
Rathore Industries,
अभी-अभी मृत्युंजय की कार राठौर इंडस्ट्रीज के सामने आकर रुकी थी और कार रुकते ही, धानी बाहर की तरफ निकली, के तभी एक कार तेजी से धानी की तरफ से होते हुए निकलने को हुई, के तभी किसी ने धानी का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया, वही मृत्युंजय जो की कार में बैठा हुआ था। जैसे ही उसने ये देखा, उसका दिल धक्का सा रह गया,,, अगर वह शख्स धानी को नहीं खींचता, तो हो सकता था कि वो गाड़ी धानी को कुचलते हुए आगे की तरफ निकल जाती,
मृत्युंजय अपनी जगह बैठा-बैठा जाम सा गया था। उसकी सांसे जैसे एक पल के लिए बंद सी हो गई थी, पर अगले ही पल सामने का नजारा देख, मृत्युंजय के जबड़े कस गए, क्योंकि जिस शख्स ने धानी को अपनी तरफ खींचा था, उस शख्स के हाथ धानी की खुली कमर पर थे और यह देखकर मृत्युंजय का अंदर ही अंदर खून खोलने लगा था। उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल हो चुकी थी और हाथों की मुट्ठियां कस गई थी,
वही धानी, जो कि उस शख्स के सीने से जा लगी थी, उसकी सांसे अभी तक नॉर्मल नहीं हुई थी। वो बुरी तरह से कांप रही थी, वही वह शख्स जो कि राठौर इंडस्ट्रीज का ही एम्पलाई था। वो धानी की तरफ देखकर बोला, "आप ठीक तो हैं मिस?"
उसे अनजान शख्स की आवाज जैसे ही धानी के कानों में पड़ी, तब जाकर धानी को होश आया और वह अगले ही पल पीछे होते हुए बोली, "I am fine," और एक पल के लिए उसने पीछे मुड़कर देखा, तो मृत्युंजय अपनी सख्त नजरों से उस शख्स को देख रहा था। मृत्युंजय की नजरे ऐसी थी जैसे एक पल के लिए वो उस शख्स की जान ही लेना चाहता हो,
वही धानी ने यह चीज नोटिस की, जिससे उसकी होठों पर हल्की सी मुस्कराहट तैर गई। पर अगले ही पल जो हुआ, उससे धानी का दिल धक सा रह गया, क्योंकि मृत्युंजय अब तेज कदमों से उस एम्पलाई की तरफ बढ़ा और अगले ही पल उसका कॉलर पकड़कर उसके चेहरे पर एक पंच जड़ते हुए,
"How dare you to touch her!" इतना कहते हुए मृत्युंजय की आंखों में धानी के लिए जुनून साफ नजर आ रहा था। मृत्युंजय अपना आपा खो बैठा था। वही जो एम्पलाई मार खा रहा था, उसे अभी तक पता ही नहीं था कि मृत्युंजय है कौन? क्योंकि वह एम्पलाई आज ही नया आया था और उसे मृत्युंजय के बारे में कुछ भी पता नहीं था। वही मृत्युंजय लगातार उसके चेहरे पर पंच जड़ते हुए, गुस्से से दांत पीसते हुए बोला, "तेरी हिम्मत कैसे हुई उसे हाथ लगाने की? तूने मेरे सामने मेरी पत्नी को हाथ लगाया...."
जैसे ही मृत्युंजय ने धानी के लिए पत्नी शब्द का इस्तेमाल किया, एक पल के लिए धानी अपनी जगह पर जम सी गई। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और पेट में बटरफ्लाइज उड़ने लगी। धानी की आंखें हल्की-हल्की नम होने लगी थी, उसके होठों पर हल्की सी मुस्कराहट तैर गई थी। वही मृत्युंजय अभी भी लगातार उस शख्स को पीटे जा रहा था,
पर अगले ही पल धानी अपने होश में आई और आगे बढ़कर मृत्युंजय का हाथ पकड़ते हुए बोली, "रुकिए मिस्टर राठौर, उसने मेरी जान बचाने के लिए मुझे पकड़ा था।" तभी मृत्युंजय दांत पीसकर एग्रेसिव होते हुए बोला, "अगर हाथ पकड़ कर खींचना भी था, तो अपने गंदे हाथ को तुम्हारी कमर पर रखने की क्या जरूरत थी!" इतना कहते हुए, दोबारा जब वह उस शख्स को मारने को हुआ, पर इससे पहले कि वो मरता, धानी ने उसका हाथ बीच में आकर रोक लिया, "रुक जाइए मिस्टर राठौर, हो गई गलती, प्लीज उसे माफ कर दीजिए।"
धानी की बात सुनकर अब मृत्युंजय को अहसास हुआ कि वह अभी थोड़ी देर पहले क्या कर रहा था। उसे अब अपने आप पर एक पल के लिए गुस्सा आना शुरू हो गया। अगले ही पल उसने धानी का हाथ झटक कर बोला, "दूर रहो मुझसे!" जैसे ही मृत्युंजय ने धानी का हाथ पकड़कर उसे झटका और कहा, "दूर रहो," धानी का दिल जैसे एक पल के लिए तड़प उठा,
इससे पहले कि वह कुछ कहती, मृत्युंजय अब जल्दी से अंदर की तरफ चला गया और उसने गार्ड को गाड़ी को पार्किंग एरिया में लगाने का इशारा कर दिया। और अब मृत्युंजय सीधा लिफ्ट की ओर जाकर टॉप फ्लोर में चला गया। वही धानी, जो कि अभी भी वहीं पर खड़ी थी, उसकी आंखों में पानी लबालब बहने लगा, पर अगले ही पल उसने अपने आंसुओं को साफ किया और गहरी सांस लेकर बोली, "नहीं, मैं ऐसे बिखर नहीं सकती। अगर आपको इतना ही था, तो आपने मुझे पत्नी क्यों कहा? नहीं कहना था ना पत्नी! आपको इस बात का जवाब देना होगा कि आपने मुझे अपनी पत्नी क्यों कहा।" इतना कहते हुए धानी भी लिफ्ट की ओर बढ़ गई। कुछ ही देर में वो लिफ्ट में गई और कुछ ही सेकंड में टॉप फ्लोर पर पहुंच गई,
टॉप फ्लोर पर पहुंचते ही धानी इधर-उधर देखने लगी क्योंकि उसे इस वक्त मृत्युंजय का केबिन नहीं पता था। वहां पर तीन केबिन थे — एक पर्सनल असिस्टेंट का और एक सेक्रेटरी का, जो कि मृत्युंजय ने आज ही धानी के लिए खाली करवाया था। जैसे ही धानी ने अपने कदम आगे रखे कि तभी किसी की आवाज उसके कानों में पड़ी। मृत्युंजय का पर्सनल असिस्टेंट धानी की तरफ देखकर बोला, "मैम, सर का केबिन वो सामने है।" असिस्टेंट की बात पर धानी ने हामी में सिर हिला दिया और अगले ही पल वो मृत्युंजय के केबिन की ओर बढ़ गई,
धानी धीरे-धीरे अपने कदम मृत्युंजय के केबिन की ओर बढ़ा रही थी और बढ़ते पल के साथ उसके दिल की धड़कनों ने शोर मचाना शुरू कर दिया था। जैसे-जैसे उसके कदम मृत्युंजय के केबिन की ओर उठ रहे थे, वैसे-वैसे उसका दिल जोर-जोर से धक-धक कर रहा था। बढ़ते पल के साथ उसकी सांसें भी गहरी होती जा रही थी,
कुछ ही सेकंड में धानी मृत्युंजय के केबिन के बाहर आकर खड़ी हुई, पर उसकी हिम्मत अंदर जाने की हो ही नहीं रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने मृत्युंजय के केबिन का दरवाजा नॉक किया और अगले ही पल सर्द और भारी भरकम आवाज अंदर से गूंजी, "Come in...."
जैसे ही मृत्युंजय की इतनी ठंडी आवाज धानी के कानों में पड़ी, एक पल के लिए धानी की दिल की धड़कनें ही रुक गई। पर अगले ही पल उसने खुद को नॉर्मल किया और अंदर की तरफ चली गई। उसने अपना सिर नीचे की तरफ झुका रखा था, उसकी आंखों में अभी भी हल्की-हल्की नमी थी। वही मृत्युंजय, जो कि मिरर वाली साइड चेहरा करके खड़ा था, बाहर की तरफ मुंबई का नजारा देख रहा था। उसकी आंखें अभी हद से ज्यादा लाल थी, हाथों की मुट्ठियां अभी तक भींची हुई थी,
मृत्युंजय की आंखों के सामने अभी तक वही मंजर घूम रहा था, जब उस शख्स ने धानी की कमर पर अपना हाथ रखा था। धानी अब मृत्युंजय के पीछे आकर खड़ी हुई और अगले ही पल उसने मृत्युंजय की तरफ देखते हुए, अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोली, "मैंने आपसे कुछ सवाल किया है मिस्टर राठौर, आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।
आप तो हमें तलाक देना चाहते हैं, आप तो हमें अपनी पत्नी नहीं मानते, तो आपने उस शख्स के सामने हमें अपनी पत्नी क्यों कहा?"
जैसे ही धानी ने यह सवाल पूछा, एक पल के लिए मृत्युंजय ने अपनी आंखें बंद कर ली और उसका चेहरा गुस्से से अब और भी सख्त लगने लगा। वो गुस्से से दांत पीसते हुए बोला, "Get out!"
मृत्युंजय ने जैसे ही धानी को "Get out" कहा, धानी की आंखों से आंसू एक बार फिर से बहने लगे। वह रोते हुए बोली, "अगर इतना ही था, तो क्यों मुझे उसके सामने अपनी पत्नी कहा? जब उसने मुझे छुआ, आपको इतना फर्क क्यों पड़ा? बताइए मुझे! मैं भी जानना चाहती हूं, आखिर वजह क्या थी आपको फर्क पड़ने की?"
धानी के सवालों को सुनकर मृत्युंजय बिना पलटे बोला, "मैंने कहा, दफा हो जाओ! अपनी मनहूसियत यहां मत फैलाओ!" तभी धानी बोली, "हम फैलाएंगे! पहले हमें हमारे सवालों का जवाब चाहिए। आखिर क्यों हमारे ऐसे किसी को छूने से आपको फर्क पड़ा, आखिर क्यों?"
"बोलते क्यों नहीं? जवाब दीजिए मुझे! मुझे आपसे आज जवाब चाहिए, मतलब चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए। मैं बिना जवाब लिए यहां से नहीं जाऊंगी।" उसकी बात पर अब मृत्युंजय बौखला गया। वह अब जल्दी से धानी की तरफ पलटा और अगले ही पल तेज कदमों से उसकी तरफ बढ़ने लगा। वही धानी ने अपने कदम पीछे लेने शुरू कर दिए। जितना तेज मृत्युंजय धानी की तरफ बढ़ रहा था, उतने ही धानी के कदम पीछे की ओर बढ़ रहे थे।
जब तक पीछे दीवार नहीं आ गई, तब तक मृत्युंजय उसकी तरफ बढ़ता रहा। वहीं धानी भी तब तक पीछे की ओर होती रही। अचानक से दीवार पीछे आने से धानी के कदम वहीं पर रुक गए। मृत्युंजय बिल्कुल धानी के पास आकर खड़ा हो गया और दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थी,
"क्या चाहती हो तुम? किसी और पर डोरी डालना चाहती हो?" जैसे ही मृत्युंजय ने इतनी बात कही, धानी का दिल जैसे धड़कने से इनकार करने लगा। वह अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी कि मृत्युंजय ऐसी बात उसके साथ कर रहा है,
और अगले ही पल जो मृत्युंजय ने कहा, उसे सुनकर धानी का दिल तो जैसे धड़कने से ही इनकार करने लगा.....
To be continue...
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