
Shekhawat Palace
Ananya’s room
गर्म पानी की भाप से पूरा कमरा धुंधला-धुंधला लग रहा था। दिव्यांश अनन्या के जिस्म पर धीरे-धीरे पानी गिरा रहा था। पानी की हर बूंद जैसे उसके जले, टूटे, और नीले पड़े बदन को सुकून दे रही थी। अनन्या पूरी तरह दिव्यांश के सामने नेकेड थी, पर इस वक्त उसके चेहरे पर कोई शर्म नहीं, सिर्फ दर्द और टूटन थी।
दिव्यांश की आंखें लगातार अनन्या के चेहरे पर टिकी थीं। उसने एक बार भी उसके जिस्म की तरफ नहीं देखा, पर उसके हाथ अनजाने में कांप रहे थे, क्योंकि वह हर नीले निशान को अपने अंदर महसूस कर रहा था।
अनन्या के होंठ सूखे हुए थे। उसकी सांसें टूटी-टूटी निकल रही थीं। दिव्यांश ने उसके गीले बालों को धीरे से पीछे किया और उसकी आंखों में झांका।
20–25 मिनट तक वह उसकी बॉडी को गरम पानी से हीट देता रहा, ताकि उसके टूटे हुए मांसपेशियों को कुछ राहत मिल सके। फिर उसने अनन्या को अपनी गोद में उठाया। पानी की बूंदें अब भी अनन्या के बदन से बह रही थीं, पर उसे इस नेकेड होने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसकी आंखें अब भी सीलिंग पर जमी थीं, जैसे वह सब कुछ देख ही नहीं रही हो।
दिव्यांश ने उसे धीरे से बेड पर लिटाया। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे, क्योंकि अनन्या की हालत देखकर उसका दिल भीतर से टूट रहा था। उसने वार्डरोब से कपड़े निकाले और अनन्या की तरफ बढ़ा।
तभी… अनन्या की आंखें धीरे-धीरे पलकें झपकाकर उसकी तरफ उठीं। उसने पहली बार दिव्यांश की आंखों में सीधा देखा। उसकी आवाज बेहद कमजोर थी, पर उन तीन शब्दों ने जैसे दिव्यांश की आत्मा को हिला दिया—
“I want you…”
दिव्यांश वहीं ठिठक गया। उसकी सांस अटक गई।
अनन्या ने फुसफुसाते हुए दोबारा कहा—
“I want to be with you… I want you inside me.”
दिव्यांश का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसका पूरा बदन सख्त हो गया। उसने अनन्या के चेहरे को देखा, वहां किसी मजबूरी या दर्द की जगह एक अजीब-सी तड़प थी।
“अनन्या…” दिव्यांश ने धीमे से कहा, “तुम इस हालत में हो… तुम्हें आराम चाहिए…”
पर अनन्या ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया। उसकी आंखों में आंसू तैर रहे थे, पर होंठों पर अजीब सी जिद थी।
“मुझे बस तुम्हारी जरूरत है, दिव्यांश… इस वक्त सिर्फ तुम्हारी…”
दिव्यांश की आंखें भर आईं। उसकी सांसें तेज हो गईं। वह झुककर उसके माथे को चूमता है। अनन्या ने उसकी गर्दन को पकड़कर कस लिया। उनका शरीर अब बेहद करीब आ चुका था।
कमरे का माहौल अचानक बदल गया। हवा में सिर्फ उनकी सांसों की गूंज थी…
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Fire Villa
अभिषेक का चेहरा पसीने से भीग चुका था। वह घुटनों के बल AS के सामने था। सामने जलती हुई रोड का ताप हवा को चीर रहा था। बॉडीगार्ड ने उसे मोटे कपड़े में पकड़ा हुआ था, पर AS ने बिना झिझके उसे नंगे हाथों से पकड़ लिया। उसके हाथ की चमड़ी जलने की आवाज सुनाई दी। स्मेल हवा में घुल गई, पर AS की आंखें सिर्फ अभिषेक पर टिकी थीं।
“सच बोल… वरना इस जलते रोड से तेरी हड्डियां तोड़ दूंगा,” AS की आवाज बर्फ जैसी ठंडी थी।
अभिषेक की रग-रग कांप रही थी। उसका गला सूख गया। उसने भागने की कोशिश की, पर बॉडीगार्ड ने उसकी गर्दन दबाकर नीचे कर दी।
“मैं बताऊंगा… सब बताऊंगा…” अभिषेक की आवाज कांपते हुए निकली।
AS की आंखें सिकुड़ गईं। “तो बोल।”
“काजल…” अभिषेक हांफते हुए बोला, तुम्हे सारी सच्चाई बताऊंगा पर पहले काजल और अपनी बच्ची को बचाओ “काजल पर हमला होने वाला है… अभी… इसी वक्त… और तुम्हारे बच्चों को हॉस्पिटल से किडनैप करने की प्लानिंग है…”
AS का दिल धक से रह गया। उसकी आंखों में खून उतर आया। उसने गुस्से में रोड जमीन पर फेंकी। उसके हाथ जल चुके थे, छाले उभर आए थे, पर दर्द की परवाह उसे नहीं थी।
“क्या…??” उसकी सांसें तेज हो गईं।
अभिषेक रोते हुए बोला, “सच है… प्लीज मुझ पर यकीन करो…”
AS की आंखों के सामने काजल और अपनी बच्ची का चेहरा घूम गया। उसकी रगों में खून और तेज दौड़ने लगा। वह बिना कुछ कहे बाहर भागा और कार में बैठ गया। उसकी आंखें लाल हो चुकी थीं, दिल तेजी से धड़क रहा था।
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City Hospital – Corridor
नर्स धीरे-धीरे ट्रॉली धकेलते हुए काजल के वार्ड के अंदर घुसी। बाहर बैठे सबको लगा जैसे वह नॉर्मल चेकअप करने आई हो। गार्ड ने भी कुछ नहीं रोका।
अंदर कमरा हल्की नीली रोशनी में डूबा था। मॉनिटर की बीप–बीप की आवाज़ माहौल को और खामोश बना रही थी।
नर्स ने दरवाजा धीरे से बंद किया। जैसे ही उसने अपने चेहरे से मास्क हटाया, उसके होंठों पर एक शैतानी मुस्कान फैल गई। आंखों में अंधेरा चमक रहा था, जैसे कोई दानवी खेल अब शुरू होने वाला हो।
उसने धीरे से ट्रॉली पर रखा सफेद कपड़ा हटाया। नीचे इंजेक्शन की शीशियां सजी थीं। उनमें से एक शीशी में गाढ़ा काला लिक्विड भरा हुआ था।
नर्स ने इंजेक्शन उठाया और सुई पर रोशनी पड़ते ही उसका खतरनाक नुकीला किनारा चमक उठा। उसने इंजेक्शन भरते हुए बुदबुदाया—
“बस एक चुभन… और सब खत्म। तेरी सांसें, तेरी हंसी, तेरे सारे सपने…”
काजल बेहोश थी। उसके चेहरे पर मासूमियत थी, और उसकी गोद में बच्ची मीठी नींद में थी। मासूम की धीमी-धीमी सांसें कमरे में गूंज रही थीं।
नर्स उनकी तरफ बढ़ी। उसकी चाल बेहद धीमी थी, जैसे हर कदम मौत को करीब ला रहा हो। वह काजल के बिस्तर के पास झुकी, उसके चेहरे को गौर से देखा और मुस्कुराई—
“तुझे लगता होगा, अस्पताल में तू सुरक्षित है… लेकिन यहां तेरा कोई भगवान नहीं है। सिर्फ मैं हूँ… और मौत।”
उसने बच्ची की तरफ देखा। एक पल को उसकी आंखों में झिझक उभरी, पर अगले ही सेकंड वह और भी खतरनाक मुस्कान के साथ बोली—
“अगर ये रो पड़ी तो मैं इसे भी चुप कर दूंगी… हमेशा के लिए।”
उसके हाथ कांप भी रहे थे और कस भी रहे थे। उसने इंजेक्शन की सुई से हवा बाहर निकाली। छपक–छपक की आवाज़ गूंज उठी।
अब वह सुई को काजल की नस पर रख चुकी थी। उसकी आंखें चमक रही थीं, जैसे जीत उसके बस एक कदम दूर हो।
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Parking Area – City Hospital
AS की कार जोर से ब्रेक लगाते हुए रुकी। वह पागलों की तरह गाड़ी से उतरा और दौड़ता हुआ अंदर भागा। गार्ड उसे देखकर तुरंत रास्ता छोड़ देते हैं।
उसका सीना धड़क रहा था, जैसे हर सेकंड उसकी जान निकल रही हो।
वह कॉरिडोर में पहुंचा। बाहर सब बैठे थे, पर किसी को शक नहीं था। AS ने दरवाजे पर हाथ रखा और जोर से उसे धक्का देकर खोला।
दरवाजा खुलते ही सामने का नज़ारा देखकर उसकी आंखें फैल गईं—
नर्स इंजेक्शन
उठाए काजल की नसों में घुसाने ही वाली थी…
AS की सांसें अटक गईं…
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To be continued…
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