
Canada,,
Kingdom,,
Pari’s room
अभी-अभी जो परी फोन पर बातें कर रही थी, अखिल ने साफ-साफ सुनी थी। इसे सुनकर अखिल का पारा आसमान पर पहुंच चुका था और उसके हाथों में पकड़ा कांच का गिलास कसकर पकड़ने की वजह से टूट गया था। वहीं परी, जो कि फोन पर मॉरिस से बात कर रही थी, उसने अगले ही पल फोन काटा और अखिल की तरफ घूमी तो उसका दिल धक सा रह गया क्योंकि अखिल के हाथ से बेइंतहा खून बहने लगा था।
अखिल अपनी जगह पर खड़ा-खड़ा गुस्से से कांप रहा था। वहीं परी अब उसकी तरफ कदम बढ़ाने लगी तभी अखिल ने अपने हाथ दिखाकर रोकते हुए कहा –
"मेरे पास मत आना!"
अखिल की बात पर एक पल के लिए परी अपनी जगह पर जम गई, पर अगले ही पल उसने अपने कदम अखिल की तरफ बढ़ा दिए। वहीं अखिल अब पीछे हटते हुए बोला –
"मैंने कहा मेरे पास मत आना!"
वहीं परी अब दांत पीसकर बोली –
"बकवास बंद करो अपनी! हाथ से खून बहुत ज्यादा बह रहा है तुम्हारे।"
तभी परी ने मेड को आवाज़ लगाई, लेकिन अखिल ने अपना हाथ छुड़ाते हुए उसकी तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा –
"मुझे तुम्हारी यह हमदर्दी नहीं चाहिए, मुझे तुम चाहिए हो।"
उसकी बात पर एक पल के लिए परी सुन खड़ी रह गई। उसे अपने दिल में कुछ-कुछ होने लगा था।
अखिल एक ज़िद्दी बच्चे की तरह उसे मांग रहा था पर आज चाहकर भी परी उसके पास नहीं जा सकती थी। तभी वहां पर मेड आई और सर झुका कर परी के सामने खड़ी हो गई।
इसको खाली हाथ आया देखकर परी दांत पीसकर बोली –
"गांडू कहीं की! खाली हाथ आ गई हो? मैंने कहा था मेडिकल बॉक्स लेकर आओ!"
परी इतनी ज्यादा गुस्से में थी कि मेड वहीं पर खड़ी-खड़ी कांपने लगी। नेट को अभी भी अपनी जगह पर खड़ा देखकर वह गुस्से से दांत पीसकर बोली –
"तुम जैसी हो के मुंह पर मैं पेशाब करना भी पसंद नहीं करती और तुम मेरे सामने अभी भी खड़ी हो? दफा हो जाओ और मेडिकल बॉक्स लेकर आओ साली गांडू कहीं की! निकम्मी यहां पर खाती है, आती है, हागती है और चली जाती है। बहन की लोड़ी! एक भी काम ठीक से नहीं करती!"
"दिल तो करता है भोसड़ी के चूत में आग लगा दूं!" – परी बड़बड़ाती ही जा रही थी।
अखिल उसे गहरी नजरों से देखते हुए बोला –
"तुमने उसे मेडिकल बॉक्स लाने को नहीं कहा, तुमने सिर्फ मेड को बुलाया था।"
अखिल की बात सुनकर परी एक पल के लिए अपनी जगह पर जम गई। और फिर हरकत में आते हुए बोली –
"हां तो! मैं मालिक हूं यहां की, उन्हें बिना कहे मेरी बात समझ जानी चाहिए।"
उसकी बात पर अखिल उसे अजीब सी नजरों से देखने लगा। तभी परी बोली –
"ये बहनचोद ऐसी ही हैं, इन्हें बस घर जाकर अपने खसम को चुदवाना, या फिर हाथी के लोड़े पर नाचना – ये काम बहुत अच्छे से आते हैं।"
परी की बातों पर एक पल के लिए अखिल ने दोबारा से अपने सिर पर हाथ रख लिया और वह नाम से सीरियस होते हुए बोला –
"कुछ भी हो जाए, मैं इसकी लैंग्वेज नहीं बदल सकता। चाहे मैं इसके जैसा बन जाऊं पर ये कभी नहीं बदल सकती।"
इतना कहकर वह सामने सोफे पर बैठ गया।
पर उसके मन में एक ही बात चल रही थी – आखिर क्यों परी मॉरिस से शादी करना चाहती है? वह तो उसके पीछे एक हफ्ते पहले इतनी पागल थी कि किसी लड़की को उसके साथ बर्दाश्त भी नहीं कर पा रही थी। उस लड़की से जुड़ी बातें याद करते हुए उसके चेहरे पर एक बार फिर से दिलकश मुस्कान तैर गई और अब उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था जिससे उसके चेहरे से मुस्कुराहट हट ही नहीं रही थी।
अभी कुछ देर पहले अखिल बहुत ज्यादा गुस्से में था पर अब उसका गुस्सा जैसे मानो छूमंतर हो चुका था। तभी वहां पर मेड दोबारा से मेडिकल बॉक्स लेकर आई और परी उसकी तरफ देखकर बोली –
"जा जाकर हाथी के लोड़े पर बैठ जा बहन की, ताकि बहनचोद साली तुम लोगों की गांड में तो तीन-चार खरे डाल देने चाहिए!"साली बहनचो जा जाकर हाथी के लौड़े पर बैठ जा,, अगर वो भी कम पड़े तो जाकर डायनासोर के लन्ड डाल ले gand में फिर बजती रहना आगे से भी पीछे से भी,,,
परी की गली सुन मेड के तो होश उड़ गए,, वो जल्दी से,,,उसकी बात पर मेड अब सर झुका कर दोबारा से वहां से भाग गई। उसे डर लग रहा था। कहीं परी सच में उसे डायनासोर के लौड़े पर न बैठा आए 🤣
परी अब अखिल की तरफ घूमी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर हैरानी से अखिल को देखने लगी क्योंकि अखिल अभी कुछ देर पहले परी को बेहद गुस्से से देख रहा था पर अब जैसे उसका गुस्सा पूरी तरह से छूमंतर हो चुका था। वहीं अखिल को हंसता हुआ देखकर परी के चेहरे पर अजीब से भाव आ रहे थे।
परी अब अखिल के पास जाकर बैठी और उसके हाथ की ड्रेसिंग करने लगी। वहीं अखिल अब अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था। परी भी बड़े गौर से अखिल को देख रही थी – आखिर अखिल का ध्यान है कहां पर?
तभी परी उसके हाथ जो कि साफ कर रही थी उसने जोर से दबा दिया ताकि अखिल का ध्यान उसकी तरफ आए। पर अखिल जानबूझकर अपना ध्यान परी पर नहीं कर रहा था। उसे दर्द तो हुआ पर उसने जानबूझकर परी को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया। और परी यही चीज बर्दाश्त नहीं कर पाती थी। परी कुछ भी बर्दाश्त कर सकती थी पर अखिल की इग्नोरेंस उसे बर्दाश्त से बाहर हो जाती थी।
पर फिर भी अखिल ने परी की तरफ नहीं देखा। अब परी को अखिल पर गुस्सा आने लगा। उसने जोर-जोर से कॉटन उसके हाथ पर फेरना शुरू कर दिया जिससे हल्का-हल्का कांच अखिल के हाथों में धंसने लगा। अखिल को दर्द तो होने लगा पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पर जब ज्यादा ही जोर से होने लगा तब अखिल बोला –
"अरे ध्यान से करो ना यार! मेरे ख्वाबों को क्यों तोड़ रही हो? इतने प्यारे ख्वाब एक लड़की के… वह भी। अच्छा वैसे मुझे एक बात बताओ – तुमने तलाक के कागज पर साइन तो कर दिए ना?"
उसकी बात पर हैरानी से परी उसकी आंखों में देखने लगी और अगले ही पल सर्द आवाज़ में बोली –
"हां, कर दिए तो?"
तभी अखिल ने जो कहा, उसे सुनकर परी का दिल जैसे धड़कन ही भूल गया।
"हां, तो मैं भी करने वाला हूं ना। क्योंकि अब मैंने भी एक लड़की ढूंढ ली है। मेरे दिमाग में आई अभी-अभी – सोनिया की बहन। वह भी बहुत खूबसूरत है, गोरी-चिट्टी… उसके अंदर थोड़ी सी आग है जो मुझे पागल कर रही है।"
अखिल की बात सुनकर परी के होश पूरी तरह से उड़ गए।
To be continue…









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