
H M College
– Canteen
अभी-अभी अहाना उछलकर आदित्य के गले लगी थी और वहीं दूसरी तरफ खड़ा रूद्र, जिसने यह सब कुछ देखा था, उसकी गुस्से में मुठ्ठियां कस गई थीं और उसका चेहरा काला पड़ गया था। इस वक्त रूद्र गुस्से में कांप रहा था, उसका चेहरा पूरी तरह से लाल पड़ा हुआ था।
वहीं अहाना के सामने बैठा रॉबिन भी गुस्से से अहाना और आदित्य को देख रहा था। उसके हाथों में जो डिस्पोजेबल गिलास था जिससे वह कोल्ड कॉफी पी रहा था, वह भी पूरी तरह से पिचक गया था। दोनों के चेहरे इस वक्त गुस्से से लाल-पीले हो रहे थे।
अहाना आदित्य के गले से पीछे हुई और उसकी तरफ देखते हुए बोली –
अहाना: “अभी तुम यहां क्या कर रहे हो? और तुम तो ऑस्ट्रेलिया गए हुए थे ना?”
आदित्य: “हां, गया तो था… लेकिन मेरा मन नहीं लगा। मैंने सोचा था कि पढ़ाई वहीं से कंटिन्यू करूंगा, पर तुम्हारी याद आती रही… तो मैं वापस आ गया।”
इतना कहते हुए आदित्य ने एक बार फिर अहाना को गले लगा लिया।
अहाना: “मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया…”
वहीं दूर खड़े रूद्र की तो जैसे अब इंतहा हो गई थी। उसने पास में रखा हुआ वास उठाकर जमीन पर फेंक दिया।
जैसे ही वास जमीन पर गिरा, अहाना की नजर सामने खड़े रूद्र पर गई, जो इस वक्त गुस्से से उन दोनों को घूर रहा था। तभी अहाना रूद्र की तरफ बढ़ने लगी, लेकिन अगले ही पल रूद्र जल्दी से वहां से निकल गया।
रूद्र के ऐसे मुंह फेरकर चले जाने से अहाना की आंखों से आंसू छलक पड़े और अगले ही पल उसके गालों पर ढुलक गए। उसे रूद्र की यह बेरुखी अपने दिल पर महसूस हो रही थी। उसका दिल बुरी तरह तड़प रहा था—दो दिन से ना तो रूद्र अहाना से कोई बात कर रहा था और ना ही उसकी तरफ देख रहा था। यह सब अहाना को बहुत ज्यादा तकलीफ दे रहा था।
वहीं आदित्य बड़े गौर से अहाना को देख रहा था। जब वह उसके पास आया तो अहाना ने जल्दी से अपनी आंखें साफ कीं और हल्की-सी मुस्कुराहट के साथ बोली –
अहाना: “तुम आ तो गए हो… घर गए हो कि नहीं? अभी तक मामा से मिले हो?”
आदित्य: “अरे नहीं यार… आंटी से मिलने का भी टाइम नहीं लगा। मैं तो सीधे यहां पर आया हूं। मुझे पता चला कि तुमने इस कॉलेज में एडमिशन लिया है तो मैं आ गया।”
यह सुनकर अहाना फिर से मुस्कुराई और उसका हाथ पकड़कर बोली –
अहाना: “चलो, तुम्हें कुछ खिलाती हूं।”
अहाना को आदित्य का हाथ पकड़ते देख रॉबिन के चेहरे पर अजीब-से एक्सप्रेशन आ गए। उसके हाथ टेबल पर कस गए। अभी कुछ देर पहले रॉबिन बुरी तरह से ठूस-ठूस कर खा रहा था, लेकिन अब उसका सारा ध्यान खाने से हट चुका था और पूरा ध्यान अहाना पर था।
अहाना अब आदित्य को खींचते हुए टेबल पर लाई और पास में बिठाकर बर्गर ऑर्डर करने चली गई। वहीं रॉबिन उसे बड़े गुस्से से घूर रहा था।
आदित्य (मुस्कुराकर): “अरे भाई, ऐसे क्यों देख रहे हो?”
रॉबिन (गुस्से से): “वह मेरी गर्लफ्रेंड है… उससे दूर रहो!”
रॉबिन की बात पर आदित्य की एक आईब्रो ऊपर उठ गई।
आदित्य (शांत लेकिन ठंडी आवाज़ में): “क्या कहा तुमने?”
रॉबिन: “यही कि वह मेरी गर्लफ्रेंड है और जितना हो सके उससे दूर रहो, नहीं तो तेरा मुंह तोड़ दूंगा।”
रॉबिन की बात पर आदित्य हल्का हंसा। क्योंकि यहां कोई नहीं जानता था कि अहाना और आदित्य का असली रिश्ता क्या है। लेकिन आदित्य ने उसकी गलतफहमी दूर नहीं की।
आदित्य: “वह तो मेरी मर्जी होगी ना कि मैं क्या करूं और क्या नहीं…”
आदित्य की बात पर रॉबिन की मुठ्ठियां कस गईं।
रॉबिन (तने जबड़े से): “तुम्हें कुछ और बोलना है?”
तभी अहाना ने आदित्य के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा –
अहाना: “क्या चल रहा है, आदि?”
आदित्य ने उसकी कमर पर हाथ रख उसे अपने पास खींचा और बोला –
आदित्य: “कुछ खास नहीं… बस थोड़ी बातचीत चल रही थी। और वार्तालाप इतनी मजेदार है कि अगर तुम सुनोगी तो हंस-हंस के पागल हो जाओगी।”
उसकी बात पर अहाना ने हंसते हुए पूछा –
अहाना: “अच्छा? ऐसा क्या टॉपिक चल रहा है कि मैं हंस-हंस के पागल हो जाऊंगी?”
रॉबिन ने तुरंत बात पलटते हुए कहा –
रॉबिन: “कुछ खास नहीं… वैसे ही हंसी-मजाक कर रहे थे।”
उसकी बात पर आदित्य के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई।
करीब 15 मिनट तक वे लोग वहीं लंच करते रहे। लेकिन तभी रॉबिन की नजर आदित्य के पास रखी कोल्ड कॉफी पर गई और अगले ही पल उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई। उसने हाथ बढ़ाकर टिशू उठाने का बहाना किया और जान-बूझकर हाथ से कोल्ड कॉफी गिरा दी, जो सीधे आदित्य पर जा गिरी।
रॉबिन के चेहरे पर जैसे जीत की चमक आ गई।
रॉबिन (नकली सॉरी बोलते हुए): “सॉरी ब्रो… गलती से गिर गया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि ऐसे हो जाएगा… सच में गलती से हाथ लग गया।”
आदित्य ने भी हल्की डेविल स्माइल दी।
आदित्य: “इट्स ओके… कोई बात नहीं।”
इतना कहकर आदि अपनी जगह से खड़ा हुआ और अहाना की तरफ देखते हुए बोला –
आदित्य: “अहाना, क्या तुम मुझे वॉशरूम दिखा सकती हो?”
आदित्य की बात सुनकर रॉबिन के होश उड़ गए। अगले ही पल वह खुद आगे बढ़ा और बोला –
रॉबिन: “वह क्यों तुम्हें बाथरूम दिखाएगी… मैं दिखाता हूं। चलो, तुम्हें लेकर चलता हूं।”
इतना कहकर उसने आदित्य का हाथ पकड़ा और खींचते हुए बाथरूम की तरफ ले गया। आदित्य उसकी हरकतें देखकर मुस्कुराया।
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Canteen से बाहर
– Library में,,
वहीं दूसरी तरफ, जैसे ही आदित्य और रॉबिन वहां से गए, अहाना की आंखें फिर से नम हो गईं। उसके सामने बार-बार रूद्र का चेहरा घूम रहा था।
वह अपनी जगह से खड़ी हुई और क्लास की तरफ बढ़ी, लेकिन अगले ही पल उसकी नजर लाइब्रेरी में पड़ी। वहां रूद्र किताबों में डूबा कुछ लिख रहा था।
ना चाहते हुए भी उसके कदम लाइब्रेरी की ओर बढ़ गए। अगले ही पल वह रूद्र के सामने आकर बैठ गई।
रूद्र ने उसे देखा—एक भौं ऊपर उठाई। उसके दिमाग में तुरंत वही तस्वीर घूम गई—अहाना और आदित्य की हग। वह याद आते ही रूद्र का खून खौल उठा।
रूद्र (गुस्से से): “अब यहां क्या करने आई हो? जाओ… जाकर उसी के साथ जपपी-पप्पी करो।”
उसकी बात सुनते ही अहाना सन्न रह गई। उसकी आंखें छलक पड़ीं। उसने भरे गले से कहा –
अहाना: “तो आपको क्या फर्क पड़ता है? आप तो मेरी तरफ देखते भी नहीं। मैं ही पागल हूं… जो आपके पीछे हर जगह चली आती हूं। हर वक्त बस आपको देखती रहती हूं कि कब आप मुझे देखेंगे। पर अब… अब मैं आपसे कोई आस नहीं रखूंगी।”
उसकी आवाज कांप रही थी। आंसुओं ने उसके गाल भीगाए।
अहाना (टूटते दिल से): “हाँ… मैं मानती हूं कि मैंने आपसे प्यार कर लिया है। पर अब मैं आपसे कुछ नहीं चाहती। बस इतना कि एक बार आप सुन लो…”
रूद्र की आंखें चौड़ी हो गईं। उसका दिल जोर से धड़कने लगा। उसने कभी नहीं सोचा था कि अहाना इतनी साफ़गोई से अपने दिल की बात कह देगी। उसकी सांसें अटक गईं।
उस पल रूद्र के अंदर का सारा
गुस्सा, सारी ईर्ष्या और बेबसी उमड़ पड़ी। वह कुछ कह नहीं पाया, बस अहाना की आंखों में झांकता रह गया।
To be continued…
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