
Rathore Villa,
Mrityunjay's room,
मृत्युंजय इस वक्त बेड पर लेटा हुआ था और उसके बदन से उसकी शर्ट अलग थी। वहीं प्रियंका भी उसके ऊपर झुकी हुई थी, उसने इस वक्त सिर्फ ब्रा और पेटी ही पहनी हुई थी। वही मृत्युंजय उसको एक्सप्रेशंस-लेस होकर देख रहा था। उसके चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं थे, पर उसकी आंखों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके अंदर बहुत कुछ चल रहा हो।
प्रियंका उसके ऊपर धीरे-धीरे झुक रही थी। जैसे ही प्रियंका अपने होंठ मृत्युंजय की चेस्ट पर रखने लगी, के तभी एक झटके से दरवाजा खुला। वहीं दरवाजे पर और कोई नहीं, धानी खड़ी थी। अंदर का नजारा देखकर उसका दिल धक सा रह गया था। धानी के कपड़े इस वक्त पूरी तरह से भीगे हुए थे और उसकी आंखों में इस वक्त दुनिया-जहां का दर्द उतरा हुआ था।
उसके कदम बाहर दरवाजे पर ही जम गए थे। वही मृत्युंजय, जिस पर प्रियंका झुकी हुई थी, वह गुस्से में दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली, "You bloody bitch! तुम्हें नहीं पता जब किसी के कमरे में जाते हैं तो दरवाजा नॉक करके जाते हैं?"
वही मृत्युंजय की नज़रें उसके बीच खाने से प्रियंका पर गहरी हो गई थीं, पर उसने प्रियंका को कहा कुछ नहीं। प्रियंका की बात पर धानी की आंखों में अब धीरे-धीरे गुस्सा उतरने लगा था। अगले ही पल धानी उसके पास आई और उसके बालों को कसकर पकड़कर पीछे करते हुए, अपने दांत पीसकर बोली, "यह मेरा रूम भी है, मैं उनकी पत्नी हूं, समझी? तुम्हें मुझे समझने की जरूरत नहीं है कि मुझे कहां कैसे आना है।"
वही मृत्युंजय एक्सप्रेशंस-लेस होकर धानी की सारी बातें सुन रहा था। वही धानी ने अब प्रियंका के बालों से पकड़ते हुए ही उसे बाहर घसीटना शुरू किया। प्रियंका की तो आंखें ही बड़ी हो गईं, वह बोली, "You... छोड़ो मेरे बालों को! How dare you!"
वही धानी को उसकी बात का कोई असर नहीं हो रहा था। वह लगातार घसीटते हुए प्रियंका को दरवाजे तक लेकर आई और उसने दरवाजे से प्रियंका को जोर से धक्का दिया, और प्रियंका दरवाजे से बाहर जा गिरी। और हैरत की बात तो ये थी कि इतना सब कुछ होने के बीच मृत्युंजय ने एक शब्द तक नहीं कहा था।
वही धानी अब मृत्युंजय के तरफ पलटी। मृत्युंजय अब अपनी जगह से उठकर बैठ गया और अपनी शर्ट पहनने लगा। वही धानी अब उसके पास आकर बोली, "क्या चाहते हैं आप?"
मृत्युंजय ने धानी की बात का अभी भी कोई जवाब नहीं दिया। वही धानी एक बार फिर से बोली, "हम पूछ रहे हैं, आपको क्या चाहिए?"
मृत्युंजय ने अभी भी धानी की बात का कोई जवाब नहीं दिया। पर अब धानी ने भी कुछ नहीं कहा। कुछ देर वह मृत्युंजय को ऐसे ही देखती रही, वहीं मृत्युंजय अपने कपड़े पहन रहा था। जैसे ही मृत्युंजय ने अपने कपड़े पहन लिए और बेड से उठने लगा, तभी धानी ने उसके चेस्ट पर अपना हाथ रख उसे बेड पर दोबारा धकेल दिया। और उसकी आंखों में देखते हुए अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया।
उसके पल्लू गिरते ही मृत्युंजय की नज़रें धानी पर गहरी होनी शुरू हो गईं। वही धानी अब मृत्युंजय की तरफ बड़े गौर से देख रही थी। "क्या आप सच में उस लड़की से शादी करना चाहते हैं?"
वही मृत्युंजय, जिसकी नज़र इतनी देर से धानी के सीने पर थी, जो अभी-अभी धानी ने कहा था, उससे उसकी नज़रें धानी के चेहरे पर आकर रुक गईं। वह एक्सप्रेशंस-लेस होकर बोला, "बिल्कुल। और ये शादी होकर रहेगी।"
वही धानी उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "और हम ये शादी होने नहीं देंगे।"
धानी की बात पर मृत्युंजय की नज़रें धानी के ऊपर गहरी हो गईं। वो उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोला, "कौन रखेगा मुझे? तुम रुकोगी?"
वही धानी उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "हां, हम रखेंगे।"
उसकी बात पर मृत्युंजय व्यंग्य से हंसा और बोला, "पहले खुद को संभालना सीख लो, आई बड़ी मुझे संभालने वाली और मुझे रोकने वाली। मेरा अब तुमसे कोई रिश्ता नहीं है। तलाक के पेपर तुम्हें तुम्हारे कमरे में मिल जाएंगे। अब निकलो यहां से।"
मृत्युंजय की बात पर धानी को अपने अंदर कुछ टूटा हुआ महसूस हो रहा था। पर फिर भी उसने खुद को संभाला और मृत्युंजय की तरफ देखकर बोली, "किसने कहा आपसे कि हम आपको तलाक देंगे? बिल्कुल नहीं। इस जन्म में तो बिल्कुल भी नहीं। जाइए, जितना जोर लगाना है लगा लीजिए।"
जैसे ही धानी ने यह बात कही, मृत्युंजय ने उसके बालों को पकड़ते हुए दांत पीसकर बोला, "तलाक तो तुम्हें देना ही पड़ेगा, चाहे जो हो जाए।"
वही धानी उसकी बात पर व्यंग्य से हंसी और बोली, "कोशिश कर लीजिए, मिस्टर राठौर। पर हम भी अपने वादे के पक्के हैं। हम आपसे वादा करते हैं, हम आपको मरते दम तक तलाक नहीं देंगे।"
इतना कहकर धानी ने अपने बालों को मृत्युंजय की पकड़ से छुड़ाया और वार्डरोब की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए।
हालांकि धानी इस वक्त पूरी तरह से टूट चुकी थी, पर वही जानती थी कि उसने खुद को कैसे संभाला हुआ है। वहीं बाहर खड़ा मृत्युंजय उसकी तरफ देखकर मन में बोला — “तुम्हारी यही बात मुझे नहीं पसंद, बहुत जिद्दी हो तुम। तुम नहीं जानते, तुम्हारी इस जिद के कारण...”
एकदम कहकर वह चुप हो गया, पर उसके अंदर एक ज्वालामुखी था। और अगले ही पल उसने अपनी पॉकेट से अपना फोन निकाला और आरव को फोन लगा दिया। वह बालकनी में जाकर आरव से कुछ बात करने लगा। कुछ देर बात करने के बाद उसने फोन काटा और इस वक्त उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था, पर उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल हुई पड़ी थीं। मृत्युंजय अब अंदर की तरफ आया, और उसने एक नजर वार्डरोब की तरफ देखा और फिर अपने कदम वार्डरोब की तरफ बढ़ा दिए।
वहीं अंदर धानी इस वक्त अपने कपड़े उतार रही थी। धानी की आंखें बेहद लाल थीं। उसकी आंखों में हल्की-हल्की नमी तैर रही थी, जिस वजह से उसे धुंधला-धुंधला दिखाई दे रहा था। उसने अपने अपर बॉडी के सारे कपड़े उतार दिए थे और उसके बदन पर बस उसकी शेपवियर रह गई थी, वह भी उसकी ज़िप अटक गई थी। उसकी आंखों के आगे आंसुओं का धुंधलापन छाने के कारण उसे कुछ सही से दिखाई नहीं दे रहा था और उसे अपने शेपवियर की ज़िप खुल नहीं रही थी। रह-रह कर उसे अपने दिल में एक अलग सी चुभन हो रही थी, जो कि लफ्ज़ों से बयां करना मुश्किल हो रहा था। ना जाने क्यों वह इतना दर्द अपने दिल में महसूस कर रही थी, जबकि मृत्युंजय को मिले अभी सिर्फ दो ही दिन हुए थे।
वहीं मृत्युंजय बाहर दरवाजे के आकर खड़ा था। अब उसने अपने हाथ वार्डरोब के हैंडल पर रखा और अगले ही पल दरवाजा अपने आप खुल गया, क्योंकि दरवाजे पर सेंसर लगे हुए थे, जो कि मृत्युंजय के अंगूठे से कनेक्ट थे। जैसे ही मृत्युंजय ने अंदर का नजारा देखा, एक पल के लिए उसकी सांसें गहरी होने लगीं। सामने धानी हाफ नेट में अपना शेपवियर खोल रही थी, जो कि उसे खुल नहीं रहा था।
मृत्युंजय अब धीरे-धीरे चलकर उसके पास आया। कहीं न कहीं वह धानी में खोने लगा था। मृत्युंजय की नजर धानी के चेहरे पर टिक गई थी। उसकी वह लाल नाक रोने की वजह से और भी ज्यादा लाल हो गई थी। मृत्युंजय अब उसके पास आकर खड़ा हुआ और उसकी नज़रें धानी पर और भी ज्यादा गहरी होने लगीं। वही धानी, जो कि अपनी शेपवियर की ज़िप खोल रही थी, जब मृत्युंजय उसके पास आया तो उसकी स्मेल से ही उसे मृत्युंजय के आने का अंदाजा हो गया था, पर उसने एक बार भी आंख उठाकर मृत्युंजय की तरफ नहीं देखा।
मृत्युंजय अब उसके पास आकर नीचे की तरफ झुका। जैसे ही मृत्युंजय नीचे की तरफ झुका, धानी का दिल जोर से धक-धक करने लगा। अब जाकर उसने मृत्युंजय की तरफ देखा, जिसकी नज़रें अभी भी उसके चेहरे पर ही टिकी हुई थीं। भले ही धानी की अपर बॉडी नेकेड थी, पर एक बार भी मृत्युंजय की नज़र उसकी ब्रेस्ट पर नहीं पड़ी थी। आज पहली बार था कि मृत्युंजय किसी लड़की की बॉडी को न देखकर उसके चेहरे को देख रहा था। धानी ने जब नज़रें उठाकर मृत्युंजय की तरफ देखा तो दोनों की आंखें आपस में टकराईं।
मृत्युंजय की नज़रें खुद पर पाकर धानी के बदन में एक कपकपी सी महसूस होने लगी। उसके पेट में कुछ-कुछ हो रहा था। वहीं मृत्युंजय अब नीचे एक घुटने के बल बैठा और धानी की आंखों में देखते हुए ही उसने धानी की शेपवियर की ज़िप खोल दी। अगले ही पल धानी का शेपवियर नीचे गिर गया। अब धानी के बदन पर कपड़े के नाम पर लोअर पार्ट में सिर्फ एक पैंटी रह गई थी। उसके अलावा धानी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था।
इनरवियर खोलने के बाद मृत्युंजय अपनी जगह पर खड़ा हुआ और धानी के कान के पास झुकते हुए बोला — “Trick अच्छी थी मुझे फँसाने के लिए... but no one trapped Mrityunjay Rathore, और तुम जैसी बेवकूफ लड़की तो बिल्कुल भी नहीं।”
इतना कहकर मृत्युंजय वापस से कमरे में चला गया। बाहर आकर मृत्युंजय के चेहरे पर अपने लिए सख्त भाव आ गए। मृत्युंजय के दिल में एक अलग सी खलबली मची हुई थी, जिससे वह आज दूर भागने की कोशिश कर रहा था। वहीं अंदर खड़ी धानी की आंखों से एक बार फिर पानी बहने लगा और वह रोते हुए ही वहीं जमीन पर बैठ गई। उसके दिल से इस वक्त हूक उठ रही थी।
तकरीबन आधे घंटे बाद...
नीचे डाइनिंग टेबल पर,
इस वक्त सभी अपना खाना खा रहे थे। वहीं धानी भी अब तैयार होकर नीचे की तरफ आई और उसने देखा मृत्युंजय भी डाइनिंग टेबल पर बैठा था और उसके साथ वाली चेयर पर प्रियंका बैठी हुई थी। प्रियंका को देखकर धानी की आंखों में एक बार फिर नमी छाने लगी थी, पर उसने खुद को कंट्रोल किया। धानी अब डाइनिंग टेबल पर आकर बैठने लगी, पर अगले ही पल दरवाजे से किसी के अंदर आने की आहट हुई तो उसके कदम एक पल के लिए रुक गए।
उसने दरवाजे पर देखा तो आरव खड़ा था। आरव के हाथ में कुछ फाइल्स थीं, जो शायद मृत्युंजय ने मंगवाई थीं। आरव जल्दी से अंदर की तरफ आया और वहीं मृत्युंजय, जो कि डाइनिंग टेबल पर बैठा था, अपनी जगह से खड़ा होकर आरव के पास आया। वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठे संस्कृति जी, कश्यप जी, आदर्श और आरू भी यह सब देख रहे थे।
मृत्युंजय ने अब अपना हाथ आरव की तरफ बढ़ाया और अगले ही पल आरव ने वह फाइल्स मृत्युंजय के हाथ पर रख दीं। मृत्युंजय का इशारा पाकर आरव अब वहां से चला गया। मृत्युंजय अब अंदर की तरफ घूमा और उसने अपने कदम धानी की तरफ बढ़ा दिए। वहीं मृत्युंजय के कदम खुद की ओर बढ़ते हुए देखकर धानी का दिल जोर से धक-धक करने लगा। उसे पता नहीं क्यों अपने दिल में एक अजीब सी फीलिंग महसूस हो रही थी।
वहीं मृत्युंजय कुछ ही सेकंड में धानी के सामने आकर खड़ा हुआ। धानी के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन आ गए, पर मृत्युंजय का चेहरा इस वक्त बिल्कुल ही एक्सप्रेशन-लेस था। उसने अब धानी की तरफ वे पेपर बढ़ा दिए और धानी की आंखों में देखते हुए बोला — “इन पेपर पर साइन करो।”
वहीं धानी भी उसकी आंखों में देखते हुए बोली — “ये किस चीज़ के पेपर हैं?”
धानी के सवाल पर मृत्युंजय बिना किसी भाव के बोला — “ये तलाक के कागजात हैं।”
जैसे ही मृत्युंजय ने तलाक के कागजात धानी को पकड़े, वहीं धानी का दिल तड़प उठा। जिन हाथों से उसने पेपर्स को पकड़ा था, उसके हाथ कांपने लगे थे। वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठी प्रियंका के चेहरे पर डेविल स्माइल थी।
धानी की आंखें आंसुओं से लबालब भर गई थीं। वह मृत्युंजय की तरफ एक टक देखे जा रही थी। अभी बेचारी को इतना ही झटका मिला था कि उसकी इतनी बुरी हालत हो गई थी कि वह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। पर अगले ही पल जो मृत्युंजय ने कहा, उसे सुनकर धानी पूरी तरह से सुन्न पड़ गई।
मृत्युंजय ने संस्कृति और कश्यप जी की तरफ देखकर बोला — “आज शाम प्रियंका और मेरी इंगेजमेंट है और कल शादी।”
To be continued...
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