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Naya khatra

Shekhawat palace,,

Ananya's room,,

कमरे में हल्की-हल्की रोशनी थी। खिड़की से आती ठंडी हवा के झोंके परदे हिलाकर मानो माहौल को और भी गहराई दे रहे थे। अनन्या इस वक्त दिव्यांश का हाथ कसकर थामे हुए थी। उसकी उंगलियों की कसावट से साफ झलक रहा था कि वह उसे खोने से डर रही है। उसकी नज़रें दिव्यांश की आंखों में अटकी हुई थीं, जैसे उन आंखों में उसे पहली बार चैन मिला हो।

वहीं दिव्यांश भी उसे बिना पलक झपकाए देख रहा था। उसके दिल की धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि मानो कमरे की खामोशी में भी उनकी गूंज सुनाई दे रही हो। यह वही दिव्यांश था, जिसने अपने दिल को बरसों से बर्फ की तरह जमा लिया था, मगर इस पल अनन्या की एक नज़र ने उसकी सारी दीवारें ढहा दी थीं।

जब अनन्या ने धीमी, मगर कांपती आवाज़ में अपने दिल की बात कही तो दिव्यांश सचमुच कुछ पल के लिए सांस लेना ही भूल गया। उसकी आंखों में हल्का सा सन्नाटा और होठों पर दबी हुई बेचैनी साफ झलक रही थी। उसने खुद को संभालते हुए धीमे से कहा—

“अनन्या जी… अभी आप होश में नहीं हैं। अगर आप होश में होतीं तो कभी ऐसी बातें नहीं कहतीं।”

लेकिन उसकी बात पर अनन्या ने हल्की सी हंसी हंसी, जो दर्द और व्यंग्य दोनों का मेल थी। उसकी आंखों में आंसू तैर रहे थे, मगर उन आंसुओं के बीच अब एक अजीब सी दृढ़ता भी चमक रही थी।

“होश में तो मैं पहले कभी थी ही नहीं, दिव्यांश,” उसने धीमी आवाज़ में कहा, “मैंने सालों तक उस दरिंदे को अपना समझा… उसे अपने दिल में जगह दी, जिसने मेरी रूह तक को तोड़ दिया। मैं बिखर गई थी, मगर फिर भी उसे ही अपना मानती रही। अब जाकर होश आया है कि वो सिर्फ एक दरिंदा था… और तुम, तुम ही वो इंसान हो जो मेरी टूटी हुई रूह को जोड़ सकता है।”

उसकी हर बात दिव्यांश के दिल को चीर रही थी। अनन्या ने कांपते हुए अपने दोनों हाथ दिव्यांश के गालों पर रख दिए। उसकी उंगलियां हल्के से उसकी त्वचा को छूते ही दिव्यांश के बदन में जैसे बिजली सी दौड़ गई।

“I want you, Divyansh…” अनन्या ने इतनी मजबूती से कहा कि इस बार उसके लहजे में कोई झिझक नहीं थी।

दिव्यांश का दिल जैसे एक पल रुक गया हो। उसकी सांसें भारी हो गईं। उसकी आंखें अनन्या की आंखों में गहराई तक उतर गईं, मानो वहां उसकी सच्चाई पढ़ना चाह रहा हो। उनके बीच की नज़दीकियां इस कदर बढ़ चुकी थीं कि अब दूरी का कोई मतलब ही नहीं रह गया था।

दिव्यांश के हाथ अनायास ही अनन्या की कमर तक पहुंच गए। उसकी उंगलियां उसकी रेशमी साड़ी के कपड़े पर हल्के से जकड़ गईं। वहीं अनन्या उसके सीने पर अपना चेहरा टिकाकर मानो सारी दुनिया से राहत पा रही थी। उसके बाल दिव्यांश के गले में उलझ गए, और उनकी सांसें एक-दूसरे की रूह को छू रही थीं।

कमरे में खामोशी थी, सिर्फ धड़कनों का संगीत गूंज रहा था।

वहीं दूसरी तरफ,,

City hospital,,

दरवाजा जैसे ही AS ने खोला, उसके कदम वहीं थम गए।

नर्स का हाथ काजल की नस के बेहद करीब था। इंजेक्शन की नुकीली सुई चमक रही थी। बस एक धक्का और ज़िंदगी खत्म।

AS की आंखों में आग भर उठी। उसकी सांसें इतनी तेज़ थीं कि पूरे कमरे का माहौल कांप गया।

“रुक जा…” उसकी दहाड़ से पूरा कमरा गूंज उठा।

नर्स ने चौंककर उसकी तरफ देखा। पर उसकी आंखों में ज़रा भी डर नहीं था। वह मुस्कुराई, जैसे उसे पहले से पता था कि AS आएगा।

“आ गए… लेकिन बहुत देर से।” उसने इंजेक्शन और जोर से काजल की नस पर दबाया।

AS का खून उबाल मार गया। बिजली-सी तेजी से उसने एक फूलदान उठाया और नर्स के हाथ पर दे मारा। इंजेक्शन हवा में उछल गया और जमीन पर गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो गया।

नर्स चीखी, मगर अगले ही पल उसकी आंखें और खतरनाक हो उठीं। उसने पास रखा स्केलपल उठाया और बच्ची की तरफ बढ़ गई।

“एक कदम भी आगे आया तो तेरी बेटी…”

AS की सांस अटक गई। उसकी रगों में खून आग की तरह दौड़ रहा था। उसका बदन पसीने से भीग गया।

वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा। उसकी आंखें नर्स की आंखों में गड़ी थीं।

“अगर मेरी बेटी को हाथ लगाया… तो मौत तुझे भी नहीं पहचान पाएगी।” उसकी आवाज़ इतनी ठंडी थी कि कमरे का तापमान गिर गया।

नर्स ने पागलों की तरह हंसते हुए जवाब दिया—

“तेरे जैसे बाप बहुत देखे हैं मैंने… जान दे दी, मगर औलाद को बचा न पाए। देख, तेरे सामने तेरी औरत और तेरी बच्ची तड़प-तड़पकर…”

उसकी बात अधूरी रह गई—

AS ने मेज़ पर रखा मेटल स्टैंड बिजली-सी तेजी से खींचा और उसे घुमा कर नर्स के हाथ पर दे मारा। स्केलपल उसकी पकड़ से छूट गया।

नर्स दर्द से चीखी, पर अगले ही पल उसने अपनी पूरी ताकत से AS पर हमला कर दिया। दोनों के बीच खून-खराबे वाली जंग छिड़ गई।

कभी नर्स उसके चेहरे पर वार करती, कभी AS उसका गला दबाता। कमरे की दीवारें उनकी टक्कर की आवाज़ों से गूंज रही थीं।

बिस्तर पर काजल अब भी बेहोश थी। बच्ची नींद से चौंककर रो पड़ी।

उसकी चीख ने AS का दिमाग सुन्न कर दिया। उसके अंदर का जानवर बाहर आ चुका था। उसने नर्स का हाथ मरोड़ा और उसे इतनी जोर से दीवार पर पटका कि शीशा चटक गया। खून की छींटें दीवार पर गिर गईं।

नर्स हांफते हुए उठी। उसकी आंखों में अब भी शैतानी चमक थी।

“खेल तो अब शुरू होगा, AS… अभी तो तूने मुझे रोका है… लेकिन लेकिन उसे कैसे रोके गा,,, जो तेरी औरत और बच्ची के लिए खड़ हैं। तू चाहे जितना भाग ले… मौत उनके पीछे-पीछे जाएगी।”

AS की आंखें खून से लाल हो गईं। वह आगे बढ़ा, नर्स का गला पकड़कर उसे दीवार पर टिका दिया। उसे लगा नर्स रवि की बात कर रही है। पर वो नहीं जनता था कि एक नई मुसीबत अब उनका इंतजार कर रही है। वो नर्स का गला दबाते हुए,,

“तूने मेरी रैबिट और मेरी बेटी की तरफ आंख उठाई,,, तू सिर्फ अपनी चिंता कर… अब तेरा खेल खत्म।”

उसकी पकड़ इतनी कस गई कि नर्स की चीख दब गई। उसकी आंखें फैल गईं, सांस अटक गई।

AS ने उसकी जान निकालते हुए ठंडी आवाज़ में कहा—

“तेरा खेल यहां खत्म… और मेरा अब शुरू होगा।”

नर्स का शरीर ढीला पड़ गया। वह जमीन पर गिर गई।

AS हांफ रहा था, उसका सीना जोर-जोर से उठ-गिर रहा था। उसकी हथेलियां खून से भीगी थीं।

वह तुरंत काजल और बच्ची की तरफ भागा। बच्ची को अपनी गोद में लिया और काजल का माथा चूमा।

उसकी आंखों में आंसू थे।

“मैं आ गया हूं… अब तुम् दोनों को कुछ नहीं होगा।”अभी वो बोल ही रहा था के तभी उसकी नजर अपनी बच्ची पर गई तो,,AS का दिल धक सा रह गया,,,,,

To be continue......

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