
Fire Villa,
Basement ✦
तंग और अंधेरी तहख़ाने में सिर्फ़ एक बल्ब झूल रहा था। उसकी पीली रोशनी में रस्सियों में जकड़ा अभिषेक झटपटाता हुआ नज़र आ रहा था। गले की फंदे में तड़पते हुए उसकी साँसें अटक रही थीं।
AS की ठंडी निगाहें उस पर टिकी थीं। उसकी आँखों में कोई भाव नहीं—सिर्फ़ बर्फ़ीली ख़ामोशी।
उसने एक हल्का-सा इशारा किया।
आमिर ने तुरंत गार्ड को देखा।
अगले ही पल रस्सी ढीली पड़ गई—
अभिषेक धड़ाम से ज़मीन पर गिरा और गला पकड़कर खाँसने लगा। उसकी सांस जैसे बाहर निकलने को मचल रही थी।
AS धीरे-धीरे आगे बढ़ा। उसकी आवाज़ उतनी ही धीमी, मगर अंदर तक चीर देने वाली थी—
AS (कोल्ड वॉइस में):
“क्रूज़ की रात… काजल को किडनैप क्यों किया था?”
अभिषेक का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
उसके होंठ काँपने लगे।
उस पल उसे लगा जैसे ज़मीन पैरों तले खिसक गई हो।
AS ने बिना रुके, एक-एक शब्द ताने की तरह फेंके—
“और वही सुबह… ब्लू डायमंड होटल। याद है? तुमने ही काजल को कॉल करके वहाँ बुलाया था।”
अभिषेक का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
उसने बुदबुदाते हुए कहा—
“न-नहीं… तब तो मैं काजल को जानता भी नहीं था…”
AS की आँखों में व्यंग्य चमका।
वो हल्का-सा हंसा और बोला—
“फिर तो शायद तुम्हें ये भी नहीं पता होगा… कि इंडिया का प्रधानमंत्री कौन है।”
अभिषेक के माथे पर पसीना छलक आया।
उसकी नज़रें बचने लगीं।
AS झुककर उसकी आँखों में देखते हुए बोला—
“अब तू अपनी ज़ुबान खोलेगा… या मैं अपने तरीके से खुलवाऊँ?
होटल रूम में मेरी ड्रिंक में स्पाइक क्यों किया था?”
अभिषेक बुरी तरह कांप गया।
उसकी हकलाती आवाज़ निकली—
“प-पर जीजू… तब तो मैं आपको जानता भी नहीं था…”
AS का चेहरा और ठंडा हो गया।
“मतलब… तू ऐसे नहीं मानेगा।”
उसके लहज़े ने ही अभिषेक की गर्दन ठंडी कर दी।
AS की आँखें और लाल हो गईं।
“तेरे कारण… मुझे अपनी रैबिट की नाराज़गी सहनी पड़ी।
सिर्फ़ तेरे कारण!
और वो भी क्यों? चंद टुकड़ों के लिए… जो रवि ने तुझे दिए?”
उसने ताने से कहा—
“अगर पैसे चाहिए थे… तो मेरे पास आता।
तेरी पूरी ज़िंदगी भर देता मैं।
पर नहीं… तेरी नज़रें मेरी रैबिट पर थीं।
तुझे भी वही चाहिए था… जो रवि चाहता था।”
AS की आवाज़ अब और भारी हो गई।
वो झुककर उसके कान में फुसफुसाया—
“तुझे क्या लगा… मुझे पता नहीं चला कि तू बहुत पहले से मेरी रैबिट पर नज़रें गड़ाए बैठा है?”
अभिषेक का चेहरा पीला पड़ गया।
AS की आँखें उसके चेहरे पर जमी थीं, जब उसने और ज़हर घोला—
“उस रात… जब मेरी और रैबिट की पहली पार्टी थी…
मैंने अपनी आँखों से देखा था तुझे।
एक कोने में बैठा… मेरी रैबिट को घूरते हुए।
”
अभिषेक के होंठ सूख गए।
उसके पूरे जिस्म से जैसे ताक़त निकल गई हो।
Fire Villa, Basement (continuation) ✦
AS की आँखें ठंडी थीं, लेकिन उसकी आवाज़ ज़हर टपका रही थी।
वो धीरे से बोला—
AS (भारी स्वर में):
“तुझे क्या लगा… मुझे कुछ पता नहीं चलेगा… कि तेरी नज़र मेरी रैबिट पर है?”
अभिषेक हक्का-बक्का होकर AS को देखने लगा।
AS ने गहरी सांस ली, और फिर जैसे उसके सामने वही रात ज़िंदा हो उठी—
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✦ Flashback ✦
वो रात… जब AS और मिक्की की सगाई थी।
चारों तरफ़ जगमगाती रोशनी, शेरवानी में AS और उसके पास मिक्की।
स्टेज पर काजल थी—लाल लहंगे में, संगीत की धुन पर थिरकती हुई।
उसकी हर अदा, हर मुस्कान सबकी नज़रें खींच रही थी।
लेकिन एक कोने में…
अभिषेक बैठा था।
हाथ में ड्रिंक, आँखों में बेशर्मी।
उसकी नज़रें बस काजल पर थीं—
जैसे पूरे हॉल में कोई और मौजूद ही न हो।
वो काजल के हर मूव को गंदे इरादों से पी रहा था।
AS, दूर से, सब देख रहा था।
उसकी आँखें सिकुड़ गई थीं।
उस पल ही उसने समझ लिया था—
अभिषेक की नज़र सिर्फ़ काजल पर अटकी है।
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Back to Present (Basement)
AS की आँखें गुस्से से जल उठीं।
वो अभिषेक के बिल्कुल पास झुक आया।
AS (फुसफुसाते हुए):
“उस सगाई की रात…
जब मेरी रैबिट स्टेज पर डांस कर रही थी…
तेरी घटिया नज़रें… बस उसी पर टिकी थीं।”
उसकी बात पर अभिषेक का चेहरा बिल्कुल सफ़ेद हो गया।
उसके होंठ कांपे, मगर आवाज़ नहीं निकली।
AS ने उसकी ठुड्डी पकड़कर चेहरा ऊपर उठाया।
“तू समझता क्या है अपने आपको?
मेरी रैबिट… तू AS के घर पर आकर इतना सब करेगा और मुझे कुछ पता नहीं चलेगा ।”
AS की आवाज़ अब और ठंडी, और घातक थी।
“उस रात… तेरी आँखों
में मैंने सब देख लिया था।
और आज… तुझसे सब निकलवाऊँगा।”
AS की आवाज़ और भी गहरी हो गई।
उसकी आँखों में लालिमा थी, लेकिन उनमें सिर्फ़ ग़ुस्सा नहीं—एक दर्द भी भरी तड़प भी थी। जो उसने काजल से एक महीना दूरी सही थी।
वो झुककर अभिषेक के कानों में बर्फ़ जैसी ठंडी आवाज़ में बोला—
AS:
“और उसके बाद… वो रात।
मेरी और मेरी रैबिट की सबसे प्यारी रात…
जिसे मैं अपनी ज़िंदगी मेंसबसे अनमोल पल जिए थे जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता।”
AS की आँखों में एक पल के लिए हल्की नमी तैर गई।
लेकिन अगले ही पल उसने अपने लहजे को और सख़्त कर लिया।
“उसी रात के अगले दिन… सुबह-सुबह तूने मेरी रैबिट को कॉल किया।
ब्लू डायमंड होटल में बुलाया।
ताकि… मुझे बदनाम कर सके।”
अभिषेक के चेहरे से रंग उड़ गया।
AS ने भारी सांस लेते हुए कहा—
“और तूने किया भी वही।
रवि के कहने पर तूने मेरी ड्रिंक स्पाइक की…
मुझे एक होटल रूम में बुलाया।
मैं वहाँ… सिर्फ़ एक डील फाइनल करने आया था। और एक राज पता करने गया था।
पर मेरी रैबिट ने मुझे गलत समझ लिया…”
उसकी आवाज़ अचानक धीमी हो गई।
आँखें कुछ पल के लिए दर्द से भर आईं।
“जानता है, मैं तब क्यों चुप रहा?
मैं सब कुछ साफ़ कर सकता था…
अपनी रैबिट को सच बता सकता था।
लेकिन मैंने खामोशी चुनी।”
AS की नज़रें अब छत की ओर थीं, जैसे वो उस दिन की चुप्पी याद कर रहा हो।
उसका स्वर टूट गया—
“क्योंकि… उसकी जान दाँव पर थी।
उसका भाई… अभी तक ज़िंदा है। और वो बेचारी अभी तक ये बात नहीं जानती,,
मुझे उसका पता लगाना था।
मैं अपनी रैबिट को और दर्द नहीं देना चाहता था।
मेरी रैबिट और उसके भाई की ज़िंदगी दाँव पर न लग जाए… इसलिए मैंने खामोश रहना चुना।”
AS की उंगलियाँ मुट्ठी में बदल गईं।
उसकी आँखों में अब फिर से खून उतर आया।
वो झुककर अभिषेक के
बिल्कुल पास आया—
“पर अब… मैं चुप नहीं रहूँगा।”तुझे पता है। ना काजल का भाई कहा है।AS की बात पर अभिषेक के जैसे जान हलक में अटक गई। और में ये भी जनता हु। की
वो रवि अब कहा है। तुझे पता है। मैने उसे पकड़ा क्यों नहीं,, क्योंकि वो रैबिट के भाई का पता जनता है,,
AS की बात पर अभिषेक के होश उड़ गए.....
To be continue.....
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