09

Naughty mrituejaye

Rathore villa,,

Mrityunjay's room,,

अभी अभी बाहर से रूम नॉक हुआ था। और दरवाज़े पर संस्कृति जी खड़ी थी। जो मृत्युजय को आवाज दे रही थी। और वहीं मृत्युजय धानी को उसकी शर्ट पहन कर दरवाज़ा खोलने को कह रहा था। जिस वजह से धानी के होश उड़े हुए थे। वो मृत्युजय को बडी हैरानी से देख रही थी। वहीं मृत्युजय अपनी बात बोल कर फिर से आंखे बंद कर लेट गया था।

मृत्युजय की बात पर धानी अपने दांत पीसते हुए,, खुद में बड़बड़ाई,, वाह क्या इंसान है। इसे पता है। इसकी शादी हुई है। मुझे पता है। पर बाकी तो किसी को नही पता,, यार ये कैसे बोल सकते है। वहीं उसका बड़बड़ाना मृत्युजय भी साफ सुना था।

तभी फिर से संस्कृति जी ने डोर नॉक किया और बोली,,,,, मृत्यु क्या बात है। बेटा दरवाज़ा क्यू नही खोल रहे हो,,

उसकी बात सुन मृत्युजय अब अपनी जगह से उठा,, और धानी की तरफ देख कर बोला,, पांच सेकंड है। तुम्हारे पास अगर तुम कहीं छुप गई तो ठीक,, वरना मैं दरवाज़ा खोल रहा हू। और मां के सामने तुम एसे जाना चहती हो,, या फिर इतना कह मृत्युजय के चेहरे पर एक शरारती मुस्कुराहट आ गई,,

वहीं धानी के तो होश ही उड़ गए थे। वहीं मृत्युजय अब धीरे से अपनी जगह से उठा,, वो अब भी नेक्ड ही थे। पर उसका di*ck अभी भी इरेक्ट मोड़ पर था। मृत्युजय को ऐसे देख धानी ने तुरंत मुंह दुसरी तरफ घुमा लिया,, धानी को मुंह घुमाते देख,, मृत्युजय उससे बोला ऐसे मुंह क्या घुमा रही हो,,, जब तक दरवाज़ा खुल कर दोबारा बंद नही हो जाता,, तब तक तुम्हारी खैर है।

जैसे ही मां गई,, दरवाज़ा बंद हुआ,,, अगले ही पल तुम्हारा नीचे का दरवाज़ा खोल मैं इसे दोबारा तुम्हारे अंदर डालूंगा,, मृत्युजय की बेशर्मी भरी बात पर सुन धानी का चहरा पूरी तरह से लाल हो गया था। वहीं उसका लाल पड़ा चेहरा देख,, एक पल के लिए,, मृत्युजय उसे देखता रह गया,,

पर फिर उसने अपना सिर झटका और जल्दी से पैंट पहनी और दरवाज़े की और बड़ गया,, मृत्युजय को दरवाज़े की और जाता देख,, धानी का दिल धक धक करने लगा,, पर अगले ही पल उसने इधर उधर देखा,, और उसकी नजर बॉथरूम पर जाकर ठहर गई,,, जैसे ही मृत्युजय ने दरवाज़ा खोलने के लिए,, टेबल से रिमोट उठाया,, उससे पहले धानी बेड से गायब हो चुकी थी।

और उसे ऐसे गायब होता देख मृत्युजय के चेहरे पर एक गहरी मुस्कुराहट आ गई। उसने ना में सिर हिलाते हुए,, दरवाज़ा खोल दिया,, तभी संस्कृति जी अंदर आकर बोली,,,, क्या बात है। मृत्यु तुमने दरवाज़ा खोलने के लिए इतना टाइम क्यू लगा दिया,,

संस्कृति जी की बात पर मृत्युजय मां गहरी नींद में था। इसी लिए , आंख नही खुली,, मृत्युजय की बात पर संस्कृति जी ने उसके गाल पर हाथ रखा और बोली कोई बात नही बेटा,,,

अच्छा मैं जिस काम के लिए आई थी। आज kapoor जी अपनी बेटी सुनाक्षी को अपने साथ ला रहे है। तुझे देखने के लिए,,, संस्कृति जी की बात पर मृत्युजय ने तिरछी नजर कर बॉथरूम की और देखा और उसके चेहरे पर शरारती एक्सप्रेशन आ गए,, जब उसने बॉथरूम का दरवाज़ा हल्का सा खुला देखा,, तो वो समझ गया,,

की धानी छुप कर उनकी बाते सुन रही है। संस्कृति जी की बात पर मृत्युजय हां में सिर हिलाते हुए जैसे आपको अच्छा लगे मां,,,, मृत्युजय संस्कृति जी को थोड़ी अजीब तो लगी,, पर इन्होंने जायदा ध्यान ना देते हुए,, मृत्युजय को गाल पर हाथ रख दिया,,

वहीं संस्कृति जी की बात सुन एक पल के लिए धानी सुन पड़ गई,, मृत्युजय को कोई लड़की देखने आयेगी ये बात उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगी थी। इसी लिए वो दरवाज़े से हट कर शॉवर on कर उसके नीचे खड़ी हो गई।

अब उसकी आंखो में हल्की नमी आ गया,, वहीं मृत्युजय को भी पता चल गया था। की धानी अब बॉथरूम से पीछे हट चुकी थी। क्युकी वही पास में एक छोटा सा मिरर था। जिस में से धानी की रिफ्लेक्शन दिख रही थी।

वहीं बाहर खड़ा मृत्युजय उसकी नजर अब भी बॉथरूम की तरफ थी। वो अब संस्कृति जी बोला मिलवाना तो मां मुझे भी है। अपको किसी से इतना कह उसने अब संस्कृती जी की तरफ देखा जो बड़े प्यार से मृत्युजय को देख रही थी।

संस्कृति जी मृत्युजय से बोली तुम्हे जिससे मिलना है। मिला लेना फिलहाल जल्दी रेडी होकर खाना खाने नीचे आ जाना,, इतना कह वो अब वहा से चली गई,,

वहीं मृत्युजय दरवाज़ा बंद कर बोला,, खाना तो मैं बाद में खाऊंगा,, पहले थोड़ी सी sweet dish हो जाए इतना कह उसने अपनी पैंट एक बार फिर उतरी और बॉथरूम की और बड़ गया,, वहीं धानी अभी भी शॉवर में भीग रही थी। उसके कानो में संस्कृति जी की,, बात गूंज रही थी।

तभी बॉथरूम का दरवाज़ा खुला और मृत्युजय अंदर आया,, पर धानी को इस चीज का पता नही चला,, वो अपने ही ख्यालों में गुम शॉवर के नीचे खड़ी थी। पर तभी उसे अपने पेट पर किसी का हाथ मेहसूस हुआ,, जिसे मेहसूस कर उसका दिल जोरो से धक धक करने लगा......

To be continue....

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