
Fire Villa,
Basement ✦
अभिषेक की साँसें टूट-टूट कर चल रही थीं।
AS उसके बिल्कुल पास झुक आया, उसकी आँखों में खून उतर आया था।
AS (ठंडी आवाज़ में):
“तुझे सच लगता है… कि रवि अब तक ज़िंदा है क्योंकि वो मुझसे बच रहा है?”
अभिषेक की धड़कन जैसे थम गई।
उसकी आँखें फैल गईं।
AS ने उसकी ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाया और ज़हर टपकाते लहज़े में बोला—
“रवि… मेरी मुट्ठी में है।
मैं चाहूँ तो आज ही उसे पकड़ लूँ।
वो जहाँ जाता है, किससे मिलता है, किससे साँस लेता है—सब मेरी नज़रों में है।”
अभिषेक का गला सूख गया।
“फ-फिर… फिर आपने उसे अब तक छोड़ा क्यों है…?”
AS हल्का-सा हंसा, मगर हँसी के पीछे ठंडी आग छिपी थी।
“क्योंकि… वो मेरी रैबिट के भाई का पता जानता है।
अगर मैं उसे अभी पकड़ लूँ… तो हो सकता है मेरा रास्ता वहीं खत्म हो जाए।
लेकिन याद रख…
रवि अब मेरे खेल का मोहरा है, खिलाड़ी नहीं।”
AS ने ज़रा ठहरकर, और भी धीमे स्वर में कहा—
“जब वक्त आएगा… मैं रवि को उसी के बनाए जाल में फँसाकर खत्म कर दूँगा।
अभी उसे खुला छोड़ना मेरे लिए फ़ायदेमंद है।”
उसने अचानक अभिषेक के कान के पास झुकते हुए फुसफुसाया—
“पर तू…
तू तो मेरे लिए ज़िंदा रहने की वजह ही नहीं रखता।”
अभिषेक के रोंगटे खड़े हो गए।
उसने कांपते हुए कहा—
“म-मत मारो… मैं… मैं तुम्हें और भी बातें बता सकता हूँ… रवि ने क्या प्लान किया है…”
AS की आँखों में ठंडी चमक आई।
“तो बोल…
वरना… तेरा खेल यहीं खत्म कर दूँगा।”
बेसमेंट में एकदम खामोशी छा गई।
सिर्फ़ अभिषेक की हांफती साँसें और AS की बर्फ़ीली नज़रें।
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अभिषेक पूरी तरह डर के साए में जकड़ा हुआ था।
उसकी नज़रें बार-बार AS और गार्ड्स के बीच झूल रही थीं, जैसे उसे यकीन ही नहीं हो रहा कि वो अब भी ज़िंदा है।
AS धीरे-धीरे उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ गया।
उसकी उंगलियाँ एकदम ठंडी थीं, मगर उसकी आँखों में आग जल रही थी।
AS (ठंडी आवाज़ में):
“बोल अभिषेक… रवि का अगला प्लान क्या है?”
अभिषेक हकलाया—
“व-वो… वो मुझे सब कुछ नहीं बताता… बस… छोटे-छोटे काम करवाता है…
कभी मैसेज पहुंचाना… कभी किसी को बहकाना… कभी किसी जगह बुलाना…”
AS की आँखें सिकुड़ गईं।
“और ब्लू डायमंड होटल?”
अभिषेक के माथे से पसीना बहने लगा।
उसकी आँखें झुक गईं।
“वो… रवि ने ही कहा था… कि काजल को वहाँ बुलाऊँ…
उसने कहा था… अगर AS और काजल के बीच दूरियाँ डालनी हैं, तो सबसे आसान तरीका है शक पैदा करना।”
AS की मुट्ठी कस गई।
उसकी नसों में खून और तेज़ी से दौड़ने लगा।
AS (दाँत भींचते हुए):
“तेरे जैसे घटिया लोग… मेरी रैबिट की आँखों में आँसू लाए।
और तुझे लगता है… इसका हिसाब मैं छोड़ दूँगा?”
अभिषेक काँप उठा।
उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा—
“न-नहीं जीजू… मैं… मैं मजबूर था… रवि ने धमकाया था… कहा अगर मैंने मना किया, तो वो… वो मुझे ही मार देगा।”
AS ठंडी हँसी हँसा।
“तुझे मार देता… तो दुनिया को कोई फर्क नहीं पड़ता।
लेकिन तूने मेरी रैबिट का दिल तोड़ने की हिम्मत की… इसका तो हिसाब होगा।”
AS अचानक उठकर उसके पास गया, और अभिषेक के बाल पकड़कर उसका चेहरा ऊपर खींचा।
AS (धीमे स्वर में):
“तुझे लगता है… रवि मुझसे बच रहा है?
गलत।
रवि अब भी ज़िंदा है… सिर्फ़ इसलिए कि मैं उसे अभी तक पकड़ना नहीं चाहता।
मैं उसे जब चाहूँ, पकड़ सकता हूँ।
उसकी हर चाल, हर सांस, हर मूवमेंट मेरी नज़रों के नीचे है।”
अभिषेक की आँखें चौड़ी हो गईं।
“फ-फिर… फिर आप इंतज़ार किस बात का कर रहे हैं?”
AS झुककर उसके कान में फुसफुसाया—
“क्योंकि… वो मेरी रैबिट के भाई को पकड़कर बैठा है।
मैं उसे अभी खत्म कर दूँ… तो मेरी रैबिट टूट जाएगी।
और मैं… अपनी रैबिट की आँखों में फिर आँसू नहीं देख सकता।”
उसकी आवाज़ में एक पल के लिए हल्की नमी थी, मगर तुरंत ही वो फिर से पत्थर हो गया।
AS ने गार्ड को इशारा किया।
गार्ड ने एक स्टील की रॉड गरम करने के लिए जलते कोयलों पर रख दी।
अभिषेक की रूह काँप गई।
AS (बर्फ़ जैसी ठंडी आवाज़ में):
“अब बोल… रवि का अगला कदम क्या है?
उसने काजल या उसके भाई के बारे में तुझे कुछ बताया था…?”
अभिषेक ने थरथराती आवाज़ में कहा—
“व-वो… उसने कहा था… कि अगली बार हमला… सीधा दिल पर होगा।
आपकी रैबिट को… इस बार सिर्फ़ डराया नहीं जाएगा… बल्कि उसे सचमुच चोट पहुँचाई जाएगी।”
AS की आँखों में खून उतर आया।
उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
AS (गरजते हुए):
“अगर मेरी रैबिट की एक भी सांस अटकी… तो रवि तो क्या, पूरा उसका खेल मैं खून में डुबो दूँगा।”
वो अचानक शांत हो गया, उसकी आवाज़ फिर से धीमी और ठंडी हो गई—
“लेकिन… मैं उसकी चाल को उसी पर पलटूँगा।
मेरी रैबिट को अब और दर्द नहीं होगा।
इस बार… शिकारी मैं हूँ, और शिकार सिर्फ़ रवि होगा।”
अभिषेक बुरी तरह काँप गया।
उसने डरते हुए कहा—
“म-मैं सब बताऊँगा… जो भी रवि ने कहा है… बस मुझे मारना मत…”
AS की आँखों में ठंडी चमक आई।
वो कुर्सी पर बैठ गया और बर्फ़ीली आवाज़ में बोला—
“तो शुरू कर।
हर एक राज उगल…
वरना तेरे लिए ये तहख़ाना… तेरा आख़िरी ठिकाना बन जाएगा।”
बेसमेंट में सन्नाटा छा गया।
गरम होती स्टील
रॉड की चिटचिट आवाज़ और अभिषेक की हांफती साँसें ही गूंज रही थीं…
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जहां एक तरफ AS का टॉर्चर section चल रहा था। वहीं दूसरी तरफ,,
Shekhawat palace में,,
दिव्यांश अनन्या को नहला रहा था। इस वक्त अनन्या दिव्यांश के सामने पूरी तरह से नेक्ड थी। वो बेजान आंखों से एक तक सामने छत की तरफ देख रही थी। वही अनन्या की ऐसी हालत देख कर दिव्यांश को अपने अंदर कुछ टूटता हुआ महसूस हो रहा था।
✦ To Be Continued…









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