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Khatra

Shekhawat palace,,

Ananya's room,,

दिव्यांश इस वक्त अनन्या से दूर होने की कोशिश कर रहा था पर अनन्या उसे अपने करीब आने पर मजबूर कर रही थी। दिव्यांश का दिल इस वक्त जोर-जोरों से धक-धक कर रहा था,, पर जब ज्यादा देर वह खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया तो अब वह अनन्या के ऊपर झुकने लगा,, इस वक्त अनन्या पूरी तरह से नेकेड थी।। अनन्या का भी दिल जोरो जोरो से ढक-ढक कर रहा था। दिव्यांश अब अन्य के ऊपर झुका और धीरे-धीरे अपने होंठ उसके गले पर चलने लगा वहीं अनन्या ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली और उसके हाथ बेडशीट पर कस गए थे।

दिव्यांश अब अन्य के गले पर किस करते हुए उसके क्लीवेज तक आकर अपने होठों में भरकर धीरे-धीरे उसे शक करने लगा और उसके हाथ अब अनन्या के बदन पर चलने लगे थे,,, दिव्यांश का स्पर्श अपने बदन पर प्रकार अनन्या के रोंगटे खड़े हो रहे थे यह एहसास कभी उसे रवि के साथ नहीं हुए थे जो एहसास दिव्यांश के साथ आज वह पहली बार महसूस कर रही थी,,

धीरे-धीरे कर दिव्यांश ने उसके पूरे जिस्म को चूमना शुरू कर दिया,, और जिस को चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगा पर अगले ही पर अन्य ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे ना में सिर हिला दिया पर दिव्यांश ने अनन्या का हाथ पीछे कर अगले ही पल अपने होंठ अन्य की,, pussy पर रख दिए,, जिससे अगले ही पल अनन्या बुरी तरह से तड़पती उसकी बॉडी पूरी तरह से शिवर करने लगी थी,,

दिव्यांश ने अब अनन्या की pussy को शक करना शुरू किया। धीरे-धीरे कर दोनों के शरीर एक होने वाले थे । धीरे-धीरे कर दिव्यांशी के कपड़े भी वहां जमीन पर बिखरने लगे।अनन्या बढ़ते पाल के साथ अब उसे धीरे-धीरे रिस्पांस दे रही थी वही दिव्यांश अब अन्य के ऊपर जाकर उसके होठों से होंठ जोड़कर उसे शिद्दत से चूमने लगा,, और तभी अन्य के माथे पर हल्की सी शिकन आई,, क्योंकि दिव्यांश अन्य के अंदर इंटर हो चुका था। बढ़ते पाल के साथ उनकी सांसों का शोर पूरे कमरे में गूंज रहा था,,,

जहां एक तरफ दो दिल एक हो रहे थे वहीं दूसरी तरफ,,

सिटी हॉस्पिटल,,

काजल का वार्ड

AS की ज़ोरदार आवाज़ से पूरा हॉस्पिटल हिल गया था। जिस इंसान की आवाज़ हमेशा धीमी, रौबदार और काबू में रहती थी, उसका इस तरह टूट जाना सबके होश उड़ा चुका था।

AS अपनी नन्हीं बेटी को अपनी गोद में कस कर पकड़े हुए था। उसका मासूम चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था, होंठ नीले हो रहे थे और मुंह से झाग लगातार निकल रहा था। उसकी आंखें आधी खुली और आधी बंद थीं।

“डॉक्टर!!!! कोई मेरी बेटी को बचाओ वरना ये अस्पताल मैं जला दूँगा!!!”

AS की गूंजती आवाज़ ने पूरे कॉरिडोर में दहशत फैला दी।

बाहर खड़ा अमीर हैरान था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि AS की आवाज़ में इतना दर्द और इतना ज़हर एक साथ हो सकता है। अमीर ने दरवाज़ा पकड़कर झाँकने की कोशिश की मगर सामने का नज़ारा देख उसका दिल काँप गया।

डॉक्टर और नर्स भागते हुए कमरे में घुसे। किसी ने तुरंत ऑक्सीजन लगाया, किसी ने इंजेक्शन तैयार किया। मगर किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो AS के सामने बोल भी पाए।

AS की आंखें खून की तरह लाल हो रही थीं।

उसकी बेटी का हर झटका जैसे उसकी रगों में आग लगा रहा था।

“क्या कर रहे हो तुम सब??? तुम सब पढ़े-लिखे कसाई हो क्या??? अगर मेरी बेटी को कुछ हुआ… तो ये पूरा हॉस्पिटल… पूरा हॉस्पिटल मैं खून से रंग दूँगा!!!”

AS ने जोर से गरजते हुए पास खड़े डॉक्टर की कॉलर पकड़ ली। डॉक्टर का चेहरा सफेद पड़ गया।

“स…सर… हम पूरी कोशिश कर रहे हैं…”

“कोशिश?? कोशिश शब्द मत बोलो मेरे सामने!! अगर उसे कुछ हुआ… तो सबसे पहले तुम्हारी जान जाएगी!!”

AS ने उसे ज़ोर से धक्का देकर दूर फेंक दिया। डॉक्टर दीवार से टकराकर नीचे गिर पड़ा।

कमरे के बाहर खड़े सारे नर्स, कंपाउंडर और बाकी मरीजों के परिजन सहमे हुए थे। किसी की हिम्मत नहीं थी कि अंदर जाए।

बेटी की हल्की-सी कराह ने AS को फिर से तोड़ दिया। उसने उसे सीने से लगाया और धीरे से उसके माथे को चूमा।

“पापा यहाँ हैं… तुम कुछ नहीं होने दूँगा… मेरी बच्ची… तुम मेरी जान हो…”

AS की आवाज़ इस बार कांप रही थी।

डॉक्टर ने धीरे-धीरे IV ड्रिप लगाई और इंजेक्शन देने की कोशिश की। मगर AS की नज़र हर हरकत पर थी।

“ध्यान से!! एक भी सुई गलत गई तो तुम्हारी हाथ काट दूँगा!!!”

पूरा हॉस्पिटल इस वक्त खामोश था। गार्ड भी कमरे के बाहर से अंदर झाँकने की हिम्मत नहीं कर रहे थे।

AS के गुस्से की दहाड़ और उसकी बेटी की ज़िंदगी के बीच की ये जंग अब सबकी धड़कनों पर भारी थी।

डॉक्टर मशीनों को एडजस्ट कर रहे थे, इंजेक्शन देकर झाग रोकने की कोशिश कर रहे थे, मगर बच्ची की साँसें अभी भी अनियमित थीं।

AS घुटनों के बल जमीन पर बैठा, बेटी को गोद में लिए भगवान की मूर्ति की तरफ देखने लगा जो वार्ड के कोने में लगी थी।

उसकी आंखें भीग गईं, मगर गुस्सा ज़रा भी कम नहीं हुआ।

“अगर मेरी बेटी की सांसें थमीं… तो तुम सबकी सांसें भी मैं खींच लूंगा…”

उसकी कसमसाती आवाज़ में एक बाप का दर्द और एक शेर का गुस्सा दोनों एक साथ थे।

डॉक्टर पसीने-पसीने हो चुके थे। हर पल लग रहा था कि बच्ची की जान किसी धागे से लटकी है। मशीन की बीप… धीमी और तेज़ हो रही थी।

बेटी की जान अब भी खतरे में थी… और पूरा हॉस्पिटल इस डर में कि अगर उसकी सांसें रुक गईं… तो बाहर सिर्फ मातम बचेगा।

तभी वेंटीलेटर पर तेज बीप की आवाज आई जिससे AS के कदम डगमगा गए,,

To be continue......

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