
Rathor villa.........
मृत्युंजय रूम.......
अभी-अभी मृत्युंजय धानी को बालकनी से खींचकर बाथरूम की ओर लेकर आया था। अगले ही पल उसने धानी को खींचकर वाश बेसिन के आगे किया और हाथ को टैब के नीचे टैब ऑन कर दी और अगले ही पल धानी की मेहंदी पानी के साथ बहने लगी और यह देखकर धानी का दिल धक सा रह गया। उसकी आंखों में पानी लबा लब बहने लगा।
नहीं मृत्युंजय धानी के हाथ बहुत अच्छे से धोते हुए एक तक उसके हाथों की तरफ देखे जा रहा था। वही धानी अब रोते हुए तड़प कर बोली " यह आप क्या कर रहे हैं, मेरा सुबह व्रत है। "
मृत्युंजय दांत पीसकर बोला " कोई व्रत नहीं रखोगी तुम, मुझे इन चीजों में रत्ती भर भी भरोसा नहीं है समझी तुम......। "
मृत्युंजय की बात सुनकर धानी के दिल से हुक उठ रही थी।उसका दिल अंदर ही अंदर टूट रहा था पर अब वह कुछ बोल नहीं पाई। वही मृत्युंजय ने उसके हाथों की मेहंदी पूरी तरीके से साफ करती थी पर फिर भी मेहंदी ने बहुत अच्छा रंग छोड़ दिया था। मृत्युंजय अव धानी की ओर देखकर बोला " तुम कल का व्रत नहीं रखोगी। "
वही धानी अब एक्सप्रेशन लेस्स होकर "हम कल का व्रत रखेंगे और आप हमें रोक नहीं सकते।"
जैसे ही धानी ने कहा, मृत्युंजय के जबडे कस गए। वह गुस्से में बोला "अपनी बकवास बंद रखो.... तुम कल का व्रत नहीं रखोगी, समझी।" धानी एक बार फिर से "हम व्रत रखेंगे और आप हमें रोक नहीं सकते।" इतना कहकर धानी बाहर की ओर जाने लगी पर मृत्युंजय ने उसकी कलाई पकड़ी और दरवाजे से सटा दिया और उसके ऊपर झुक कर उसकी आंखों में देखने लगा। वही धानी भी एक टक मृत्युंजय की आंखों में देख रही थी दोनों की सांसे आपस में टकरा रही थी।
मृत्युंजय एक बार फिर से अपनी सर्द आवाज में " मैंने कहा तुम यह व्रत नहीं रखोगी, मुझे इन सब चीजों पर विश्वास नहीं है। " धानी अब दर्द भरी मुस्कराहट के साथ "हम व्रत रखें या ना रखें, इससे आपको क्यों इतनी तकलीफ हो रही है और रही बात विश्वास की आपको व्रत पर विश्वास नहीं पर मुझे विश्वास है और आपको इस व्रत से इतना फर्क क्यों पड़ रहा है। आप तो उस प्रियंका से शादी करने वाले हैं ना तो आपको तो इस व्रत से कोई फर्क पडना ही नहीं चाहिए कि मैं व्रत रखूं या ना रखूं....।"
धानी की बात पर एक पल के लिए मृत्युंजय का चेहरा सर्द हो गया पर अगले ही पल उसने अपने चेहरे के भाव ठीक किये और एक्सप्रेशंस लैस होकर बोला "मेरी तरफ से भाड़ में जाओ तुम.... मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम्हारी मर्जी रखना है रखो नहीं रखना मत रखो.... I don't damm care about that . और मुझसे यह उम्मीद मत रखना कि कल रात को मैं तुम्हारे पास आकर व्रत वगैरा तुड़वाऊंगा।"
वही धानी एक बार प्यार से मृत्युंजय की तरफ देखकर हंसी और बोली, आप आएंगे। "
जैसे ही धानी ने इतने प्यार से मृत्युंजय की तरफ देखा और जिस तरह से उसने अपनी बात मृत्युंजय के सामने रखी, मृत्युंजय का दिल जोरो से धक-धक करने लगा..
.पर अगले ही पल उसने अपने जज्बातों को अपने दिल में दफन करते हुए "मैं नहीं आने वाला.... अगर तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारा व्रत तुडवाने आऊंगा और तो यह तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी गलतफहमी है।"
इतना कहकर मृत्युंजय वहां से जाने लगा कि तभी धानी ने मृत्युंजय का हाथ पकड़ लिया। धानी के ऐसे हाथ पकड़ने से मृत्युंजय का दिल मानो धड़कना ही भूल गया। अब उसने पलट कर धानी की तरफ देखा, तभी धानी उसके चेहरे की तरफ देखकर बोली "हमने आपसे बेहद इश्क है....।" जैसे ही धानी ने दोबारा से अपने प्यार का इजहार किया तो मृत्युंजय का दिल तो जैसे धड़कना ही भूल गया पर उसने अपने जज्बातों को काबू किया और धानी के हाथों को झटक कर बाहर की तरफ चला गया।
बाहर आकर मृत्युंजय ने अपने शर्ट उतार कर दूसरी साइड फेंकी और बेड पर आकर लेट गया और करवट बदलने लगा। तकरीबन 20 मिनट बाद धानी भी मृत्युंजय के बगल में आकर बैठी और उसने अपना हाथ देखा जिस पर इस वक्त मेहंदी का रंग बेहद गहरा हो गया था पर मेहंदी के रंग को देखकर अपने चेहरे पर फीकी मुस्कुराहट लिए मन में बोली "कहते हैं मेहंदी का रंग अगर गहरा हो तो पति बहुत प्यार करता है.... पर मेरे नसीब में तो जैसे....."। इतना कह कर वह अपने मन में शांत हो गई और अगले ही पल लेट गई। कुछ ही देर में उसने अपनी आंखें बंद कर ली।
वही मृत्युंजय जो कि कब से धानी के सोने का इंतजार कर रहा था, जैसे ही धानी सोई,उसने धानी की तरफ करवट ली और गौर से उसके चेहरे को देखने लगा। मृत्युंजय के चेहरे पर इस वक्त बेहद बेचैनी झलक रही थी जो कि वह खुद नहीं समझ पा रहा था, डेढ़ 2 घंटे tk वो करवट लेता रहा पर उसे नींद नहीं आ रही थी। ऐसे ही चार घंटे और बीत गए पर मृत्युंजय को जैसे नींद नहीं आ रही थी। वहीं धानी भी आराम से आंखें बंद किए लेती थी जबकि नींद तो उसकी आंखों में भी नहीं थी। ऐसे ही पूरी रात बीत गई।
तकरीबन सुबह के 4:00 बजे.....
उनके रूम का दरवाजा संस्कृति जी ने खटखटाया.... इस वक्त संस्कृति जी ने हाथों में सरगी ली हुई थी। संस्कृति जी तकरीबन जैसे 20 मिनट दरवाजा खटखटाती रही पर किसी ने अंदर से दरवाजा नहीं खोला तो वही निराश होकर बेचारी ऐसी ही चली गई।वह अपने मन में बोली "आज अपनी बहू की पहली सरगी ही खाली लेकर जा रही हूँ। इतना कहते हुए संस्कृति जी की आंखों में आंसू भर आए।"
वह अंदर धानी अभी तक जाग रही थी। उसकी आंखें मे भी नमी हो गई थी क्योंकि वह कुछ भी खाना नहीं चाहती थी। मृत्युंजय भी यह बात जानता था की संस्कृति जी धानी को कुछ खिलाने आयी हैं पर उसे यह नहीं पता था की धानी अभी तक जाग रही है।
सुबह के 7:00 बजे
धानी ने अपनी आंखों खोली और उठकर मृत्युंजय को देखा जो कि इस वक्त सो रहा था। धानी अब अपनी जगह से उठी और बाथरूम में चली गई। बाथरूम में जाकर तकरीबन 15 मिनट शावर लेने के बाद उसने एक रेड कलर की साड़ी पहनी, रेड कलर की साड़ी पहनकर बाहर की तरफ आई और थोड़ा बहुत मेकअप जैसे लिपस्टिक सिंदूर आज उसने मांग में सिंदूर भी पूरी तरह से भरा हुआ था और गले में मंगलसूत्र, माथे पर छोटी सी लाल रंग की बिंदी और रेड कलर की लिपस्टिक बाल खुले कमर से निचे... कुल मिला कर इस वक़्त बेहद खूबसूरत लग रही थी।
धानी अब मृत्युंजय के पास आयी और मृत्युजय को देख कर नम आँखों से उसके पैरो के पास बैठी और उसके पैरो को चुम कर बड़े प्यार से बोली " अगर आप मेरे हुए तो मेरी किस्मत अगर नहीं हुए तो..... " इतना कहे कर धानी की आँखों से एक आँशु मरत्युंजय के पैर पर गिर गया। वही मरत्युंजय जो की आँखे बंद करके लेटा हुआ था, उसकी हाथो की मुठिया कस गयीं।
पर वह अपनी जगह से हिला तक नहीं। वही धानी अपनी बात आगे जारी करते हुए "इश्क़ तो आपसे बहुत कर लिया पर अब उस इशको को निभाने का वक्त आ गया है, पर मैं नहीं जानती की मैं कब तक खुद को समेटूंगी पर इतना जानती हूं की आपको बेइंतहा इश्क दूंगी,जब तक जिऊंगी, आपके लिए जिऊंगी और अगर मेरे दिल की श्रद्धा और मेरा प्यार सच्चा है तो आप मेरा व्रत तुड़वाने जरूर आएंगे....."इतना कहकर एक बार फिर से धानी ने एक बार फिर से मृत्युंजय के पैरों को चूम लिया।
जैसे ही धानी ने एक बार फिर से मृत्युंजय के पैरों को चुम्मा तो इस बार मृत्युंजय का दिल और भी ज्यादा बेचैन हो उठा, उसने अपने हाथों की मुट्ठी इस कदर भींच ली थी कि उसके नाखून उसके मुट्ठी में गढ़ गए थे।
वहीं धानी और अपनी जगह से खड़ी हुई और कमरे से बाहर निकल गई। धानी के जाते ही मृत्युंजय ने अपनी आंखें खोली, इस वक्त उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थी और वह खुद से बोला "मैं भी देखता हूं कि तुम कैसे सारा दिन व्रत रखती हो, तुम्हारा यह व्रत तो आज मैं भंग करके रहूंगा।" इतना कह कर मृत्युंजय अब अपनी जगह से खड़ा हुआ और सीधा बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगा।
तकरीबन 1 घंटे बाद मृत्युंजय नीचे की तरफ हॉल में आया और हाल में देखा कि सभी खाने पर बैठे हुए थे, बस घर की औरतें ही थी जो खाना नहीं खा रही थी शिवाय प्रियंका के।
मृत्युंजय अब अपनी चेयर पर बैठा... जैसे मृत्युंजय अपनी चेयर पर बैठा तभी धानी आगे आकर खाना सर्व करने लगी की प्रियंका ने उसे रोककर खुद खाना सर्व करना शुरू कर दिया और यह देखकर धानी का दिल जैसे तड़प उठा.... आंखों में एक बार फिर से नमी छाने लगी, वहां और न रहकर अपने कमरे में जाने लगी की, तभी मृत्युंजय ने उसे पीछे से रोकते हुए "तुम आज तुम मेरे साथ ऑफिस चलोगी।"
जैसे ही मृत्युंजय ने धानी को ऑफिस जाने के लिए कहा, धानी एक पल के लिए हैरानी से मृत्युंजय की तरफ देखने लगी। वह अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोली "पर मैं कभी ऑफिस गई नहीं...." तभी मृत्युंजय अब आदत डाल लो, तुम अब से मेरी पर्सनल असिस्टेंट की जॉब पर मेरे साथ चलोगी। वहीं संस्कृति जी बीच में बोलते हुए "रुको मृत्यु... आज उसका व्रत है, सारा दिन उसे भूखा रहना है तो आज उसे घर रहने दो, कल से ले जाना।"
तभी मृत्युंजय वह मेरी सर दर्द नहीं है। मैंने पहले ही कहा था कि यह व्रत वगैरह में नहीं मानता.... वहीं प्रियंका भी अपने बीच में मौका ढूंढते हुए "मृत्यु मैं भी चलूंगी, मैं भी वहां पर तुम्हारे साथ थोड़ी देर टाइम स्पेंड कर लूंगी, यहां मैं घर में क्या करूंगी....." उसकी बात सुन कर मृत्युंजय के चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन आ गए।
मृत्युंजय प्रियंका की तरफ देखकर बोला "मुझे वहां पर काम करने जाना है, मैं किसी के साथ टाइम स्पेंड करने नहीं जा रहा हूं वहां पर। इसलिए घर पर रहो नहीं तो माल घूम आओ।" मृत्युंजय की बात सुनकर प्रियंका का मुँह बन गया।
वहीं मृत्युंजय अब बाहर की तरफ जाने लगा कि तभी संस्कृति जी " खाना नहीं खाओगे क्या.... तभी मृत्युंजय मुझे अब भूख नहीं है मैं बाहर से खा लूंगा कुछ। "
इतना कहकर मृत्युंजय बाहर की तरफ निकल गया। वहीं संस्कृति जी के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई जैसे मन ही मन मृत्युंजय की बात को आज समझ गई हो।
मृत्युंजय अब अपनी गाड़ी में जाकर बैठा और धानी का वेट करने लगा। वही धानी अब दोबारा से रूम में जाकर तैयार होकर नीचे की तरफ आयी जबकी वह पहले ही बहुत खूबसूरत लग रही थी पर अब उसने रेड साड़ी को चेंज करके मेहेरून साड़ी पहनी थी और मांग में सिंदूर वैसे ही भरा था, रेड कलर की जगह मेहरून कलर की लिपस्टिक लगा रही थी, जिससे उसका गोरा रंग और निखर कर आ रहा था ऊपर से उसके नेचरूलि लाल नाक और गाल और भी ज्यादा जान लेवा लग रह थे।
जैसे ही धानी दरवाजे से बाहर निकली कि तभी मृत्युंजय की नजर धानी पर पड़ी उसे देखकर एक पल के लिए मृत्युंजय अपनी पलके झुकाना ही भूल गया। मृत्युंजय का दिल इस वक्त जोर से धड़क रहा था पर उसने अपनी नजरें अगले ही पल धानी से फेर ली। धानी अब मृत्युंजय के पास आकर बैठी और अगले ही पल उनकी गाड़ी राठौर विला से निकल गई।
सारे रास्ते मृत्युंजय कुछ नहीं बोला। वह पर फ्रट मिरर से ही साइड से धानी को देखता रहा, धानी को इस चीज का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था क्योंकि उसकी ध्यान इस वक्त बाहर था। तभी उसकी नजर अपने हाथों पर पड़ी, उसकी मेहंदी इस वक़्त हद से ज्यादा गहरी हो चुकी थी, मेहंदी का रंग एकदम काला हो चुका था, मेहंदी को देखकर कहीं ना कहीं धानी की आंखों में नमी छा रही थी। वह चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रही थी।
इस बार जब धानी की आंखों में नमी आयी तो मृत्युंजय ने उस नमी को भाप लिया था पर उसने कहा कुछ नहीं.....बस अपना मुंह मोड़ कर बाहर की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल हो चुकी थी।अगले ही पल उसने गाड़ी की स्पीड और भी ज्यादा तेज कर दी।
तकरीबन 15 मिनट बाद.....
राठौर इंडस्ट्रीज......
मृत्युंजय ने अभी कल ही राठौर इंडस्ट्रीज ज्वाइन कर ली थी क्योंकि कश्यप जी ने उन्हें अपना सारा अंपायर शोपने का फैसला लिया था। उनकी गाड़ी इंडस्ट्रीज के बाहर आकर रुकी। अभी तक गाड़ी को पार्किंग एरिया में मृत्युंजय नहीं लेकर गया था, वही गाड़ी रुकते ही जैसे ही धानी बाहर निकली.....
वहीं कार मे बैठा मृत्युंजय की नजर जैसे ही धानी पर गई....उसकी आंखें बड़ी हो गई और उसका दिल धक्क सा रह गया........।
To bi continue ✍️.......
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