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Mrituejaye ki hansi

Rathore farmhouse,,

अभी-अभी धानी ने प्रियंका के ऊपर गरम-गरम कॉफी फेंकी थी और वह प्रियंका को अच्छी-खासी सुना रही थी। इसे सुनकर मृत्युंजय की आंखें बड़ी हो गईं। उसने आज तक धानी का यह रूप कभी नहीं देखा था। मृत्युंजय का दिल इस वक्त जोर-जोर से धक-धक कर रहा था। वह बड़े ध्यान से धानी को देख रहा था, जो कि एकटक प्रियंका को ही देख रही थी।

वहीं प्रियंका, जो कि गुस्से में कह रही थी, धानी की बात सुनकर अगले ही पल दांत पीसकर बोली –

“How dare you to dirty talk to me like you dirty girl…”

इतना कहते हुए प्रियंका ने अपना हाथ धानी पर उठा दिया। वहीं प्रियंका को हाथ उठाता देख मृत्युंजय की आंखें बड़ी हो गईं। वह आगे आने को हुआ पर उससे पहले ही धानी ने प्रियंका का हाथ पकड़ा और घुमा कर पीठ से लगा दिया और उसके कान के पास झुककर दांत पीसते हुए बोली –

“खबरदार अगर मेरे ऊपर हाथ उठाने की कोशिश की… नहीं तो तुम्हारा हाथ तोड़कर तुम्हारी पिछवाड़े में दे दूंगी…”

जैसे ही धानी ने खुलकर गाली निकाली तो मृत्युंजय का दिल तो जैसे धड़कना ही भूल गया। वह तो बस हैरानी से धानी का यह रूप देखता जा रहा था।

“और खबरदार… अगर मैंने तुम्हें दोबारा मेरे मिस्टर राठौर के पास देखा… तो तुम्हारा यह हाथ सलामत नहीं रहेगा…”

इतना कहते हुए उसने प्रियंका को जोर से धक्का दिया। पर इससे पहले कि प्रियंका जमीन पर गिरती, दोबारा से धानी ने उसके बालों से पकड़ लिया और उसे खींचते हुए बाहर की तरफ ले जाने लगी। वहीं मृत्युंजय तो बस मुंह खोले धानी की तरफ ही देखता रह गया।

धानी ने अब प्रियंका को घसीटते हुए बाहर की तरफ ले जाकर सड़क पर धक्का देकर फेंक दिया और बॉडीगार्ड की तरफ देखकर बोली –

“इस कूड़ेदान को अंदर मत आने देना… अगर यह कूड़ेदान अंदर आया तो तुम्हारी नौकरी गई…”

उसकी बात पर बाहर खड़े गार्ड ने अपना सिर नीचे झुका दिया। वहीं धानी अंदर की तरफ आने लगी।

वहीं हाल में खड़ा मृत्युंजय, जो कि अभी तक धानी की हरकतें याद कर रहा था, अगले ही पल जोर-जोर से हंसने लगा। उसकी हंसी इतनी ज्यादा तेज थी कि बाहर तक की आवाज आ रही थी। वहीं धानी, जो अंदर की तरफ आ रही थी, उसने भी मृत्युंजय की हंसी सुनी और अगले ही पल उसके चेहरे पर प्यारी-सी मुस्कराहट तैर गई।

उसे पता था कि अगर वह अंदर जाएगी तो मृत्युंजय हंसना बंद कर देगा, इसीलिए वह वहीं पर खड़ी रही और कुछ देर मृत्युंजय की हंसी की आवाज सुनती रही।

वहीं मृत्युंजय हंसते हुए ऊंची आवाज में बोला –

“तुम्हारे पिछवाड़े में दे दूंगी…”

यह कहते हुए वह फिर से खिलखिलाकर हंसने लगा।

कुछ देर मृत्युंजय हंसता रहा पर उसे अपनी हंसी कंट्रोल नहीं हो पा रही थी। तकरीबन 15 मिनट बाद जब धानी अंदर की तरफ आई तो उसने खुद को कंट्रोल किया और अपने चेहरे पर सीरियस एक्सप्रेशन ले आया।

वहीं धानी अब उसके पास आकर खड़ी हुई और मृत्युंजय की आंखों में देखते हुए बोली –

“कितनी बार कहा है आपसे कि इश्क करती हूं आपसे… दर्द होता है मुझे भी… अगर वह हर बार आपके पास आएगी तो इसी तरह जलाई जाएगी। इतना बात आप जान लीजिए… और उसके हाथ तो मैं तोड़कर उसके पिछवाड़े में दे ही दूंगी…”

धानी की बात सुनकर एक पल के लिए दोबारा से मृत्युंजय के चेहरे के एक्सप्रेशन बदलने लगे, पर उसने खुद को कंट्रोल कर लिया और अगले ही पल सख्त दरबार में बोला –

“छोड़ क्यों नहीं देती तुम मुझे? कहा ना तलाक दे दो… मैं उससे शादी करने वाला हूं और चार दिन में मेरी उससे शादी है…”

मृत्युंजय की बात सुन धानी प्यारी-सी मुस्कुराहट के साथ उसके पास आई। जैसे ही धानी मृत्युंजय के बिल्कुल पास आकर खड़ी हुई, मृत्युंजय का दिल जोर-जोर से धक-धक करने लगा। वहीं धानी ने अब मृत्युंजय के गले में बाहें डालकर उसकी आंखों में देखते हुए बोली –

“मैं तो सारी उम्र आपके साथ रहना चाहती हूं… पर अफसोस जिंदगी ही इतनी है…”

उसकी बात पर एक पल के लिए मृत्युंजय का दिल धड़कना ही भूल गया और उसकी आंखें और भी ज्यादा सर्द हो गईं। उसके जबड़े कस गए और अगले ही पल उसने धानी की बाहों को पकड़कर मरोड़ दिया और पीछे की तरफ लगा दिया।

जिससे धानी की सिसक निकल गई और उसकी आंखें हल्की-हल्की नम हो गईं। उसे इस वक्त बेहद दर्द हो रहा था। वह सिसकते हुए बोली –

“हमें दर्द हो रहा है मिस्टर राठौर… प्लीज छोड़ दीजिए…”

धानी की बात सुनकर मृत्युंजय बोला –

“I don’t care… यह क्या बार-बार एक ही बात लेकर आती रहती हो कि तुम्हारे पास थोड़ा ही समय है। कहीं नहीं जाने दूंगा मैं तुम्हें… समझी? तुम कहीं नहीं जाओगी… तुम…”

उसकी बात पर धानी व्यंग्य से हंसी और उसकी तरफ देखकर बोली –

“अभी तो आप मुझे तलाक देने को फिर रहे और कह रहे हैं कि आप मुझे कहीं जाने नहीं देंगे… अरे वह कैसा आएगा नाम की आप मुझे बुलाते रह जाएंगे और मैं आपके पास कभी नहीं आऊंगी…”

उसकी बात सुनक

र मृत्युंजय का दिल धक्का-सा रह गया।

Rathore farmhouse,,,

Hall area,,

अभी-अभी धानी ने जो कहा था उसे सुनकर मृत्युंजय का दिल जैसे एक पल के लिए धड़कन ही भूल गया था। धानी ने उसे अभी-अभी एक ऐसी बात कही थी। ना चाहते हुए भी मृत्युंजय उसकी आंखों में देखता ही रह गया। पर अगले ही पल मृत्युंजय की नज़रें धानी पर सर्द हो गईं। उसके गुस्से में जबड़े कस गए और वह दांत पीसकर बोला –

"यह क्या बकवास लगा रखी है?"

तभी धानी कुछ कहने को हुई ही थी कि मृत्युंजय का फोन बजने लगा।

फोन की घंटी सुनकर मृत्युंजय ने अब फोन की तरफ देखा और कॉल बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट था, इसीलिए वह जल्दी से फोन अटेंड करने के लिए बाहर की तरफ आ गया। एक पल के लिए उसके दिमाग से निकल ही गया कि धानी उससे कुछ कहने वाली थी। वहीं धानी अब अपनी जगह पर खड़ी ही रह गई। उसकी आंखों में कहीं ना कहीं नमी आ गई थी। धानी अपने मुंह में बड़बड़ाई –

"जब आपके साथ होगा ना तब आपको पता चलेगा… आप चाह कर भी मुझे अपने पास नहीं रख पाएंगे…"

इतना कहते हुए उसकी आवाज़ में बेहद दर्द उतर आया था। अब उसने अपनी आंखों को साफ किया और जल्दी से अंदर जाकर मृत्युंजय के लिए खाना बनाने लगी।

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तकरीबन डेढ़ घंटे बाद,,

मृत्युंजय टेबल पर बैठा हुआ था और धानी उसके लिए खाना परोस रही थी। धानी को खाना परोसते हुए देखकर मृत्युंजय ने उसका हाथ पकड़ कर उसकी आंखों में देखते हुए कहा –

"तुम तलाक पर साइन कब कर रही हो?"

उसकी बात सुनकर धानी, जो खाना परोस रही थी, उसका हाथ मृत्युंजय ने पकड़ लिया था। धानी ने हाथ छुड़ाते हुए फीकी सी मुस्कान दी और उसकी तरफ देखकर बोली –

"जब मेरी जान निकल जाएगी… तब।"

धानी की बात सुनकर मृत्युंजय का दिल जैसे एक पल के लिए वहीं थम गया। उसे अपने दिल में एक अजीब सी बेचैनी महसूस होने लगी। गुस्से में अब उसने अपने हाथों में एक गिलास पकड़ कर नीचे जमीन पर फेंकते हुए कहा –

"यह क्या बकवास है? मैं तुमसे पूछ रहा हूं और तुम बता रही हो कुछ और!"

धानी एक बार फिर से उसके बिल्कुल करीब होने लगी। धानी को अपने इतना करीब देखकर मृत्युंजय का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। धानी अब मृत्युंजय के बिल्कुल पास आकर उसके सीने पर हाथ रखते हुए बड़े प्यार से, फीकी सी मुस्कुराई और बोली –

"हमने कहा ना… हमें कुछ देर का सच समय चाहिए। बस 3 महीने का तो वक्त है मेरे पास। उसके बाद आप अपने रास्ते और मैं फिर कौन-सा कभी आपको दिखाई दूंगी।"

धानी की बात सुनकर एक पल के लिए मृत्युंजय को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया हो।

और अगले ही पल गुस्से में उसने टेबल पर जितना भी खाना और क्रॉकरी रखी थी, सब जमीन पर गिरा दिया। इसे देखकर धानी की आंखों में नमी तैर गई। वहीं मृत्युंजय अब उसकी आंखों के पास आया और उसके कंधों को पकड़कर झकझोड़ते हुए बोला –

"चली क्यों नहीं जाती तुम मेरी ज़िंदगी से! मैं कमजोर नहीं होना चाहता। तुम मुझे कमजोर बना रही हो, समझती क्यों नहीं हो तुम? दफा हो जाओ मेरी जिंदगी से! मेरी जिंदगी में कमजोरी की कोई जगह नहीं। मैं एक माफिया हूं… जानती हो तुम!"

‘माफिया’ वाली बात सुनकर एक पल के लिए धानी अपनी जगह पर खड़ी सुनती रह गई। और अगले ही पल उसे मृत्युंजय की वह डील याद आई जिसमें वह कल रात ड्रग्स ले रहा था। उस बात को याद करते ही एक पल के लिए उसकी आंखों में नमी तैर गई, पर अगले ही पल उसने खुद को नॉर्मल किया और उसकी आंखों में देखते हुए बोली –

"तो क्या हुआ? इश्क यह देखकर तो नहीं हुआ था कि आप माफिया हैं या कुछ और… इश्क तो बस आपसे हो गया।"

धानी की बात सुनकर मृत्युंजय बस उसकी ओर देखता ही रह गया।

तभी मृत्युंजय उसके पास आकर दांत पीसकर बोला –

"तुम्हें डर नहीं लगता? अरे, मेरे साथ तुम्हारा फ्यूचर क्या होगा? पता नहीं कौन-सी गोली आकर मेरे सीने में लगे और मेरा दिल क्या जाए… किस दिन मेरा आखिरी दिन होगा, जानती भी हो?"

उसकी बात पर एक पल के लिए धानी के दिल में हुक सी उठी। पर फिर भी वह अपनी लड़खड़ाती जुबान से बोली –

"कल के डर से हम जीना तो नहीं छोड़ सकते। कल क्या होगा मैं नहीं जानती। मैं बस इतना जानती हूं कि मैं अपने हर एक लम्हे को आपके साथ बिताना चाहती हूं। जब तक जीना है, आप ही के साथ जीना है। यह जिंदगी अब आपसे शुरू और आप ही पर खत्म होगी, मिस्टर राठौर।"

धानी की बात सुनकर मृत्युंजय का दिल एक पल के लिए धड़क उठा। उसे धानी पर गुस्सा भी आ रहा था, पर ना चाहते हुए भी बार-बार धानी की बातें उसका दिल धड़का जाती थीं।

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वहीं दूसरी तरफ,, Rathore Villa में,,

कश्यप जी जो सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट कर रहे थे, उन्हें उनके फैमिली डॉक्टर मिस्टर सिंदूर गुप्ता का फोन आया। अगले ही पल कश्यप जी ने कॉल उठाया और आगे से जो कहा गया… सुनते ही एक पल के लिए वह अंदर तक कांप गए। उन्होंने अपना खाना छोड़ते हुए कहा –

"मैं अभी आपके पास पहुंच रहा हूं।"

इतना कहकर वह अपनी जगह से उठने लगे कि तभी संस्कृति जी, जो किचन से बाहर आ रही थी, कश्यप जी का हाथ पकड़कर बोली –

"क्या कर रहे हैं मिस्टर राठौर? आप ऐसे कैसे उठकर जा सकते हैं? पहले खाना तो खा लीजिए।"

संस्कृति जी को देखकर एक पल के लिए कश्यप जी का दिल किया कि वह अपनी मन की बात उनसे कह दें। पर फिर यह सोचकर चुप रह गए कि अगर संस्कृति जी को कुछ पता चला तो वह काम का बहुत ज्यादा परेशान हो जाएंगी। इसीलिए वह बिना कुछ कहे वहां से चले गए।

वहीं संस्कृति अपनी जगह पर खड़ी ही रह गई। वह हैरानी से कश्यप जी को देखती रह गई क्योंकि आज तक कश्यप जी ने कभी अपना खाना बीच में छोड़कर नहीं उठे थे।

कश्यप जी अपनी गाड़ी लेकर निकल चुके थे और तकरीबन आधे घंटे बाद वह डॉक्टर सिंदूर गुप्ता के सामने बैठे हुए थे।

तीन दिन पहले जब धानी की तबीयत खराब हुई थी तो कश्यप जी ने सिंदूर जी से ही धानी के कुछ टेस्ट करवाए थे। और ब्लड रिपोर्ट में साफ-साफ आया था कि धानी को ब्लड कैंसर है।

इसे सुनकर कश्यप जी अंदर तक कांप गए थे।

वह अपने मन में बोले –

"मैंने मृत्युंजय को अगर किसी के लिए बदलते हुए देखा है, तो वह धानी है। अगर धानी को कुछ हो गया… वह आधी दुनिया को आग लगा देगा।"

इतना कहते हुए कश्यप जी अंदर तक कांप गए।

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वहीं दूसरी तरफ,,

मृत्युंजय जो धानी के सामने खड़ा था, वह उसकी तरफ गुस्से से घूर रहा था क्योंकि धानी फिर से उसके लिए खाना बनाने लगी थी। वह गुस्से से दांत पीसकर बोला –

"Fine… तुम नहीं ना मुझे छोड़कर जाना चाहती… तो अब देखना!"

इतना कहकर मृत्युंजय ने उसे गोद में उठा लिया। वहीं धानी तो हैरानी से मृत्युंजय की तरफ देखती ही रह गई। मृत्युंजय अब धानी को लेकर सीधा छत पर गया।

जैसे ही वह दो

नों छत पर पहुंचे, सामने का नज़ारा देखकर एक पल के लिए धानी का दिल धड़कन ही भूल गया…

To be continue…

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