
Rathor farmhouse.........
MD room.....
मृत्युंजय इस वक्त सोफे पर बैठा सिगरेट पी रहा था और उसके लंबे-लंबे कश भर रहा था। वही सामने धानी अभी भी सोई हुई थी और उसके बदन पर सिर्फ एक बाथरोब था जो कि उसकी सिर्फ थाई तक था और उसकी गोरी टांगें उसमें से साफ नजर आ रही थी क्योंकि धानी इतना थक चुकी थी, कि उसे अपने सोने की पोजीशन का भी पता नहीं था कि वह किस पोजीशन में सोई हुई है, जिस वजह से उसकी गोरी टांगें मृत्युंजय को दिखाई दे रही थी।
वही मृत्युंजय जो की एक तक धानी को ही देख रहा था। इस वक्त मृत्युंजय की नजर धानी पर बेहद गहरी थी। मृत्युंजय को अपने बदन में अलग सी हलचल महसूस हो रही थी पर वह खामोशी से अपनी सिगरेट पीता रहा और धानी को अपनी गहरी नजरों से देखता रहा।
वह खुद अपनी आदतों से हैरान था कि जबकि उसे कभी किसी लड़की ने इस तरह अट्रैक्ट नहीं किया था और धानी पहली लड़की थी जो उसे बार-बार अपनी ओर खींचती थी और यह चीज उसे धानी मैं सबसे ज्यादा अलग लगती थी। मृत्युंजय देखने में कितना शांत लग रहा था पर उसमें उसके अंदर एक ज्वाला जल रही थी।
वह अपनी सिगरेट का धूआ ऊपर की तरफ छोड़ते हुए बोला " वाइफ..... आई होप तुम्हारी यह मासूमियत सच में मासूमियत हो..... आज पहली बार किसी ने मृत्युंजय राठौर को अपनी तरफ अट्रेक्ट किया है। इतना कहकर मृत्युंजय अपनी जगह से उठा और धानी के पास जाकर बेड की दूसरी साइड लेट गया पर उसने धानी से फासला बनाए रखा। वह धानी के साथ तो लेटा था पर उसने धानी को अपनी बाहों में नहीं भरा था।
काफी देर मृत्युंजय ऐसे ही धानी को देखता रहा और देखते देखते उसे नींद नहीं आई पर उसने अपनी जिद्द के चलते धानी को अपनी बाहों मे भी नहीं भरा। करीबन 2 घंटे ऐसे ही बीत गए... मृत्युंजय एक टक धानी के चेहरे को ही देखे जा रहा था और अब धानी की भी पलकों ने फड़फड़ाना शुरू कर दिया। धानी की आंखें अब खुलने लगी थी।
वहीं दूसरी तरफ.......
राठौर विला में........
संस्कृति अपने कमरे में उधर-उधर टहल रही थी और वही कश्यप जी उन्हें टहलते हुए देख रहे थे पर वह कुछ बोल नहीं रहे थे। वह जानते थे कि इस वक्त संस्कृति बहुत ज्यादा परेशान है क्योंकि कल रात से ना मृत्युंजय घर पर आया था और अब धानी भी घर पर नहीं थी। कहीं ना कहीं उन्हें अंदाजा हो गया था कि धानी इस वक्त मृत्युंजय के साथ ही है।
पर फिर भी उनके चेहरे पर एक अलग ही परेशानी दिख रही थी। कुछ देर तक संस्कृति जी ऐसे ही टहलती रही पर उन्हें चैन नहीं आ रहा था कि तभी उनके कानों में किसी के चिल्लाने की आवाज आई...... " mom..... mom where are you I am coming mom......... " जैसे ही संस्कृति जी के कानों में यह आवाज पड़ी संस्कृति जी अपनी चिंता भूल कर कर उनकी आंखें बड़ी हो गई और उनकी आंखों में एक चमक दौड़ गई।
मैं अपने में ही धीरे से बड़बड़ायी" adarsh.... "
संस्कृति ji जल्दी-जल्दी अपने कमरे से भागते हुए बाहर की ओर आयी और उन्होंने देखा कि हाल में एक बेहद हैंडसम लड़का जिसकी हाइट 6 फुट 3 इंच होगी और रंग गोरा, हल्की-हल्की बियर्ड ब्लैक जींस और ब्लैक शर्ट के ऊपर के तीन बटन खुले हुए, गले में सोने की चेन और कानों में गोल्डन स्टड पहना हुआ वह लड़का बेहद हैंडसम था और दिखने में बिल्कुल ही मृत्युंजय जैसा था। और यह लड़का मृत्युंजय का भाई था जो की कनाडा से अपनी पढ़ाई पूरी करके आया था। कल आरोही की शादी थी इसलिए वह जल्दी की फ्लाइट लेकर आया था और उसका आखिरी पेपर था इसलिए वह अब तक कनाडा में ही रुका हुआ था।
वही संस्कृति जी भागते हुए आदर्श के गले लग गई और उसे गले लगाते हुए बोली" तुझे मेरी याद नहीं आई..... "
तभी आदर्श बोला " मॉम बहुत आई.... पर अब क्या करता, आप भी तो जानती हैं कि मेरा एक एग्जाम रह गया था तो मैं एग्जाम छोड़कर कैसे आ जाता। "
अभी वह बोल ही रहा था कि तभी उन्हें पार्किंग एरिया से एक कार के आने की आवाज आई और यह आवाज संस्कृति जी बहुत अच्छे से पहचान गई...... जैसे ही पार्किंग एरिया से आवाज आई संस्कृति जी का चेहरा एक्सप्रेशन लेस हो गया।
वही आदर्श के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई, वह अपनी मॉम की तरफ देखकर बोला " मोम....... यह मृत्युंजय भाई की कार है ना। "
आदर्श की बात पर संस्कृति जी ने कोई जवाब नहीं दिया और अंदर की तरफ जाने लगी तो आदर्श ने उनका हाथ पकड़ उनको रोकते हुए बोला " क्या बात है मॉम.... आप कुछ बोलती क्यों नहीं। "
वही संस्कृति जी अब आदर्श की तरफ देेख कर बोली " तुम्हारे भाई की शादी हो गई है बेटा..... वह अब ज्यादा ही समझदार हो गया है तो मुझे तो पीछे हटना ही होगा ना.......। " संस्कृति जी की बात पर आदर्श एक पल के लिए संस्कृति जी की तरफ देखता ही रह गया और अगले ही पल बोला" सच में मॉम भैया ने शादी कर ली......। "
वही संस्कृति जी फीका सा मुस्कुरा कर बोली" हां बेटा..... कर ली शादी पर बेचारी जिससे की है वह पता नहीं किस हाल में होगी"। इतना कहते हुए उनकी आंखों में नमी झलकने लगी और उन्होंने आदर्श के सामने अपनी आंखों को नम नहीं होने दिया और अपनी आंखों का सैलाब अंदर ही अंदर समेट लिया।
तभी दरवाजे से कुछ कदमो के अंदर आने की आहत हुई और अगले ही पल मृत्युंजय अंदर की तरफ आया और जैसे ही उसकी नजर आदर्श पर पड़ी उसका चेहरा एकदम से एक्सप्रेशन लेस हो गया। वही आदर्श के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कराहट तैर गई और वह भाग कर मृत्युंजय के गले जा लगा। वही मृत्युंजय थोड़ा सा सख्त लहजे में बोला" तुम्हारे तो एग्जाम थे ना और तुम यहां क्या कर रहे हो"?
तभी आदर्श " क्या भाई..... अभी कल ही तो एग्जाम पूरे देकर आया हूं और ऊपर से आरोही की शादी भी है तो इसलिए आया हूं। " आदर्श की बात पर मृत्युंजय सख्त लहजे मे " शादी ही थी.....तेरी शादी नहीं थी जो तुम्हारे बिना हो नहीं सकती। "
मृत्युंजय की बात पर आदर्श ने मुंह बनाते हुए बोला" क्या भाई कभी तो सही से बोल लिया करो...... क्या खडूस अवतार हर टाइम रखे रहते हो.....। "
वही मृत्युंजय उसकी बात पर थोड़ा सख्त लहजे में " थोड़ा जुबान को लगाम दो और अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान रहे तो अच्छा रहेगा। "
तभी आदर्श की नजर धानी पर पड़ी जो की मृत्युंजय के पीछे ही दरवाजे से अंदर अब आ रही थी। धानी देखने में बेहद खूबसूरत थी। उसने इस वक्त रेड कलर की साड़ी रेड लिपस्टिक और मांग में सिंदूर गले में मंगलसूत्र और ऊपर से उसके लंबे बाल जो कि उसके हिप तक आते थे। धानी को और भी खूबसूरत बनाते थे।
एक पल के लिए आदर्श धानी को देखता ही रह गया। वह मृत्युंजय की तरफ देखकर बोला " भाई भाभी कितनी सुंदर है। आदर्श की बात पर मृत्युंजय की आंखें सर्द हो गई लेकिन उसने इस वक्त आदर्श से कुछ नहीं कहा क्योंकि वह नहीं चाहता था कि आदर्श किसी बात का मजाक बनाएं वह अभी बच्चा था।
आदर्श भले ही बड़ा हो गया था पर उसकी उम्र सिर्फ 20 22 साल थी। इसलिए मृत्युंजय उसे ज्यादा कुछ नहीं कहता था। मृत्युंजय अब बिना किसी और की तरफ ध्यान दिए सीधा अपने रूम में ऊपर की तरफ चला गया।
वही धानी भी मृत्युंजय के पीछे ऊपर जाने को हुई पर तभी आदर्श ने धानी का हाथ पकड़ लिया। वही आदर्श के ऐसे एकदम से हाथ पकड़ने से धानी हर बड़ा गई पर उसे आदर्श के ऐसे हाथ पकड़ने से कोई गलत फीलिंग महसूस नहीं हुई। वही आदर्श धानी को खींचते हुए सोफे की तरफ लेकर आया और उसे सोफे पर बैठा कर बोला " भाभी.... भाभी..... आप कितनी खूबसूरत हो मेरे ना आने में लेट हो गया अगर मैं पहले आ जाता ना तो आप मेरी बीवी होती। " उसकी बात पर धानी के चेहरे पर एक पल के लिए छोटी सी मुस्कुराहट आ गई।
वही आदर्श अव धानी की गोद में सिर रखकर बोला " मुझे ना बहुत चाहत थी कि जब मृत्यु भैया की शादी होगी ना तो मैं उनकी वाइफ की गोद में सर रखकर लेतुंगा और वह ना मेरे सिर पर ऐसे प्यार से हाथ फेरेंगी क्योंकि आफ्टर ऑल भाभी भी तो मां समान होती हैं ना "।
उसकी बात पर धानी उसकी तरफ देखती रह गई। फिर उसने एक नजर संस्कृति जी की तरफ देखा जो उन्हें उन दोनों को देखकर ही मुस्कुरा रही थी। संस्कृति जी की तरफ देखकर धानी ने बड़े प्यार से आदर्श का सिर सहलाना शुरू किया। धानी का चेहरा जो कि पहले काफी देर से उतरा हुआ था अब थोड़ा सा खेल खिलाना शुरू हो गया। वह बड़े प्यार से आदर्श का सर पर हाथ फिर आ रही थी। वही आदर्श तो अपने ही ध्यान मे धानी से बातें किए जा रहा था और धानी भी उसकी बातों पर मुस्कुरा रही थी।
बिना यह बात जाने की ऊपर से मृत्युंजय की सर्द नजरे धानी पर ही थी। उसकी नजर एक तक धानी को घूरे जा रही थी। मृत्युंजय के माथे की नसे तनी हुई थी। गुस्से से उसने अपने हाथों की मुट्ठियां भींच ली थी पर जब ज्यादा देर उसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो अगले ही पर मृत्युंजय सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ आया और अगले ही पल उसने धानी को हाथो से पकड़ा तो आदर्श ने अपना सर ऊपर की तरफ उठा लिया और वह उठकर बैठ गया। वही मृत्युंजय ने अब धानी को पकड़ ऊपर की तरफ खींचता हुआ ले गया।
आदर्श तो बस देखता ही रह गया कि अभी हुआ तो हुआ क्या। वही संस्कृति ji सब बात समझ गई थी कि आखिर मृत्युंजय धानी को उठाकर ऐसे क्यों लेकर गया है। वही धानी घबराते हुए" क्या बात है मिस्टर राठौर आप ऐसे मुझे खींचकर क्यों लेकर जा रहे हैं। "
मृत्युंजय की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि धानी के कदम लडखडाना शुरू हो गए थे जिस वजह से अगले ही पाल मृत्युंजय ने उसे अपने कंधे पर टांगा और लेकर रूम की ओर बढ़ गया। कुछ ही देर में उसने धानी को रूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया और गुस्से से धानी की ओर देखने लगा।
To bi continue✍️...........
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