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Pari ke ansu

Kingdom,,

Pari's room,,

परि इस वक्त अखिल को ब्लोजॉब दे रही थी और उसे ब्लोजॉब देते हुए तकरीबन आधा घंटा हो चुका था। जिस वजह से परि के होंठ पूरी तरह से उभरे हुए थे। परि को अपने होठों में अब दर्द महसूस हो रहा था और अखिल भी कंटीन्यूअस अपने dick को उसके मुंह में thrust कर रहा था।

परि जब अपना सर पीछे लेने लगती, तभी अखिल उसके बालों पर अपनी पकड़ कस देता और जोर-जोर से उसके मुंह में अपना dick thrust करने लग जाता। जिस वजह से परि की घुटी हुई आवाजें पूरे बाथरूम में गूंज रही थीं।

परि की आंखों में हल्के-हल्के आंसू आने लगे थे। तकरीबन 15 मिनट बाद अब अखिल ने परि को छोड़ा तो, परि गहरी-गहरी सांस भरने लगी क्योंकि उसकी सांसें अब चोक होने लगी थीं। वहीं अखिल अब अपनी गहरी नजरों से परि को देख रहा था।

परि को इस तरह से गहरी सांस लेते हुए देखकर उसे कुछ-कुछ हो रहा था क्योंकि उसका सीना और उसके वो गोल boobs बार-बार ऊपर की तरफ उठ रहे थे। उसके boobs को देखकर अखिल को अपने अंदर एक नशा सा महसूस हो रहा था।

अखिल ने अपने लोअर लिप को दांतों तले दबाते हुए अपने कदम एक बार फिर से परि की तरफ बढ़ा दिए। वहीं परि की आंखें बड़ी हो गईं। वह जल्दी से पीछे होते हुए बोली —

परि: "तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया? बस हो गया… मेरा मुंह दर्द कर रहा है अब!"

अखिल अब परि के ऊपर झुका और उसकी आंखों में देखते हुए बोला —

अखिल: "मुंह थक गया… गांड तो नहीं ना थकी? अभी तो गांड मारनी है।"

अखिल की बात पर अब परि की आंखें बड़ी हो गईं और अगले ही पल दांत पीसकर बोली —

परि: "तुम्हारी ये बकवास कब बंद होगी?"

अखिल बड़े प्यार से उसके गाल पर हाथ फेरते हुए बोला —

अखिल: "जब तुम सच में मुझे अपनी गांड दोगी… चलो अब जल्दी से डॉगी बन जाओ।"

अखिल की बात पर परि ने उसे छोटी आंखें करके देखा और अगले ही पल हताश होकर अपनी जगह से उठी और दोबारा से कमोड के ऊपर डॉगी पोज़िशन में बैठ गई।

वहीं अखिल को परि की हालत पर हंसी तो आ रही थी, पर वह भी आज पूरे मज़े के मूड में था।

अखिल (हंसते हुए): "बहुत तड़पाया है तुमने Mr.s Dobriyal… आज तुम्हारी बारी। Oops, sorry Mrs. परि डोबरियाल चौधरी।"

इतना कहते हुए अखिल के चेहरे पर दिलकश मुस्कुराहट थी।

वहीं परि, जो डॉगी पोज़िशन में बैठी थी, उसका दिल इस वक्त जोर-जोर से धक-धक कर रहा था। अखिल अब दोबारा से उसकी तरफ आया और अपने dick को हाथों में पकड़कर एक बार फिर से परि की ass crack पर रखते हुए हल्का-हल्का रगड़ने लगा। जिससे परि को अपने शरीर में एक अजीब सी कपकपी महसूस हो रही थी।

परि का शरीर अब धीरे-धीरे कांपने लगा था। वहीं अखिल उसे डेविल जैसी नजरों से देखते हुए एक बार फिर से उसके कान के पास झुककर बोला —

अखिल: "अगर मैं तुम्हारे सामने एक शर्त रखूं… और कहूं कि मैं सिर्फ तुम्हारी ass ही नहीं मारना चाहता… अगर तुम्हें अपनी गांड नहीं मरवानी तो तुम्हें मेरी एक बात माननी होगी।"

अखिल की बात सुनकर परि के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन आ गए। वह उसे सवालिया नजरों से देखते हुए बोली —

परि: "अब जल्दी बोलो… क्या कहना चाहते हो?"

उसकी बात पर अखिल के चेहरे पर नोटी स्माइल आ गई। वह अपनी eyebrows को ऊपर-नीचे करते हुए बोला —

अखिल: "वैसे लौड़ा तो लेने की जल्दी तुम्हें भी है…"

उसकी बात पर अब परि ने eye roll करते हुए कहा —

परि: "जल्दी बोलो… मुझे और भी बहुत काम है।"

अखिल: "हां-हां… इतराओ जितना इतराना है। पर अभी तुम्हारी हवा टाइट होने वाली है।"

उसकी बात पर परि के माथे पर शिकन आ गई और सवालिया एक्सप्रेशन से अखिल को देखने लगी। तभी अखिल ने जो कहा, उसे सुनकर परि की आंखें एक बार फिर से बड़ी हो गईं।

वह अब अखिल की तरफ देखते हुए बोली —

परि: "तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है?"

अखिल ने अभी-अभी परि को वैसे legs up करके इंटिमेट होने को कहा था, जैसे वह चाहता था। ये सुनकर परि हैरत में पड़ गई थी।

वहीं अखिल अब इतराते हुए बोला —

अखिल: "अगर करना है तो बताओ… नहीं तो मैं सोनिया की बहन के पास चला जाता हूं। वैसे भी उसके पास वही है जो मैं चाहता हूं।"

इस बार जैसे ही अखिल ने सोनिया की बहन का नाम लिया, तो परि ने अखिल के चेहरे पर जोरदार पंच जड़ दिया। जैसे ही परि ने उसके गाल पर पंच मारा, अखिल का चेहरा दूसरी तरफ झुक गया। लेकिन उसके चेहरे पर एक गहरी मुस्कुराहट तैर गई।

अब परि की आंखें हल्की-हल्की नम होने लगी थीं। ना चाहते हुए भी वह अखिल से प्यार कर रही थी। इसलिए उसने मुखर होकर गुस्से से चिल्लाते हुए कहा —

परि (रोते हुए): "Enough is enough now! तुम्हें जो करना है करो… लेकिन अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। आज नहीं तो कल तुम्हें मुझे तलाक देना ही होगा। तुम दे दो… जो करना है कर लो… जिसके पास जाना चाहते हो चले जाओ।"

इतना कहकर परि वहां से जाने लगी। तभी अखिल ने उसका हाथ पकड़कर उसे मिरर वाले वॉल से लगा दिया और उसके ऊपर झुक गया। अगले ही पल उसने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

अखिल के ऐसे किस करते ही परि का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया। उसकी सांसें गहरी होने लगीं। अगले ही पल उसकी आंखों की नमी उसके गालों पर ढलक आई। आज पहली बार परि के आंसू उसके गालों पर आए थे। जिसे देखकर अखिल का दिल भी एक पल के लिए तड़प उठा।

अब उसने खुद ही झुककर उसके गले को चूमना शुरू किया। धीरे-धीरे उसके हाथ अब परि के boobs पर फिसलने लगे। वहीं परि ने जब उसके हाथ अपने जिस्म पर महसूस किए, तो अगले ही पल उसने अखिल का हाथ झटकते हुए कहा —

परि: "दूर रहो मुझसे! बर्बाद हो जाओगे नहीं तो… इतनी बात समझा रही हूं… दूर रहो! मैंने कहा दूर रहो!"

इतना कहते हुए परि की आवाज बुरी तरह कांप रही थी। लेकिन अखिल दूर होने को तैयार नहीं था। उसने परि की बांह कसकर अपने हाथ में पकड़ ली और अगले ही पल उसे घुमाकर दीवार से लगा दिया। जिससे परि की पीठ पूरी तरह मिरर वॉल से लग गई और अब उसकी ass अखिल की तरफ थी।

वहीं अखिल अब उसके कान के पास झुककर, उसके बालों को एक साइड करते हुए, बड़ी ही मदहोश आवाज में बोला —

अखिल: "जितना मर्जी दूर भाग लो… अब तुम मुझसे दूर नहीं जा पाओगी। और एक बात हमेशा याद रखना… तुम्हें पता है क्यों?"

परि ने अखिल को एक बार फिर सवालिया नजरों से देखा। तभी अखिल ने जो कहा, उसे सुनकर परि की हार्टबीट एक पल के लिए रुक सी गई।

अखिल: "क्योंकि तुम मुझसे मोहब्बत करती हो… परि डोबरियाल को अखिल चौधरी से मोहब्बत हो गई है।"

अखिल की बात पर परि की आंखों में आंसू भर आए। वह रोते हुए बोली —

परि: "मैं तुमसे प्यार नहीं करती… नहीं अखिल!"

अखिल व्यंग्य से हंसते हुए बोला —

अखिल: "किससे झूठ बोल रही हो? खुद से या मुझसे?"

अखिल अब एक बार फिर उसके कान के पास झुककर बोला —

अखिल: "मुझे भी यही लगता था कि हमारे बीच कुछ नहीं है… पर सच्चाई तो यही है कि मैं…"

अखिल इतना ही कह पाया था कि परि की सांस उसके गले में अटक गई। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, जिसकी आवाज अखिल को भी सुनाई दे रही थी। अखिल अब बड़े दिलकश अंदाज में उसके कान को चूमते हुए बोला —

अखिल: "The truth is… I Love You… Miss Pari Dobriyal."

अखिल की बात सुनकर परि को ऐसा लगा जैसे उसकी सांस ही थम गई हो।

पर अगले ही पल उसने खुद को संभाला और तेजी से पीछे की तरफ मुड़ी और अखिल को धक्का देकर रोते हुए बोली —

परि: "तुम मुझसे प्यार नहीं कर सकते… नहीं, नहीं, ये नहीं हो सकता… नहीं!!!"

इतना कहते हुए रोते हुए परि बाथरूम से बाहर भाग गई। वहीं अखिल तो जैसे सपने में ही खो गया। उसने परि को ऐसे रोते कभी नहीं देखा था। जबकि परि एकदम कड़क मिज़ाज की और शायद पत्थर दिल लड़की थी… या फिर कहें उसने अपने दिल को पत्थर बना लिया था।

अखि

ल अब अपनी जगह पर खड़ा जम गया था। उसकी आंखों के सामने बार-बार परि का तड़पता हुआ चेहरा घूम रहा था…

To be continued…

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