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vaginoplasty, surgery

Shekhawat farmhouse,

In the basement,

रवि को इस वक्त स्ट्रेचर पर लौटाया गया था और उसके आसपास बहुत सारे डॉक्टरों की टीम AS ने खड़ी कर दी थी। रवि के मुंह पर इस वक्त पट्टी लपेटी गई थी ताकि उसके मुंह से कोई आवाज तक ना निकल पाए। साइट पर ही AS खड़ा था जो अपनी लाल आंखों से रवि को देख रहा था।

AS के चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था, लेकिन उसकी आंखों के सामने वह सब चल रहा था जब… रवि की वजह से सौम्या इतनी दूर चली गई थी और नियति का रेप हुआ था। नियति पर जो दरिंदगी दिखाई गई थी, वह AS की आंखों के सामने घूम रही थी।

और रवि की वजह से ही काजल उससे दूर गई थी… वह 3 महीने और काजल ने जब अपना बच्चा खो दिया था तो जो पेन महसूस किया था, वह सब याद करके AS का चेहरा और कठोर हो गया। चाहकर भी AS की आंखें आंसुओं से धुंधली होने लगीं… जैसे बरसों के बाद आज AS को भी सुकून मिल रहा हो।

वहीं सामने स्ट्रेचर पर लेटे रवि चिल्लाने की ज़बरदस्त कोशिश कर रहा था, पर उसके मुंह पर पट्टी होने के कारण वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। ऊपर से AS के बॉडीगार्ड्स ने उसके हाथ-पैर भी स्ट्रेचर पर बांध दिए थे।

अब सभी डॉक्टर AS की तरफ देख रहे थे—वह AS की परमिशन मांग रहे थे ताकि रवि का जेंडर ट्रांसप्लांट किया जा सके। AS ने अपनी पलके झुका कर उन्हें इशारा दिया तो अगले ही पल रवि की सर्जरी शुरू हो गई।

डॉक्टर ने इंजेक्शन में बॉडी सुन करने का लिक्विड भरा और रवि को लगाने लगे। तभी पीछे से AS की ठंडी आवाज डॉक्टर के कानों में पड़ी—

AS (ठंडी आवाज में): "Don't use this… because this time I want he feel horrible pain… who feel everyone to give him Niyati and Soumya… Another then more than pain he felt…"

AS की बात सुनकर डॉक्टर की आंखें बड़ी हो गईं। वह हकलाते हुए बोले—

Doctor: "लेकिन सर… यह तो मर जाएगा…"

तभी AS ने अपनी ठंडी आवाज में कहा—

AS: "I don’t care about him… यह मरना नहीं चाहिए, नहीं तो तुम लोग जिंदा नहीं बचोगे।"

AS की बात पर डॉक्टर अंदर तक कांप गए। पर ऑपरेशन तो करना ही था। इसलिए उन्होंने सिर झुकाया और रवि पर ऑपरेशन शुरू कर दिया।

AS की बात सुनकर रवि बुरी तरह से कांपने लगा। उसकी आंखों में अब आंसू आ गए और उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसकी आंखों के सामने नियति का चेहरा घूम रहा था जब उसने उसे बुरी तरह से तड़पाया था। उस दिन नियति उससे भीख मांग रही थी पर उसने कोई रहम नहीं किया था… और आज वही हालत उसकी थी।

डॉक्टर अब रवि का ट्रांसप्लांट कर रहे थे। वे उसके लोअर पार्ट को बिना सुन किए ही काट रहे थे। दर्द इतना भयानक था कि रवि का चेहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था। उसकी जान गले में अटक गई थी।

करीब 4 घंटे तक ऑपरेशन चला… और आखिरकार रवि का लोअर पार्ट vaginoplasty (योनि निर्माण) में बदल दिया गया।

रवि दर्द से तड़पते-तड़पते बेहोश हो चुका था। पर जैसे ही ट्रांसप्लांट पूरा हुआ, AS ने बॉडीगार्ड को इशारा किया। अगले ही पल बॉडीगार्ड ने उसके मुंह पर पानी का जग उंडेल दिया… लेकिन रवि फिर भी होश में नहीं आया।

डॉक्टर AS को देख रहे थे कि आखिर वह रवि के साथ क्या करना चाहता है।

AS ने रवि को इतना टॉर्चर किया था कि अब चाहे जितना भी किया जाए, वह आंखें नहीं खोल रहा था। उसे अपने शरीर में कोई भी दर्द महसूस नहीं हो रहा था।

AS ने डॉक्टर से पूछा—

AS: "यह कितनी देर तक होश में आएगा?"

डॉक्टर ने रवि का पूरा चेकअप किया और राहत की सांस लेते हुए बोले—

Doctor: "श्री शेखावत… इन्हें कल सुबह तक होश आ जाएगा। पर इनके साथ किसी भी तरीके की अभी बदसलूकी न की जाए, क्योंकि अभी-अभी इनका जेंडर ट्रांसप्लांट हुआ है और आप तो समझ ही गए होंगे कि इन्हें अभी sex…"

इतना कहकर डॉक्टर चुप हो गए।

AS बिना कहे ही सारी बात समझ गया। उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई। डॉक्टर कंफ्यूज थे कि वह क्यों मुस्कुरा रहा है, पर ज्यादा कुछ कहे बिना वहां से चले गए।

AS अब अपनी डेविल आंखों से रवि को घूर रहा था। उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।

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वहीं दूसरी तरफ,

Shimla में,

दिव्यांश और अनन्या एक ही बेड पर थे। दिव्यांश पूरी तरह से अनन्या के ऊपर झुका हुआ था और खुद को उसके अंदर पुश कर रहा था।

अनन्या उसकी आंखों में हसरत भरी निगाहों से देख रही थी। उसकी पीठ पर दिव्यांश की पकड़ थी और उसके बदन पर खरोचों के निशान बने हुए थे।

Divyansh (प्यार से): "आप ऐसे क्या देख रही हैं Mrs. Ananya Divyansh Mahajan?"

Ananya (हल्की मुस्कान के साथ, उसके होठों पर किस करते हुए): "कुछ नहीं Mr. Mahajan… बस आपका दीदार करने के लिए आपका चेहरा निहार रही थी।"

Divyansh (गहरी नजरों से देखते हुए): "नहीं… ऐसे मत निहारो जैसे मैं सिर्फ तुम्हें देख रहा हूं। तुम भी मुझे वैसे ही प्यार करो जैसे मैं करता हूं।"

अनन्या उसके शब्दों पर शर्मा गई और चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। उसे शर्माते देख दिव्यांश मुस्कुराया और उसे बाहों में भर लिया—

Divyansh: "बहुत भारी था यह सफर तुम्हें अपना बनाने का… पता नहीं मैंने कैसे- कैसे हर पल काटा है। इस 1 महीने में हमने क्या-क्या बर्दाश्त किया…"

इसके बाद दिव्यांश एक महीने पहले की बातें याद करने लगा।

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Flashback

उसे दिन जब दिव्यांश अनन्या के साथ अल्टीमेट हुआ था… उसके बाद अनन्या की आँखों में आँसू ही नहीं सूख रहे थे। वह पछतावे के मारे रो रही थी।

दिव्यांश (उसकी आँखों से आँसू पोंछते हुए): "मैंने तुम्हें पहले ही कहा था मत करो ऐसा… पर तुम ही नहीं मानी।"

अनन्या (उसका हाथ झटकते हुए): "मैंने तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद कर दी… कौन करेगा मुझे एक्सेप्ट? मैं एक शादीशुदा… जो किसी मर्द की छोड़ी हुई औरत है। मैंने तुम्हें बर्बाद कर दिया दिव्यांश।"

इतना कहते हुए अनन्या रोए जा रही थी।

दिव्यांश (उसके आँसू पोंछते हुए, उसके गाल पकड़कर): "ऐसा कुछ भी नहीं है… पागल हो गई हो क्या?"

अनन्या ने उसके हाथ झटकते हुए कहा—

अनन्या: "दूर रहो मुझसे… मैं एक गंदी औरत हूँ। तुम परछाई पड़ गए और तुम्हें पता ही नहीं चला। मैं मां बनने वाली थी किसी और के बच्चे की… किसी ने बार-बार मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए… और तुम्हें जिन नहीं आई मेरे पास आते हुए?"

अनन्या की यह बात सुनकर दिव्यांश ने एक बार अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। फिर एक बार अनन्या का चेहरा अपने हाथों में भरने लगा, कि तभी अनन्या ने उसके हाथ झटकते हुए कहा—

अनन्या (गुस्से में): "दूर रहो मुझसे… मैंने तुम्हें गंदा कर दिया।"

इतना कहकर वह अपनी जगह से उठ गई। अनन्या इस वक्त पूरी तरह से naked थी। उसकी आँखें गुस्से और आँसुओं से लाल हो चुकी थीं।

अनन्या (रोते हुए): "मुझमें और रवि में फर्क ही क्या हुआ? उसने मुझे धोखा दिया… पर मैं भी आगे चलकर वैसे ही…"

उसकी आवाज़ में तड़प साफ़ थी। तभी उसने इधर-उधर देखा और बास्केट में पड़ी नाइफ़ को उठा लिया। जैसे ही उसने अपने हाथ-पैर रखने शुरू किए, अगले ही पल जोरदार थप्पड़ की आवाज़ कमरे में गूंज गई।

अनन्या ज़मीन पर जा गिरी। दिव्यांश ने उसके बाल पकड़कर खड़ा किया—

दिव्यांश (कांपते हुए): "ये कोई तरीका है? प्यार करता हूँ मैं तुमसे… मुझे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम किसके साथ थी और किसके साथ नहीं।"

उसकी बात सुनकर अनन्या फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए ही दिव्यांश के गले लग गई।

अनन्या (सिसकते हुए): "तुम्हारे घर वाले मुझे कभी एक्सेप्ट नहीं करेंगे।"

दिव्यांश (उसका चेहरा थामते हुए): "तुम मिली हो मेरे घर वालों से? जो पहले ही डिसाइड कर चुकी हो कि वो तुम्हें एक्सेप्ट नहीं करेंगे?"

अनन्या ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—

अनन्या (रोते हुए): "अगर उन्होंने एक्सेप्ट नहीं किया तो?… हमें आपसे प्यार हो गया है दिव्यांश… जब हम शेखावत फार्महाउस में थे तभी हम तुमसे प्यार करने लगे थे… बस हम उसे प्यार को समझ नहीं पाए।"

उसकी बात पर दिव्यांश ने बड़े प्यार से उसका चेहरा थामकर उसकी माथा चूमते हुए कहा—

दिव्यांश: "मैं तो बहुत पहले से ही तुम पर दिल हार गया था। कल मॉम-डैड आ रहे हैं… उनसे मिलने के लिए तैयार रहना। मैंने अभी उन्हें फोन किया है।"

उसकी बात सुनकर अनन्या घबरा गई—

अनन्या: "पर अगर उन्होंने मुझे एक्सेप्ट ना किया तो?"

दिव्यांश (उसका माथा चूमते हुए): "वो तुम्हें ज़रूर एक्सेप्ट करेंगे।"

करीब 15 मिनट बाद दिव्यांश ने अपने घर पर फोन किया। मिस्टर महाजन ने फोन उठाया। जैसे ही दिव्यांश ने उन्हें सारी बातें सच-सच बताईं, उनके चेहरे पर सर्द एक्सप्रेशंस आ गए।

अगले दिन मिस्टर महाजन और मिसेज महाजन दोनों शेखावत पैलेस पहुँचे। माहौल भारी था पर AS ने उनकी कोई कमी नहीं आने दी।

घर पहुँचते ही मिस्टर महाजन और मिसेज महाजन ने दिव्यांश का हाथ पकड़कर कहा—

मिस्टर महाजन: "चलो यहाँ से। हमें यह रिश्ता नहीं करना। दुनिया की झूठ तुम चाटोगे? चलो यहाँ से!"

अपने माँ-बाप की बात सुनकर दिव्यांश के चेहरे पर हैरानी के भाव थे। वहीं AS के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था, जैसे वो पहले से जानता हो।

जैसे ही मिसेज महाजन दिव्यांश को खींचने लगीं, दिव्यांश ने अपना हाथ छुड़ाकर कहा—

दिव्यांश: "Mom! मैं आपके साथ कहीं नहीं जाऊँगा। मैं अनन्या से प्यार करता हूँ।"

मिसेज महाजन (दाँत पीसते हुए): "अब यही रह गया था… दुनिया की झूठ हमारे लिए?"

जैसे ही उन्होंने अनन्या को "जूठन" कहा, दिव्यांश अब फट पड़ा। उससे पहले कि वह कुछ कहता, अनन्या ने उसका हाथ पकड़कर नाम लिया और हिला दिया। उसकी आँखों में आँसू भरे थे—

अनन्या (रोते हुए, हाथ जोड़कर): "आप फिक्र मत कीजिए आंटी जी… आपके दिव्यांश आपके साथ ही जाएंगे। वो आपके बेटे हैं… और मैं उन्हें अपने साथ नहीं रखूँगी। आज के बाद मुझे पलटकर कभी मत देखना… अगर तुमने मुझसे कभी भी प्यार किया है, तो कभी मेरी तरफ पलटकर देखना भी मत। नहीं तो उसी दिन मेरा आखिरी दिन होगा।"

अनन्या की बात सुनकर दिव्यांश का दिल धक से रह गया। मिस्टर महाजन और मिसेज महाजन के चेहरे के भाव बदल गए। उनके चेहरों पर अब हल्की-सी मुस्कुराहट तैर गई।

मिसेज महाजन आगे बढ़ीं और अनन्या का चेहरा अपने हाथों में थामकर बोलीं—

मिसेज महाजन: "नहीं बेटा, हम तो सिर्फ तुम्हारा इम्तहान ले रहे थे। हम देखना चाहते थे कि हमारी होने वाली बहू कितनी काबिल है। आजकल की लड़कियाँ तो माँ-बाप से उनके बच्चे छीन लेती हैं, पर तुमने हमारी खातिर हमारा बच्चा हमें छोड़ने को तैयार हो गईं। हमें बहुत गर्व है अपने दिव्यांश पर, जिसने तुम्हें चुना।"

जैसे ही मिसेज महाजन की बात अनन्या के कानों में पड़ी, उसकी आँखों से आँसू बह निकले। AS के चेहरे पर भी एक हल्की मुस्कुराहट आ गई।

मिस्टर महाजन (AS की ओर देखकर): "पर मिस्टर शेखावत, मुझे यह शादी 2 दिन में चाहिए। हम अपनी बहू को अपने साथ ले जाना चाहते हैं। जल्दी ही हम शिमला शिफ्ट होने वाले हैं, तो हम अपनी बहू को वहीं लेकर जाएंगे।"

श्री महाजन की बात सुनकर AS ने सिर हिला दिया। और बस दो दिन में जल्दबाज़ी में अनन्या की शादी दिव्यांश से कर दी

गई।

उस बात को याद करते ही दिव्यांश के चेहरे पर एक छोटी-सी मुस्कराहट तैर गई…

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Flashback end,

दिव्यांश ने अनन्या को बाहों में भरकर फिर उसके होठों को चूम लिया। दोनों अपनी दुनिया में खो गए।

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वहीं दूसरी तरफ,

Shekhawat farmhouse basement में,

रात के 11 बज चुके थे। AS अब भी वहीं था। उसके सामने रवि पूरी तरह से नग्न पड़ा था, लोअर पार्ट पर पट्टियां बंधी हुई थीं और नीचे से पाइप लगी थी।

पूरी रात AS ने एक पल भी नींद नहीं ली। उसकी आंखें लाल थीं और दिमाग में काजल का ख्याल चल रहा था।

सुबह 7 बजे रवि की आंखें हल्की-हल्की फड़फड़ाईं। उसकी लोअर बॉडी में असहनीय दर्द हो रहा था। अब उसके मुंह से पट्टी भी हटा दी गई थी।

जैसे ही उसे होश आया, अगले ही पल उसकी चीख पूरे बेसमेंट में गूंज गई।

AS जो थोड़ी देर पहले ही नींद में गया था, उसकी नींद रवि की चीख से खुल गई। उसके चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशन आ गए।

AS ने पास खड़े समलैंगिक लड़कों की तरफ इशारा किया। उनके चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई और वह हवस भरी नजरों से रवि को देखने लगे।

रवि डर के मारे कांपने लगा।

Ravi (चीखते हुए): "नहीं! प्लीज मुझे छोड़ दो… ऐसा मत

करो…"

लेकिन AS ने उन लड़कों को इशारा कर दिया और वे धीरे-धीरे रवि की तरफ बढ़ने लगे…

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To be continued…

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