
Canada,,
In the car,,
इस वक्त अखिल परी के मुंह के ऊपर पूरी तरह से चढ़ा हुआ था और उसने अपनी पैंट की ज़िप खोलकर अपना dick निकाल कर परी के मुंह को अपनी उंगलियों से कसकर खोल दिया था जिससे परी का मुंह खुल गया था और अगले ही पल अखिल ने अपना dick पूरी तरह से परी के मुंह में घुसा दिया था। वही परी का दिल तो जैसे आज धड़कने से ही इनकार कर रहा था। अखिल को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे परी की आत्मा उसी के अंदर घुस गई हो।
परी की आंखें तो जैसे आज बाहर आने को फिर रही थी। अब परी कुछ कह भी नहीं पा रही थी। अखिल लगातार उसके मुंह में अपना dick thrust करते हुए बोला –
अखिल: "हे भगवान, मैं पहले क्यों नहीं समझा… अरे क्या मज़ा आ रहा है इसके मुंह का।"
इतना कहते हुए वह लगातार परी के मुंह में अपना dick डालता जा रहा था। परी की गूंटी-गूंटी आवाज अब कार में गूंज रही थी।
अखिल भी अपनी आंखें बंद कर पूरी तरह से परी के मज़े ले रहा था। वही परी भी अब कहीं ना कहीं अखिल का साथ देने लगी थी। वह अखिल का dick suck करने लगी थी। अखिल और परी अब अपनी ही दुनिया में खोने लगे थे। पर तभी ड्राइवर ने कहा –
ड्राइवर: "ब्रेक लाई।"
जिससे अखिल को झटका लगा और अगले ही पल वह पीछे की तरफ हो गया। जैसे ही अखिल पीछे हुआ तो परी ने उसे धक्का देकर सीट पर गिरा दिया और अपनी गहरी नज़रों से देखने लगी।
वहीं अखिल अब अपना सलाइवा निगलते हुए बोला –
अखिल: "ऐसे मत देखो यार… मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे तुम मेरा खून पीने को ऐसे देख रही हो।"
इतना कहते हुए वह अपना dick पैंट में डालने को हुआ। पर परी अभी भी उसे अपनी गहरी नज़रों से देख रही थी। उसने दांत पीसकर कहा –
परी: "यहां से जाने का क्या लोगे तुम? और यह क्या हरकतें करते फिर रहे हो?"
तभी अखिल दोबारा से उसके ऊपर झुकते हुए बोला –
अखिल: "हरकतें तब बोलो जब तुम्हें मज़ा नहीं आया… सच बताओ, मज़ा आया ना तुम्हें?"
उसकी बात पर परी की आंखें हैरत से फैल गईं। उसे तो यकीन ही नहीं आ रहा था कि जो लड़का कभी उसके सामने जुबान नहीं खोलता था, आज पटर-पटर से जवाब दे रहा था।
अगले ही पल परी ने दोबारा से उसे पीछे की तरफ धक्का दिया और बोली –
परी: "जाते हो कि नहीं? नहीं तो मैं तुम्हारी….."
आज तक कभी परी ने अखिल को डिज़रिस्पेक्ट नहीं किया था, इसीलिए उसने अपने शब्द बीच में रोक लिए। क्योंकि वह जानती थी कि वह गलती से भी कभी अखिल को गलत नहीं बोल सकती, इसलिए वह चुप हो गई। वहीं अखिल उसे शरारती नज़रों से देखते हुए बोला –
अखिल: "क्या हुआ, मैं बताता हूं… गांड मार लगी ना मेरी, यही कहने वाली थी।"
इतना कहते हुए अखिल ने अपने ही भौंहों को ऊपर-नीचे उचकाया।
वहीं परी तो हैरानी से उसका चेहरा ही देखे जा रही थी कि आज अखिल को हुआ ही क्या है। पर अगले ही पल जो अखिल ने कहा, परी का दिल तो जैसे उसके मुंह से बाहर आने को हो गया। अखिल परी की तरफ देखकर बोला –
अखिल: "चिंता मत करो, तुम वह भी कर सकती हो। मुझे पता है तुम आज की नई हो, इसलिए मैं तुम्हें मना नहीं करूंगा।"
इतना कहते हुए अखिल ने जल्दी से अपनी पैंट उतारी और परी की तरफ अपना पिछवाड़ा करके अपनी ass को पूरी तरह ऊपर उठाकर बोला –
अखिल: "लो मारो मेरी गांड।"
अखिल की इस हरकत पर परी के पूरी तरह से होश उड़ गए। उसने अगले ही पल अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाया और गुस्से में दांत पीसते हुए बोली –
परी: "जल्दी से अपनी पैंट पहनो, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
तभी अखिल हंसते हुए बोला –
अखिल: "अरे जान, तुम हर किसी की गांड मारती फिरती हो… आज मेरी मार लोगी तो क्या फर्क पड़ता है।"
अब तो हद ही हो गई थी। अखिल तो जैसे आज पागलपन में आ गया था कि वह परी के होश उड़ाकर ही सांस लेगा।
परी अब दांत पीसकर बोली –
परी: "कहीं ऐसा ना हो कि मैं अपना आपा खो दूं… अपनी पैंट ऊपर करो।"
उसकी बात सुनकर अखिल को अब हंसी आ रही थी, क्योंकि चाह कर भी परी उसे डिज़रिस्पेक्ट नहीं कर पा रही थी। उसने एक बार भी परी के मुंह से अपने लिए गाली नहीं सुनी थी जबकि वह लोगों को हर तरह की गालियां देती थी। पर आज तक उसने अखिल को गाली एक बार भी नहीं दी थी।
आज वह किसी तरह से कोशिश कर रहा था कि परी उसे गाली निकालने पर मजबूर हो, लेकिन परी ऐसा नहीं कर पा रही थी। कहीं ना कहीं शायद परी को उससे प्यार होने लगा था।
उसे परी की हालत पर तरस भी आ रहा था और हंसी भी। अब उसने अपनी पैंट ऊपर की और मुंह बनाकर परी की तरफ देखते हुए बोला –
अखिल: "कर ली पैंट ऊपर… अब अगर किसी की गांड मारने की सोची ना तो मैं सच्ची में पैंट उतार कर तुम्हारे सामने अपनी tui उठा लूंगा। फिर तुम मेरी गांड मारना, किसी और की मत मारना। मैंने पहले कह दिया।"
अखिल की बात पर परी तो बस उसकी तरफ मुंह खोले देखती रह गई। वहीं अब जाकर उसे होश आया कि वह अब किंगडम पहुंच चुके हैं। अगले ही पल कार स्टार्ट हुई और किंगडम के अंदर दाखिल होने लगी।
वहीं वहां खड़े सारे गार्ड्स अब झुककर परी को सलाम करने लगे और उन्होंने अपना सिर नीचे की तरफ कर लिया। वहीं अखिल भी यह सब देख रहा था। कुछ ही देर में गाड़ी अब पार्किंग एरिया में आकर लगी और अखिल और परी बाहर की तरफ निकले।
कहीं ना कहीं परी को अखिल की तरफ देखकर सुकून भी मिल रहा था, पर उसकी आंखों में कुछ तो था जो चाह कर भी वह किसी को बता नहीं पा रही थी।
अब एक बार फिर से वह अखिल की तरफ घूमी और उसकी तरफ देखते हुए बोली –
परी: "मैं तुम्हारे लिए जेट रेडी करवा देती हूं इंडिया के लिए।"
अब अखिल उसकी आंखों में देखते हुए बोला –
अखिल: "क्या चाहती हो? यहीं पर पैंट खोलकर गांड उठा लूं?"
उसकी बात सुनकर परी की आंखें बड़ी हो गईं और अगले ही पल उसने मुंह दूसरी तरफ घुमाते हुए दांत पीसकर कहा –
परी: "अपनी बकवास बंद रखो।"
इतना कहकर वह आगे बढ़ने लगी। तभी एक गार्ड परी के आगे सर झुकाकर बोला –
गार्ड: "क्वीन… मॉरिस आ चुके हुए हैं और वह आपसे डील करना चाहते हैं।"
मॉरिस का नाम सुनकर परी की आंखें एकदम सख्त हो गईं। वह गार्ड की तरफ देखकर बोली –
परी: "उसके साथ कोई और बंदा तो नहीं आया?"
उसकी बात पर गार्ड ने ना में सिर हिलाया। परी अंदर की तरफ जाने को हुई। वहीं तभी अखिल उसके कान में झुककर बोला –
अखिल: "……"
(उसकी बात सुनकर परी का दिल एक पल के लिए स्किप हो गया, उसकी सांसें वहीं पर थम गईं।)
To be continue…









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