
Royal Blue Hotel
अभी-अभी धनिष्क ने रूम का बेहद मजबूत कांच का टेबल अपने एक ही पंच से तोड़ दिया था। वही सौम्या का दिल जैसे धक्का सा रह गया था क्योंकि धनिष्क का हाथ पूरी तरह से लहूलुहान हो गया था। सौम्या की सांसें इस वक्त गहरी होनी शुरू हो गई थीं… उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर में जान ही ना बची हो। हाथ-पैर ढीले पड़ चुके थे… धनिष्क को अपने सामने देखकर उसकी सांस वहीं पर थम गई थी। दिल जैसे धड़कने से इनकार कर रहा था।
उसकी आंखों में आंसू लबालब बहने लगे और वह धनिष्क की तरफ देखते हुए ना में सिर हिलाने लगी।
पर अगले ही पल धनिष्क ने वहां पर रखे हुए सारे वास तोड़ने शुरू कर दिए। हर वार के साथ धनिष्क खुद को हर्ट कर रहा था। वहां पर कैबिनेट में लगे कांच को भी उसने दोबारा पंच मारकर तोड़ दिया, जिससे उसके हाथों से हद से ज्यादा खून निकलने लगा। वही सौम्या तो जैसे दहल ही गई थी, उसका दिल जैसे धड़कन छोड़ रहा था।
वो अपनी कमज़ोर आवाज़ में बोली —
“धनिष्क… एक बार मेरी ब…ब…ब… बात तो सुनिए…”
जैसे ही सौम्या ने इतना कहा, धनिष्क ने उसका गला पकड़ लिया और चेहरे के नजदीक आकर जोर से चिल्लाया —
“क्यों सुनूं! क्यों सुनूं आखिर तुम्हारी बात क्यों… क्यों!
Why God damn it, why! Tell me why…!”
इतना कहते हुए धनिष्क की आंखों में उसका दर्द साफ दिखाई दे रहा था।
वहीं धनिष्क की ऐसी आवाज सुन कर सौम्या कांप गई,, उसका दिल की धड़कन मानो रुकने की कगार पर थी।
“तुम बिना किसी बात… बिना किसी रीजन के यहां आ गई। किसी ने तुम्हें मैसेज किया कि तुम्हारे पिता का कातिल मैं हूं और वो तुम्हें सबूत देगा… और तुम चली आई।”
इतना कहते हुए धनिष्क के चेहरे पर एक व्यंग्य भरी मुस्कान तैर गई। पर उसकी आंखों में दर्द की परत साफ दिख रही थी।
वह हंसते हुए सोफे के पास आया और नीचे टेक लगाकर बैठ गया। अपना सर सोफे पर रखते हुए सौम्या की तरफ देखकर बोला —
“क्या कर सकते हैं… फितरत से मजबूर हूं। मैंने उस दिन भी कहा था कि विश्वास बहुत जरूरी है, पर तुम्हें फिर भी मुझ पर भरोसा नहीं आया। तब भी तुम उस कमीने पार्क की बातों में आ गई… और आज भी तुमने उसी कमीने को चुन लिया।”
इतना कहते हुए धनिष्क की आवाज लड़खड़ाने लगी।
धनिष्क की लड़खड़ाती आवाज सुनकर सौम्या का दिल जैसे रुक सा गया। वह उसके करीब जाकर बोली —
“धनिष्क… मेरी बात तो सुनिए…”
तभी धनिष्क जोर से चिल्लाया —
“Don’t you dare to come close to me…!”
धनिष्क ने इतना ही कहा था कि सौम्या के कदम वहीं पर रुक गए। वो तड़पकर बोली —
“प्लीज़… एक बार मेरी बात सुन लीजिए धनिष्क…”
धनिष्क एक बार फिर व्यंग्य से हंसा और दर्द भरी मुस्कराहट के साथ बोला —
“तूने तोड़ दिया दिल… इश्क जाता कर।
तू कहती है मुझसे इश्क किया…
पर क्या खाक इश्क किया तूने…
जब तुझे अपने इश्क पर एतबार ही ना आया।”
धनिष्क की बात पर सौम्या का दिल रो पड़ा। वह चाहकर भी कुछ कह नहीं पा रही थी। लेकिन फिर भी उसने हिम्मत करके दोबारा बोलने की कोशिश की, तभी धनिष्क ने उसे सर्द नजर से देखकर हाथ उठाया और चुप रहने का इशारा कर दिया।
और दर्द से हंसते हुए बोला —
“यही है ना… वो जिसे सबूत लेने आई थी।”
इतना कहते हुए धनिष्क ने चुटकी बजाई और तभी गार्ड्स मिस्टर अंशुमान पारीक को घसीटते हुए अंदर लाए। उसका चेहरा पूरी तरह से जला हुआ था, जैसे तेजाब से झुलसाया गया हो। यह देखकर सौम्या की चीख निकल गई और उसने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।
वहीं धनिष्क ने गार्ड्स को इशारा किया और अगले ही पल वो अंशुमान को लेकर वहां से चले गए। अब धनिष्क ने सौम्या को एक पेन ड्राइव दी और दूसरी पेन ड्राइव अपने हाथ में रखते हुए बोला —
“ये लो नकली सबूत… और ये हैं मेरी तरफ से असली सबूत। आज के बाद यह मत कहना कि तुमने मुझसे इश्क किया।”
इतना कहते हुए धनिष्क की आंखें लाल थीं और आवाज सख्त। सौम्या का दिल धक से रह गया।
धनिष्क वहां से जाने को हुआ तो सौम्या उसके पीछे भागी। लेकिन उसने पलटकर कहा —
“मेरे पीछे कभी मत आना… वरना मैं खुद को कुछ कर लूंगा, समझी?”
फिर दो कदम चलकर पलटा और बोला —
“क्या कहा था तुमने? तलाक लेना चाहती थी ना?”
धनिष्क ने इतना कहा कि सौम्या का दिल जैसे धड़कने से इनकार कर गया। उसकी आंखों में आंसू लबालब भर आए और वह ना में सिर हिलाने लगी।
सौम्या की हालत देखकर धनिष्क फिर व्यंग्य से हंसा और बोला —
“तुम्हें डाइवोर्स मिल जाएगा…”
इतना कहकर वह वहां से चला गया।
सौम्या वहीं जम सी गई। उसका दिल जैसे धड़कना तो क्या, रुक ही गया था। सांसें थम गईं। खड़े-खड़े ही उसने पैरों से जान गंवा दी और जमीन पर गिर पड़ी।
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दूसरी तरफ…
धनिष्क अपनी गाड़ी में बैठा, आंखों में दर्द और तकलीफ लिए बाहर निकल गया। उसने सीट के पास रखी बीयर की बोतल उठाई, होठों से लगाई और पीने लगा।
जहां एक तरफ दोनों के दिल पूरी तरह से चकनाचूर हो चुके थे…
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Kapoor Mansion
माइकल की कार अभी-अभी कपूर मेंशन के आगे आकर रुकी थी। यह मेंशन माइकल का था। जबकि धनिष्क और माइकल दोनों सगे भाई थे, पर अलग-अलग रहते थे। फिर भी दोनों में प्यार बेशुमार था।
माइकल कार से उतरा और अगले ही पल दूसरी तरफ जाकर दरवाजा खोलते हुए मीरा को बालों से पकड़कर बाहर खींचा और अंदर की तरफ घसीटने लगा।
मीरा तड़पते हुए बोली —
“ऐसा मत कीजिए माइकल… एक बार हमारी बात तो सुन लीजिए। हमने आपको धोखा नहीं दिया है…”
मीरा बार-बार गिरते हुए अपनी सफाई दे रही थी, पर माइकल उसकी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं था।
मीरा ने इस वक्त रेड कलर की साड़ी पहनी हुई थी। उसकी साड़ी बार-बार पैरों में अटक रही थी। जैसे ही हाल में पहुंची, उसकी प्लेट्स निकलकर जमीन पर बिखर गईं।
मीरा का दिल धक से रह गया। वही माइकल एक पल के लिए रुका, फिर उसकी तरफ देखा और चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई।
अगले ही पल उसने उसका पल्लू भी खींचकर नीचे फेंक दिया।
मीरा का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वहीं माइकल की नजर उसके सीने पर पड़ी, जो अब काफी हद तक विज़िबल था।
माइकल सेडक्टिव नजरों से देखते हुए बोला —
“Tonight… I’m gonna eat you whole night… very badly…”
इतना कहते हुए उसने अपनी जीभ हो
ठों पर फेरी।
मीरा के शरीर में करंट सा दौड़ गया और उसकी सांसें वहीं अटक गईं।
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To be continued…









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