
Canada,,
In the car,,
परी का दिल इस वक्त जोर-जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अभी-अभी उसने अखिल से पूछा था कि वह यहां क्या करने आया है और अब तो उसने उसे छोड़ ही दिया था। वहीं अखिल ने उसके चेहरे को अपने हाथों में भरकर उसकी आंखों में देखते हुए बड़े प्यार से कहा—
अखिल: "गांड मरवाने… मरोगी मेरी गांड…"
जैसे ही अखिल ने यह शब्द कहे, परी की आंखें हैरत से फैल गईं। उसने कभी भी अखिल को इस लैंग्वेज का इस्तेमाल करते नहीं देखा था और आज उसके मुंह से ऐसी बातें सुनकर परी को कुछ-कुछ हो रहा था। एक पल के लिए उसे हंसी तो आई, पर उसने अपने गुस्से को सहारा बनाकर उसके हाथ झटकते हुए कहा—
परी: "यहां कोई मजाक चल रहा है जो ऐसी वाहियात बातें तुम कर रहे हो? वापस इंडिया चले जाओ। मैं तुम्हें अपनी बंदिशों में अब नहीं रखना चाहती। भर गया मेरा मन। मैंने सिर्फ तुम्हें अपने साथ सेक्स करने के लिए रखा था और कुछ नहीं। तुम सिर्फ मेरे सेक्स पार्टनर थे।"
जैसे ही परी ने यह बात कही तो अखिल को अपने सीने में कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ। एक पल के लिए उसकी दिल की धड़कन जैसे स्किप हो गई, पर अगले ही पल उसने खुद को कंट्रोल किया। कहीं ना कहीं वह जानता था कि परी यह बात दिल से नहीं बोल रही है। उसने अब परी का चेहरा दोबारा अपने हाथों में भरा और उसकी आंखों में देखकर बोला—
अखिल: "यही बात मेरी आंखों में देखकर कहो कि तुम सिर्फ मुझे अपना सेक्स पार्टनर मानती हो।"
अखिल की ऐसी बातों से परी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। न चाहते हुए भी उसने अखिल का हाथ झटकते हुए कहा—
परी: "तुम्हें समझ में नहीं आता है? चले जाओ यहां से। मैं नहीं चाहती कि अब तुम मेरे साथ रहो। मेरा मन भर चुका है तुमसे। समझते क्यों नहीं?"
तभी अखिल ने उसके हाथ पकड़े और दोनों हाथों को पीछे की तरफ मोड़कर एक हाथ से पकड़ लिया। उसकी कमर से लगाते हुए, दूसरा हाथ उसके सिर के पीछे रखा और उसकी आंखों में देखते हुए कहा—
अखिल: "पर मेरा मन अभी तुमसे नहीं भरा है… और अब शायद कभी भरेगा भी नहीं।"
उसकी बात पर परी का दिल जोर से धड़क उठा। इस वक्त दोनों के चेहरे इतने करीब थे कि उनके होंठ बस टकरा रहे थे, पर किस नहीं हो रही थी। दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं।
अखिल उसकी आंखों में देखते हुए बोला—
अखिल: "भूल जाओ कि अब मैं यहां से वापस जाऊंगा।"
जैसे ही अखिल ने इतनी बात कही, परी उसकी आंखों में देखकर दांत पीसते हुए बोली—
परी: "तो मारो मेरी गांड! फिर कर क्या रहे हो यहां पर?"
उसकी बात पर अखिल के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई। वह परी की आंखों में देखते हुए बोला—
अखिल: "वैसे आइडिया बुरा नहीं है। आज क्यों ना यही ट्राई किया जाए? बाकी की तो बहुत सी पोज़िशन तुम मुझे दिखा चुकी हो… अब एक पोज़िशन मैं ट्राई करूं।"
जैसे ही अखिल ने यह बात कही, परी का दिल मानो रुक सा गया। उसकी आवाज गले में अटक गई, आंखें हैरत से फैल गईं। वह अखिल को दांत पीसकर बोली—
परी: "अपनी बकवास बंद करो। चले जाओ यहां से। कह रही हूं चले जाओ। अभी भी वक्त है, क्यों मेरी बंदिशों में बंधना चाहते हो?"
जैसे ही परी ने यह कहा, अगले ही पल अखिल ने उसके सिर के पीछे दबाव बनाया और दोनों के होंठ आपस में मिल गए। अखिल पैशनेटली परी को किस करने लगा। परी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और उसकी आंखें हैरत से फैल गईं।
कार का पार्टीशन पहले ही ऑन था, जिस वजह से अखिल को बिल्कुल भी अनकंफर्टेबल फील नहीं हो रहा था। दोनों के स्मूच की आवाज कार में गूंज रही थी। वहीं परी, अखिल को कोई भी रिस्पांस नहीं दे रही थी। अखिल अपने आप ही परी को पैशनेटली किस कर रहा था और उस पर हावी हो रहा था।
परी एकटक अखिल के चेहरे को देख रही थी, जिसकी आंखें पूरी तरह बंद थीं। अखिल को इस तरह देख, एक पल के लिए परी की आंखें नम हो गईं। न चाहते हुए भी उसकी आंखें खुद-ब-खुद बंद होने लगीं और धीरे-धीरे परी भी अखिल को रिस्पांस देने लगी।
ऐसे ही किस करते हुए अखिल के हाथ उसके टॉप पर चले गए और अगले ही पल वहां कुछ फटने की आवाज आई। परी की आंखें बड़ी हो गईं। अखिल अब उसकी आंखों में देख रहा था और उसका रिएक्शन देखकर उसके चेहरे पर डेविल्स स्माइल आ गई। परी की आंखों में देखते हुए उसने एक आंख मार दी।
अखिल का यह रूप देखकर परी को झटका लगा। उसे अपने पेट में बटरफ्लाई उड़ती हुई महसूस हुई। अखिल ने उसका क्रॉप टॉप फाड़कर एक साइड पर फेंक दिया। अब परी जींस और ब्लैक ब्रा में उसके सामने थी।
वह ब्लैक ब्रा परी के शरीर पर बेहद खूबसूरत लग रही थी। ऊपर से परी के वो उभरे हुए 34 साइज के बूब्स, अखिल को पागल कर रहे थे। परी के बूब्स अब काफ़ी हद तक बड़े हो चुके थे, जो कि अखिल की ही मेहनत का नतीजा था।
अखिल ने अब अपने होंठ पीछे किए और परी की आंखों में देखते हुए बोला—
अखिल: "मुझे सेक्स करना है… अभी के अभी।"उसकी बातो से आज ऐसा लग रहा था। जैसे उसमें पारी की आत्मा घुस गई हो,,,,
जैसे ही अखिल ने यह बात कही, परी के रोंगटे खड़े हो गए। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह उसकी आंखों में देखकर एक पल के लिए उसमें खो सी गई, पर अगले ही पल उसने सिर झटकते हुए बोला—
परी: "कहीं भांग तो नहीं खाए हो इंडिया से?"
अखिल: "भांग तो नहीं खा कर आया हूं, पर आज तुम्हारी चूत का सफेद गीला-गीला भांग खाने का मन कर रहा है… और तुम्हें अपनी लौड़े का भांग खिलाना है।"
अखिल की बात पर परी की बॉडी में करंट दौड़ गया। उसे सच में लग रहा था कि अखिल आया ही उसके होश उड़ाने के लिए था। अगले ही पल परी ने उसे धक्का दिया और उसकी आंखों में देखकर बोली—
परी: "बकवास बंद करो! जैसे ही किंगडम पहुंचोगे मैं तुम्हारे इंडिया वापस जाने का इंतज़ाम कर दूंगी।"
इतना कहकर परी दोबारा से खिड़की की ओर देखने लगी। उसकी आंखों में दोबारा नमी थी। कुछ तो था उसके मन में, जो चल रहा था… और इस बात से अखिल बिल्कुल अनजान था।
परी की पीठ अब अखिल की तरफ थी। उसकी ब्रा की हुक देखकर अखिल को कुछ-कुछ हुआ और अगले ही पल उसने उसकी ब्रा पीछे से खोल दी। यह महसूस कर परी का दिल जैसे रुक गया। उसने तुरंत चेहरा घुमाया, जिस वजह से उसके बूब्स हल्के-हल्के बाउंस करने लगे। अगले ही पल ब्रा उसके बदन से खिसककर नीचे गिर गई और उसके परफेक्ट साइज बूब्स बाहर आ गए।
वो बाउंसी बूब्स देखकर अखिल को अपने डिक में सेंसेशन महसूस हुआ। उसका गला सूखने लगा। वहीं परी उसे घूरते हुए देख रही थी।
अखिल (हंसते हुए): "क्या… ज्यादा घूर मत, इन दूदूओं पर मैंने ही मेहनत की है। और अब ये मेरे हैं, समझ में आई बात?"
इतना कहकर उसने परी के बूब्स को अपने हाथों में भर लिया और हल्के-हल्के प्रेस करने लगा। वहीं परी तो बस हैरानी से अखिल के एक्सप्रेशन और एक्शन नोटिस कर रही थी—आखिर आज अखिल को हुआ क्या है?
तभी अखिल ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा—
अखिल: "तुम एक चीज दिखाओ।"
जैसे ही अखिल ने यह कहा, परी के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन आ गए। अगले ही पल अखिल ने उसका हाथ पकड़ा, अपनी ज़िप खोलकर डिक बाहर निकाली और उसके हाथ पर रखते हुए बोला—
अखिल: "मुझे ना इसमें बड़ी दर्द हो रही है।"
जैसे ही उसने यह कहा, परी की आंखें हैरत से फैल गईं। उसका मुंह खुला का खुला रह गया। अखिल उसकी आंखों में देखते हुए बोला—
अखिल: "आज मेरा लौड़ा चूस दो ना…"
अखिल की बात सुनकर परी ने अपने सिर पर हाथ रख लिया और अगले ही पल उसने सिर पीछे गाड़ी की रेस्ट पर टिका लिया। वहीं अखिल तो जैसे आज परी के मजे ही लेने आया था।
उसने अब बिना देरी किए परी की टांगों को पकड़ा, जो सीट के नीचे लटक रही थीं। उसने अब टांगों को दूसरी तरफ किया, सीट पर लिटाया और अगले ही पल अपना डिक उसके मुंह के ऊपर रखा। अपने हाथों से उसका मुंह खोलकर डिक पूरी तरह उसके मुंह के अंदर डाल दिया।
वहीं परी को तो अब संभलने का मौका भी नहीं मिला। उसकी सांसें गले में अटक गईं। आंखें
बाहर आने को हो रही थीं। उसका दिल जैसे धड़कने से इनकार कर रहा था।
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To be continue…..
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