
Kapoor Villa,,
4th Floor,,
SD Room,,
अभी-अभी धानिश्क बाथरूम से बाहर निकला ही था कि उसकी नज़र बेड पर गई।
बेड खाली था… सौम्या गायब।
यह देखकर उसके जबड़े कस गए, माथे की नसें तन गईं। गहरी सांस खींचते हुए उसने बड़बड़ाया—
“अब तुम मुझे गुस्सा दिला रही हो… wifey।”
वह बेड रेस्ट से मोबाइल उठाकर उसमें कुछ देखने लगा, मानो अगले ही पल सौम्या को पकड़ लेने का इंतज़ाम कर रहा हो।
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वहीं दूसरी तरफ—
सौम्या उसी फ़्लोर पर इधर-उधर घूम रही थी। उसकी आँखें हर कोने को गौर से देख रही थीं कि अचानक किसी ने उसका हाथ खींचकर उसे ज़ोर से दीवार से टिका दिया।
एक पल के लिए उसकी धड़कन थम सी गई, लेकिन सामने खड़े धानिश्क को देख जैसे ही उसने पहचान लिया, उसने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया।
सौम्या के इस बर्ताव पर धानिश्क के होंठों पर एक डेविल स्माइल फैल गई। वह झुककर उसके बेहद क़रीब आया और कानों में फुसफुसाया—
“कल रात का नशा… लगता है अभी उतरा नहीं है, wifey… तुम्हारे ऊपर से।”
धानिश्क की बात सुन सौम्या की आँखें हैरत से फैल गईं। उसने दाँत भींचकर कहा—
“आप इतनी बेशर्म कैसे हो सकते हैं, मिस्टर कपूर!”
उसकी बात सुन धानिश्क हंसा, और उसकी डेविल स्माइल और गहरी हो गई।
“और awwwww… मेरी wifey, बेशर्मी देखना चाहती है? As you wish… wifey।”
सौम्या कुछ कहती उससे पहले ही धानिश्क ने उसे कंधे पर उठा लिया।
“ये क्या तरीका है मिस्टर कपूर! मुझे नीचे उतारिए… मैं आपके साथ यहाँ रहने नहीं आई! मुझे अपने घर वापस जाना है!”
लेकिन धानिश्क पूरी बेफ़िक्री से बोला—
“यही तुम्हारा घर है, वाइफ… और अब मैं ये बात तुम्हारे मुँह से दोबारा ना सुनूँ। वरना सज़ा भी मिलेगी… अभी इसी वक्त।”
उसकी बात सुन सौम्या का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। उसे पिछली रात का नज़ारा फिर से याद आ गया, जिससे उसकी साँसें अटक सी गईं।
धानिश्क ने उसे सीधा अपने कमरे में लाकर बेड पर पटक दिया। सौम्या घबराकर पीछे हटने लगी, लेकिन धानिश्क की मुस्कान और लंबी हो गई।
उसकी धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि मानो सीने से बाहर आ जाएँगी।
अगले ही पल धानिश्क ने उसका पैर पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया।
“क्या हुआ, वाइफी? इश्क़ का फितूर इतना जल्दी उतर गया… दिमाग से?”
सौम्या दाँत भींचकर रह गई। जवाब तो उसके पास था ही नहीं। इश्क़ तो वह अब भी उसी से करती थी… बस नाराज़गी उसे खाए जा रही थी। नाराज़गी इस बात की कि पिछली रात धानिश्क ने उसे समझाने के बजाय उसे अपनी शर्तों से बाँध दिया था।
वह चाहती थी कि धानिश्क उसे मनाए… लेकिन धानिश्क तो उसे और चिढ़ा रहा था।
धानिश्क झुकते हुए उसके गले पर अपने होंठ रख दिए। उसने उसे अपनी गिरफ्त में लेकर कसकर दबाया—
कमरे में सिर्फ़ सौम्या की तेज़ चीख की गूंज रह गई…
सौम्या की चीख उस कमरे में गूंजते ही धानिश्क ने उसके होंठों को अपनी गिरफ्त में और कसकर दबा लिया।
उसके हाथों की पकड़ मज़बूत थी… मानो पूरी दुनिया को छोड़ सकता है, पर उसे नहीं।
सौम्या छटपटाई, लेकिन उसके दिल की धड़कनें खुद उसके साथ धोखा कर रही थीं। जितना वह धानिश्क से नाराज़ थी, उतना ही वह उसकी बाहों में टूटकर खो जाने का मन कर रहा था।
धानिश्क ने धीरे से उसके गालों को अपनी हथेलियों में थाम लिया और गहरी नज़रें उसकी आँखों में डालते हुए फुसफुसाया—
“तुम जितना मुझसे दूर भागोगी, वाइफी… उतना ही और करीब खींच लूँगा। क्योंकि अब… तुम मेरी हो। सिर्फ़ मेरी।”
सौम्या की पलकों ने झपकते हुए जवाब दिया, मगर उसकी साँसें अनियंत्रित थीं।
वह चाहती थी ‘ना’ कहे… लेकिन दिल की धड़कनें ‘हाँ’ पुकार रही थीं।
धानिश्क ने उसके बालों को पीछे कर उसकी गर्दन पर अपनी उँगलियाँ फिराईं।
उसका स्पर्श सौम्या की पूरी देह में बिजली सा दौड़ गया। उसने आँखे कसकर बंद कर लीं।
“मुझे मत छुए…” उसने धीमे स्वर में कहा।
धानिश्क ने ठंडी मुस्कान के साथ उसकी ठुड्डी उठाई—
“दिल कह रहा है छूने दो… और ज़ुबान कह रही है मना। अब बताओ… सुनूँ किसकी, wifey?”
उसकी आवाज़ में नशा और अधिकार दोनों घुले हुए थे।
सौम्या के होंठ कांपे। धानिश्क ने उसके कांपते होंठों पर एक बार फिर अपने होंठ रख दिए। इस बार चुंबन गहरा था… न सिर्फ़ ज़िद का, बल्कि अपनेपन का।
सौम्या की साँसें उसके सीने में अटक गईं। वह चाहकर भी खुद को उससे दूर नहीं कर पा रही थी।
धीरे-धीरे उसकी उँगलियाँ धानिश्क की शर्ट पकड़कर कस गईं।
धानिश्क ने उस एहसास को महसूस कर उसके कान में फुसफुसाया—
“बस यही तो चाहता हूँ… तुम्हारी ये हार। क्योंकि ये हार
ही मेरी जीत है, वाइफी।”
To be continue....
Kal ka chepter most romentic hone wala hai bole to tabad tod romance
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