
Singapore,,
Palace of Kapoor's,,
सौम्या इस वक्त धानिष्क के कदमों में घुटनों के बल बैठी थी और उसकी आंखों में लबालब आंसू भरे हुए थे। वही सौम्या को इस हालत में देखकर धानिष्क का दिल तो धक सा रह गया था, पर उसने अपने आप को पूरी तरह से पत्थर बना रखा था।
अभी-अभी सौम्या से उसने तलाक की मांग की थी, और धानिष्क की बात सुनकर तो जैसे सौम्या को ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसका दिल मुट्ठी में पकड़ कर मसल दिया हो। वह धानिष्क के कदमों में गिरते हुए बोली —
“नहीं… कभी नहीं… हम आपको तलाक कभी नहीं देंगे।”
इतना कहते हुए अगले ही पल जो सौम्या ने किया, उसे देखकर धानिष्क ने अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं और हाथों की मुट्ठियां भींच लीं। उसका दिल इस वक्त तड़प रहा था, पर वह सौम्या से कुछ नहीं कह पा रहा था।
क्योंकि सौम्या ने अपनी बात कहकर अगले ही पल धानिष्क के कदमों में अपना सिर रखकर उसके पैरों को चूम लिया था।
जिस वजह से धानिष्क का दिमाग पूरी तरह से घूम गया। सौम्या लगातार उसके पैरों को चूमे जा रही थी। जब धानिष्क को यह चीज ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं हुई, अगले ही पल उसने झुककर सौम्या के कंधों से पकड़कर उसे खड़ा किया और झकझोरते हुए बोला —
“Are you out of your mind? अकल नाम की चीज नहीं है तुम्हें? दिमाग कहीं खो गया हो? ये क्या हरकत है?”
वही सौम्या उसकी आंखों में देखते हुए बोली —
“भगवान को तो पूजा जाता है ना मिस्टर कपूर… और मैंने अपने भगवान को ही खो दिया। इतनी दिमाग से पैदल हो गई थी कि अपने भगवान पर से विश्वास खो बैठी।”
सौम्या की बात पर धानिष्क उसकी आंखों में देखता ही रह गया। उसकी पकड़ सौम्या के कंधों से ढीली हो गई थी। धानिष्क की आंखें इस वक्त हद से ज्यादा लाल थीं।
पर एक बार फिर उसने सौम्या के कंधों को कसकर पकड़ा और जोरों से मसलते हुए बोला —
“मैं कोई तुम्हारा भगवान नहीं हूं, समझी तुम? और अब हमारा कोई फ्यूचर नहीं है। तुम्हें अपने रास्ते जाना ही होगा। मैं अब ऐसी जिंदगी और नहीं जी सकता। हम माफिया की जिंदगी में भरोसा नाम की कोई चीज नहीं होती… और यही बात तुम साबित कर चुकी हो। अब तुम यहां से जा सकती हो।”
वही सौम्या अब एक बार फिर जिद करते हुए बोली —
“मैं जान दे दूंगी… पर यहां से कभी नहीं जाऊंगी।”
धानिष्क उसकी तरफ देखकर बोला —
“तो दे दो जान… मुझे नहीं पता। निकलो यहां से।”
सौम्या अब एक बार धानिष्क की तरफ देखकर बोली —
“हिम्मत है तो निकाल दीजिए… लेकिन मैं खुद नहीं जाऊंगी। पड़ी है वो मेरी… और निकाल दीजिए अपने घर से।”
कहीं न कहीं सौम्या को यह बात पता चल चुकी थी कि धानिष्क खुद से उसे बाहर निकालने से रहा, क्योंकि वह इतना तो अंदाजा लगा चुकी थी कि धानिष्क उससे बहुत प्यार करता है। बस अब अपने दिल की सुनना बंद कर रहा है।
सौम्या की बात पर धानिष्क उसकी तरफ देखता ही रह गया और अगले ही पल दांत पीसकर वहां से निकल गया, क्योंकि सौम्या पूरी तरह से उसका दिमाग हिला रही थी।
वही धानिष्क को इस तरह से फ्रस्ट्रेट होते देखकर सौम्या के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई। सौम्या मुस्कुराकर बोली —
“खुद को ढूंढे हम मंदिरों में, मस्जिदों में… पर जब यार में ही खुदा बसता हो, तो क्या फायदा कहीं और सर झुकाने में। इससे अच्छा यार की इबादत कर लो।”
इतना कहते हुए सौम्या के चेहरे पर दिलकश मुस्कुराहट थी।
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वहीं दूसरी तरफ…
धानिष्क अब बाहर निकला और सामने ही उसका पर्सनल असिस्टेंट खड़ा था, जो उसे ही देख रहा था। उसकी आंखों में इस वक्त शरारत थी।
धानिष्क उसकी तरफ देखकर अपनी आंखें छोटी करते हुए बोला —
“अपने काम से मतलब रखो। हमारे बीच अपनी नाक मत घुसाओ। और जो तुम्हें नजर रखने को बोल रहे हैं ना… उनको भी बोल दो कि हमारे बीच ना आएं।”
धानिष्क की बात सुनकर असिस्टेंट नवीन के होश उड़ गए। क्योंकि नवीन को धानिष्क की दादी ने उसके पीछे भेजा था। और धानिष्क को यह बात पता होगी उसने कभी सोचा भी नहीं था।
वही धानिष्क अब उसकी तरफ देखकर बोला —
“रात की पार्टी की तैयारी करो… मैं 6:00 बजे रेडी हो जाऊंगा।”
इतना कहकर धानिष्क बाहर की तरफ निकल गया और अपनी गाड़ी में बैठकर स्विट्ज़रलैंड की कपूर इंडस्ट्रीज में चला गया। असल में धानिष्क की यहां पर भी इंडस्ट्रीज थीं, पर उन्हें संभालने वाला माइकल 2 साल पहले कनाडा चला गया था। जिस वजह से इस कंपनी को हैंडओवर कंपनी के सीनियर असिस्टेंट माथुर को कर दिया गया था।
धानिष्क अब कंपनी में आकर खड़ा हुआ और सीधा ही टॉप फ्लोर पर जाकर अपने केबिन में बैठ गया। उसकी आंखों में इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था। ना चाहते हुए भी बार-बार उसके सामने सौम्या का चेहरा घूम रहा था और कानों में उसकी ही बातें गूंज रही थीं।
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वहीं दूसरी तरफ… कपूर पैलेस में…
सौम्या इस वक्त बेड पर लेटी हुई थी। उसकी आंखों में आंसू थे जो उसके गालों से होते हुए बेड पर गिर रहे थे। वह रोते हुए ऊपर छत की तरफ देखते हुए बोली —
“कुछ भी हो जाए मिस्टर कपूर… मैं आपको तलाक नहीं दूंगी। बिल्कुल नहीं दूंगी। मैं मर जाऊंगी… पर आपके बिना नहीं रह पाऊंगी अब। आपको मुझे माफ करना होगा चाहे जो हो जाए।”
इतना कहकर सौम्या की आंखों से आंसू फिर से उसके गालों पर उतर आए। ऐसे ही रोते-रोते सौम्या सो गई।
शाम के 4:00 बजे उसकी आंख खुली। उसने घड़ी पर देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गईं। अगले ही पल वह जल्दी से बाथरूम में गई और नहाने लगी।
नहाते हुए उसके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि उसे धानिष्क के आने से पहले रेडी होना होगा। क्योंकि वह उसके साथ पार्टी में जाना चाहती थी। हर पल वह धानिष्क के साथ रहकर उसे दोबारा पाना चाहती थी और उसके दिल को फिर से मरहम लगाना चाहती थी।
कुछ ही देर में सौम्या नहा-धोकर अपने बदन पर तौलिया लपेटकर बाहर आई और कपबोर्ड खोला। उसमें सामान देखकर अपना सर पकड़ते हुए बोली —
“अरे यार… यहां तो मेरे कपड़े ही नहीं हैं। अब मैं क्या पहनूंगी? पार्टी में क्या पहनकर जाऊंगी?”
यह सोचकर उसका दिमाग खराब होने लगा। पर कुछ ही देर में दरवाजे पर नॉक हुई। नॉक देखकर उसके चेहरे पर सवाली एक्सप्रेशन आ गए।
उसने जल्दी से पहले वाले कपड़े पहने और दरवाजा खोला। दरवाजे पर पर्सनल असिस्टेंट नवीन खड़ा था और उसके हाथ में बड़ा सा बैग था।
बैग देखकर सौम्या के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने तुरंत बैग लिया और दिमाग में सोचने लगी — “मिस्टर कपूर तो मुझसे गुस्सा हैं… वो ये भेज नहीं सकते। तो फिर?”
कुछ देर रुककर उसने नवीन से पूछा —
“ये बैग किसने भेजा है?”
तभी नवीन सौम्या की तरफ देखकर बोला —
“ये बैग धानिष्क सर की दादी ने भेजा है, जो इंडिया में हैं।”
नवीन की बात सुनकर सौम्या की आंखें बड़ी हो गईं। पर अगले ही पल उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गई। उसने नवीन को थैंक्यू बोला और अंदर की तरफ चली गई।
वहीं दरवाजे पर खड़ा नवीन सौम्या को देखता ही रह गया। क्योंकि सौम्या ने दरवाजा बंद नहीं किया था। तो कुछ सोचकर नवीन ने खुद ही दरवाजा बंद किया और वहां से चला गया।
वही सौम्या अब तैयार होने लगी। कुछ ही देर में उसने एक ग्रीन कलर की साड़ी पहनी, जिसमें छोटे-छोटे नाग लगे हुए थे। यह पूरी तरह से नेट की थी। उसका गला आगे से बहुत डीप था और पीछे से बैकलेस। ब्लाउज की डोरियां ऊपर कंधे से बंधी हुई थीं।
साड़ी का ब्लाउज काफी बोल्ड था, जिस वजह से सौम्या का प्रेज़ेंस काफी हद तक रिवील हो रहा था।
उसने न्यूड लिपस्टिक लगाई, हल्का आई मेकअप किया और अपने लंबे बालों को खुला छोड़कर बीच में मांग निकालकर सिंदूर भर लिया और छोटी सी बिंदी लगा ली। सौम्या इस वक्त हद से ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
उसने अपने हाथों में मेहरून कलर का चूड़ा पहन लिया। और इस वक्त सौम्या किसी नई नवेली दुल्हन जैसी लग रही थी।
तकरीबन 7:00 बजे तक सौम्या पूरी तरह से रेडी हो चुकी थी और धानिष्क का वेट कर रही थी।
जहां धानिष्क को 6:00 बजे आना था, वहीं अब 7:30 बज चुके थे। सौम्या लगातार उसका इंतजार कर रही थी, पर वह अभी तक नहीं आया।
तकरीबन 7:45 बजे धानिष्क की कार कपूर पैलेस में आकर रुकी।
कुछ ही देर में धानिष्क कमरे के बाहर खड़ा हुआ। अगले ही पल जैसे ही उसने दरवाजा खोला और सामने सौम्या को देखा, उसका दिल जैसे धड़कना ही भूल गया।
सौम्या को देखकर उसकी सांसें थम सी गईं।
वही सौम्या भी उसकी नजरें खुद पर पाकर दिल जोर-जोर से धड़कने लगी।
पर अगले ही पल सौम्या की धड़कन जैसे ड्रॉप हो गई क्योंकि धानिष्क ने उसका हाथ कसकर पकड़ा और अगले ही पल अंदर ले जाकर उसे बेड पर पटकते हुए उसके ऊपर आया और उसकी आंखों में देखकर दांत पीसते हुए बोला —
“तुम्हें तैयार होने
को किसने कहा?”
धानिष्क की बात सुनकर सौम्या उसकी तरफ देखती ही रह गई और अगले ही पल उसकी आंखों में नमी छा गई।
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To be continue…









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