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Drugs/Nazdikiyan

Blue Light Hookah Bar,

धानी की आंखों के सामने अभी-अभी जो नज़ारा आया था, उसने उसकी रूह तक हिला दी। उसका दिल धक सा रह गया… आँसू उसकी पलकों से ढलके बिना रुके बहते चले गए।

उसने अपनी आँखों से देखा–– मृत्युंजय ने पाइप से ड्रग्स अपने अंदर खींच लिया था। अगले ही पल उसका चेहरा कांप उठा, उसकी आँखें ऊपर की तरफ रोल हो गईं… और जब उसने आखिरी कश अंदर खींचा, तो उसकी पुतलियाँ स्थिर हो गईं–– पर अब वे खून से भी ज्यादा लाल थीं।

धानी का दिल तड़प उठा–– जैसे किसी ने उसके सीने पर हजारों सुइयाँ चुभो दी हों।

वो समझ गई थी कि मृत्युंजय ने अभी-अभी क्या किया है… और दूसरी तरफ मृत्युंजय अपने डेविल नज़रों से उसी पर टिकाए हुए था। धानी की आंखों में दर्द और खौफ देखकर उसकी डेविल स्माइल और लंबी हो गई।

मृत्युंजय मन ही मन बुदबुदाया––

"बहुत इश्क करती हो ना मुझसे, शाय गर्ल?

अब देखना… यही इश्क तुम्हारे लिए ज़हर बन जाएगा।

कोई भी लड़की अपनी ज़िन्दगी एक नशेड़ी के साथ नहीं बिताना चाहेगी––

खासकर तुम जैसी लड़की तो बिल्कुल भी नहीं…"

तभी हेनरी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा––

"What do you think of this deal, Mr. Rathore?"

मृत्युंजय ने ठंडी नज़रों से उसकी तरफ देखा––

"The deal is done… Mr. Henry."

हेनरी मुस्कराया और आगे झुका––

"Mr. Rathore, can I have one more deal… for your profit?"

इस पर मृत्युंजय की आँखों में सवालिया चमक आ गई।

हेनरी ने आगे कहा––

"Why not you join our business? Human trafficking… what do you think?

And the deal is… this girl!

I’ll purchase her–– 25 million dollars."

हेनरी के चेहरे की बेशर्मी देखकर धानी का दिल जोर से धड़क उठा।

पर अगले ही पल–– धाँय! धाँय!

गोलियों की गूंज ने पूरा हॉल हिला दिया।

धानी का चेहरा सफेद पड़ गया…

क्योंकि मृत्युंजय ने अपनी बैक से गन निकाली और सीधा विक्टर के माथे के बीचों-बीच हेडशॉट कर दिया था।

उसकी गहरी, कोल्ड वॉयस में––

"जिसके लिए मैं खुद बिक जाऊँ…

तुम उसे खरीदना चाहते हो?"

इतना कहकर उसने हेनरी पर लगातार गोलियाँ दागनी शुरू कर दीं–– हेडशॉट पर हेडशॉट–– जब तक पिस्टल की हर गोली खाली नहीं हो गई।

धानी वहीं खड़ी काँप रही थी। उसने मृत्युंजय का यह रूप पहली बार देखा था–– उसकी रूह काँप उठी थी।

मृत्युंजय की लाल आँखें अब भी हेनरी की लाश को घूर रही थीं। तभी उसकी नज़र धानी पर पड़ी।

धानी डर के मारे पीछे हटने लगी, सिर हिलाते हुए–– ना… ना…

उसकी पीठ दीवार से लग चुकी थी।

हेनरी की मिस्ट्रेस भी कोने में जमीं खड़ी काँप रही थी–– उसके गले से आवाज तक नहीं निकल रही थी।

मृत्युंजय की नशीली, सर्द आँखें अब धानी पर थीं।

धीरे-धीरे वह उसकी तरफ बढ़ा।

धानी का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया। उसके सामने धुंधलापन छाने लगा–– और अगले ही पल वह बेहोश होकर गिरने लगी।

लेकिन उससे पहले ही मृत्युंजय ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया।

धानी उसके सीने से लटक रही थी… और उसकी आँखों में अजीब सी गहराई उतर आई।

वह झुका और धीरे से फुसफुसाया––

"हवा हो गया तुम्हारा इश्क…"

उसके डेविल एक्सप्रेशन और भी सख्त हो गए। अगले ही पल उसने धानी को अपनी गोद में उठाया और बाहर निकल आया।

हेनरी की मिस्ट्रेस भी जल्दी से वहाँ से भाग निकली।

मृत्युंजय ने धानी को गाड़ी की पैसेंजर सीट पर बैठाया, खुद ड्राइविंग सीट पर आया और इंजन स्टार्ट कर दिया। पर अगले ही पल उसने दोबारा से गाड़ी रोकी और एक टक अपनी लाल आंखों से धानी को देख रहा था। मृत्युजय का दिल को एक अलग सा सुकून मिल रहा था।

अगले ही पल अन्यास ही उसके हाथ धानी के गालों पर जाने लगे,, के तभी उसे कुछ याद आया,, उसकी आंखों के सामने एक 70 ,,80 साल के बुजुर्ग इंसान जो कि मर रहे थे। और उसके साथ एक छोटी सी बच्ची,, जो बेइंतहा रो रही थी। घूमने लगे,, और अगले ही पल उसके जबड़े कस गए,,

और अगले ही पल वो अपनी जगह से सीधा हुआ और,, गाड़ी को तेजी से वहां से निकाल ले गया,,,,,

उसकी नज़रें बार-बार धानी पर जा रही थीं। उसकी गहरी आवाज गूंजी––

"खून-खराबा देखा नहीं जाता तुमसे…

और चली हो माफ़िया से इश्क लड़ाने…"

वह व्यंग्य भरी हंसी हंसा।

आधे घंटे बाद उसकी कार राठौर फ़ार्महाउस के सामने रुकी।

वह धानी को गोद में उठाकर अपने रूम तक ले गया और उसे बेड पर लिटाकर बाथरूम में चला गया।

बाथरूम में––

वह पूरी तरह नेकेड खड़ा था… पर उसकी आँखों में सिर्फ धानी का चेहरा घूम रहा था।

उसने आँखें बंद कीं और भारी आवाज में बोला––

"आज तुम्हारा इश्क तुम्हारे दिल से खत्म हो गया होगा…"

पर यह कहते ही उसके दिल में अजीब सी टीस उठी–– एक दर्द जो वह खुद भी नहीं समझ पाया।

कुछ देर बाद शावर से

बाहर आया।

उसकी नजरें सीधे धानी पर गईं–– और अगले ही पल उसका दिल जैसे धड़कना भूल गया…

Rathore farmhouse,,

MD room,,,

मृत्युंजय अभी-अभी नहा कर बाथरूम से बाहर निकला था और बाहर का नज़ारा देखकर मृत्युंजय का दिल धक सा रह गया था। क्योंकि सामने धानी इस वक्त एक नाइटी में बैठी थी और उसकी आँखें पूरी तरह से ऊपर की तरफ़ चढ़ी हुई थी। धानी की लाल आँखें आज बहुत कुछ बयां कर रही थी। धानी की हालत देखकर मृत्युंजय का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसके लिए मृत्युंजय की सांस जैसे गले में ही अटक गई थी।

धानी की आँखों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसने कोई नशा किया हो। जिस हालत में धानी थी, उसे देखकर मृत्युंजय को कुछ-कुछ हो रहा था। वही धानी, जो कि नशे में थी, वह अपनी नशीली आँखों से मृत्युंजय को देखते हुए हंसी और बोली––

“क्या सोचा था आपने? मैं आपको नशे में करता हुआ देखूंगी और आपको छोड़ दूंगी? कैसे सोच लिया आपने? अगर आप नशे में रहेंगे तो मैं भी आपके साथ नशे में रहूंगी। फिर हम दोनों ऐसे ही नशे में झूमते हुए एक-दूसरे से इश्क करेंगे…”

धानी की बात पर एक पल के लिए मृत्युंजय के चेहरे पर हैरानी आ गई। अगले ही पल उसने दूसरी तरफ़ देखा, जहाँ सोफ़े पर बैग रखा था। वह बैग खुला हुआ था और उसे खोलने वाली और कोई नहीं धानी थी। उसमें से एक पाउडर का लिफाफ़ा फटा हुआ था––आधा नीचे बिखरा पड़ा था और आधा टेबल पर।

इसे देखकर मृत्युंजय के होश उड़ गए। क्योंकि मृत्युंजय ने तो जाकर टैबलेट ले ली थी, पर धानी की आँखों को देखकर लग रहा था कि उसने बहुत ज़्यादा नशा किया है। धानी को देखकर अब मृत्युंजय के जबड़े कसने लगे। गुस्से में तिलमिलाते हुए वह धानी के पास आया और उसकी बाजू पकड़ कर अपने पास खींचते हुए बोला––

“मैं एक अच्छा इंसान नहीं हूँ। क्यों मुझसे ज़िद कर रही हो इश्क की?”

वही धानी एक बार फिर मुस्कुराई और मृत्युंजय की आँखों में आँखें डालकर बोली––

“मैं कहाँ आपसे ज़िद कर रही हूँ? मेरा दिल कर बैठा है। खुद से फ़िदा हो गया है आप पर। जान निसार करना चाहता है आप पर। प्यार करना चाहता है। आपको हर पल तड़पना चाहता है। आपके बिना जीना नहीं चाहता… तो क्या करूँ इस दिल का?”

धानी की बात सुनकर मृत्युंजय का दिल ज़ोर से धड़क उठा। पर अगले ही पल उसने खुद को काबू करते हुए दाँत पीसकर कहा––

“अपनी बकवास बंद करो। मैंने कितनी बार कहा है कि यह इश्क-मोहब्बत मेरे लिए नहीं बना है। दफ़ा क्यों नहीं हो जाती मेरी ज़िंदगी से? तलाक़ दो मुझे। मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ। क्यों नहीं समझती हो तुम?”

वही धानी ने अपने होठों का पाउट बनाते हुए अपना निचला होंठ बाहर की तरफ़ निकाला और बोली––

“मैं नहीं छोड़कर जाऊँगी आपको। मुझे आपसे इश्क हो गया है। अब क्या करूँ? यह तो आपको सोचना चाहिए था। आपने मुझसे क्यों शादी की अगर आपको मुझसे प्यार ही नहीं करना था?”

उसकी मासूमियत देखकर एक पल के लिए मृत्युंजय उसी में कहीं खो गया। मृत्युंजय धानी की तरफ़ देखकर उसके चेहरे को अपने हाथों में भरकर बोला––

“तुम एक बहुत अच्छी लड़की हो। तुम्हें बहुत अच्छे लड़के मिल जाएँगे।”

वही धानी मृत्युंजय की बात पर––

“अगर मैं इतनी ही अच्छी हूँ… तो मुझे आप क्यों नहीं मिल सकते?”

धानी की बात पर मृत्युंजय का दिल एक बार फिर से ज़ोरों से धड़कने लगा। धानी का इस तरह से बात करना, जैसे उसे कुछ-कुछ हो रहा था।

और ऊपर से धानी ने रिवीलिंग नाइटी पहनी थी, जिस वजह से उसकी हालत और भी ज़्यादा खराब हो रही थी। उसका वह रिवीलिंग क्लीवेज कहीं-ना-कहीं मृत्युंजय को पागल कर रहा था। न चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार धानी के सीने पर जा रहा था। उसका वह उभरा हुआ सीन मृत्युंजय को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था।

मृत्युंजय को अपने अंदर सेंसिटिविटी महसूस होने लगी थी और अपने शरीर में गर्माहट वह अब महसूस करने लगा था। भले ही उसने ड्रग्स के लिए मेडिसिन ले ली थी, पर अभी भी उसे अपने शरीर में हलचल महसूस हो रही थी।

वही धानी की हरकतें देखकर मृत्युंजय का दिल ज़ोर-ज़ोर से धक-धक तो कर ही रहा था और ऊपर से उसकी नटखट हरकतें उसे और भी पागल बना रही थी।

वही धानी अब मृत्युंजय के कॉलर को पकड़ते हुए झकझोरते हुए बोली––

“बताइए ना… आप बोलते क्यों नहीं? अगर मैं इतनी ही अच्छी हूँ, तो आप क्यों नहीं? मुझे तो आपसे इश्क है। अगर आप ना मिले तो मैं तो वैसे भी मर जाऊँगी। वैसे भी मेरी मौत बहुत नज़दीक है… पर आपके बिना तो मैं वैसे भी पल-पल मर रही हूँ।”

उसकी बात सुनकर एक पल के लिए मृत्युंजय का दिल जैसे धड़कन ही भूल गया। पर अगले ही पल उसने उसकी कमर पर हाथ डालते हुए उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी आँखों में देखते हुए बोला––

“यह कैसी बकवास है!”

तभी आगे से धानी––

“बकवास नहीं है। आपको पता है मैं बहुत जल्द मरने वाली हूँ। बहुत जल्दी… तब आप कहेंगे ना कि मैं आपके पास आ जाऊँ… मैं नहीं आ पाऊँगी फिर। इसलिए जल्दी-जल्दी जितना हो सके मुझसे प्यार कर लीजिए। नहीं तो मैं एक बार मर गई… आप मुझसे प्यार कैसे करोगे? कर लीजिए ना मुझसे इश्क…”

उसकी बात पर एक पल के लिए मृत्युंजय का दिल तड़प उठा।

मृत्युंजय उसकी आँखों में देखते हुए सर्द आवाज़ में बोला––

“मैं तुम्हें कुछ भी नहीं होने दूँगा। समझी तुम?”

इतना कहते हुए अगले ही पल उसने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। वही धानी भी उसका पूरा साथ देने लगी

और उसके हाथ अब मृत्युंजय के कंधों पर आ गए।

To be continued…

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