर यह खामोशी ना जाने कब तक थी।

ऊपर से आसमान में बादल हल्के-हल्के गरज रहे थे और शीशे पर जो फाउंटेन लगा हुआ था वह तो अपना रंग पानी पर छोड़ ही रहा था। मौसम की वजह से वह कमरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था और बीच में सोए हुए मृत्युंजय और धानी और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहे थे।

दोनों के चेहरे पर एक अलग ही निखार था, हालांकि वह दोनों अभी सो रहे थे। तकरीबन अभी डेढ़ घंटा ही उन्हें सोए हुए हुआ था, पर धानी की नींद कुछ ही देर में खुल गई क्योंकि अचानक से उसे वोमिटिंग सी महसूस हो रही थी।

अगले ही पल धानी जल्दी से अपने बिस्तर से उठी और ब्लैंकेट लपेटे हुए जल्दी से बाहर निकली। बारिश इतनी तेज हो चुकी थी कि धानी रेलिंग से टकराते-टकराते बची। पर अभी भी उसे इतना ज्यादा वोमिटिंग महसूस हो रही थी कि उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया।

वही मृत्युंजय अभी भी गहरी नींद में सो रहा था। धानी के ऐसे जाने से उसे हल्का सा महसूस तो हुआ पर वह इतनी गहरी नींद में था कि उसे धानी के जाने का पता ही नहीं चला।

तकरीबन 5 मिनट बाद मृत्युंजय ने जब अपना हाथ दूसरी तरफ रखा और धानी महसूस नहीं हुई, तो उसने आंखें खोली। उसकी आंखें पास का बिस्तर देखकर सर्द हो गईं क्योंकि उसके बगल का बिस्तर बिल्कुल खाली था।

अपने पास धानी को न देखकर मृत्युंजय के जबड़े पूरी तरह से कस गए। वह अब अपनी जगह से उठा और अगले ही पल उसने अपना लोअर पहना और देखा कि बाहर बारिश हो रही थी। यह देखकर मृत्युंजय को थोड़ा अजीब लगा पर वह जल्दी से वहां से निकला और रेलिंग की तरफ बढ़ गया। अगले ही पल नीचे अपने कमरे की तरफ आया तो उसे कमरे से कुछ अजीब आवाज़ें सुनाई दीं।

यह सुनकर मृत्युंजय के माथे पर सिलवटें पड़ गईं। अगले ही पल वह कमरे की तरफ दौड़ा और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसके होश उड़ गए।

क्योंकि सामने धानी नीचे जमीन पर वोमिटिंग कर रही थी और उसकी वोमिटिंग में खून के अलावा कुछ नहीं था। धानी की यह हालत देखकर मृत्युंजय के होश पूरी तरह से उड़ चुके थे। उसका दिल इस वक्त धड़कने से इनकार कर रहा था, सांस वहीं थम सी गई थी।

अगले ही पल उसने जल्दी से धानी की तरफ कदम बढ़ाए और जैसे ही वह उसके पास पहुंचा, धानी अपनी जगह पर खड़ी होकर मृत्युंजय को देखकर कुछ कहने को हुई पर इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, उसकी आंखें बंद होना शुरू हो गईं।

देखते ही देखते धानी पूरी तरह से बेहोश हो गई। अब तो जैसे मृत्युंजय की जान ही उसके शरीर से निकल गई हो। उसकी आंखें हद से ज्यादा फैल गई थीं और हाथ बुरी तरह से कांप रहे थे। हालांकि उसके हाथों में धानी झूल गई थी।

मृत्युंजय का दिल इस वक्त जोर-जोर से धक-धक कर रहा था। अगले ही पल उसने बिना देरी किए धानी को बेड पर लिटाया, जल्दी से अलमारी से एक फ्रॉक सूट निकाला और पहनाया। फिर उसने धानी को अपनी गोद में उठाया और बाहर की तरफ भागा।

मृत्युंजय की इस वक्त जान जैसे मुट्ठी में आ चुकी थी। उसे सांस लेने में इतनी ज्यादा दिक्कत हो रही थी कि उसने धानी को जल्दी से कार में बिठाया और गहरी-गहरी सांस भरने लगा। उसे ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त उसकी जान निकल सकती है, पर उसने अपने आप को संभाला और जल्दी से ड्राइविंग सीट पर बैठा। कुछ ही देर में उसकी गाड़ी फार्महाउस से निकल चुकी थी।

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तकरीबन आधे घंटे बाद

मृत्युंजय की कार एक अस्पताल के सामने आकर रुकी और यह हॉस्पिटल कश्यप जी का ही था। यहां मिस्टर सिंदूर गुप्ता, जो कश्यप जी के दोस्त थे, काम करते थे। उनसे ही कश्यप जी को पता चला था कि धानी को ब्लड कैंसर है। पर आज जैसे मृत्युंजय के सामने सच्चाई आने वाली थी और यह सच्चाई उसे अंदर तक हिला देने वाली थी।

कुछ ही देर में मृत्युंजय धानी को कार से निकाल कर अस्पताल के अंदर ले गया। अंदर जाते ही उनका सामना डॉक्टर सिंदूर जी से हुआ। उनकी नजर धानी पर पड़ी और उसकी हालत देखकर सिंदूर जी की हवाइयां उड़ गईं क्योंकि धानी का चेहरा पूरी तरह से पीला पड़ चुका था।

मृत्युंजय ने जल्दी से धानी को स्ट्रेचर पर लिटाया और मिस्टर सिंदूर की तरफ देखकर बोला –

“अंकल जल्दी से धानी का इलाज कीजिए। मुझे नहीं पता यह सुबह बिल्कुल ठीक थी और जब मैंने आंख खोली तो यह खून की उल्टियां कर रही थी।”

जैसे ही सिंदूर जी ने यह सुना उनके होश उड़ गए। उन्होंने अपनी लड़खड़ाती हुई जुबान से कहा –

“What? इसने अभी से खून की उल्टियां करनी शुरू कर दी? Oh my God, it’s impossible…!”

इतना कहते हुए सिंदूर जी ने नर्स को धानी को ICU में ले जाने को कहा। मृत्युंजय के चेहरे पर टेढ़ोरियां पड़ गईं। वह उन्हें रोकना चाहता था पर इससे पहले ही सिंदूर जी ICU में चले गए।

अब मृत्युंजय के दिल में कई सवाल उठ रहे थे। आखिर सिंदूर जी ने ऐसा क्यों कहा कि अभी से धानी ने उल्टियां शुरू कर दीं? यह सोचकर उसका दिल और तेज धड़कने लगा।

उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। ज्यादा देर तक वह खुद को रोक नहीं पाया और अगले ही पल सीधे ICU वार्ड में घुस गया।

वहां जाकर उसने सिंदूर जी को बाजू से पकड़कर घुमाया और कॉलर पकड़ते हुए झगड़ते हुए बोला –

“क्या मतलब है आपका कि उसने अभी से उल्टियां करनी शुरू कर दी?!”

मृत्युंजय की इस हरकत से सिंदूर जी की आंखें फटी की फटी रह गईं। उन्होंने कभी मृत्युंजय को ऐसा व्यवहार करते नहीं देखा था। पर आज मृत्युंजय की बेचैनी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि वह सामने कौन है, यह समझने की हालत में ही नहीं था।

सिंदूर जी ने मृत्युंजय का हाथ हटाते हुए कहा –

“मृत्युंजय बेटा, अपने आप पर काबू रखो। धानी को तुम्हारी बहुत ज्यादा जरूरत है और इस वक्त वह बहुत क्रिटिकल कंडीशन में है।”

मृत्युंजय ने हांफते हुए कहा –

“क्या हुआ है… मेरी shy girl को?”

सिंदूर जी के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी। कश्यप जी ने मृत्युंजय को सच बताने से मना किया था, पर अब मजबूरी थी। धानी की हालत बहुत खराब थी।

सिंदूर जी बोले –

“सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि धानी खून की उल्टियां कर रही है। मैं आपसे यह बात बहुत पहले से बताना चाहता था पर धानी ने आपको बताने से मना किया था। आपकी वाइफ को last stage blood cancer है।”

सिंदूर जी की बात सुनकर मृत्युंजय के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसका दिल जैसे रुक गया हो।

फिर सिंदूर जी ने एक और झटका दिया –

“और सबसे बड़ी परेशानी यह है कि धानी अब प्रेग्नेंट है। कैंसर की जड़ बच्चे तक भी पहुंच चुकी है क्योंकि बच्चा अभी सिर्फ एक हफ्ते का है।”

यह सुनते ही मृत्युंजय की आंखें हद से ज्यादा लाल हो गईं। उसके हाथ-पैर ने उसका साथ देना बंद कर दिया। लड़खड़ाती हुई जुबान से वह बोला –

“मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगा… कुछ नहीं होगा मेरी shy girl को…!”

इतना कहकर वह स्ट्रेचर की तरफ बढ़ा और धानी को गोद में उठाकर बाहर निकल गया।

सिंदूर जी हैरान रह गए। उन्होंने जल्दी से कश्यप जी को फोन करके सब कुछ बता दिया।

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वहीं दूसरी तरफ

मृत्युंजय धानी को गोद में लिए कार में बैठा और वहां से निकल गया। उसकी आंखें लाल थीं, किसी भी वक्त आंसू बह सकते थे, पर उसने अपने आंसुओं को रोक रखा था।

तकरीबन 1 घंटे बाद उसकी कार एक खाली ग्राउंड में आकर रुकी, जहां एक जेट खड़ा था। मृत्युंजय ने धानी को उठाया और जेट की तरफ बढ़ा। देखते ही देखते वह जेट उड़ गया।

मृत्युंजय धानी को गोद में लिए जेट में बैठा था। उसकी आंखें लाल थीं। उसने धानी को देखते हुए कहा –

“तुमने अच्छा नहीं किया… सच्चाई मुझसे छुपाकर। पर मैं भी बहुत जिद्दी हूं… तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा।”

इतना कहते हुए उसकी आंखों में धानी के लिए अलग ही जुनून सवार था।

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New Zealand,,,

एक प्लेन जेट एक बिल्डिंग के ऊपर लैंड हुआ और उसमें से मृत्युंजय धानी को लेकर उतरा। धानी अभी भी उसकी गोद में थी और उसका चेहरा इस वक्त पूरी तरह से सफेद और बेजान पड़ चुका था। वही मृत्युंजय ने बिना देरी किए अगले ही पल उसे लेकर बिल्डिंग के अंदर गया और टॉप फ्लोर से सीधा नीचे आकर बिल्डिंग के बाहर ही कई सारी गाड़ियां लगी हुई थीं। उन गाड़ियों में जाकर तीसरे नंबर वाली गाड़ी में बैठ गया और अगले ही पल वह गाड़ी वहां से तेजी से निकल गई। मृत्युंजय की नजर लगातार धानी पर बनी हुई थी।

मृत्युंजय का दिल इस वक्त जैसे बेजान सा भारी हो चुका था। मृत्युंजय की आंखें इस वक्त बेहद लाल थीं। धानी को देखकर इस वक्त उसे जो हालत हो रही थी, वह शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल था। वही कल दोपहर से मृत्युंजय इंडिया से निकला था और यहां आते-आते उसे दोपहर हो गई थी। मृत्युंजय लगातार धानी को देखे जा रहा था तभी धानी को एक खांसी हुई और अगले ही पल खांसी से धानी के होठों से खून की लकीर निकलकर उसकी ठोड़ी पर से नीचे आ गई। यह देखकर मृत्युंजय का दिल धक सा रह गया।

मृत्युंजय (चिल्लाते हुए ड्राइवर से): "जल्दी अस्पताल पहुंचो, नहीं तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा!"

मृत्युंजय की बात सुनकर ड्राइवर अंदर तक कांप गया। तकरीबन आधे घंटे बाद मृत्युंजय की गाड़ी एक बड़े से अस्पताल में आकर रुकी और उस हॉस्पिटल के ऊपर बड़े अक्षरों में “Heartbeat Hospital” लिखा हुआ था।

जैसे ही गाड़ी रुकी, अगले ही पल मृत्युंजय धानी को गोद में लेकर अस्पताल के अंदर चला गया। अंदर जाते ही वहां पर डॉक्टर की टीम पहले ही रेडी हो चुकी थी क्योंकि कश्यप जी ने सारे अरेंजमेंट पहले ही करवा रखे थे और यह बात मृत्युंजय भी जानता था क्योंकि उसे यह बात उसके पर्सनल असिस्टेंट ने बता दी थी। वहां का स्टाफ मृत्युंजय की तरफ स्ट्रेचर लेकर आया पर मृत्युंजय ने धानी को बिना स्ट्रेचर पर लिटाए, सीधा ही आईसीयू में खुद भी घुस गया। यह देखकर सभी डॉक्टर और आईसीयू वार्ड के स्टाफ की आंखें हैरानी से फैल गईं।

अगले ही पल डॉक्टर मृत्युंजय के पीछे आते हुए बोले—

Doctor: "Mr. Rathore, you can’t allow this ICU ward, even no one allowed this room..."

जैसे ही डॉक्टर ने यह बात कही, मृत्युंजय ने अपनी सर्द नजरों से डॉक्टर की तरफ देखा और अगले ही पल उसकी लाल आंखें देखकर डॉक्टर की आवाज उसके गले में अटक गई। वही मृत्युंजय ने धानी को सामने ऑपरेशन स्ट्रेचर पर लिटा दिया और उसके पास ही खड़ा हो गया और अपनी लाल आंखों से धानी को देखने लगा। धानी को देखते हुए अभी भी उसकी आंखें लाल थीं। मृत्युंजय कुछ भी बोल नहीं रहा था, बस एकटक धानी को देखे जा रहा था। वही डॉक्टर अब यह बात समझ चुके थे कि मृत्युंजय से बात करने का कोई फायदा नहीं, इसलिए वह धानी का इलाज करने लगे।

वही मृत्युंजय धानी का हाथ पकड़े बस एकटक उसके चेहरे को देखता भारी मन से खड़ा था। उसकी आंखों के सामने धानी का मुस्कुराता चेहरा और उसका यह कहना—

धानी (यादों में): "मेरे पास बहुत कम वक्त है… जब आप मुझे रोकना चाहेंगे तब भी मैं नहीं रुकूंगी..."

यह बातें बार-बार उसके कानों में गूंज रही थीं। वही डॉक्टर लगातार धानी का चेकअप कर रहे थे। कोई इंजेक्शन लगा रहा था और कोई कुछ और कर रहा था। पर डॉक्टर को मृत्युंजय से बहुत ज्यादा डर लग रहा था। कुछ डॉक्टर ने उसके सैंपल्स लेकर लैब में भेज दिए और एक डॉक्टर ने एक डायलिसिस मशीन लाकर धानी के बगल में रखा और अगले ही पल मशीन को स्टार्ट करके धानी की वेंस से जोड़ दिया।

जिससे धानी का ब्लड अब पूरी तरह से बदला जा रहा था। वही मृत्युंजय अभी तक बिना किसी भाव के उसका हाथ पकड़े खड़ा था, जबकि धानी ने कल दोपहर से होश नहीं किया था। तकरीबन 4 घंटे डॉक्टर धानी को ऐसे ही ट्रीटमेंट देते रहे। आखिर में ट्रीटमेंट देने के बाद डॉक्टर पीछे की तरफ हटे और मृत्युंजय की तरफ देखकर बोले—

Doctor: "Mr. Rathore, this is too late... now we have no more..."

अभी डॉक्टर ने इतना ही कहा था कि मृत्युंजय ने उसका कॉलर पकड़कर धकेलते हुए पीछे की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। वही मृत्युंजय का यह रवैया देखकर डॉक्टर पूरी तरह से कांप गया और डर के मारे उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं।

मृत्युंजय (कोल्ड वॉइस में): "जो बात तुम कहने वाले हो ना, अपने मुंह से बाहर मत निकालना... नहीं तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा।

मैं नहीं जानता तुम लोग क्या करोगे, क्या नहीं... Do whatever you want, but I have back my shy girl… even this hospital… I have done by the graveyard."

मृत्युंजय की बात सुनकर डॉक्टर अंदर तक कांप गए। वह अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोले—

Doctor: "But Mr. Rathore this is impossible… she had a last stage cancer… and now we have not more time…"

डॉक्टर की बात सुनकर मृत्युंजय के जबड़े पूरी तरह से कस गए और अगले ही पल उसने डॉक्टर के चेहरे पर पंच जड़ दिया और वहां खड़े हर डॉक्टर के होश उड़ गए। मृत्युंजय लगातार डॉक्टर के चेहरे पर पंच मार रहा था और अपने जबड़े कसते हुए बोला—

मृत्युंजय: "साले, अब तू मुझे बताएगा कि तेरे पास टाइम है कि नहीं है? मैंने तुम लोगों को टाइम दिया है मेरी शाय गर्ल को ठीक करने का… अगर उसे होश नहीं आया तो तुम सबकी कब्र मैं यहीं खो दूंगा, समझे?"

इतना कहते हुए एक आखिरी पंच उसने डॉक्टर के चेहरे पर जड़ दिया। तभी दूसरा डॉक्टर उसके पास आया और पीछे हटते हुए बोला—

Second Doctor: "But… it’s impossible…"

जैसे ही दूसरे डॉक्टर ने यह बात कही तो मृत्युंजय ने उसे भी गिरेबान से पकड़कर दीवार से लगा दिया और उसे भी पंच देने ही वाला था कि तभी पीछे से बड़ी धीमी सी आवाज मृत्युंजय के कान में पड़ी और उसका हाथ वहीं रुक गया। मृत्युंजय का हाथ इस वक्त कांप रहा था।

मृत्युंजय ने अब पीछे पलट कर देखा तो धानी की आह की आवाज उसके कान में पड़ी थी। वही धानी जो सामने बेजान सी पड़ी थी, अब धीरे-धीरे अपनी आंखें खोल रही थी और उसके मुंह से सिसकियों की आवाज निकल रही थी। उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें बन गई थीं और अगले ही पल उसने अपनी आंखें खोलीं तो उसकी नजर सामने मृत्युंजय पर पड़ी, जो डॉक्टर का कॉलर पकड़कर खड़ा था।

जैसे ही मृत्युंजय ने धानी को आंखें खोलते देखा, अगले ही पल उसने डॉक्टर को धक्का दिया और खुद धानी की तरफ भागा।

धानी को होश में आता देखकर मृत्युंजय की आंखें, जो हद से ज्यादा लाल थीं, उनमें अब पानी ऊपर की तरफ उभर आया, पर उसने अपने आंसुओं को बाहर आने से रोक लिया।

वही धानी जो कुछ देर तक इधर-उधर देखने में लगी रही, जैसे ही उसने अपने मुंह से कुछ लफ्ज़ निकाले और उन लफ्ज़ों को सुनकर मृत्युंजय का दिल रुक सा गया।

धानी: "आप कौन हैं… और मुझे

ठीक से कुछ दिखाई क्यों नहीं दे रहा?"

To be continue...

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