
राठौर फार्महाउस,,,
इस वक्त धानी मृत्युंजय के सामने रेड कलर की साड़ी में खड़ी थी और वह साड़ी बेहद खूबसूरत नेट की साड़ी थी। उस साड़ी में से धानी का गोरा पेट साफ झलक रहा था, जिसे देखकर मृत्युंजय की आंखें उस पर गहरी होनी शुरू हो गई थीं। धानी अब मृत्युंजय के पास आई। धानी को अपने इतना पास आते देख मृत्युंजय का दिल जोरों से धक-धक करने लगा।
मृत्युंजय अब अपनी नज़रें फेरते हुए बोला –
"हो गया तुम्हारा? अब मुझे अपनी ज़रूरत पूरी करने दो।"
मृत्युंजय की बात सुनकर एक पल के लिए धानी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल को पकड़ के मसल दिया हो। न चाहते हुए भी उसकी आंखों में एक पल के लिए नमी छा गई, पर अगले ही पल उसने एक प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ मृत्युंजय के गाल पर हाथ रख दिया। जैसे ही इतने प्यार से धानी ने मृत्युंजय के गाल पर हाथ रखा, एक पल के लिए मृत्युंजय का दिल जोरों से धड़क उठा, पर यह चीज़ उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दी।
और अगले ही पल उसने धानी का हाथ झटक दिया और उसकी आंखों में देखकर बोला –
"कैसे कर लेती हो इतने ड्रामे तुम, हां...? तुम्हें क्या लगता है तुम ड्रामा करती हो और मुझे कुछ समझ नहीं आएगा? तुम्हारी इस भोली सूरत के पीछे जो लालच छुपा है, मैं सब जानता हूं। इतनी भोली भी नहीं हो तुम shy girl... वैसे क्या फर्क पड़ता है? मुझे तो तुमसे अपनी ज़रूरतें ही पूरी करनी हैं।"
इतना कहकर अब उसने धानी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अपने आज के रूम में जाने लगा। वहीं धानी को अपने दिल में तकलीफ तो हो रही थी, पर उसने भी जैसे पत्थर बनने की ठान ली थी।
वहीं मृत्युंजय अपने मन में बोला –
"तुम्हें टूटना होगा, shy girl... तुम मेरी तिजोरी तो राठौर को नहीं झुक सकती। भूल जाओ कि कभी मृत्युंजय राठौर को इश्क होगा तुमसे। अपने ख्वाबों को अपने अंदर रखो, नहीं तो मैं पैरों से रौंद दूंगा। पर तुमसे इश्क कभी नहीं करूंगा।"
यह बात मानते हुए मृत्युंजय के जबड़े पूरी तरह से कस गए थे।
मृत्युंजय अब खींचता हुआ उसे अंदर की तरफ लेकर आया और लेट ही उसने ज़मीन पर जो गद्दे लगे थे उस पर धानी को धकेल दिया। धानी जैसे ही बिस्तर पर गिरी, उसका पल्लू पूरी तरह से नीचे खिसक गया जिससे धानी का गोरा cleavage मृत्युंजय को साफ दिखाई देने लगा। उसे देखकर मृत्युंजय को कुछ-कुछ हो रहा था। मृत्युंजय को अपने body में अकड़न महसूस हो रही थी।
अब मृत्युंजय नीचे की तरफ झुकते हुए धानी के ऊपर आया और अगले ही पल उसने पूरी तरह से धानी के सीने से पल्लू हटा दिया। धानी लगातार मृत्युंजय के चेहरे को देखे जा रही थी। वहीं मृत्युंजय ने जैसे ही धानी की नज़र खुद पर महसूस की तो वह भी उसकी आंखों में देखते हुए बोला –
"यह सिर्फ एक ज़रूरत है... मुझसे ज्यादा की उम्मीद मत रखना। बहुत जल्द हमारा तलाक होने वाला है। जैसे ही तलाक हुआ, सब खत्म हो जाएगा।"
तभी धानी प्यार से मुस्कुराई और बोली –
"इसके साथ में ही मैं भी..."
जैसे ही धानी ने यह कहा, मृत्युंजय को ऐसे लगा जैसे किसी ने उसका दिल उसके सीने से बाहर निकाल कर रख दिया हो। गुस्से से उसके जबड़े पूरी तरह से कस गए और वह धानी के ऊपर झुकते हुए उसके बालों को मुट्ठी में भरते हुए बोला –
"क्यों बकवास करती रहती हो? क्या चाहती हो मुझसे...?"
तभी धानी बड़े प्यार से मृत्युंजय के गाल पर हाथ रखते हुए बोली –
"आपका इश्क..."
वहीं मृत्युंजय दांत पीसकर बोला –
"कभी नहीं मिलेगा वो तुम्हें... यह प्यार, मोहब्बत, इश्क मेरे लिए नहीं बना। कितनी बार बोल चुका हूं! मैं एक माफिया वर्ल्ड से हूं, पता नहीं कौन सी गली में मेरी सीने के आर-पार गोली हो जाए। मेरी ज़िंदगी हर वक्त दांव पर लगी होती है और तुम जैसी लड़कियां इस चीज़ के लिए नहीं बनी हो। मुझे सिर्फ एक जिस्म की ज़रूरत पड़ती है जो मेरे नीचे आए और बस... चल जाए। मुझे इश्क की ज़रूरत नहीं है।"
मृत्युंजय की बात पर धानी के दिल में एक अलग ही टीस उठी।
"उम्मीद छोड़ दी है मैंने, मिस्टर राठौर, इश्क की। एक बात याद रखिए – क्या कि दुनिया में एक तरफा इश्क भी होता है... और वही इश्क अब मैं निभाकर दिखाऊंगी। आप करिए चाहे ना करिए, वो आपकी मर्ज़ी। पर मुझे आपसे बेइंतहा इश्क हो चुका है। और अब यह इश्क की तलब मेरे मरने के बाद ही ठंडी होगी।"
धानी की बात सुनकर मृत्युंजय का दिल जोरों से धड़क उठा। वहीं धानी ने अब दोनों हाथों से मृत्युंजय का चेहरा अपने हाथों में भर लिया और अगले ही पल उसके होंठों पर होंठ रख दिए। धानी की आंखों में इस वक्त बेइंतहा आंसू बह रहे थे जो तकिए पर गिर रहे थे, पर फिर भी वह बेइंतहा मृत्युंजय को चूमे जा रही थी। जहां धानी की आंखें पूरी तरह बंद थीं, वहीं मृत्युंजय की आंखें इस वक्त पूरी तरह खुली थीं। वह धानी के बहते हुए आंसुओं को देख रहा था, जिसे देखकर उसके दिल में एक अजीब सी हलचल पैदा हो रही थी।
धानी पागलों की तरह मृत्युंजय को चूमे जा रही थी पर मृत्युंजय धानी को बिल्कुल भी रिस्पॉन्स नहीं दे रहा था। वहीं धानी ने अब मृत्युंजय के कंधों पर हाथ रख उसे बगल में लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गई। उसने कुछ देर के लिए किस ब्रेक की, और मृत्युंजय के चेहरे को बड़े प्यार से देखते हुए – कभी उसका माथा चूमती, कभी उसके गाल, कभी उसकी नाक, कभी उसकी ठोड़ी, तो कभी उसके होंठों पर हल्का सा किस कर देती।
धानी की हरकतें मृत्युंजय को कहीं ना कहीं बहुत ज्यादा बेचैन कर रही थीं, जिससे उसकी हाथों की मुठ्ठियां पूरी तरह कस रही थीं। मृत्युंजय ने अब उसे साइड पर किया और वहां से उठकर जाने को हुआ कि तभी धानी ने मृत्युंजय का हाथ पकड़ लिया।
वह मृत्युंजय की तरफ देखकर रोते हुए बोली –
"प्लीज़... मुझे प्यार कर लेने दीजिए। खुद को मत छोड़कर जाइए। एक बार मुझे खुद पर इस तरह से महसूस करने दीजिए। मैं खुद आपको प्यार करना चाहती हूं।"
इतना कहते हुए धानी के आंसू पूरी तरह से उसके गालों को भिगो रहे थे।
इसे देखकर मृत्युंजय के दिल की धड़कन इतनी ज्यादा तेज हो चुकी थी कि वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि आखिर करे तो क्या करे। पर मृत्युंजय उसकी आंखों के आंसुओं के आगे टिक नहीं पाया और अगले ही पल वह धानी के पास आया। उसे बिस्तर पर लिटाते हुए अगले ही पल उसके होंठों पर झुका और पागलों की तरह चूमने लगा।
वहीं मृत्युंजय के होंठ खुद पर पाते ही धानी को जैसे उसकी पूरी दुनिया मिल गई हो। उसके सीने में एक सुकून उतर आया था। धीरे-धीरे मृत्युंजय के हाथ उसके कपड़ों पर जाने लगे। कुछ ही देर में मृत्युंजय ने उसके सारे कपड़े उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिए और उसके ऊपर झुक कर उसे पागलों की तरह चू
मते हुए उसके बदन को सहलाने लगा।
To be continued...
Write a comment ...