
Singapore,,
Palace of Kapoor's,,
अभी-अभी धानिश्क फोन पर बात कर रहा था और पीछे से सौम्या की आवाज़ आई, जिसे सुनकर धानिश्क की धड़कन एक पल के लिए रुक सी गई थी, क्योंकि धानिश्क ने अभी कुछ देर पहले फोन पर बात की थी और उसे अभी-अभी उसके असिस्टेंट ने बताया था कि रात को सिंघानिया'एस की पार्टी है क्योंकि सिंघानिया की बेटी का बर्थडे था।
तो धानिश्क ने साफ-साफ मना कर दिया था कि वह सौम्या को पार्टी में नहीं लेकर जाएगा।
वही सौम्या, जो कि पीछे धानिश्क की बातें चुपचाप लेटी हुई सुन रही थी, अगले ही पल धानिश्क की तरफ देखकर बोली, "हम क्यों नहीं जाएंगे साथ?"
सौम्या की बात सुनकर धानिश्क की आंखें बड़ी हो गईं क्योंकि उसे लग रहा था कि सौम्या गहरी नींद में सो रही है। अब उसने पलट कर सौम्या की तरफ देखा, और गहरी सांस लेकर कहा, "क्योंकि अब हमारा कोई रिश्ता नहीं है, हम बहुत जल्द डाइवोर्स होने वाले हैं।"
धानिश्क की बात सुनकर सौम्या का दिल एक पल के लिए ढक सा रह गया। उसकी आंखों में आंसू उभर आए, और कभी भी उसके गालों पर आ सकते थे। वहीं धानिश्क अब सख्त आवाज़ में बोला, "इसमें मेरा कसूर नहीं है, और यह बार-बार आंसू दिखाकर तुम मुझे पगला नहीं सकती। ये आंसू अपने अंदर समेट के रखा करो, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता।"
धानिश्क की बात सुनकर सौम्या व्यंग्य से हंसी और बोली, "अगर इतना ही आपको फर्क नहीं पड़ता, तो जिक्र ही क्यों कर रहे हैं मेरे आंसुओं का? वही या रही आपको क्या उससे?"
सौम्या की हाजिरजवाबी देखकर धानिश्क उसकी तरफ देखा ही रह गया, पर अगले ही पल वह दांत पीसकर बोला, "मैं तुम्हें कहीं अपने साथ नहीं ले जा सकता क्योंकि अब तुम मेरी कुछ नहीं लगती हो।"
वही सौम्या बड़े प्यार से उठकर उसके पास आई। इस वक्त सौम्या के बदन पर कुछ भी नहीं था। उसको ऐसे देखकर धानिश्क को कुछ-कुछ हो रहा था। वहीं सौम्या उसके पास आकर, उसके गाल पर बड़े प्यार से हाथ रखते हुए बोली, "यह बात कैसे रहे हैं मुझे या खुदको?"
जैसे ही सौम्या ने दोबारा से धानिश्क को ऐसा जवाब दिया, धानिश्क की नजरें सौम्या पर गहरी हो गईं। उसने अब सौम्या का हाथ झटका और कुछ कहा नहीं, वह सीधे बालकनी में चला गया और वहां पर सिगरेट जलाकर पीने लगा, और अपने लंबे-लंबे केशों को छूने लगा।
सौम्या की बातें धानिश्क को हद से ज्यादा बेचैन कर देती थीं और यह बात सौम्या भी बहुत अच्छे से जानती थी। पिछले डेढ़ महीने से सौम्या यह समझ चुकी थी कि वह धानिश्क की कमजोरी बन चुकी है। इस वक्त धानिश्क उससे बहुत ज्यादा नाराज था, इसलिए सौम्या को किसी भी हाल में उसे मानना जरूरी था।
वही सौम्या ने बेड की तरफ देखा और ब्लैंकेट उठाकर खुद पर लपेटते हुए, अगले ही पल अपने कदम बालकनी की तरफ बढ़ा दिए।
सौम्या धानिश्क के पास आकर खड़ी हुई और उसके सीने पर बड़े प्यार से हाथ रखते हुए उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "क्या बात है? इतनी सी बातें बेचैन कर गईं? अभी तो मुझे छोड़ने की बातें हो रही हैं।"
जैसे ही सौम्या ने यह बात कही, धानिश्क की हाथ में पड़ी हुई सिगरेट उसने मसल दी और गुस्से में सौम्या के सिर के पीछे हाथ रखकर उसके बालों को मुट्ठी में कस लिया। जिससे सौम्या का सर ऊपर की तरफ उठ गया और दोनों की आंखें आपस में मिल गईं।
सौम्या धानिश्क की आंखों में बड़ी हसरत भरी निगाहों से देख रही थी। दोनों की धड़कनें इस वक्त जोर-जोरों से धड़क रही थीं। ऊपर से बारिश का माहौल, बादल गरज रहे थे। जिस वजह से बालकनी में ठंडी-ठंडी हवा उनके चेहरे को छू रही थी। दोनों की आंखें आपस में मिली हुई थीं। दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे, पर फिर भी उनकी धड़कने सब कुछ बयां कर रही थीं। दोनों के चेहरे इतने पास थे कि आपस में उनकी सांसें लड़ रही थीं।
वही सौम्या एक बार फिर से प्यार से धानिश्क की गाल पर हाथ रखकर बोली, "मत कीजिए ऐसी बातें, खुद को ही तकलीफ हो, खुद को ही बेचैनी हो। इस बेचैनियों की राहत में ही हूं।"
सौम्या की बात सुनकर धानिश्क के जबड़े कस गए और वह गुस्से में दांत पीसकर बोला, "नहीं चाहिए ऐसी राहत और सुकून, जिसमें भरोसा ना हो। तुम्हारे हिसाब से तो मैं भरोसे के लायक ही नहीं हूं।"
धानिश्क की बात सुनकर सौम्या की आंखों में एक पल के लिए फिर से नमी छा गई। वह तड़ककर धानिश्क को देखकर बोली, "ऐसा मत कहिए, गलती हो गई मुझसे। माफ़ कर दीजिए ना। गलती किससे नहीं होती?"
वही धानिश्क अब अपनी सख्त आवाज में बोला, "गलती एक बार हो तो माफ की जा सकती है, दूसरी बार हो तभी माफ की जाती है, पर यह गलती तुम्हारी तीसरी बार थी।"
धानिश्क की बात सुनकर सौम्या की धड़कन एक पल के लिए स्किप हो गई, क्योंकि वह नहीं जानती थी कि धानिश्क को यह भी याद है कि यह उसकी तीसरी गलती थी। पहली गलती तब की थी, जब वह देवदत्त के साथ डांस कर रही थी और उसे अब तक धानिश्क ने भुलाया नहीं था। वही सौम्या को भी वह बात याद आ गई, इसीलिए उसकी धड़कन जैसे रुक गई हो।
अब धानिश्क ने सौम्या के बालों को पकड़ कर अंदर की तरफ खींचा, तभी सौम्या ने धानिश्क का हाथ एक बार कसकर पकड़ लिया और तड़पकर बोली, "क्या चाहते हैं आप?"
धानिश्क बिना सौम्या की तरफ पलटे, उसकी आंखें बेहद लाल थीं। जो बात वह कहना चाहता था, उसकी आवाज उसके गले में कहीं अटक रही थी। अपनी बात कहते हुए भी धानिश्क को जैसे अपनी जान निकल रही थी। पर कहना तो था ही।
वही सौम्या बड़ी आस भरी नजरों से धानिश्क को देख रही थी, पर अगले ही पल जो धानिश्क ने कहा उसे सुनकर सौम्या का दिल चकनाचूर हो गया।
"तुमसे तलाक…"
वही सौम्या अब तड़पकर बोली, "मैं मर जाऊंगी आपके बिना…"
वही धानिश्क ने हाथ उठाया और गुस्से में बोला, "तो मर जाओ…"
धानिश्क की बात सुनकर सौम्या का दिल धक सा रह गया। वह दर्द में तड़पते हुए बोली, "तो क्या आपको कुछ फर्क नहीं पड़ता?"
सौम्या की बात पर धानिश्क ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली, पर वह कुछ बोला नहीं।
वही सौम्या अब व्यंग्य से हंसी और बोली, "एक बार मेरी आंखों में देखकर कह दीजिए, कि आपको कुछ फर्क नहीं पड़ता।"
वही धानिश्क ने अब मुड़कर सौम्या की तरफ देखा। इस वक्त उसका चेहरा पूरी तरह से एक्सप्रेशन लैस था। वही सौम्या भी उसकी आंखों में देख रही थी। दोनों के चेहरे के बीच में काफी दूरियां थीं, पर उन दूरियों को खत्म करते हुए सौम्या ने अपने कदम धानिश्क की तरफ बढ़ाए और बिल्कुल उसके पास खड़ी हो गई।
सौम्या की इतने करीब आने से धानिश्क का दिल जोर-जोर से धक-धक कर रहा था। अब उसने अपने हाथों से धानिश्क का चेहरा पकड़कर उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "अब बोलिए वही बात जो आपने कुछ देर पहले कही।"
धानिश्क ने एक्सप्रेशन के साथ सौम्या की तरफ देखा, पर उसने एक लफ्ज़ भी नहीं कहा।
धानिश्क के एक्सप्रेशन देखकर सौम्या का दिल जोर-जोर से धक-धक कर रहा था।
वहीं अगले ही पल धानिश्क ने उसके चेहरे की तरफ देखकर कहा, "तलाक चाहिए तुमसे…"
धानिश्क की बात सुनकर सौम्या के हाथ, जो उसके गाल पर थे, नीचे लुढ़क गए और वह अपने घुटनों के बल नीचे गिर गई।
वही सौम्या की यह हालत देखकर धानिश्क का दिल धक्क सा रह गया, पर उसने सौम्या को उठाया नहीं। वह पत्थर बनकर अपनी जगह पर खड़ा रहा।
वही सौम्या एक बार फिर से धानिश्क की आंखों में देखती हुई बोली, "कभी नहीं…"
इतना कहते हुए आगे जो सौम्या ने किया, उसे देखकर धानिश्क ने अपनी आंखें
कसकर बंद कर ली और हाथों की मुठ्ठी बांध ली।
To be continue.........









Write a comment ...