
Singapore,,
Palace of Kapoor's,,
इस वक्त धानिष्क बालकनी में खड़ा था और सिगरेट पर सिगरेट पिए जा रहा था। उसका दिल इस वक्त बेहद बेचैन था क्योंकि वह दोबारा से सौम्या को खुद से दूर करके आया था और उसका खुद को दूर करना धानिष्क को जैसे अंदर तक जला रहा था। उसे सांस लेने तक में तकलीफ हो रही थी।
लेकिन तभी उसको अपने सीने पर मुलायम हाथ महसूस हुए। जैसे ही वह मुलायम हाथ उसके सीने पर आए धानिष्क की आंखें एक पल के लिए बंद हो गई और उसकी धड़कनों ने फिर से रफ्तार पकड़ ली। उसका जोर-जोर से धड़कता हुआ दिल पीछे से खड़ी सौम्या को साफ सुनाई दे रहा था और वह बेहद गहरी आवाज में उसके कान के पास बोली––
“अगर मेरे लिए इस तरह दिल धड़कता है तो क्यों कर रहे हैं खुद से दूर?”
जैसे ही सौम्या ने यह बात कही धानिष्क ने अपनी आंखें खोली और अगले ही पल उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल होने लगीं। उसके जबड़े बुरी तरह से कस गए और अगले ही पल उसने पीछे की तरफ हाथ घुमाया और सौम्या के बालों को पकड़कर अपने आगे लाकर खड़ा किया। जिस तरह से धानिष्क ने अभी-अभी उसके बालों को पकड़ा था सौम्या की एक तरफ से चीख निकल गई थी।
पर जब धानिष्क ने उसे अपने आगे खड़ा किया उसके चेहरे पर एक गहरी मुस्कराहट तैर गई। उसने अपने दर्द को अपनी मुस्कुराहट के पीछे छुपा लिया। इस वक्त सौम्या पूरी तरह से नग्न थी, उसने बस एक चादर लपेट रखी थी जो न जाने कब उसके बदन से अलग होने वाली थी।
वहीं धानिष्क उसे अपनी गहरी नजरों से देखते हुए बोला––
“गलतफहमी में हो तुम… मैं तुमसे नफरत करने लगा हूँ, इश्क़ नहीं करता हूँ अब तुमसे। जो मेरे आगे-पीछे घूमोगी तो मेरा दिल धड़केगा।”
उसकी बात पर एक बार फिर से सौम्या मुस्कुराई। उसकी मुस्कुराहट ऐसी थी कि धानिष्क का दिल पल-पल धड़क रहा था। वह अब गहरी मुस्कुराहट के साथ बोली––
“श्री कपूर, यह मुझे बता रहे हैं… या खुद को?”
उसकी बात सुनकर एक पल के लिए धानिष्क चुप हो गया। धानिष्क खुद हैरान हो रहा था कि आज तक कोई उसे चुप नहीं करा पाया और यह छोटी हाइट की लड़की उसे जुबान से ही चुप कर देती थी। वैसे तो धानिष्क की लाइफ में उसकी मां भी थी, दादी भी थी, पर किसी ने भी उससे इस तरह आंखों में आंखें डालकर बात नहीं की थी। धानिष्क की मॉम भी उससे काफी हद तक डरती थी और दादी भी।
सौम्या अब उसकी आंखों में देखते हुए बोली––
“यही बात दोबारा से दोहराइये… और वह भी बिना नज़रें मेरी नज़रों से हटाए।”
सौम्या की बात पर धानिष्क का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वहीं उसके दिल की आवाज सुनकर सौम्या के चेहरे पर मुस्कुराहट और लंबी हो गई।
पर धानिष्क का चेहरा अब एक्सप्रेशंस-लेस हो चुका था, हालांकि उसका दिल अभी भी जोर-जोरों से धड़क रहा था। वह अपनी सर्द नजरों से सौम्या की आंखों में देख रहा था और अगले ही पल उसकी तरफ देखकर बोला––
“मुझे तुमसे नफरत है… नफरत…।”
धानिष्क की बात सुनकर एक पल के लिए हालांकि सौम्या के दिल में हूक तो उठी, पर अगले ही पल उसने अपनी दिलकश मुस्कुराहट में उस हूक को छुपा लिया। सौम्या का पल-पल मुस्कुराना धानिष्क को और भी ज्यादा बेचैन कर रहा था।
धानिष्क अब उसकी तरफ से चेहरा घुमाने को हुआ कि तभी सौम्या ने उसका हाथ पकड़ लिया जिससे धानिष्क के कदम वहीं पर रुक गए। सौम्या के ऐसे हाथ पकड़ने से धानिष्क का दिल मानो रुक सा गया था। पर उसने अभी भी चेहरा दूसरी तरफ घुमाया हुआ था। उसने एक बार पलटकर भी सौम्या की तरफ नहीं देखा था। धानिष्क का दिल तो जैसे धड़कने से ही इनकार कर रहा था।
वहीं सौम्या ने अब बड़े प्यार से उसके गाल पर हाथ रखकर उसका चेहरा अपनी तरफ किया। उसकी आंखों में देखकर बोली––
“क्या सच में आप मुझसे नफरत करते हैं…?”
इतना कहते हुए सौम्या की आंखों में हल्की-सी नमी झलक उठी, जो धानिष्क ने भी देख ली। उसे देखकर धानिष्क का दिल तड़प उठा। उसकी नमी को देखकर धानिष्क की मुट्ठियां कस चुकी थीं। उसे खुद पर अब इतना ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि वह बयां नहीं कर सकता था।
पर उसने दोबारा से सौम्या का हाथ झटक दिया और उसकी तरफ पीठ करके बोला––
“तुम्हें समझ में नहीं आती मेरी बात? नफरत करता हूँ मैं तुमसे! और तुम तो तलाक देना चाहती थीं ना मुझसे? जिसके पास तुम्हें जाना था… जाओ।”
उसकी बात सुनकर एक पल के लिए सौम्या उसे देखती ही रह गई। सौम्या को अपने दिल में तकलीफ महसूस हो रही थी। पर फिर भी उसने अपनी मुस्कुराहट नहीं छोड़ी। वह अब दोबारा से धानिष्क के सामने आकर खड़ी हुई और एक गहरी सांस लेकर बोली––
“ठीक है… आप मुझसे इतनी नफ़रत करते हैं तो आपको साबित करना होगा यह चीज़।”
सौम्या की बात पर धानिष्क उसकी तरफ देखता ही रह गया। उसके चेहरे पर इस वक्त असमंजस और सवालिया एक्सप्रेशंस थे। पर अगले ही पल जो हुआ, उसे देखकर धानिष्क अपनी जगह पर खड़ा जड़-सा हो गया।
क्योंकि सौम्या ने उसके दिल वाली जगह पर अपने होंठ रख दिए थे–– जिससे धानिष्क का दिल और भी तेजी से रफ्तार पकड़ चुका था। धानिष्क की बुलेट जैसी धड़कनों को महसूस कर सौम्या के चेहरे पर और भी गहरी मुस्कुराहट आ गई।
और अगले ही पल वह पीछे होकर धानिष्क की तरफ अपना चेहरा ऊपर की तरफ करके बड़े ही प्यार से बोली––
“चलिए मान लेते हैं… आपका दिल तो बेईमान हो रहा है… oops sorry… झूठ बोल रहा है आपका दिल। कोई बात नहीं… पर फिर भी मैं अब यह पता लगाकर रहूंगी कि आप सच में मुझसे नफ़रत करते हैं…।”
इतना कहकर अगले ही पल सौम्या ने अपनी जो चादर बदन पर लपेट रखी थी, उसे अपने हाथों से हटा दिया और चादर नीचे जमीन पर जा गिरी।
चादर गिरते ही धानिष्क का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसे अपना गला सूखता हुआ महसूस होने लगा क्योंकि इस वक्त सौम्या पूरी तरह से नग्न उसके सामने खड़ी थी। हालांकि वह इस वक्त बालकनी में खड़े थे, पर फिर भी सौम्या को जरा भी खतरा नहीं लग रहा था क्योंकि वह जानती थी कि नीचे जितने भी बॉडीगार्ड खड़े हैं, उनकी किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह ऊपर आंख उठाकर सौम्या को देख सके। उसे खुद से ज्यादा अब धानिष्क पर भरोसा था।
वहीं अब सौम्या पलटी और अपने बालों को आगे की तरफ करते हुए बड़ी अदा से कमर लचकाते हुए चली–– जिससे उसकी ass पूरी तरह से बाहर की तरफ आ रही थी। उसकी हिलती हुई hips देखकर धानिष्क को अपने अंदर सेंसेशन महसूस हो रही थी। सौम्या की ass इतनी ज्यादा सेक्सी लग रही थी कि धानिष्क उसे देखता ही जा रहा था। वह उस पर से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था और ऊपर से उसकी curves उसे और भी ज्यादा पागल कर रहे थे।
सौम्या की वह लचकती हुई कमर देखकर धानिष्क की मुट्ठियां और भी ज्यादा कस गई थीं। उसे अपने माथे पर पसीना महसूस होने लगा और उसके अंदर अब हल्का-हल्का दर्द होने लगा।
वहीं सौम्या यहीं पर नहीं रुकी–– अगले ही पल वह सामने पड़े सोफा सेट पर गई और वहां पर अपनी बड़ी अदा से बैठते हुए अपनी ब्रेस्ट को ऊपर की तरफ उठाकर और टांगों को पूरी तरह फैला कर धानिष्क के सामने बैठ गई।
सौम्या की इस अदा को देखकर धानिष्क के होंठों के कोने हल्के-हल्के मुड़ गए। पर सौम्या इस चीज़ से पूरी तरह से अनजान थी क्योंकि वह धानिष्क के चेहरे पर नाममात्र आई मुस्कान को देख नहीं पा रही थी।
वहीं सौम्या ने अब अपनी दो उंगलियाँ लेकर अपने क्लिटोरिस को रगड़ना शुरू कर दिया और आहें भरने लगी। ऊपर से अपने ब्रेस्ट को हल्का-हल्का प्रेस करने लगी और साथ ही उनके निपल्स को भी खींचने लगी। यह देखकर धानिष्क की हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी।
दोनों इस वक्त यह चीज़ पूरी तरह से भूल चुके थे कि अभी-अभी उन्हें सिंघानिया की पार्टी में जाना है। ऊपर से टाइम 8:00 का था और इस वक्त 8:30 बज चुके थे। पर सौम्या को तो इस चीज़ से फर्क ही नहीं पड़ रहा था, ना ही धानिष्क को। क्योंकि यह सिर्फ एक छोटी-मोटी बर्थडे पार्टी थी।
सौम्या अब बुरी तरह से मचल रही थी। उसका एक हाथ क्लिटोरिस को रगड़ने में लगा हुआ था और दूसरा हाथ उसके बूब्स को पूरी तरह से सहलाने में।
उसकी हालत देखकर धानिष्क ने अपने होंठ को अपने दांतों में दबाया और उसके मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली––
“Oooooohhhh fuck… यह लड़की मुझे नाराज़ भी नहीं रहने दे सकती।”
इतना कहते हुए उसके चेहरे पर एक दिलकश मुस्कुराहट तैरने लग गई थी।
To be continue…









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