
1 महीने बाद...
Shekhawat Palace,
AK room
काजल इस वक्त गहरी नींद में सो रही थी। वहीं AS अपनी जगह से गायब था।
दूसरी तरफ शेखावत फ़ार्महाउस में…
AS बालकनी में खड़ा बाहर की तरफ देख रहा था। उसकी आंखें बिल्कुल खाली थीं। उसकी आंखों के सामने एक महीने पहले का सफर चल रहा था––जहाँ दो दिन तक AS अपनी बेटी को लेकर हर हॉस्पिटल के दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा था। यह पहली बार था कि पैसा होने के बावजूद भी वह अपनी बेटी का इलाज नहीं करवा पा रहा था।
उसे याद करते ही उसकी आंखों में गहरी लाली छा गई।
अगले ही पल वह अंदर आया और सामने एक छोटा सा वेंटिलेटर मशीन जिसमें हल्की-हल्की रोशनी चल रही थी, उसमें उसकी बेटी अभी भी लेटी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बेटी गहरी नींद में सो रही हो।
AS अब उसके पास आकर खड़ा हुआ और उसकी तरफ देखते हुए बोला –
“बहुत जल्द मेरी बच्ची ठीक हो जाएगी… मेरी एंजेल, सूफ़ियाना।”
इतना कहते हुए AS की आंखों में नमी छा गई और वह फिर से उसी दिन की यादों में खो गया।
उस दिन डॉक्टर ने बहुत कोशिशों के बावजूद भी AS की बेटी की हार्टबीट नॉर्मल नहीं करवाई थी। डॉक्टर ने कई टेस्ट किए, जिससे पता चला कि बॉडी में एक टॉक्सिक लेयर का इंजेक्शन इंजेक्ट किया गया था। यह एक तरह का ड्रग था जो पूरी तरह से उसकी बॉडी में फैल चुका था।
इसका एक एंटीडोट था, पर वह किसी भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं था क्योंकि यह ड्रग बाहर से मंगवाया गया था। उस दिन AS ने हर जगह, हर डॉक्टर के पास जाकर कोशिश की, लेकिन उसे कोई फायदा नहीं हुआ––एंटीडोट कहीं नहीं मिला।
उसके बाद AS की आंखें बंद होते ही रवि का चेहरा सामने आ गया।
और उसी रात AS ने रवि को पकड़कर फ़ार्महाउस के बेसमेंट में बंद कर दिया। रवि को बैठाया भी नॉर्मल तरीके से नहीं था––वह कीलों के ऊपर बैठा हुआ था, जो हर पल उसके शरीर को चीर रही थीं।
अब एक महीना बीत चुका था, पर रवि ने अपना मुंह खोलने से इनकार कर दिया था।
AS ने उसे पकड़कर अपने पास रखा हुआ था ताकि उस ड्रग्स के एंटीडोट का पता लगा सके। सूफ़ियाना अब भी उसी ड्रग्स के असर में बेहोश थी। यह एक हाई-लेवल ड्रग था, जो उसकी पूरी बॉडी में फैल चुका था। जब तक इसका एंटीडोट नहीं मिलता, सूफ़ियाना को होश नहीं आने वाला था। यही बात हर पल AS को तोड़ती थी।
AS ने यह सच काजल से भी छुपा रखा था। उसने सबसे यही कहा था कि सूफ़ियाना का इलाज कनाडा में हो रहा है और वह जल्दी ठीक होकर वापस आ जाएगी।
सूफ़ियाना की दादी फ़ार्महाउस में रहकर उसकी देखभाल कर रही थीं। भले ही सूफ़ियाना होश में नहीं थी, लेकिन दादी उसका पूरा ध्यान रखती थीं।
AS की आंखों में नमी तैर रही थी। तभी कमरे में कल्याणी जी आईं और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोलीं –
“कब तक काजल से छुपाकर रखोगे? कितना तड़प रही है वो सूफ़ियाना के बिना… हर पल वह मरती है। मैंने उसकी आंखों में देखा है––वह कहती कुछ नहीं, बस घुटती रहती है।”
कल्याणी जी की बात पर AS का दिल तड़प उठा। उसने अपनी आंखें कसकर बंद कर लीं और हाथ की मुट्ठियां भींच लीं। अगले ही पल खुद को कंट्रोल करके उसने आंखें खोलीं––उसकी आंखों में अब अंगारे जल रहे थे।
यह गुस्सा आज फिर से रवि पर निकलने वाला था। पिछले एक महीने से AS रवि को लगातार टॉर्चर कर रहा था। रवि के पास हर वक्त एक कसाई रहता था, जो उसकी बॉडी पर छोटे-छोटे कट लगाता था ताकि वह हर पल तड़पता रहे।
AS गुस्से में बेसमेंट की तरफ बढ़ा। उसने साइड टेबल पर रखी डॉक्टर की सिज़ेरियन किट उठाई, उसमें से एक सर्जिकल नाइफ़ निकाली और अगले ही पल रवि का कान काट दिया। बेसमेंट में दर्द भरी चीख गूंज उठी।
AS ने सर्द नज़रों से देखते हुए कहा –
“अगर तुमने आज भी एंटीडोट नहीं दिया तो याद रखना––अभी तो सिर्फ कान काटा है, अगली बार तुम्हारा सीधा प्राइवेट पार्ट कटेगा।”
उसकी बात पर रवि जोर से हंसा और बोला –
“मैं जानता हूं… अगर एक बार तुम्हें एंटीडोट का पता चल गया तो तुम मुझे जिंदा नहीं छोड़ोगे। तो इससे बेहतर है कि मैं एंटीडोट दूं ही ना… वैसे भी तुम्हें तड़पते हुए देखना मुझे मज़ा देता है। तुम तो मुझे बस इन हथियारों से जख्मी कर रहे हो… पर मैं तुम्हें अंदर ही अंदर
खा रहा हूं…”
इतना कहकर रवि ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा।
“हा हा हा… ये तेरा गुस्सा, तेरी लाचारी… यही तो मेरी जीत है, AS। तू मुझे जितना काटेगा, मैं उतना मज़ा लूंगा। तू सोचता है कि दर्द मुझे हो रहा है? नहीं… असली दर्द तो तुझे हो रहा है, जब तू अपनी बेटी को आंखों के सामने तड़पते हुए देखता है। मैं चाहता हूं कि तू ऐसे ही हर पल टूटे… हर सांस में जले। और जहां तक एंटीडोट की बात है… तो सुन ले, मैं मर जाऊंगा पर तुझे कभी नहीं दूंगा।”
AS ने उसका बाल पकड़कर सिर पीछे झटका और उसकी आंखों में आग भरते हुए कहा –
“मत भूल रवि… तू एक बाप की मजबूरी से खेल रहा है। और जब एक बाप की मजबूरी उसके गुस्से में बदलती है, तो वह राक्षस बन जाता है। तू मुझे रोक नहीं पाएगा। मैं तुझे ऐसे टुकड़े-टुकड़े करूंगा कि तेरी रूह भी डर के मारे कांप उठेगी। तूने मेरी बेटी को जहर दिया है… अब मैं तुझे जहर बना दूँगा… ज़िंदा, मगर हर सांस मौत से भी बदतर।”
रवि ज़ोर से हंसा, उसकी हंसी बेसमेंट की दीवारों पर गूंज उठी। उसने हंसते-हंसते खून थूका और बोला –
“मार दे मुझे… टुकड़े-टुकड़े कर दे। पर याद रख, जब तक मैं बोलूं नहीं, तेरी बेटी उस वेंटिलेटर से उठ नहीं पाएगी। और तुझे तड़पते हुए देखना ही मेरी सबसे बड़ी जीत है। तू सोचता है कि तुझे मुझे दर्द दे रहा है… पर असली खेल तो मैं खेल रहा हूं––तेरे दिल के साथ।”
AS की आंखों में इस बार सिर्फ खून था। उसने चाकू हवा में घुमाया और रवि के सामने झुककर धीमी मगर खतरनाक आवाज़ में कहा –
“आज तू चीखा है… कल तू दया की भीख मांगेगा। और जिस दिन तू टूटेगा ना रवि, उस दिन मैं तुझसे एंटीडोट छीनकर अपनी बेटी की जान बचाऊँगा… और फिर तुझे उस हालत में छोड़ दूँगा कि मौत भी तुझसे नफरत करेगी।”
बेसमेंट में चीखों और हंसी का संगम गूंज रहा था––एक बाप का गुस्सा और एक दुश्मन की शैतानी।
To be continue......
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