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Tute dil

Kapoor Villa,

SD room,

सौम्या इस वक्त बेड पर लेटी हुई थी और धानिश्क उसके ऊपर झुका हुआ था। धानिश्क की नज़रें इस वक्त सौम्या पर बेहद intense थीं, वहीँ सौम्या दानिश की नज़र खुद पर पाकर सिहर उठी थी, क्योंकि जिस तरह से धानिश्क उसे देख रहा था, सौम्या को अजीब सा महसूस हो रहा था। हालांकि वह पिछली रात के लिए धानिश्क से बेहद नाराज़ थी, पर फिर भी उसकी नाराज़गी कहीं ना कहीं गायब हो रही थी।

वहीँ धानिश्क कब उसके कान के पास झुका और धीरे से फुसफुसाकर बोला –

“तुम आज मुझे कहीं ना कहीं पागल कर रही हो, लगता है कल रात की पनिशमेंट तुम भूल गई। तुम ऐसे कैसे मुझसे बिना पूछे कमरे से बाहर निकल गई?”

धानिश्क की बात पर एक बार फिर से सौम्या की आंखों के सामने कल रात का नज़ारा घूम गया। रात का मंजर याद कर सौम्या के रोंगटे फिर से खड़े होने लगे और वो अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोली –

“चुप करिए धानिश्क… मुझे आपका वो रवैया बिल्कुल पसंद नहीं आया। हमें दर्द हो रहा था, पर आपको बिल्कुल भी हम पर तरस नहीं आया।”

वहीं धानिश्क का एब्सर्ड आबाद (चेहरा सख्त हो गया) और वो बोला –

**“ऐसा ही दर्द मुझे भी हुआ था, जब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि तुम्हें मुझ पर रत्तीभर भी भरोसा नहीं है। मैं कहता नहीं हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे किसी बात से फर्क नहीं पड़ता। अगर तुम लड़खड़ाती हो तो इसमें नुकसान भी मेरा ही है। अगर क्वीन को किंग पर भरोसा ना हो, तो किंग का साम्राज्य कभी नहीं बच सकता।

और जब मुझे यह पता चला कि तुम्हें मुझ पर भरोसा ही नहीं है तो मैं क्या समझूं? कि तुम्हारा इश्क मेरे लिए झूठा है या फ़रेब? मैं तो तुम्हें छोड़कर जाना चाहता था, पर तुम ही ने मुझे रोका… तुम ही ने कहा कि मैं तुम्हें पनिशमेंट दूं। और तुम… अगर इतना ही था, तो मेरी पनिशमेंट एक्सेप्ट क्यों नहीं की तुमने?”**

इतना कहकर धानिश्क उसके ऊपर से उठा और अपनी पीठ उसकी तरफ करके बोला –

“अगर इश्क किया था तो आंख बंद करके भरोसा करना भी सीख जाती।”

इतना कहकर धानिश्क वहाँ से जाने को हुआ था, तभी सौम्या ने उसकी कलाई पकड़ ली। धानिश्क जो कि अपने कदम आगे बढ़ाने ही वाला था, उसके कदम रुक गए।

धानिश्क बिना मुड़े बोला –

“सौम्या, हाथ छोड़ो मेरा। तुमने अभी तक इश्क करना सीखा नहीं है। और रही बात इश्क की दूहाई देने की… वो तुम बहुत दे सकती हो। पर जब निभाने की बारी आए तो तुम्हें तो इश्क पर भरोसा ही नहीं है। अब छोड़ो मुझे, जाने दो।”

धानिश्क की बात पर एक पल के लिए सौम्या को अपने अंदर कुछ टूटा हुआ महसूस हो रहा था। वो तड़पकर बोली –

“मुझे माफ कर दीजिए… आप चाहें तो दोबारा मुझे पनिशमेंट दीजिए, प्लीज़ मुझे छोड़कर मत जाइए।”

सौम्या की बात पर एक पल के लिए धानिश्क ने अपनी मुट्ठियाँ कस लीं और अगले ही पल उसने बिना सौम्या की तरफ देखे, अपना हाथ ज़ोरों से झटका। जिससे सौम्या की पकड़ उसके हाथ से ढीली हो गई।

उसने गहरी आवाज़ में कहा –

“पहले इश्क का असली मतलब जानकर आओ। देखो अपने भैया-भाभी को… इश्क होता क्या है उनसे जाकर पूछो। जितनी जुदाइयाँ और दर्द उन्होंने सहे हैं, शायद ही किसी ने सहे हों।”

इतना कहते हुए धानिश्क की आवाज़ बेहद गहरी थी। अगले ही पल धानिश्क बिना रुके वहाँ से चला गया।

धानिश्क के जाते ही सौम्या की आँखों में नमी तैर गई। वो अपने मन में बोली –

“हमें माफ कर दीजिए… शायद आपने सही कहा, हम आपके इश्क के काबिल ही नहीं हैं।”

इतना कहते हुए उसके आँसू उसके गालों पर बह निकले। वो खुद से बात कर ही रही थी कि तभी उसका फोन खामोशी को चीरते हुए बज उठा। स्क्रीन पर अननोन नंबर चमक रहा था। उसे देखकर एक पल के लिए सौम्या के चेहरे के भाव बदल गए। अगले ही पल उसने कॉल उठाया और दूसरी तरफ से कुछ कहा गया… जिसे सुनकर सौम्या की आँखें बड़ी हो गईं और उसके हाथ से फोन छूटकर नीचे गिर गया।

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वहीं दूसरी तरफ…

धानिश्क एक बड़े से कमरे में बैठा था, जिसमें केंद्र में एक गिटार रखा था। उसने गिटार को गले में टाँगा और बड़े आराम से बजाने लगा। उसकी आँखें बंद थीं और वो गाने को गुनगुना रहा था।

Sari raat aahein bharta

Pal pal yaadon me marta

Mane na meri mann mera

Sari raat aahein bharta

Pal pal yaadon me marta

Mane na meri mann mera

Thode thode hosh

madhoshi si hai

Nind behoshi si hai

Jane kuch bhi na

उसकी आँखों के सामने लगातार सौम्या का चेहरा घूम रहा था। जैसे-जैसे यादें उमड़तीं, उसकी पकड़ गिटार पर और कसती गई। उसके हाथों से खून रिसना शुरू हो गया, मगर वो फिर भी रुका नहीं।

दरवाज़े के पास खड़ी सौम्या उसे देख रही थी। उसकी आँखें लाल थीं, आँसुओं से भीगी हुई। धानिश्क की हर स्ट्रिंग के साथ उसका दिल और ज़्यादा टूट रहा था।

mann mera

Kabhi mera tha par

ab baigana hai ye

Diwana diwana samjhe na

Kabhi chup chup rahe

Kabhi gaya ye kare

Bin puchhe teri tarifein

Sunaya ye kare

Hai Koi haqiqat

Tu ya koi fasana hai

Kuch jane agar to itna

Ki ye tera

deewana hai re

Man

n mera mane na

mann mera

धानिश्क की आँखें इस वक्त हद से ज़्यादा लाल थीं। उसकी सांसें भारी थीं। वो लगातार गिटार बजाते हुए अपनी जगह से उठा और सौम्या की तरफ कदम बढ़ाने लगा। सौम्या का दिल धक-धक करने लगा, उसकी सांसें गहरी होने लगीं। अगले ही पल उसने घबराकर पीछे कदम बढ़ाए और फिर भागकर कमरे से निकल गई।

Hun ashiq Tera ye

ilzaam Do

Magar jaan lo mere

ho tum

Ki ziddi Bada hai

ye Mann Mera

Haan ye maan lo mere

ho tum

Rag rag wo samaya mere

Dil par vo chhaya mere

Mujhpe wo aise jese jaan

Gire barsaat me paani jese

Koi kahaani jese

Dil se jo dil tak

ho bayan

Aashiq dil tera

purana hai

Diwana diwana samjhe na

Kabhi chup chup rahe

Kabhi gaya ye kare

Bin puchhe teri taarife

Sunaya ye kare

Hai koi haqiqat tu

Ya koi fasana hai

धानिश्क के हाथ गिटार पर रुक गए। उसके चेहरे पर तकलीफ़ भरी मुस्कराहट आ गई। उसने खुद से कहा –

Kuch jane agar to itna

Ki ye tera diwana hai

Re mann mera mane na

mann mera

Tujhko jo dekhe

Ye mujhko leke

Bas tere piche bhaage

Tera junun hai

Tu hi sukun hai

Tujh se hi

Baandhe dil ke dhaage

Kabhi chup chup rahe

Kabhi gaya ye kare

Bin puchhe teri tarifein

Sunaya ye kare

Hai Koi haqiqat

Tu ya koi fasana hai

Kuch jane agar t

o itna

Ki ye tera deewana

hai re

mann mera

Tujhko jo dekhe

Ye mujhko leke

Bas tere piche bhaage

Tera junun hai

Tu hi sukun hai

Tujh se hi

Baandhe dil ke dhaage

Kabhi chup chup rahe

Kabhi gaya ye kare

Bin puchhe teri tarifein

Sunaya ye kare

Hai Koi haqiqat

Tu ya koi fasana hai

Kuch jane agar to itna

Ki ye tera deewana

hai re

Re mann mera mane

na mann mera

Hun ashiq Tera

ye ilzaam Do

Magar jaan lo mere

ho tum

Ki ziddi Bada hai

ye Mann Mera

Haan ye maan lo

mere ho tum

Hun ashiq Tera ye

ilzaam Do

Magar jaan lo mere

ho tum

Ki ziddi Bada hai

ye Mann Mera

Haan ye maan lo

mere ho tum

“मतलब मेरा यकीन सही था… कि अभी भी तुम्हें इश्क करना नहीं आया। अब तुम्हें इश्क सिखाना बहुत ज़रूरी है… चाहे इसके लिए मुझे तुमसे दूर क्यों ना होना पड़े। तुम दूसरों पर विश्वास कर सकती हो, पर अपने इश्क पर नहीं। जहां इश्क हो, वहां विश्वास हमेशा होता है। और अब वक्त आ गया है…”

इतना कहते हुए धानिश्क के चेहरे पर रहस्यमयी भा

व थे और उसकी आँखें हद से ज्यादा लाल।

To be continued…

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