
राणावत फार्महाउस,,
रॉबिन इस वक्त रुद्र के सामने खड़ा था जो कि इमीडिएटली अहाना को लेकर स्विट्जरलैंड से इंडिया 5 घंटे में आया था। सामने बेड पर जानवी पड़ी हुई थी, उसका चेहरा इस वक्त पूरी तरह से सफेद पड़ा हुआ था। वहीं पार्टी में अहाना सोफे पर बैठी हुई रुद्र और रॉबिन को देख रही थी। रुद्र जो कि गुस्से भरी निगाहों से रॉबिन को देख रहा था, वहीं रॉबिन ने अपना सर पूरी तरह से झुका रखा था और आंखें बंद कर रखी थी।
तभी वहां पर एक जोरदार चांटे की आवाज गूंज गई… और यह चांटा रुद्र ने रॉबिन को मारा था, जिस वजह से रॉबिन का चेहरा दूसरी तरफ लुढ़क गया था और उसकी आंखों में आंसू निकल आए थे। आज तक रुद्र ने कभी उस पर हाथ नहीं उठाया था, पर आज रुद्र ने उसे अहाना के सामने चांटा मारा था और यह बात कहीं ना कहीं रॉबिन को बुरी भी लगी थी। उसकी आंखें जो कि अभी-अभी खुली थी, वह पूरी तरह से लाल हो चुकी थी।
वह रोते हुए रुद्र की तरफ देखते हुए बोला –
"सॉरी भाई… मुझसे गलती हो गई… मैं कल रात…"
रॉबिन इतना ही कहा था कि रुद्र ने एक और चांटा रोबिन के गाल पर जड़ दिया। और इस बार रॉबिन फिर से बोला –
"आई एम सॉरी भाई… गलती हो गई ना मुझसे…"
रुद्र अब तीसरा चांटा मारने को हुआ कि तभी अहाना बीच में आकर रुद्र का हाथ पकड़ते हुए बोली –
"क्या कर रहे हैं आप सर… उस से गलती हो गई है, मैं मानती हूं उसने नशा किया था…"
तभी रुद्र दांत पीसते हुए अहाना से बोला –
"तुम हम दोनों भाइयों में बीच में आने वाली होती कौन हो…"
रुद्र का गुस्सा इस वक्त इतना सर पर चढ़ चुका था कि उसने यह भी नहीं देखा कि वह अहाना को क्या बोल रहा है। वहीं अहाना उसकी बात सुनकर अपनी जगह पर फ्रिज हो चुकी थी। रुद्र ने अब अहाना की तरफ सर्द नज़र से देखते हुए बोला –
"साइड हटो…"
उसकी बात पर अहाना, जो कि रुद्र का हाथ पकड़े खड़ी थी, अगले ही पल उसने रुद्र का हाथ छोड़ दिया और बाहर की तरफ चल दी। वहीं अहाना को बाहर की तरफ जाता देखकर रुद्र ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली और अपने हाथों की मुठ्ठियां कस ली। उसे अब खुद पर गुस्सा आ रहा था कि वह अहाना को क्या बोल गया।
रुद्र अब रॉबिन की तरफ सर्द नजर से देखते हुए बोला –
"शादी की तैयारी कर… अब तो इस लड़की से शादी करेगा।"
रुद्र की बात सुनकर एक पल के लिए रोबिन के हाथ-पैर फूलने लगे और उसके होश पूरी तरह से उड़ चुके थे। रुद्र अब अपनी बात कहकर वहां से बाहर की तरफ निकल गया, वहीं रॉबिन तो बस से जमा ही रह गया।
वह अब बेबस से जानवी को देखते हुए बोला –
"तुमने ऐसा क्यों किया… मैं मानता हूं अगर मुझसे गलती हो गई थी तो तुम मुझसे बात भी तो कर सकती थी… तुमने सुसाइड क्यों किया? सब लड़कियां एक जैसी होती हो… तुम लोग कितनी गलत काम करती हो। मैं मानता था मैं गलत था… पर अब मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगा। भैया कह रहे हैं तुमसे शादी करना… तो दूर, मैं तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहता।"
इतना कहकर रॉबिन रोते हुए बाहर की तरफ चला गया। रुद्र जितना खुद को संभाल सकता था, रॉबिन उतना ही चंचल था। वह खुद को संभाल नहीं पाता था, बात-बात पर उसे रोना भी आ जाता था। जितना वह हंसमुख था, उसको रोना भी उतनी जल्दी ही आता था।
---
वहीं दूसरी तरफ,,
अहाना सड़क पर अकेली चल रही थी और उसकी आंखों में इस वक्त आंसू भरे पड़े थे। ऐसा लग रहा था पता नहीं कब उसके आंसू उसके गालों पर लुढ़क आएंगे। सुनसान सी सड़क थी, इस वक्त शाम ढल चुकी थी जिस वजह से अंधेरा होना शुरू हो गया था। अहाना सुनसान सड़क पर अकेली चलते हुए खुद से बोली –
"नहीं आऊंगी अब कभी भी आपके पास… मैं कौन होती हूं आपके बीच में बोलने वाली… मैं तो कुछ हूं ही नहीं…"
इतना कहते हुए वह लगातार रोए जा रही थी और उसकी आंखों के सामने इस वक्त रुद्र का वही चेहरा घूम रहा था, जिसे अभी कुछ देर पहले वह देख कर आई थी। अहाना अपनी गालों से आंसू पोंछते हुए लगातार चल रही थी। वहीं रुद्र को 15 मिनट वहीं पर लग गए थे, इसीलिए वह अपनी गाड़ी में बैठकर इधर-उधर अहाना को ढूंढने लग गया। जबकि अहाना चलते-चलते ज्यादा दूर नहीं गई थी, पर फिर भी वह काफी आगे तक आ चुकी थी।
वह अपने ध्यान खुद से बातें करते हुए ही जा रही थी कि तभी एक जीप जिसमें चार-पांच लड़के थे, वह भी नशे में टल्ली हुए पड़े थे। उनकी नजर अहाना पर पड़ी और अहाना को देखकर ही उनकी आंखों में हवस उतर आई। क्योंकि अहाना ने इस वक्त शॉर्ट्स और ऊपर से वाइट कलर की शर्ट पहनी हुई थी, जो कि टमी के ऊपर से बंधी हुई थी और उसका पेट साफ नजर आ रहा था। उसका वह गोरा पेट देखकर एक लड़के ने अपने होठों पर अपनी उंगली फिरते हुए कहा –
"क्या माल है भाई… देख तो… अपनी मीराबाई के काम आएगी… देखा कम से कम दो करोड़ तो देगी यह… या मैं इसका…"
दूसरा लड़का उसकी तरफ देखकर बोला –
"अरे हुए… पता नहीं कहां से आई है, कहां से नहीं… क्या पता किसी बड़े घर की ना हो… अरे अगर होगी भी तो हमें क्या है… हम एक बार प्यास बुझाएंगे और इसको मीराबाई के कोठे पर छोड़ आएंगे…"
दूसरा लड़का भी जब अहाना को अब नज़र से देखने लगा तो उसकी भी नजर उसकी कमर पर आकर ठहर गई। उसकी वह गोरी कमर देखकर उस लड़के के मुंह में भी पानी आने लगा।
"अरे हां यार… यह तो बड़ा मस्त माल है… आज तो रात बहुत अच्छी बीतने वाली है…"
इतना कहकर उसने पीछे वाले लड़के पर हाथ मारा जो कि अपने मुंह पर हैट रखकर पूरी तरह से लेटा हुआ था। उसने अपनी आंखें पूरी तरह से बंद कर रखी थी क्योंकि उसे नशा बहुत ज्यादा हावी कर चुका था। उसका मुंह इतना ज्यादा सूजा हुआ था कि उसे कुछ भी दिखाई न दे। पर जब उस लड़के ने हिलाया तो उसने अपनी हाइट नीचे करके सामने की तरफ देखा, तो अगले ही पल उसकी नियत भी अहाना पर फिसल गई।
वह उन दोनों लड़कों की तरफ देखकर बोला –
"तुम लोगों का तो पता नहीं… पर इसको सबसे पहले रस मैं लूंगा… सबसे पहले मैं छोड़ूंगा।"
इतना कहते हुए उसने अपने होठों को अपने दांतों से काट लिया।
और अगले ही पल वह तीनों अपनी गाड़ी से बाहर निकले और अहाना की तरफ बढ़ गए। वहीं अहाना जो कि अपने गम में रोते हुए सामने की तरफ जा रही थी, जैसे ही उसने लड़कों को देखा, एक पल के लिए वह अंदर तक कांप गई। क्योंकि तीनों लड़कों की आंखें इतनी ज्यादा लाल थी, साफ पता चल रहा था कि उन्होंने कितना ज्यादा नशा किया हुआ है।
वह अपने पैर पीछे की तरफ लेते हुए बोली –
"प्लीज़… ऐसा मत कीजिए… आप लोग कौन हैं और…"
अभी वह बोल ही रही थी कि एक लड़का उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसे पीछे से पकड़ते हुए उसके मुंह पर रूमाल रख दिया। और अगले ही पल अहाना बेहोश हो गई और दोनों लड़कों के चेहरे पर तिरछी मुस्कराहट तैर गई। देखते ही देखते एक लड़के ने अहाना को गोद में उठाया और गाड़ी में लिटा दिया।
वहीं रुद्र, जो कि अहाना के पीछे भागते हुए आया था, वह अब सब तरफ अहाना को ढूंढ रहा था पर अहाना उसे कहीं मिल नहीं रही थी। और यह बात रिलाइज होते ही कि उसने क्या बोल दिया, उसने अपना हाथ जोर से गाड़ी के हॉर्न पर दे मारा, जिससे उसके हाथों की हथेली फट गई और उससे खून बहने लगा। वह अपने सिर पर हाथ फेरते हुए बोला –
"यह मैंने क्या बोल दिया उसे… चाहे कुछ भी था, अब मैं उसे एक मौका देना चाहता था अपनी जिंदगी में… क्या पता ऐज गैप कोई चीज थोड़ी होती है… वह तो एक नंबर होता है… क्या पता वह निभा लेती… पर मैं अपने मुंह पर काबू क्यों नहीं रख पाया…"
इतना कहते हुए रुद्र के चेहरे पर बेबसी साफ झलक रही थी। तभी कुछ ही दूरी पर जाकर रुद्र ने अपनी गाड़ी रोकी और उसके दिमाग में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था। वह कुछ सोचते हुए बोला –
"वह तो चल कर जा रही थी… तो इतना दूर तो गई नहीं होगी…"
इतना कहकर वह इधर-उधर देखने लगा कि शायद कहीं अहाना पास ही में हो और उसे नज़र आ जाए।
पर काफी देर चलने के बाद भी रुद्र को अहाना का पता नहीं चला। यह सोचकर उसका दिमाग अब पूरी तरह से घूमने लगा था। तभी उसके फोन पर मिस्टर मलिक का फोन आया।
दूसरी तरफ से अहाना के पिताजी बोले –
"मिस्टर रुद्र… अहाना आपके साथ टूर पर गई थी… मैंने सुना है आप वापस आ गए हैं…"
मिस्टर मलिक की बात सुनकर अब रुद्र का दिमाग पूरी तरह से घूम गया। वह अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज से बोला –
"जी… जी मिस्टर मलिक…"
तो मिस्टर मलिक आगे से बोले –
"तो कब तक आएंगे आप अहाना को छोड़ने?"
अहाना के पापा की बात सुनकर अब रुद्र का दिमाग पूरी तरह से बंद पड़ गया था कि वह अब अहाना के पापा को क्या ही जवाब दे। वह अब लड़खड़ाती हुई आवाज में बोला –
"जी मिस्टर मलिक… वह… आज ना… रात तक ना… रॉबिन का जन्मदिन है… तो 11 तक… हां… 11:00 तक अहाना घर तक पहुंचा दूंगा मैं…"
रुद्र की बात सुनकर अब मिस्टर मलिक ने गहरी सांस ली और बोले –
"ठीक है मिस्टर राणावत… कोई बात नहीं… बस मेरी बेटी का थोड़ा ध्यान रखें… वह बहुत चंचल है।"
इतना कहकर मिस्टर मलिक ने अपना फोन काट दिया। और पीछे खड़ी मैसेज़ मलिक मिस्टर मलिक की तरफ देखकर बोली –
"पता नहीं क्यों मेरा मन बहुत घबरा रहा है…"
तभी मिस्टर मलिक उसे घूरते हुए बोले –
"अपने मन को समझ कर रखा करो… बेटी बड़ी हो गई है और थोड़ा बहुत उसको टूर करना ही चाहिए… ऐसे थोड़ी होता है कि वह चली गई तो तुम अपने मन को पकड़कर बैठ जाओ कि हां मेरा मन घबरा रहा है… वह डर गई है… ऐसे नहीं सोचते… दिमाग से काम लिया करो… अपने सर के साथ ही है वह…"
इतना कहकर मिस्टर मलिक अपने कमरे में चले गए। वहीं मैसेज़ मलिक बस सामने मंदिर की तरफ देखकर बोली –
"हे भगवान… मेरी बच्ची की रक्षा करना… पता नहीं क्यों मन इतना घबरा रहा है…"
---
वहीं दूसरी तरफ,,
अब तो रुद्र का दिमाग पूरी तरह से सन पड़ चुका था। अब उसे यह पूरी तरह से कंफर्म हो चुका था कि अहाना के साथ कुछ तो हुआ है। यह सोचकर अब उसने जल्दी-जल्दी सड़कों पर दौड़ना शुरू किया और इधर-उधर देखने लगा कि कहीं अहाना मिल जाए।
पर तभी उसकी नजर नीचे सड़क पर पड़ी और उसकी आंखें हैरत से फैल गई…
---
To be continued…









Write a comment ...